नई दिल्ली, 19 मार्च । सरकार के फ्लैगशिप प्रोग्राम 'जागो ग्राहक जागो' के तहत भारतीय ग्राहकों को डिजिटल साक्षरता पहल के जरिए सशक्त बनाने के लिए केंद्र और मेटा ने हाथ मिलाया है। संयुक्त अभियान 'बी एन एम्पावर्ड कंज्यूमर' का उद्देश्य भारतीय ग्राहकों को शिक्षित करते हुए उन्हें ऑनलाइन खतरों की पहचान करना और स्वस्थ ऑनलाइन आदतों से रूबरू कराना है। इस अभियान के तहत भारतीय ग्राहकों को मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करना, ऑनलाइन जानकारियों को वेरिफाई करना और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करना सिखाया जाएगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि वे नागरिकों को नॉलेज और टूल्स के साथ सशक्त करने की इस पहल में मेटा के साथ पार्टनरशिप को लेकर उत्साहित हैं। इस पहल के साथ नागरिकों की डिजिटल लैंडस्केप को नेविगेट करने के साथ खुद को ऑनलाइन सुरक्षित रखने की समझ बढ़ेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "सस्टेनेबल और सुरक्षित डिजिटल एक्सपीरियंस के लिए 'उपभोक्ता जागरूकता' अहम है। यह अभियान उपभोक्ता सुरक्षा उपायों को मजबूत करेगा और भारतीय उपभोक्ता को सशक्त बनाने के हमारे कमिटमेंट को पूरा करेगा।"
केंद्रीय मंत्री को आईआईटी बॉम्बे के साथ संयुक्त रूप से एक परियोजना के बारे में भी अपडेट दिया गया। इस सहयोग का उद्देश्य मेटा के लार्ज लैंग्वेज मॉडल एलएलएएमए-2 का लाभ उठाते हुए एक एआई ड्रिवन- सिटिजन सेंट्रिक चैटबॉट को डेवलप करना है। चैटबॉट उपभोक्ता तक उनके अधिकारों की जानकारी की पहुंच को मजबूत करेगा। यह एक मजबूत शिकायत सहायता टूल होगा जो लोगों को शिकायत दर्ज करने और उनके निवारण पर तेजी से काम करेगा। चैटबॉट अभी क्लोज्ड ग्रुप बीटा टेस्टिंग के लिए तैयार है और टेस्टिंग पूरी होने के बाद इसे आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया जाएगा और डीओसीए की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। मेटा के चीफ ग्लोबल अफेयर्स ऑफिसर जोएल कपलान ने कहा कि वे उपभोक्ता मामलों के विभाग के साथ काम करने और भारत के डिजिटल उपभोक्ता संरक्षण में योगदान देने की पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमें लगता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लोगों को खुद को सुरक्षित और जानकारियों से लैस रखने में मददगार हो सकता है। इससे एआई तक लोगों की पहुंच सुलभ बनाने के साथ हमें उपभोक्ता जागरूकता और शिकायतों का तेजी से समाधान करने की दिशा में सुधार की उम्मीद है।" -- (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 मार्च । भारतीय उद्योग जगत एक फंडामेंटल स्किल रीसेट दौर से गुजर रहा है। बुधवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह दावा किया गया। रिपोर्ट के अनुसार कंपनियां पांच सबसे तेजी से बढ़ते स्किल क्रिएटिविटी और इनोवेशन, कोड रिव्यू, प्रॉब्लम सॉल्विंग, प्री-स्क्रिनिंग और स्ट्रैटेजिक थिंकिंग को भर्ती में अहमियत दे रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक ये बदलाव दिखेगा। ज्यादातर नौकरियों में जो स्किल्स (आज की तारीख) डिमांड में हैं उनमें करीब 64 प्रतिशत परिवर्तन आएगा। लिंक्डइन रिसर्च बताती है कि 25 प्रतिशत पेशेवर आवश्यक स्किल न होने के कारण भविष्य को लेकर आशंकित हैं। वहीं 60 प्रतिशत इंडस्ट्री बदलने के लिए तैयार हैं तो 39 प्रतिशत नई स्किल सीखने की योजना बना रहे हैं। दूसरी ओर, भारत में 69 प्रतिशत रिक्रूटर स्किल-मिसमैच की रिपोर्ट करते हैं। उनका कहना है कि मौजूदा कौशल और कंपनियों की जरूरत अलग-अलग है, इनमें मेल नहीं है। क्रिएटिविटी और इनोवेशन, प्रॉब्लम सॉल्विंग और स्ट्रैटिजिक थिंकिंग को लेकर मांग बढ़ रही है। यह मांग न केवल पारंपरिक रूप से क्रिएटिव फील्ड जैसे आर्ट्स, डिजाइन और मार्केटिंग के लिए बढ़ रही है बल्कि बिजनेस डेवलपमेंट और एजुकेशन के लिए भी बढ़ रही है। इसी तरह, कम्युनिकेशन स्किल भी अब पीपल-सेंट्रिक रोल जैसे सेल्स और एचआर तक सीमित न रहकर आईटी, कंसल्टिंग और फाइनेंस के लिए भी जरूरी हो गई है। आज के परिदृश्य में एआई के साथ तालमेल बिठाने की क्षमता एक मुख्य आधार है।
भारत में 95 प्रतिशत सी-सूट लीडर ट्रडिशनल एक्सपीरियंस पर एआई स्किल को प्राथमिकता देते हैं। नौकरी आवेदकों के लिए लार्ज लैंग्वेज मॉडल, एआई साक्षरता और प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग स्किल प्रमुख अंतर बन रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ये स्किल पारंपरिक रूप से आईटी से जुड़े रहे हैं, लेकिन शिक्षा और मार्केटिंग में उनकी बढ़ती महत्ता जॉब फंग्शन में एआई और टेक फ्लूएंसी की बढ़ती भूमिका को उजागर करती है। जैसे-जैसे कंपनियां व्यवसाय विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करती हैं, मजबूत ग्राहक संबंध पहली प्राथमिकता बने रहते हैं। 'कस्टमर इंगेजमेंट' एक महत्वपूर्ण स्किल है, जिसमें बिक्री, व्यवसाय विकास और मार्केटिंग कार्यों में ग्राहक संतोष पर जोर दिया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो 'पेशेवर' व्यवसायों को स्थायी ग्राहक संबंध और वफादारी बनाने में मदद कर सकते हैं, उन्हें लाभ होगा। --आईएएनएस एसकेटी/केआर
महाराष्ट्र में कई हफ्तों से सुलगाए जा रहे औरंगजेब की कब्र के मामले ने सोमवार शाम नागपुर को अपनी चपेट में ले लिया. शहर में हुई हिंसा में कई लोग और पुलिसकर्मी घायल हो गए और कई गाड़ियों को आग लगा दी गई.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
17 मार्च की शाम नागपुर में शिवाजी महाराज मूर्ति के पास विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन का आयोजन किया था. प्रदर्शन में 318 साल पहले मारे जा चुके औरंगजेब का पुतला जलाया गया.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इसके बाद शहर में अफवाह फैल गई कि प्रदर्शन में एक धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण चादर को भी जलाया गया है. इस अफवाह के फैलने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग नाराज हो गए और कई इलाकों में दो समुदायों के बीच झड़प हुई.
खुल्दाबाद में है औरंगजेब की कब्र
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस हिंसा में कम से कम 10 दंगा-विरोधी कमांडो, दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और दो दमकलकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. भीड़ ने कई गाड़ियों, पुलिस वाहनों और बुलडोजरों को भी आग लगा दी. पुलिस ने कम से कम 50 लोगों को हिरासत में ले लिया है. शहर के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है.
महाराष्ट्र में पिछले कई महीनों से औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद चल रहा है. छठे मुगल बादशाह औरंगजेब को मुगल साम्राज्य का सबसे ज्यादा विस्तार करने और अपने पूर्वज बादशाहों के धार्मिक बहुलवाद के उलट इस्लाम के प्रसार के लिए क्रूर नीतियां लागू करने के लिए जाना जाता है.
हिंदुत्ववादी संगठन लंबे समय से इन कारणों से औरंगजेब की निंदा करते रहे हैं और यह कहते रहे हैं कि आधुनिक भारत में औरंगजेब की विरासत को किसी भी रूप में जिंदा रखने की कोई जरूरत नहीं है.
इसी वजह से सितंबर, 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद जिले और औरंगाबाद शहर का नाम बदल कर छत्रपति संभाजी नगर कर दिया था. इसी जिले के खुल्दाबाद इलाके में मुंबई से करीब 325 किलोमीटर दूर औरंगजेब का मकबरा है.
औरंगजेब की मौत 1707 में हुई थी जिसके बाद उन्हें यहां दफना दिया गया था. हुमायूं, अकबर, शाहजहां आदि जैसे अन्य मुगल बादशाहों के मकबरों के मुकाबले औरंगजेब का मकबरा वास्तुकला का कोई भव्य नमूना नहीं है, बल्कि ये सूफी संत शेख जैनुद्दीन की दरगाह के परिसर में एक बेनिशान कब्र है.
कब्र को हटाने का अभियान
इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब की ही इच्छा थी कि उसकी कब्र सूफी संत शेख जैनुद्दीन के पास और बिलकुल सादगी से बनाई जाए. यह भारत सरकार के पुरातत्व विभाग (एएसआई) द्वारा संरक्षित इमारत है. महाराष्ट्र में हिंदुत्ववादी संगठन मांग कर रहे हैं कि इस कब्र को राज्य से हटा दिया जाए.
खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस इस मांग से सहमत हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सतारा से बीजेपी के सांसद उदयनराजे भोसले ने भी यह मांग की थी, जिसके जवाब में फडणवीस ने उनसे कहा कि वो भी इस मांग से सहमत हैं लेकिन यह एक संरक्षित स्मारक है.
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने कहा है कि कब्र को हटाने का उनका अभियान जारी रहेगा. बजरंग दल ने यह भी कहा है कि वो कब्र को हटाने के लिए लाखों हिंदुओं के साथ 'कर सेवा' शुरू करेगा. (dw.com/hi)
नई दिल्ली, 19 मार्च । अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की नौ महीने के लंबे मिशन के बाद पृथ्वी पर वापसी को लेकर सपा सांसद रामगोपाल यादव ने खुशी जाहिर की। उन्होंने एलन मस्क की कंपनी को भी बधाई दी। समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "यह सभी के लिए खुशी की बात है, क्योंकि सुनीता विलियम्स को लेकर सारा देश चिंतित था। वह पिछले 9 महीनों से अंतरिक्ष में फंसी हुई थीं। नासा और एलन मस्क के ड्रैगन ने बहुत ही कमाल का काम किया। वे सभी बधाई के पात्र हैं।" इससे पहले देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस वापसी को ऐतिहासिक करार दिया। रक्षा मंत्री ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए लिखा, "नासा के क्रू-9 की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी से प्रसन्न हूं! भारत की बेटी सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों वाले चालक दल ने अंतरिक्ष में मानव धीरज और दृढ़ता के इतिहास को फिर से लिखा है।" उन्होंने कहा, "सुनीता विलियम्स की अविश्वसनीय यात्रा, अटूट समर्पण, दृढ़ता और संघर्ष की भावना दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करेगी। उनकी सुरक्षित वापसी अंतरिक्ष प्रेमियों और पूरी दुनिया के लिए जश्न का क्षण है।
उनकी हिम्मत और उपलब्धियां हम सभी को गौरवान्वित करती हैं। उन्हें सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लाने के लिए सभी हितधारकों को बधाई और बहुत-बहुत धन्यवाद।" अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर नौ महीने के लंबे मिशन के बाद पृथ्वी पर वापस लौटे हैं। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान द्वारा सुरक्षित रूप से फ्लोरिडा के तट पर उतारा गया था। धरती पर लौटे अंतरिक्ष यात्रियों को एक सुंदर और अप्रत्याशित अनुभव हुआ। उनका स्वागत डॉल्फिन ने किया। ड्रैगन कैप्सूल के समुद्र में उतरते ही डॉल्फिन कैप्सूल के आसपास तैरते हुए देखीगईं। यह एक लगभग जादुई क्षण था जब डॉल्फिन ने ड्रैगन कैप्सूल के चारों ओर चक्कर लगाया, इससे पहले कि इसे रिकवरी पोत पर रखा जाता। रिकवरी टीम ने कैप्सूल के साइड हैच को सावधानी से खोला, जो सितंबर के बाद से पहली बार खुला था। अंतरिक्ष यात्रियों को कैप्सूल से बाहर निकाला गया और 45 दिनों के पुनर्वास कार्यक्रम के लिए ह्यूस्टन ले जाया गया। क्रू-9 की पृथ्वी पर वापसी में अपनी चुनौतियां थीं। --(आईएएनएस)
फिरोजाबाद, 18 मार्च । उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के जसराना थाना क्षेत्र स्थित दिहुली गांव में 18 नवंबर 1981 को 24 दलितों की सामूहिक हत्या के मामले में अदालत ने मंगलवार को तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। न्यायाधीश इंद्रा सिंह ने फैसला सुनाते हुए दो दोषियों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना और एक दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने तीनों दोषियों रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल को जिला कारागार मैनपुरी में दाखिल कर दिया है। घटना के बाद से इलाके में तनाव की स्थिति को देखते हुए दिहुली गांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था या हिंसा न हो। यह मामला 44 साल पुराना है, जब 18 नवंबर 1981 को शाम करीब पांच बजे हथियारबंद कुछ लोग दिहुली गांव के दलितों की बस्ती में घुस गए थे और उन्होंने महिलाओं, पुरुषों और बच्चों समेत 24 लोगों को बेरहमी से मार डाला था। बदमाशों ने लगातार तीन घंटे तक गोलियां बरसाईं, जिसमें 23 लोग मौके पर ही मारे गए। वहीं, इस घटना में एक और व्यक्ति ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ दिया। इस वारदात ने पूरे गांव में दहशत फैला दी थी और इलाके के लोग भयभीत हो गए थे।
कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाहियों के आधार पर रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल को इस नरसंहार का दोषी ठहराया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई। यह मामला कई दशकों तक न्याय का इंतजार करता रहा और अब अदालत ने इस हत्याकांड के दोषियों को कड़ी सजा देकर पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिया है। कोर्ट से सजा सुनते ही तीनों दोषी रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल बिलखते हुए रोने लगे। इस दौरान कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। इस संवेदनशील मामले में सरकारी वकील एडवोकेट रोहित शुक्ला (एडीजीसी) ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह फैसला न्याय की जीत है और इससे पीड़ित परिवारों को न्याय मिला है। आपको बता दें कि यह हत्याकांड फिरोजाबाद जिले के जसराना थाना क्षेत्र के दिहुली गांव में हुआ था, जो पहले मैनपुरी जिले का हिस्सा था। इसलिए इस केस की सुनवाई भी मैनपुरी जिले में हुई। -- (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 18 मार्च । कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा विधायक डॉ. सीएन अश्वथ नारायण ने कांग्रेस और प्रियांक खड़गे पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि औरंगजेब एक आक्रमणकारी था, जिसने हमारी संस्कृति, धर्म और विश्वास को नष्ट किया। ऐसे व्यक्ति की कब्र का महिमामंडन करना देश के हित के खिलाफ है। डॉ. अश्वथ नारायण ने कहा कि देश में औरंगजेब के प्रति कोई सद्भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि हम औरंगजेब द्वारा किए गए अत्याचारों को नहीं भूल सकते। आज भी लोग उसकी नीतियों और कृत्यों के खिलाफ गुस्सा जता रहे हैं। कांग्रेस इस पर क्यों नहीं बोलती? प्रियांक खड़गे क्यों नहीं बताते कि हम एक आक्रमणकारी को क्यों महिमामंडित करें? आप हमसे यह उम्मीद करते हैं कि हम उसके अत्याचारों को सही ठहराएं? उन्होंने कहा कि प्रियांक खड़गे जैसे नेता ही देश की समस्याओं का कारण हैं। कांग्रेस सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए जनता के हितों की अनदेखी कर रही है। बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और इसे रोकना जरूरी है। भाजपा नेता ने कहा, "बांग्लादेशी घुसपैठ निश्चित रूप से हो रही है। इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करना होगा।
भविष्य में घुसपैठ न हो, इसके लिए सख्त उपाय जरूरी हैं। कर्नाटक के गृहमंत्री परमेश्वर को राज्य की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से संभालना चाहिए।" अंबेडकर और सावरकर को लेकर छिड़ी बहस पर अश्वथ नारायण ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर गलत बयानबाजी कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस बार-बार नेहरू और बाबा साहेब अंबेडकर के बीच मतभेदों को छिपाने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से झूठ है। भाजपा इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार है। कांग्रेस ने अंबेडकर के साथ क्या किया, इसे बार-बार उजागर किया जाना चाहिए। प्रियांक खड़गे सिर्फ बयानबाजी करते हैं, लेकिन कोई ठोस काम नहीं करते। अगर वे वास्तव में समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो सिर्फ राजनीतिक बयान देने के बजाय कुछ ठोस कदम उठाएं।" रान्या राव केस पर उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है और जांच एजेंसियों को अपना काम करने देना चाहिए। उन्होंने कहा, "मैं इस मामले पर प्रवक्ता नहीं हूं। प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया निदेशालय जैसी एजेंसियां जांच कर रही हैं। सच जल्द सामने आएगा।" इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए काम कर रहे हैं और जनता के कल्याण की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने पूछा, "क्या वे शिक्षा, स्वास्थ्य और समानता को प्राथमिकता दे रहे हैं? कांग्रेस को सिर्फ सत्ता और सरकारी खजाने से मतलब है। उन्हें समाज की भलाई की कोई परवाह नहीं है।" (आईएएनएस)
ग्रेटर नोएडा, 18 मार्च । उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीते आठ वर्षों में विकास की गाथा लिखी गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासतौर पर यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के माध्यम से औद्योगिक और आर्थिक प्रगति का नया केंद्र बन चुका है। यहां पर जेवर में देश का सबसे बड़ा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय फिल्म सिटी आकार ले रही है। राज्य सरकार के प्रयासों से निवेश को बढ़ावा मिला है और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। यूपीजीआईएस-2023 और ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी जीबीसी-04 के जरिए यीडा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित किया गया है। यूपीजीआईएस-2023 में यीडा ने 165 समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिससे कुल 1,88,970.18 करोड़ रुपये का निवेश मिला। यह तय लक्ष्य से 236.21 प्रतिशत अधिक है और इससे 4,53,339 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। वहीं, जीबीसी-04 में 45,148.41 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जिससे 1,32,663 लोगों को रोजगार मिलेगा। यीडा ने औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई पार्क, टॉय सिटी, हैंडीक्राफ्ट पार्क, अपैरल पार्क, डाटा सेंटर पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क जैसे क्लस्टर आधारित उद्योग स्थापित किए हैं।
वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में 152 औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटित की गई, जिससे 27,521.99 करोड़ रुपये का निवेश आया और 16,405 लोगों को रोजगार मिला। यमुना अथॉरिटी के सेक्टर-28 में 439.40 करोड़ रुपये की लागत से मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित किया जा रहा है। यहां 74 भूखंडों का आवंटन हो चुका है, जिससे 3,800 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और 15,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। इस परियोजना से उत्तर प्रदेश को वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक केंद्र बनाने में मदद मिल रही है। जेवर में 1,334 हेक्टेयर में बनने वाला नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा। इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर विकसित किया जा रहा है। इसके पहले चरण में ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी 5,730 करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है। 2025 तक शुरू होने वाले इस एयरपोर्ट की वार्षिक यात्री क्षमता 12 मिलियन होगी। साथ ही, जेवर एयरपोर्ट को गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से जोड़ने के लिए 72.26 किलोमीटर लंबे रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) की योजना बनाई गई है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 20,637 करोड़ रुपये है और इसका डीपीआर केंद्र सरकार को भेजा गया है। यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-21 में बनने वाली अंतरराष्ट्रीय फिल्म सिटी भी प्रदेश में बड़े निवेश और रोजगार के अवसर लेकर आ रही है। पहले चरण में 230 एकड़ में बेव्यू प्रोजेक्ट्स एलएलपी द्वारा निर्माण किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक श्री बांके बिहारी मंदिर के पास ब्रज विकास परिषद के सुझाव पर हेरिटेज सिटी का निर्माण किया जा रहा है। इसमें ग्रीनफील्ड कनेक्टिविटी, रिवर फ्रंट और योग केंद्र शामिल होंगे। इसी तरह, टप्पल-बाजना क्षेत्र में लॉजिस्टिक पार्क का विकास हो रहा है, जो जेवर एयरपोर्ट की जरूरतों को पूरा करेगा।
इसके अलावा, यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-11 में 200 एकड़ में फिनटेक पार्क और अन्य स्थानों पर टॉय पार्क स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे रोजगार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। सेक्टर-10 में 1,000 एकड़ में सेमीकंडक्टर और ईएमसी पार्क विकसित करने की योजना भी बनाई गई है, जिसके लिए 200 एकड़ भूमि का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। यीडा क्षेत्र में किए जा रहे विकास कार्यों से न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, औद्योगिक पार्क और अन्य परियोजनाएं आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश को देश के सबसे तेजी से विकसित होने वाले राज्यों में शुमार करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। -- (आईएएनएस)
वृंदावन, 18 मार्च । तीर्थ नगरी में दक्षिणात्य शैली के विशालतम श्री रंगनाथ मंदिर के 10 दिवसीय ब्रह्मोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को सुबह भगवान रंगनाथ माता गोदा जी के साथ स्वर्ण निर्मित सूर्य प्रभा पर विराजमान होकर भक्तों को कृतार्थ करने निकले। ठाकुर गोदा रंगमन्नर के स्वागत में भक्तों ने सुंदर रंगोलियां सजाई।
रथ मंडप से सूर्य प्रभा पर विराजमान होकर भगवान रंगनाथ की सवारी मंदिर प्रांगण में स्थित बारहद्वारी पर पहुंची, जहां मंदिर के महंत गोवर्धन रंगाचार्य के नेतृत्व में दक्षिण भारत से आए विद्वानों ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य सस्वर भगवान का दिव्य पाठ किया।
वैदिक मंत्रोच्चार पूर्ण होने के बाद भगवान की कुंभ आरती की गई। इसके पश्चात भगवान की सवारी नगर भ्रमण के लिए निकली। परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच भगवान स्वर्ण निर्मित सूर्य प्रभा वाहन पर विराजमान होकर मंदिर से बाहर निकले। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर भगवान रंगनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
ब्रह्मोत्सव के दूसरे दिन निकलने वाली भगवान रंगनाथ की सवारी का महत्व बताते हुए मंदिर के रघुनाथ स्वामी ने बताया कि भगवान सूर्य ब्रह्मांड में प्रकाश करते हैं, लेकिन उनके अंदर प्रभा प्रभु की ही है, क्योंकि नारायण उन सवित्र देव के मध्य विराजमान होकर अपनी शक्ति से सूर्य देव बनाए हैं। इस सवारी में बैठे प्रभु के दर्शन करने से दृष्टि दोष दूर होता है। इससे पहले सोमवार की सायंकाल में भगवान रंगनाथ स्वर्ण निर्मित सिंह (शेर) वाहन पर विराजमान होकर निकले।
सोने के सिंह पर विराजमान भगवान के दर्शन कर भक्त आनंदित हो गए। सिंह को मृगेंद्र भी कहा जाता है। अपने पराक्रम पर मृगेंद्र को भरोसा है। लेकिन, उस पर सवार भगवान ही हैं, अर्थात शक्तिशालियों के अंतर में अंतर्यामी प्रभु द्वारा प्रदान की गई शक्ति ही है। सिंह पर विराजमान भगवान की सवारी के दर्शन से शक्ति प्राप्त होती है।
-(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 18 मार्च कैंसर रोगियों के इलाज के लिए सभी 22 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) में सुविधा केंद्रों को मंजूरी दी गई है और समय रहते इस बीमारी का पता लगाने के लिए इसकी जांच पर जोर दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि देश में एक लाख 75 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं जहां कैंसर की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि मुख कैंसर की करीब 29.32 करोड़ जांच हुई जिसमें से एक लाख 63 हजार मामलों में कैंसर का पता चला। उन्होंने कहा कि इसी तरह स्तन कैंसर के लिए 15 करोड़ 60 लाख जांच हुई और 57 हजार मामलों में स्तन कैंसर का पता चला।
नड्डा ने बताया कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लिए नौ करोड़ 48 हजार जांच हुई और 97 हजार मामलों में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का पता चला।
उन्होंने कहा कि वह आंकड़े इसलिए बता रहे हैं ताकि पता चल सके कि लाखों जांच हुई हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर का पता चलने के बाद मरीजों का इलाज शुरू कर दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि सभी 22 नए एम्स में कैंसर के इलाज के लिए सुविधा केंद्रों को मंजूरी दी गई है।
उन्होंने कैंसर के इलाज की सुविधा के बारे में बताया कि 372 ‘जिला कैंसर डे केयर केंद्र’ हैं जहां कीमोथैरेपी सहित अन्य इलाज किया जाता है। वित्त मंत्री ने बजट में घोषणा की हर जिले में ऐसे केंद्र खोले जाएंगे।
नड्डा ने कहा कि इस साल सरकार ने 200 ‘जिला कैंसर डे केयर केंद्र’ खोलने का फैसला किया है। अगले दो साल में हर जिले में ‘जिला कैंसर डे केयर केंद्र’ होगा।
एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि कैंसर की जांच के साथ साथ सरकार टेलिमेडिसिन पर भी ध्यान और महत्व दे रही है। इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे मरीज की जांच कर पता कर सकें कि क्या उन्हें कैंसर है और अगर है तो किस स्टेज पर है।
उन्होंने कहा कि ‘लैन्सेट’ पत्रिका में हाल में आए एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत ने कैंसर के उपचार शुरू करने में होने वाली देरी को कम करने में प्रगति की है। उनके अनुसार, लैंसेट द्वारा प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत, समय पर कैंसर उपचार शुरू करने में उल्लेखनीय सुधार हुआ है तथा नामांकित रोगियों को 30 दिनों के भीतर कैंसर उपचार तक पहुंच में 90 फीसदी की वृद्धि हुई है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने बताया कि राष्ट्रीय गैर संचारी रोग रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के अंतर्गत 770 जिला एनसीडी क्लीनिक, 233 हृदय देखभाल इकाइयों, 372 जिला डे केयर सेंटर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 6,410 एनसीडी क्लीनिक स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न भागों में 19 राज्य कैंसर संस्थान (एससीआई) और 20 विशिष्ट कैंसर परिचर्या केंद्र (टीसीसीसी) स्थापित किए गए हैं ताकि कैंसर का इलाज हो सके। (भाषा)
मुंबई, 18 मार्च महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि नागपुर में हुई हिंसा साजिश प्रतीत होती है और भीड़ ने चुनिंदा घरों तथा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया।
अधिकारियों ने बताया कि सोमवार शाम करीब साढ़े सात बजे मध्य नागपुर के चिटनिस पार्क इलाके में तब हिंसा भड़क उठी जब अफवाह फैली कि औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा किए गए आंदोलन के दौरान एक समुदाय का धर्मग्रंथ जलाया गया है। इस दौरान पुलिस पर पथराव किया गया जिससे छह आम नागरिक और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इसके बाद नागपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया।
विधानसभा में फडणवीस ने कहा कि हिंसा में तीन पुलिस उपायुक्तों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और एक वरिष्ठ अधिकारी पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया।
गृह विभाग का भी प्रभार संभाल रहे मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिसकर्मियों पर हमला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘भीड़ ने चुनिंदा घरों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। यह (हमला) एक पूर्व नियोजित साजिश प्रतीत होती है।’’
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि यह एक खास समुदाय को निशाना बनाने की साजिश थी। (भाषा)
लखनऊ, 18 मार्च । उत्तर प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों की गहन चिकित्सा इकाइयों (आईसीयू) को सुदृढ़ करने की सरकार की मंशा अब आकार लेने लगी है। जिन सात जिला अस्पतालों में आईसीयू विशेषज्ञ तैयार किए गए, उन्होंने 1498 गंभीर मरीजों को भर्ती कर स्वस्थ किया है। कुल 10 जिला अस्पतालों के आईसीयू पूर्ण रूप से सक्रिय हैं। 19 और जिला अस्पतालों के आईसीयू एक्सपर्ट प्रशिक्षित किए जा रहे हैं। प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि फरवरी 2024 में सभी आईसीयू यूनिट को सुदृढ़ करने की योजना बनी। केयर-अप (क्रिटिकल केयर एडवांसमेंट एंड रेडीनेस एन्हांसमेंट फॉर अपकमिंग आईसीयू प्रोफेशनल्स) कार्यक्रम के अंतर्गत चुनिंदा डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को आईसीयू वेंटिलेटर ऑपरेट करने का प्रशिक्षण देने का फैसला किया गया। सरकार ने इसकी जिम्मेदारी महारानी लक्ष्मी बाई (एमएलबी) मेडिकल कॉलेज, झांसी के एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अंशुल जैन को दी। डॉ. अंशुल एमएलबी पैरामेडिकल कॉलेज के निदेशक भी हैं। अभी तक दो बैच झांसी और एक बैच केजीएमयू में प्रशिक्षित हो चुका है। ट्रेनिंग पाने वालों में चिकित्सक के अलावा नर्स, लैब टेक्नीशियन एवं फार्मासिस्ट शामिल हैं।
लखनऊ के सिविल अस्पताल व लोकबंधु अस्पताल समेत बाराबंकी, गोरखपुर, बांदा, झांसी और प्रयागराज के जिला अस्पताल में आईसीयू यूनिट पूर्ण रूप से सक्रिय हैं। इसके अलावा आगरा जिला अस्पताल, मेरठ जिला महिला अस्पताल व कन्नौज जिला अस्पताल के डाक्टरों को भी प्रशिक्षण प्राप्त हो चुका है। महानिदेशक प्रशिक्षण ने उन्हें जल्द से जल्द आईसीयू यूनिट संचालित करने के निर्देश दिए हैं। डॉ. अंशुल ने बताया कि कानपुर नगर, रायबरेली, उन्नाव, गाजियाबाद, अलीगढ़, मुरादाबाद, वाराणसी, चंदौली, आजमगढ़, मऊ, बलिया, मथुरा, फिरोजाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, चित्रकूट, इटावा, शामली व मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल के डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ का प्रशिक्षण चल रहा है। यह प्रशिक्षण पूरा हो जाने के बाद 29 जिलों के सरकारी अस्पताल के आईसीयू पूर्ण रूप से सक्रिय होंगे और इससे गंभीर मरीजों को लखनऊ रेफर करने की प्रैक्टिस से काफी राहत मिलेगी। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में आईसीयू में वेंटिलेटर व ऑक्सीजन की सुविधा है लेकिन प्रशिक्षित स्टाफ की कमी के कारण गंभीर मरीजों को रेफर करना पड़ता था।
योगी सरकार ने इस बाधा को समझा और गंभीर कदम उठाते हुए सभी जिला अस्पतालों के कुछ डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया। नतीजे सामने हैं। एक बार सभी जिला अस्पताल का स्टाफ प्रशिक्षित हो जाएगा तो जिला अस्पतालों की तस्वीर बदल जाएगी। आईसीयू इंचार्ज, लोकबंधु अस्पताल डॉ. दीपक कुमार मौर्या ने कहा कि अस्पताल में 11 आईसीयू बेड सक्रिय हैं। प्रशिक्षण के बाद अस्पताल में बिना झिझक गंभीर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। बीते महीनों में सैकड़ों मरीजों को यहां भर्ती कर इलाज किया गया है। अब प्रशिक्षित स्टाफ वेंटिलेटर व अन्य उपकरण चला रहे हैं और मरीजों को सुचारू इलाज मिल रहा है। आईसीयू इंचार्ज, सिविल अस्पताल डॉ. अभिषेक सिंह ने बताया कि अस्पताल में आठ आईसीयू बेड सक्रिय हैं। प्रशिक्षण में गए सभी स्टाफ को बहुत फायदा मिला है। स्टाफ नर्स वेंटिलेटर व अन्य उपकरण अब चला रही हैं जिसका लाभ मरीजों को मिल रहा है। इसी वजह से सिविल अस्पताल के आईसीयू में बीते एक साल में मरीजों की संख्या बढ़ी है। --(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 18 मार्च रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि आज भारत रेल कोच का बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है और बिहार के मढौरा स्थित रेल कारखाने में तैयार होने वाले लोकोमोटिव बहुत जल्द दुनियाभर में जाएंगे।
वर्ष 2025-26 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान मांगों पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा, ‘‘आज भारत रेलवे का बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। आज भारत में उत्पादित मेट्रो कोच का निर्यात ऑस्ट्रेलिया को किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब और फ्रांस समेत अनेक देशों में ट्रेनों की बोगियां और उपकरणों का निर्यात किया जा रहा है।
रेल मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विपक्षी सदस्यों के कुछ कटौती प्रस्तावों को खारिज करते हुए रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
वैष्णव ने कहा कि बिहार में सारण के मढौरा में स्थित रेल कारखाने में तैयार किए जा रहे लोकोमोटिव या रेल इंजन का निर्यात दुनियाभर में किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में बनने वाले रेलगाड़ियों के पहिए सारी दुनिया में निर्यात किए जाएंगे।
वैष्णव ने कहा, ‘‘हम सभी के लिए यह गौरव की बात है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ का बड़ा प्रमाण है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि इस साल ‘रेलवे स्कोप-1 नेट जीरो’ के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा जो बहुत बड़ा लक्ष्य है। (भाषा)
मुंबई, 18 मार्च । महाराष्ट्र से भाजपा विधायक राम कदम ने नागपुर में सोमवार को हुई हिंसा के लिए समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी को जिम्मेदार ठहराया है। राम कदम ने मंगलवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, "उद्धव ठाकरे ने जिस अबू आजमी को अपनी गोद में बैठाया, वह इसके लिए जिम्मेदार हैं। आजमी ने औरंगजेब की जय-जयकार की शुरुआत की, जिससे जनाक्रोश बढ़ा।" उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे का बचाव किया। भाजपा विधायक ने कहा, "उन्होंने (नितेश राणे ने) हिंदुत्व को लेकर अपनी भूमिका रखी और मैं मानता हूं कि उन्हें ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता है। हमारी हिंदुत्व की भूमिका है, थी और हमेशा रहेगी।" नागपुर की घटना पर भाजपा विधायक संजय उपाध्याय ने कहा, "नागपुर में जिस तरह से हिंदुओं के वाहनों को आग के हवाले किया गया, पुलिस पर हमला किया गया और हिंदुओं को निशाना बनाया गया, मैं हर उस हिंदू के समर्थन में खड़ा हूं, जिसने अत्याचार झेले हैं। अपराधियों और साजिश के पीछे जो लोग हैं, उनका पर्दाफाश होना चाहिए और उनके खिलाफ बुलडोजर चलाने जैसी कार्रवाई होनी चाहिए।" नागपुर हिंसा पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने कहा, "मेरा मानना है कि यह मुद्दा जानबूझकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच समस्या पैदा करने के लिए बनाया जा रहा है।
कुछ अराजक तत्व दोनों समुदायों के बीच संघर्ष भड़काना चाहते हैं, जो गलत है। औरंगजेब की कब्र को हटाना संभव है, लेकिन उसे इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता। इस देश में इससे कहीं ज्यादा गंभीर समस्याएं हैं और ऐसे मुद्दों पर लड़ना अनावश्यक और गुमराह करने वाला है।" इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर हिंसा के बाद पुलिस कमिश्नर को दिए निर्देश में कहा है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो भी कड़े कदम उठाए जाने चाहिए, उठाया जाएं और शांति बनाई जाए। उन्होंने दंगा फैलाने वाले और पत्थरबाजी करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। --(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 18 मार्च लोकसभा में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा महाकुंभ पर वक्तव्य दिए जाने के बाद विपक्षी सदस्यों ने उनके भाषण में प्रयागराज भगदड़ में मारे गए लोगों का उल्लेख नहीं होने तथा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बोलने का अवसर देने की मांग करते हुए सदन में हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन में प्रश्नकाल पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ को लेकर एक वक्तव्य दिया जिसमें इस आयोजन को भारत के इतिहास में अहम मोड़ करार देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया ने देश के विराट स्वरूप को देखा और यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप भी था, जिसमें ‘एकता का अमृत’ समेत कई अमृत निकले।
प्रधानमंत्री का वक्तव्य पूरा होते ही विपक्षी सदस्यों ने सवाल-जवाब की मांग करते हुए और प्रयागराज में भगदड़ में मारे गए लोगों का उल्लेख नहीं किए जाने का हवाला देते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सदस्य चाहते थे कि राहुल गांधी को सदन में बोलने का मौका दिया जाए।
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नियम 372 के तहत प्रधानमंत्री और मंत्री स्वेच्छा से सदन में वक्तव्य दे सकते हैं और उस पर कोई सवाल-जवाब नहीं होता है।
इस पर असंतोष जताते हुए विपक्षी सदस्य आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के कारण बिरला ने दोपहर करीब 12.30 बजे सदन की कार्यवाही एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर विपक्ष का हंगामा जारी रहा। नारेबाजी के बीच ही, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब दिया। उनके जवाब के बाद सदन ने इन्हें ध्वनिमत से मंजूरी दी।
इसके बाद, पीठासीन सभापति संध्या राय ने जलशक्ति मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांग पर चर्चा शुरू करवाई और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल बोलने के लिए खड़े हुए, लेकिन विपक्ष के सांसदों की जोरदार नारेबाजी जारी रही।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि विपक्ष के लोग सदन से बाहर कहते हैं कि उन्हें बोलने का मौका मिलना चाहिए, जबकि सदन के अंदर आकर वे हंगामा करते हैं।
उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद जब मंत्री जवाब देते हैं तो विपक्ष के लोग उन्हें सुनना नहीं चाहते।
हंगामा नहीं थमने पर संध्या राय ने लगभग दो बजे सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 18 मार्च अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका प्रथम’ की नीति को ‘‘केवल अमेरिका’’ के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।
गबार्ड ने ‘रायसीना डायलॉग’ के एक सत्र में अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा समय भारत-अमेरिका संबंधों को प्रगाढ़ करने और नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का बहुत बड़ा अवसर है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले महीने वाशिंगटन डीसी में अपनी बैठक में दोनों देशों के बीच समग्र द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था।
गबार्ड ने कहा कि ट्रंप की ‘अमेरिका प्रथम’ नीति की तरह ही प्रधानमंत्री मोदी भी ‘इंडिया प्रथम’ दृष्टिकोण को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि ‘अमेरिका प्रथम’ का मतलब केवल अमेरिका है।
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हमारे दोनों देशों के बीच यह साझेदारी और मित्रता लगातार बढ़ती रहेगी।’’
गबार्ड ने वाशिंगटन डीसी में मोदी-ट्रंप की बैठक को ‘‘दो पुराने दोस्तों का फिर से मिलना’’ बताया।
दुनिया में भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर चर्चा करते हुए गबार्ड ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 18 मार्च भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदानंद म्हालू शेत तानवड़े ने मंगलवार को अवांछित स्पैम और फर्जी ऑडियो व वीडियो कॉल से जुड़े साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए भाजपा सदस्य ने कहा कि धोखाधड़ी वाली कॉल और साइबर घोटाले की बढ़ती घटनाएं भारतीय नागरिकों की निजता, सुरक्षा और वित्तीय कल्याण के लिए गंभीर खतरा बन गई हैं।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया मंचों के जरिए अवांछित स्पैम कॉल, धोखाधड़ी वाले ऑडियो और वीडियो कॉल तथा ईमेल, एसएमएस और फिशिंग वेबसाइटों के जरिए भेजे जाने वाले भ्रामक संदेशों में तेजी से वृद्धि हुई है।
तानवड़े ने कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी की गतिविधियों को ऐसे व्यक्तियों द्वारा अंजाम दिया जा रहा है जो खुद को वैध वित्त संस्थानों, सरकारी एजेंसियों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं।
उन्होंने कहा कि नतीजतन, हजारों निर्दोष नागरिकों ने अपनी मेहनत की कमाई खो दी है, और कई लोग डिजिटल धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि एक विशेष रूप से खतरनाक पहलू यह है कि धोखेबाजों के पास अक्सर पीड़ितों के व्यापक व्यक्तिगत विवरण होते हैं।
भाजपा सदस्य ने कहा कि इससे डेटा गोपनीयता और डेटा ब्रोकरों और टेलीमेडिसिन मार्केटर्स द्वारा अनधिकृत पहुंच और व्यक्तिगत जानकारी की बिक्री के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि स्पैमर और धोखेबाज अवैध रूप से विभिन्न माध्यमों से फोन नंबर और व्यक्तिगत विवरण प्राप्त करते हैं, जिसमें डेटा हार्वेस्टिंग, डेटा माइनिंग और थर्ड पार्टी या डेटा बैंक रखने वाली कंपनियों से साइबर-रेडीमेड डेटा खरीदना शामिल है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने विभिन्न कानूनों और परीक्षणों के साथ 'रजिस्ट्री को बाधित न करें' जैसे तंत्र पेश किए हैं, लेकिन टेलीमार्केटिंग प्रथाएं, अनधिकृत डेटा बिक्री और गोपनीयता उल्लंघन बड़े पैमाने पर बने हुए हैं, जिससे नागरिकों के शोषण का खतरा है।
तानवड़े ने जोर देकर कहा कि निजता का अधिकार और डेटा सुरक्षा एक मौलिक अधिकार है और यह जरूरी है कि सरकार नागरिकों को डेटा दुरुपयोग और अवांछित कॉल से बचाने के लिए कार्रवाई करे।
उन्होंने सरकार से व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बढ़ते खतरे को समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। (भाषा)
पटना, 18 मार्च । बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों को लेकर जमकर हंगामा किया। इस दौरान विपक्ष द्वारा कानून व्यवस्था और निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर सदन के बाहर और अंदर हंगामा देखने को मिला। इस क्रम में सदन के अंदर मुख्यमंत्री ने विपक्ष को लेकर ताली भी बजाई। दरअसल, सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद प्रश्नकाल चल रहा था। इसी बीच, राजद के विधायक ललित यादव ने निजी स्कूलों को लेकर एक सवाल पूछा। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के जवाब से विपक्षी विधायक संतुष्ट नहीं हुए। विधायक ने अध्यक्ष नंद किशोर यादव से प्रश्न को स्थगित करने की मांग की तो अध्यक्ष ने कहा कि आपने प्रश्न किया और सरकार उत्तर दे रही है, सवाल स्थगित करने का कोई कारण नहीं है। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में मौजूद थे। इसके बाद विपक्षी विधायक हंगामा करने लगे। नीतीश सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। इस दौरान हालांकि प्रश्नकाल चलता रहा।
इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खड़े हुए और उन्होंने कहा कि अगर शिकायत है तो हमें लिखकर दीजिए, हम एक्शन लेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ बोल रहे हैं, हमारे खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। इसलिए हम आप सबको बधाई दे रहे हैं। उन्होंने इस दौरान ताली भी बजाई। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद राजद विधायक शांत हुए और अपनी सीट पर बैठ गए। इससे पहले विधानसभा परिसर में विपक्ष ने कानून व्यवस्था को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। विधायक मुकेश रौशन ने कहा कि बिहार के लोगों को कानून पर से भरोसा उठ गया है। बिहार में राक्षस राज है। इस दौरान उन्होंने एक पोस्टर भी दिखाया। दो दारोगा की हत्या हो चुकी है। डबल इंजन की सरकार में राक्षस राज है। बिहार पूर्ण रूप से बीमारू राज्य बन चुका है। -- (आईएएनएस)
संभल, 18 मार्च । उत्तर प्रदेश के संभल जिले में नेजा मेला को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। मंगलवार को जब मेले के आयोजन के लिए ढाल गाड़े जाने की तैयारी थी, पुलिस ने उस स्थान को सीमेंट से ढक दिया और पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। हालांकि अभी संभल में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और पुलिस लगातार फ्लैग मार्च कर रही है ताकि शांति बनाए रखी जा सके। प्रशासन की ओर से इस आयोजन को रोकने की पुष्टि की गई है, जिसके बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इसका विरोध भी उठने लगा है। स्थानीय प्रशासन ने ऐतिहासिक और धार्मिक कारणों से इस मेले की अनुमति न देने का निर्णय लिया है, जिसे लेकर विभिन्न समुदायों के बीच प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश्चंद्र ने नेजा मेला आयोजन के संदर्भ में कहा कि यह परंपरा गलत थी और इसके साथ आगे बढ़ने से विकास नहीं हो सकता है।
उन्होंने बताया कि प्रशासन ने इस मेला को अनुमति नहीं दी है, क्योंकि दूसरे वर्ग ने भी आपत्ति प्रकट की थी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, यह मेला सलार गाजी के नाम पर मनाया जा रहा है, जो महमूद गजनवी का भांजा था और लूटमार व हत्याओं के उद्देश्य से भारत आया था। उनके अनुसार, सलार गाजी की याद में इस तरह का आयोजन और झंडा गाड़ना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां पूरी तरह से शांति है और लोग कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन कोई गैर जरूरी काम की अनुमति नहीं दी जाएगी। सोशल मीडिया पर पैनी निगाह रखी जा रही है और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। संभल के निवासी मतीन ने नेजा मेला के आयोजन को लेकर कहा कि यह एक सरकारी मामला है और इस पर उनका कोई विशेष बयान नहीं है। उन्होंने सोमनाथ मंदिर के तोड़ने के बारे में कहा कि इस बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है।
वहीं, शहजाद आलम ने प्रशासन और मेला कमेटी से जानकारी ली है कि यह मेला क्यों नहीं हो रहा, लेकिन उन्होंने इसे लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने बताया कि यह मेला पिछले 45 सालों से आयोजित हो रहा था और सलार गाजी को लेकर प्रशासन की बात उन्हें पहली बार सुनने को मिली है। इस बीच, संजय नामक एक स्थानीय निवासी ने प्रशासन के निर्णय को सराहा और कहा कि यह कदम बहुत पहले लिया जाना चाहिए था, लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने सलार गाजी के बारे में बताते हुए कहा कि वह लुटेरा था और बहराइच और संभल में लूटमार की घटनाओं को अंजाम दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि संभल का लोकल फेस्टिवल ध्वजा होली के अगले दिन मनाया जाता है। अशोक कुमार ने भी इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि सलार गाजी ने पृथ्वीराज के बेटे को धोखा देकर मारा था और मंदिर पर कब्जा कर उसे लूटा था। इस प्रकार के कृत्य को उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने प्रशासन के इस निर्णय को उचित बताते हुए कहा कि इससे हिंदू समुदाय के पलायन को रोका गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 मार्च । हाल ही में तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार ने राज्य में ओबीसी को 42 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की घोषणा की। सीएम रेड्डी ने शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में ओबीसी आबादी के लिए 42 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने का ऐलान किया। तेलंगाना सरकार के इस फैसले की कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने जमकर प्रशंसा की है। राहुल गांधी ने कहा कि सामाजिक न्याय की दिशा में यह वाकई एक क्रांतिकारी कदम है, जिसके द्वारा राज्य में आरक्षण पर से 50 प्रतिशत की दीवार भी गिरा दी गई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने का वादा पूरा कर दिया है। राज्य में वैज्ञानिक तरीके से हुई जातिगत गिनती से मिली ओबीसी समुदाय की वास्तविक संख्या स्वीकार की गई और शिक्षा, रोजगार और राजनीति में उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा में 42% आरक्षण का बिल पारित किया गया है। सामाजिक न्याय की दिशा में यह वाकई एक क्रांतिकारी कदम है, जिसके द्वारा राज्य में आरक्षण पर से 50% की दीवार भी गिरा दी गई है।
जातिगत सर्वेक्षण के डेटा से हर समुदाय के सामाजिक और आर्थिक हालात का विश्लेषण कर ऐसी नीतियां बनाई जाएंगी, जिनसे सबकी बेहतरी सुनिश्चित हो। तेलंगाना सरकार ने इसके लिए एक इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट ग्रुप भी बनाया है।" उन्होंने आगे लिखा, "मैं लगातार कह रहा हूं कि एक्स-रे- यानी जातिगत जनगणना - से ही पिछड़े और वंचित समुदायों को उनका उचित हक मिल सकता है। तेलंगाना ने रास्ता दिखा दिया है, यही पूरे देश की ज़रूरत है। भारत में जाति जनगणना हो कर रहेगी, हम करवाकर रहेंगे।" कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक्स पर लिखा, "तेलंगाना के मेरे भाइयों-बहनों, आपको बहुत-बहुत बधाई। आपकी कांग्रेस सरकार ने आपसे किया एक और वादा पूरा कर दिया है। पिछड़ा वर्ग के हमारे लोगों को अब 42% आरक्षण मिल सकेगा। ये वादा हमने विधानसभा चुनाव में आपसे किया था, अब इसे पूरा कर दिया है। ये सामाजिक न्याय के लिए उठाया गया बेहद जरूरी कदम है, जो आपको सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा। हम हमेशा आपके साथ हैं, आपके लिए हैं। जय हिंद, जय तेलंगाना, जय कांग्रेस।" इससे पहले सोमवार को सीएम रेवंत रेड्डी ने ओबीसी को 42 प्रतिशत आरक्षण का ऐलान देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "तेलंगाना को गर्व है कि वह भारत में सामाजिक क्रांति का नेतृत्व कर रहा है।
यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि हम भारतीय स्वतंत्रता के बाद से पिछड़े वर्गों की सबसे लंबी मांग को पूरा कर रहे हैं। हमारे भाई-बहन जो पिछड़े वर्गों से आते हैं, उनकी यह मांग थी कि उन्हें आधिकारिक जनगणना में गिना और पहचाना जाए और आज इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर हम सफलता प्राप्त कर रहे हैं। "आज तेलंगाना विधानसभा के नेता के रूप में और मुख्यमंत्री के रूप में, मैं यह संजीदगी से घोषणा करता हूं कि हमारे लोगों की कड़ी मेहनत और वैज्ञानिक तरीके से की गई सर्वेक्षणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि तेलंगाना में ओबीसी आबादी 56.36 प्रतिशत है। हम अब यह सुनिश्चित करने का संकल्प लेते हैं कि इस समूह को शिक्षा, रोजगार, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के सभी क्षेत्रों में 42 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।" --आईएएनएस एसके/एएस
रांची, 18 मार्च । झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के 12वें दिन मंगलवार को गिरिडीह में होली के दिन हिंसा की घटना पर जोरदार हंगामा हुआ। भारतीय जनता पार्टी के विधायक सदन के दूसरे कामकाज रोककर पहले इस घटना और राज्य में विधि व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की मांग को लेकर सदन में नारेबाजी करते रहे। शोरगुल के बीच प्रश्नकाल नहीं चल पाया और स्पीकर को सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सदन में गिरिडीह हिंसा की घटना को सूचना के तौर पर रखा और इस पर चर्चा कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि धनवार थाना क्षेत्र के घोड़थंभा में होली खेलने वाले युवाओं की टोली को पुलिस ने सड़क से गुजरने से रोका। इसके बाद धार्मिक स्थल के पास दूसरे पक्ष के लोगों ने पेट्रोल बम, बोतलों और पत्थरों से होली खेलने वाली टोली पर हमला बोल दिया। इस दौरान कई दुकानों और गाड़ियों में आग लगा दी गई। उपद्रव होता रहा, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही। नेता प्रतिपक्ष ने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कहा कि एफआईआर में दोनों पक्षों से 40-40 लोगों को नामजद किया गया और दोनों पक्षों से 11-11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम देने का आरोप लगाते हुए कहा कि लॉ एंड ऑर्डर पर बहस कराई जाए। इस पर वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि ऐसे मामले में पक्ष और विपक्ष संवेदनशील होते हैं। उन्होंने कहा कि जिस दिन गृह विभाग की अनुदान मांग पर चर्चा होगी, उस दिन इस मसले पर भी चर्चा की जाएगी। ऐसी घटना को लेकर राजनीति करना उचित नहीं है। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि खामियां गिनाना अलग बात है, लेकिन जिन इलाकों के हिंदू-मुस्लिम ने साथ मिलकर होली खेली, उन्हें भी इस सदन से बधाई संदेश भेजा जाना चाहिए, जिन्होंने राज्य ही नहीं देश भर में भाईचारे का संदेश दिया। मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि प्रशासन ने संयम का परिचय दिया था। पूरे घटनाक्रम का एकपक्षीय चित्रण किया जा रहा है। दूसरी तरफ भाजपा विधायक तत्काल चर्चा की मांग को लेकर सदन के वेल में पहुंचकर प्रदर्शन करने लगे। ऐसे में स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने प्रश्नकाल की कार्यवाही स्थगित कर दी। --(आईएएनएस)
पटना, 18 मार्च बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी कथित ‘‘नौकरी के बदले जमीन’’ घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुईं। इसके अलावा ईडी ने उनके पति एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद तथा उनके बेटे तेज प्रताप यादव को भी पूछताछ के लिए तलब किया है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
राबड़ी देवी अपनी सांसद बेटी मीसा भारती के साथ पटना में बैंक रोड स्थित ईडी के कार्यालय पहुंचीं।
तेज प्रताप यादव को भी मंगलवार को पेश होने के लिए कहा गया था। सूत्रों ने बताया कि हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि विधायक एजेंसी के समक्ष पेश होंगे या नहीं क्योंकि बिहार विधानसभा का सत्र जारी है।
उन्होंने बताया कि प्रसाद को बुधवार को पटना में संघीय जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि तीनों के बयान धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किए जाने हैं।
इस मामले में प्रसाद, देवी और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव से ईडी पहले भी पूछताछ कर चुकी है।
पिछले साल ईडी ने दिल्ली की एक अदालत में प्रसाद के परिवार के सदस्यों के खिलाफ इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती तथा हेमा यादव के अलावा कुछ अन्य को भी आरोपी बनाया गया था।
यह मामला 2004-2009 के दौरान रेलवे में समूह ‘डी’ नियुक्तियों से संबंधित है। उस समय लालू यादव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल मंत्री थे।
ईडी ने पहले एक बयान में कहा था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के अनुसार अभ्यर्थियों को रेलवे में नौकरी के बदले में ‘‘रिश्वत के तौर पर जमीन हस्तांतरित करने’’ के लिए कहा गया था।
धनशोधन का मामला सीबीआई की शिकायत पर आधारित है।
एजेंसी के मामले के अनुसार, लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों- राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव ने अभ्यर्थियों के परिवारों से (जो भारतीय रेलवे में ग्रुप डी के विकल्प के रूप में चुने गए थे) मामूली रकम पर जमीन हासिल कर ली थी।
ईडी ने कहा, ‘‘आरोपपत्र में नामजद एक अन्य आरोपी हृदयानंद चौधरी, राबड़ी देवी की गौशाला का पूर्व कर्मचारी है, जिसने एक अभ्यर्थी से संपत्ति अर्जित की थी और बाद में उसे हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया था।’’
एजेंसी ने कहा कि ‘ए.के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘ए.बी. एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड’ जैसी फर्जी कंपनियां थीं, जिन्होंने प्रसाद के परिवार के सदस्यों के लिए अपराध की आय प्राप्त की। इसने कहा कि मुखौटे के तौर पर काम करने वाले लोगों द्वारा उक्त कंपनियों के नाम पर अचल संपत्तियां अर्जित की गईं।
ईडी ने दावा किया कि बाद में प्रसाद के परिवार के सदस्यों को नाममात्र की राशि में हिस्सेदारी हस्तांतरित की गई। (भाषा)
नागपुर, 18 मार्च महाराष्ट्र के नागपुर शहर में हुई हिंसा के सिलसिले में 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और पांच प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंघल ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि सोमवार शाम करीब साढ़े सात बजे मध्य नागपुर के चिटनिस पार्क इलाके में तब हिंसा भड़क उठी जब अफवाह फैली कि औरंगजेब की कब्र (छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित) को हटाने की मांग को लेकर एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा किए गए आंदोलन के दौरान एक समुदाय का धर्मग्रंथ जलाया गया है। इस दौरान पुलिस पर पथराव किया गया जिससे छह आम नागरिक और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।
सिंघल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है और विभिन्न थानों में पांच प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।’’
नागपुर के संरक्षक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि माहौल को खराब करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया और उन्होंने विपक्ष से मामले में राजनीति न करने की अपील की।
बावनकुले ने सभी समुदायों के सदस्यों से सौहार्द बनाए रखने की भी अपील की और उन्होंने पुलिस आयुक्त तथा जिलाधिकारी के साथ समीक्षा बैठक की।
उन्होंने कहा, ‘‘माहौल को खराब करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया और गृह विभाग की ओर से कोई चूक नहीं हुई, क्योंकि पुलिस हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच (हिंसा के दौरान) ढाल बनकर खड़ी रही, जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए।’’
बावनकुले ने कहा कि फिलहाल स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण है, लेकिन पर्याप्त पुलिस बल तैनात होने के कारण शहर में शांति है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 18 मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के सांसद शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद की याचिका पर 25 मार्च को सुनवाई तय की है। याचिका में उन्होंने संसद के मौजूदा सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी है।
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह और न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई तब स्थगित कर दी जब राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के वकील ने कहा कि बारामूला के निर्दलीय सांसद की नियमित जमानत याचिका पर निचली अदालत 19 मार्च को फैसला सुनाने वाली है।
रशीद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें सोमवार शाम को याचिका पर एजेंसी का जवाब मिला।
रशीद पर 2017 के आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चल रहा है। उन्होंने 10 मार्च के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें चार अप्रैल तक लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अभिरक्षा पैरोल या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
एनआईए ने दलील दी कि रशीद को न तो अंतरिम जमानत दी जा सकती है और न ही अभिरक्षा पैरोल दी जा सकती है, क्योंकि हिरासत में रहते हुए उन्हें संसद सत्र में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है।
जांच एजेंसी ने रशीद पर ‘फोरम शॉपिंग’ और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘‘निर्वाचन क्षेत्र की सेवा’’ करने के उनके इरादे से संबंधित ‘‘अस्पष्ट कथनों’’ के मद्देनजर उन्हें राहत देने का कोई वैध आधार नहीं है।
‘फोरम शॉपिंग’ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल वादियों द्वारा अपने मामले की सुनवायी किसी खास अदालत में कराने के लिए किया जाता है, जिसके बारे में उन्हें लगता है कि उनके पक्ष में फैसला आने की सबसे अधिक संभावना है।
इसमें कहा गया है, ‘‘केवल यह तथ्य कि अपीलकर्ता एक सांसद है, उसे न्यायिक हिरासत में होने के तथ्य से छूट का दावा करने का अधिकार नहीं देता है। कानून में यह अच्छी तरह से स्थापित है कि विधायकों/सांसदों को संसद के सत्र में तब तक भाग लेने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है, जब तक कि वे वैध हिरासत में हैं।’’
एनआईए ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के समय, एक विशेष अदालत द्वारा रशीद के खिलाफ मामले में आरोप तय किए गए और मुकदमा चल रहा है।
एनआईए ने कहा कि आरोपी को पता है कि वह यूएपीए के तहत दंडनीय गंभीर अपराधों के लिए न्यायिक हिरासत में है और इसलिए लोकसभा सदस्य के रूप में उसके चुनाव से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसने कहा कि इसका इस्तेमाल वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को सेवाएं प्रदान करने की आड़ में अंतरिम जमानत पाने के साधन के रूप में नहीं कर सकते।
रशीद को जम्मू कश्मीर में गवाहों को प्रभावित करने के लिहाज से एक ‘‘अत्यधिक प्रभावशाली’’ व्यक्ति बताते हुए एजेंसी ने कहा, ‘‘यूएपीए की धारा 43डी(5) के तहत आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है, यदि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि आरोपी के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं।’’
उसने कहा कि साथ ही अपील यूएपीए की धारा 43डी(5) के तहत निर्धारित दोहरे परीक्षणों को भी संतुष्ट नहीं करती है और तदनुसार, अपील खारिज किए जाने योग्य है।
संसद सत्र में भाग लेने के लिए याचिकाकर्ता को आमंत्रित करने के वास्ते भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए समन को ‘‘नियमित औपचारिकता’’ बताया गया, जो सभी सांसदों को भेजा गया था, न कि केवल रशीद को।
एनआईए ने कहा कि रशीद की नियमित जमानत याचिका पर आदेश 19 मार्च को आया था और लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के वास्ते अंतरिम जमानत के लिए उनकी पिछली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। 12 मार्च को, उच्च न्यायालय ने रशीद की अपील पर एनआईए का रुख पूछा था। (भाषा)
नई दिल्ली, 18 मार्च । कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने मंगलवार को राज्यसभा में मनरेगा योजना का विषय उठाया। उन्होंने शून्यकाल में बोलते हुए कहा कि मनरेगा योजना को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने इस पर अपनी चिंता जाहिर की। सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर इस योजना को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संघीय बजट में इस योजना के लिए कम धन आवंटित किया गया है। सोनिया गांधी ने राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए कहा, “मैं आपका ध्यान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत रोजगार के अधिकार की ओर आकर्षित करना चाहती हूं। इस योजना को यूपीए सरकार के कार्यकाल में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू किया गया था। यह ऐतिहासिक कानून लाखों ग्रामीण गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चक्र साबित हुआ है।” मनरेगा योजना की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, "मुझे इस बात की गहरी चिंता है कि वर्तमान भाजपा सरकार ने इस योजना को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया है और बजट आवंटन 86,000 करोड़ रुपए पर स्थिर रहा है। वास्तविकता में आवंटित बजट में 4,000 करोड़ रुपए की कमी आई है।
इसके अलावा, अनुमान है कि लगभग 20 प्रतिशत आवंटित राशि पिछले सालों के बकाया भुगतान को निपटाने में खर्च हो जाएगी।" सदन में आगे बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इस योजना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि आधार-आधारित भुगतान प्रणाली और राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली की अनिवार्यता। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा के तहत मिलने वाले वेतन भुगतान में लगातार देरी हो रही है और मुद्रास्फीति के हिसाब से लोगों को मिलने वाली मजदूरी दर अपर्याप्त है। सोनिया गांधी ने इन समस्याओं के समाधान के लिए कांग्रेस पार्टी की ओर से कुछ मांगें सदन के समक्ष रखीं। इन मांगों में कहा गया है कि मनरेगा के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान किए जाएं, योजना को बनाए रखने और विस्तार करने के लिए पर्याप्त धन दिया जाए। न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाए। दैनिक न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये हो। समय पर वेतन वितरण हो। सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम के तहत लागू कई अनिवार्य आवश्यकताओं को हटाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि आधार-आधारित भुगतान प्रणाली और राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए। गारंटीकृत कार्य दिवसों की वृद्धि की जाए। प्रत्येक वर्ष के लिए 100 से 150 कार्य दिवसों की गारंटी दी जाए। सोनिया गांधी ने कहा कि ये उपाय मनरेगा के तहत गरिमापूर्ण रोजगार और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं। --(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 18 मार्च प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए ‘महाकुंभ’ को भारत के इतिहास में अहम मोड़ करार देते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि दुनिया ने देश के विराट स्वरूप को देखा और यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप भी था, जिसमें ‘एकता का अमृत’ समेत कई अमृत निकले।
उन्होंने निचले सदन में प्रयागराज महाकुंभ को लेकर दिए एक वक्तव्य में यह भी कहा कि महाकुंभ में अनेकता में एकता का विराट रूप, देश की सामूहिक चेतना और सामर्थ्य भी दिखा।
प्रधानमंत्री ने निचले सदन में विपक्षी सदस्यों की टोका-टोकी के बीच कहा, ‘‘आज मैं इस सदन के माध्यम से कोटि-कोटि देशवासियों को नमन करता हूं, जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है। मैं सरकार के, समाज के सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। मैं देशभर के श्रद्धालुओं को, उत्तर प्रदेश की जनता विशेषतौर पर प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं।’’
उनके मुताबिक, यह जनता जनार्दन का, जनता जनार्दन के संकल्पों के लिए जनता जनार्दन की श्रद्धा से प्रेरित महाकुंभ था।
मोदी ने कहा, ‘‘हम सब जानते हैं, गंगा जी को धरती पर लाने के लिए एक भगीरथ प्रयास हुआ था, वैसा ही महाप्रयास इस महाकुंभ के भव्य आयोजन में भी हमने देखा है। मैंने लाल किले से ‘सबका प्रयास’ के महत्व पर जोर दिया था। पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘सबका प्रयास’ का यही साक्षात स्वरूप है।
उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले वर्ष, अयोध्या के राम मंदिर में हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हमने महसूस किया था कि कैसे देश एक हजार वर्षों के लिए तैयार हो रहा है। इसके ठीक एक साल बाद, महाकुंभ के आयोजन ने हम सबके इस विचार को और दृढ़ किया है। देश की यह सामूहिक चेतना देश का सामर्थ्य बताती है।
मोदी ने कहा, ‘‘हमने करीब डेढ़ महीने तक, भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा, उमंग को अनुभव किया। कैसे सुविधा, असुविधा की चिंता से ऊपर उठते हुए, कोटि-कोटि श्रद्धालु श्रद्धा भाव से जुटे, यह हमारी बहुत बड़ी ताकत है। जब अलग-अलग भाषा, बोली बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं, तो 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की झलक दिखती है, एकता की भावना बढ़ती है।’’
उन्होंने कहा कि महाकुंभ से बहुत से अमृत निकले हैं और ‘एकता का अमृत’ इसका बहुत पवित्र प्रसाद है।
उन्होंने कहा, ‘‘महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा, जिसमें देश के हर क्षेत्र से, हर कोने से आए लोग एक हो गए। लोग ‘अहं’ त्याग कर ‘वयं’ के भाव से, मैं नहीं हम की भावना से प्रयागराज में जुटे।’’
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘देश के इतिहास में कई ऐसे पल आए हैं जिन्होंने देश को नई दिशा दी और देश को झकझोर कर जागृत कर दिया।’’
मोदी ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो सर्वधर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण, गांधीजी के ‘दांडी मार्च’ और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ‘दिल्ली चलो’ का नारा देने जैसे ऐतिहासिक अवसरों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘मैं प्रयागराज महाकुंभ को भी ऐसे ही एक अहम पड़ाव के रूप में देखता हूं जिसमें जागृत होते भारत का प्रतिबिंब दिखा।’’
प्रधानमंत्री ने अपने हालिया मॉरीशस दौरे का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘यह उमंग, उत्साह यहीं तक सीमित नहीं था। बीते सप्ताह मैं मॉरीशस में था, मैं त्रिवेणी से महाकुंभ के समय का पावन जल लेकर गया था। जब उस पवित्र जल को मॉरीशस के गंगा तालाब में अर्पित किया गया, तब वहां जो श्रद्धा का, आस्था का, उत्सव का माहौल था, वह देखते ही बनता था।’’
उनके अनुसार, यह दिखाता है कि हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों को आत्मसात करने की भावना कितनी प्रबल हो रही है।
मोदी ने कहा, ‘‘आज पूरे विश्व में जब बिखराव की स्थितियां हैं, उस दौर में एकजुटता का यह विराट प्रदर्शन हमारी ताकत है। अनेकता में एकता भारत की विशेषता है, यह हम हमेशा कहते आए हैं और इसी के विराट रूप का अनुभव हमने प्रयागराज महाकुंभ में किया है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘हमारा दायित्व है, अनेकता में एकता की इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें।’’
प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा कि महाकुंभ से प्रेरणा लेते हुए हमें नदी उत्सव की परंपरा को नया विस्तार देना होगा, हमें इस बारे में जरूर सोचना चाहिए जिससे वर्तमान पीढ़ी को पानी का महत्व समझ में आएगा और नदियों की साफ-सफाई के साथ-साथ नदियों की रक्षा भी होगी।
उन्होंने कहा कि भारत की नई पीढ़ी महाकुंभ से जुड़ी और यह युवा पीढ़ी आज गर्व के साथ अपनी आस्था और परंपराओं को अपना रही है।
प्रधानमंत्री का वक्तव्य पूरा होते ही विपक्षी सदस्यों ने नियमों का हवाला देते हुए और सवाल-जवाब की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नियम 372 के तहत प्रधानमंत्री और मंत्री स्वेच्छा से वक्तव्य दे सकते हैं और कोई सवाल-जवाब नहीं होता है।
इस पर असंतोष जताते हुए विपक्षी सदस्य आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के कारण बिरला ने दोपहर करीब 12.30 बजे सदन की कार्यवाही एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी। (भाषा)