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पुर्तगाल में नए नियम के तहत उन विदेशी कामगारों के आने पर रोक लगा दी गई है, जिनके पास आधिकारिक वर्क परमिट नहीं है. कुछ विशेषज्ञों को डर है कि इससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
डॉयचे वैले पर योखेन फागेट की रिपोर्ट-
पुर्तगाल ने अवैध तरीके से पहुंचे विदेशी कामगारों को वर्क परमिट के लिए आवेदन करते समय देश में रहने की अनुमति देने का पुराना नियम समाप्त कर दिया है. यह अचानक और अप्रत्याशित रूप से लिया गया फैसला है.
सामान्य शब्दों में कहें, तो जिन विदेशी कामगारों के पास वर्क परमिट नहीं है उनके लिए पुर्तगाल आना और वहां रहकर वर्क परमिट हासिल करना अब मुश्किल हो गया है. आव्रजन नीति के प्रभारी और उप-मंत्री रुई आर्मिंडो फ्रेतस के मुताबिक, यह बदलाव यूरोपीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि इसे दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोगों को खुश करने के लिए उठाए गए कदम के तौर पर देखते हैं. इस विचारधारा के लोग अप्रवासियों के खिलाफ रैली करते रहे हैं. इनका तर्क था कि यह पुर्तगाल की आव्रजन नीति की अव्यवस्थित स्थिति को उजागर करता है.
फ्रेतस का कहना है कि कई लोग पहले बिना किसी वैध वर्क परमिट के देश में चले आते थे. उन्हें लगता था कि वे देश में आने के बाद यहां रहने और काम करने के लिए जरूरी कागजात बना लेंगे. इस संभावना की वजह से कई विदेशी कामगार अवैध तरीके से देश में पहुंच जाते थे. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि इस समस्या को जल्द-से-जल्द हल करने की जरूरत थी, क्योंकि आव्रजन एजेंसी एआईएमए में लगभग चार लाख ऐसे लोगों के आवेदनों का बैकलॉग हो गया है, जिन्होंने देश में आने के बाद जरूरी कागजात बनाने के लिए आवेदन किया है.
फ्रेतस ने आगे बताया, "इनमें से कुछ आवेदन दो साल पहले जमा किए गए थे. इन आवेदनों के बारे में जो फैसले लेने हैं, वे सब अगले साल जून तक पूरे कर लिए जाने चाहिए. हमारा लक्ष्य उन समस्याओं को हल करना है जो कई सालों से बनी हुई हैं."
अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं प्रवासी कामगार
इस साल जून से पुर्तगाल में काम करने की इच्छा रखने वाले प्रवासियों को अपने देश में पुर्तगाली दूतावास या वाणिज्य दूतावास में रेजिडेंस परमिट के लिए आवेदन करना पड़ रहा है. इस वजह से कई देशों के कामगारों के बीच निराशा छा गई है, क्योंकि कई देशों में पुर्तगाली दूतावास या वाणिज्य दूतावास नहीं हैं. उदाहरण के लिए, नेपाल या बांग्लादेश के खेतिहर मजदूरों को अब भारत की राजधानी नई दिल्ली स्थित पुर्तगाली दूतावास में वीजा के लिए आवेदन करना होगा.
पुर्तगाली किसान संघ के महासचिव लुइस मीरा ने नई शर्तों को पूरी तरह से अव्यावहारिक बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "हमें फसल की कटाई के समय लोगों की जरूरत है, बाद में नहीं. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मजदूर पुर्तगाल में समय पर पहुंच सकें और उन्हें ज्यादा नौकरशाही का सामना न करना पड़े."
पुर्तगाल की अर्थव्यवस्था प्रवासी कामगारों पर काफी निर्भर है. ये कामगार ज्यादातर एशियाई देशों से आते हैं और कृषि के क्षेत्र में काम करते हैं. वे कम वेतन पर ब्रोकली और जैतून की फसल काटते हैं. साथ ही, यूरोप के बाकी हिस्सों में निर्यात के लिए बेरी चुनते हैं. उदाहरण के लिए, ब्राजील के कई लोग हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, रेस्तरां और कैफे में काम करते हैं. वहीं, अफ्रीका से आने वाले ज्यादातर श्रमिक निर्माण क्षेत्र में अहम योगदान देते हैं.
लोकलुभावन पार्टी ने विदेशी श्रमिकों के खिलाफ जनता को भड़काया
पुर्तगाल में प्रवासी मजदूर आमतौर पर बिना जरूरी दस्तावेजों के आते रहे हैं. यहां आने के बाद उन्हें अक्सर कई वर्षों तक रेजिडेंस परमिट के लिए इंतजार करना पड़ता है. हालांकि, उन्हें अब तक इस दौरान काम करने के साथ-साथ टैक्स भरने और सामाजिक सुरक्षा योगदान के लिए भुगतान करने की अनुमति दी गई थी.
यूरोप के अन्य देशों की तरह, पुर्तगाल में भी अवैध अप्रवासन बहस का मुद्दा बन गया है. धुर-दक्षिणपंथी लोकलुभावन पार्टियां इस मुद्दे को और ज्यादा हवा दे रही हैं. पुर्तगाल की राष्ट्रवादी पार्टी 'शेगा' अपने इमिग्रेशन विरोधी एजेंडे के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यह पार्टी इमिग्रेशन कोटा और यहां तक कि इस विषय पर जनमत संग्रह की मांग कर रही है.
इस बीच उप-मंत्री रुई आर्मिंडो फ्रेतस ने कहा कि सरकार अप्रवासियों की संख्या को कम नहीं करना चाहती है, बल्कि अप्रवासी कामगारों से जुड़े नियमों को स्पष्ट बनाना चाहती है. इससे दक्षिणपंथी पार्टियां 'इस मुद्दे का गलत फायदा' नहीं उठा पाएंगी. उनका मानना है कि नए नियम से पुर्तगाल आने वाले लोगों को अधिकार और सुरक्षा की गारंटी मिलेगी.
उन्होंने बताया, "आने वाले लोगों को बेहतर सुविधा और माहौल देना जरूरी है. देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए विदेशी कामगारों की जरूरत है. नए नियम पुर्तगाल में आने वाले और पहले से यहां रह रहे प्रवासी कामगारों, दोनों के लिए अच्छे हैं."
क्या इससे अवैध प्रवासन बढ़ सकता है?
फ्रेतस का कहना है कि नए नियम से यह फायदा होगा कि प्रवासी मजदूर मानव तस्करी का शिकार होने से बच जाएंगे. हालांकि, पिछले तीन महीनों में पुर्तगाल में काम करने के लिए दिए गए आवेदनों की संख्या में लगभग एक चौथाई की गिरावट आई है. गैर-सरकारी संगठनों की रिपोर्ट है कि कई विदेशी श्रमिक अवैध रूप से देश में प्रवेश कर रहे हैं.
गैर-लाभकारी संगठन सोलिडारिएडे इमिग्रेंट (सोलिम) अप्रवासियों के अधिकारों की रक्षा पर काम करने वाला एक संगठन है. इस संगठन से जुड़े अल्बर्टो मातोस का कहना है कि खेतों और रेस्तरांओं में काम करने वाले प्रवासी कामगार इसलिए आ रहे हैं कि देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में उनकी जरूरत है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "अगर देश में आने के बाद ये प्रवासी जरूरी कागजात हासिल नहीं कर पाते हैं, तो बिना दस्तावेजों वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ती रहेगी. ऐसी स्थिति में इमिग्रेशन से जुड़े नए नियम का उल्टा असर पड़ सकता है." (dw.com)
समाज की तरक्की की दिशा में अंधविश्वास एक बड़ी बाधा है. इसके चलते बच्चों की बलि दिए जाने और महिलाओं को डायन बताकर मारने के मामले सामने आते हैं. अंधविश्वास को आखिर कैसे खत्म किया जा सकता है?
डॉयचे वैले पर आयुष यादव की रिपोर्ट-
एक नौ साल का बच्चा अपने स्कूल के हॉस्टल में सोया हुआ था. तभी एक शिक्षक ने उसे गोद में उठाने की कोशिश की. इससे बच्चे की नींद खुल गई और उसने शोर मचा दिया. स्थिति बिगड़ती देख बच्चे का गला दबाने की कोशिश की गई. लेकिन शोर मचने की वजह से दूसरे बच्चे जाग गए और उस बच्चे की जान बच गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना छह सितंबर की रात को हाथरस के डीएल पब्लिक स्कूल में हुई.
कुछ दिन बाद इसी स्कूल के एक दूसरे छात्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. उस 11 साल के बच्चे का शव स्कूल प्रबंधक की गाड़ी में मिला. हाथरस पुलिस ने बच्चे की हत्या के आरोप में स्कूल प्रबंधक दिनेश बघेल, उसके पिता यशोदन समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया. कई मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस के हवाले से बताया गया कि आरोपी यशोदन तांत्रिक क्रिया करता था. उसने स्कूल की तरक्की और कर्ज से उबरने के लिए बच्चे की बलि देने का फैसला लिया था. एक बच्चा तो उनके चंगुल से बच गया लेकिन कुछ दिन बाद एक दूसरे बच्चे की कथित तौर पर बलि दे दी गई. उसे गला दबाकर मार डाला गया.
जिस स्कूल की तरक्की के लिए मासूम बच्चे की हत्या की गई, अब उसके गेट पर ताला पड़ा है. सभी बच्चे हॉस्टल छोड़कर जा चुके हैं. इस मामले में पुलिस की जांच अभी जारी है. ऐसे में और नए तथ्य सामने आ सकते हैं. लेकिन इस घटना ने दिखा दिया है कि हमारे समाज में अंधविश्वास की जड़ें कितनी गहरी हैं.
नौ सालों में मानव बलि के सौ से ज्यादा मामले
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुआ यह अपराध मानव बलि का पहला या इकलौता मामला नहीं है. देश के अलग-अलग हिस्सों से इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं. एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक, भारत में 2022 में मानव बलि के आठ मामले सामने आए थे. साल 2014 से 2022 तक नौ सालों में मानव बलि के कारण 111 लोगों की जान चली गई. इनमें बच्चे और बड़े दोनों शामिल थे. मानव बलि अंधविश्वास के चरम पर पहुंचने का उदाहरण है.
प्रोफेसर श्याम मानव पिछले 42 सालों से अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. उन्होंने 1982 में अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की स्थापना की थी. उन्होंने डीडब्ल्यू हिंदी को बताया, "मानव बलि देने वाले लोग बहुत अंधविश्वासी होते हैं. वे उस बारे में तर्क के साथ नहीं सोचते हैं. उन्हें बस लगता है कि नरबलि देने से उनकी इच्छा पूरी हो जाएगी, जबकि असल में ऐसा कुछ नहीं होता है.”
वे आगे बताते हैं, "पहले ऐसी कहानियां ज्यादा सुनने को मिलती थीं. अंग्रेजों के जमाने में भारतीय ठेकेदार रेलवे लाइन या पुल बनाने से पहले नरबलि दिया करते थे. इसकी कई रिपोर्ट्स गजट में भी मिलती हैं. लेकिन अब ऐसे मामलों की संख्या काफी कम हो चुकी है. अगर एक साल में नरबलि के 10 मामले सामने आते हैं तो जादू-टोने की वजह से लोगों को मार देने के मामले इसके 10 गुना ज्यादा होते हैं.”
एनसीआरबी के आंकड़े उनकी बात को सही साबित करते हैं. 2022 में जादू-टोने के चलते 85 लोगों की मौत हुई थी. 2021 में यह संख्या 68 थी. साल 2013 से 2022 तक दस सालों में जादू-टोने की वजह से 1,064 लोगों ने अपनी जान गंवाई. इसमें बड़ी संख्या उन महिलाओं की थी, जिन्हें डायन बताकर और जादू-टोना करने का आरोप लगाकर मार डाला गया. डायन प्रथा के चलते सबसे ज्यादा हत्याएं छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश और झारखंड में होती हैं.
अंधविश्वास है कई समस्याओं की जड़
भारत में ऐसे काफी मामले सामने आते हैं, जिनमें किसी व्यक्ति को सांप के काटने पर अस्पताल की बजाय झाड़-फूंक करवाने ले जाया जाता है. वहां स्थिति नहीं सुधरती, तब परिजन पीड़ित को अस्पताल लेकर जाते हैं. लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है और पीड़ित की जान चली जाती है. ऐसे मामलों में अगर पीड़ित को सीधे अस्पताल ले जाया जाए तो जान बचने की ज्यादा संभावना होती है. लेकिन झाड़-फूंक पर अंधविश्वास होने के चलते कई लोग ऐसा नहीं करते.
प्रोफेसर श्याम मानव मानते हैं कि अंधविश्वास के कारण होने वाली मौतों के अलावा भी इससे बड़े पैमाने पर नुकसान होता है. वे कहते हैं, "ऐसा कोई अंधविश्वास नहीं है, जिससे लोगों का नुकसान नहीं होता है. अंधविश्वास के चलते फर्जी बाबाओं द्वारा बड़े स्तर पर लोगों का शोषण किया जाता है. उनकी वजह से लोगों के बीच आपसी झगड़े भी बढ़ते हैं. कई फर्जी बाबा तो महिलाओं का इतना शोषण करते हैं, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.”
वे आगे कहते हैं, "अंधविश्वास के पीछे दो कारण होते हैं. पहला डर और दूसरा लालच. अगर आप यह करेंगे तो आपका फायदा होगा और अगर नहीं करेंगे तो आपका नुकसान हो जाएगा. लेकिन हकीकत यह है कि इस दुनिया में कोई भी किसी पर जादू या टोटका नहीं कर सकता. अगर एक व्यक्ति में भी इसकी क्षमता होती तो अब तक मैं और मेरे कार्यकर्ता मारे जा चुके होते क्योंकि हम इनके खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं.”
अंधविश्वास के खिलाफ कितने मजबूत हैं कानून
भारत में केंद्रीय स्तर पर अंधविश्वास के खिलाफ कोई कानून मौजूद नहीं है. लेकिन कई राज्यों ने अपने स्तर पर इसके खिलाफ कानून बनाए हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में मानव बलि, काला जादू और अमानवीय दुष्ट प्रथाओं को खत्म करने के लिए कानून बनाए गए हैं. वहीं बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान और असम में डायन प्रथा को रोकने के लिए कानून मौजूद हैं. हालांकि, यह सवाल जरूर उठता है कि ये कानून जमीनी स्तर पर किस हद तक लागू हुए हैं और कितने कारगर हैं.
प्रोफेसर श्याम मानव इसे महाराष्ट्र के उदाहरण के साथ समझाते हैं. वे कहते हैं, "महाराष्ट्र में 2013 में जादू-टोना विरोधी कानून बना. उस समय राज्य में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार थी. तब इस कानून को लागू करने और इसके प्रचार-प्रसार के लिए एक समिति गठित की गई थी. लेकिन राज्य में भाजपा सरकार आने पर इसका काम रोक दिया गया. 2019 में सरकार बदली तो काम शुरू होते-होते कोविड आ गया. फिर 2022 में दोबारा से सत्ता परिवर्तन हो गया. तब से उस समिति का काम पूरी तरह से बंद हैं.”
किस तरह खत्म होगा अंधविश्वास
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि अंधविश्वास जन्म कैसे लेता है. श्याम मानव बताते हैं, "इंसान के दिमाग का बायां हिस्सा तर्कपूर्ण तरीके से सोचता है. चीजों के पीछे के कारण ढूंढ़ता है. वहीं, दाएं हिस्से में भावनाएं काम करती हैं. जैसा हमसे कहा जाता है, उसे वैसे ही स्वीकार कर लेते हैं. दिमाग के यह दोनों हिस्से एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं. लेकिन हमें बचपन से सिखाया जाता है कि धर्म से जुड़ी चीजों पर सवाल और तर्क नहीं करने हैं. इसलिए जब हमसे कहा जाता है कि दुनिया में भूत होते हैं, तो हम तर्क किए बिना ही उस बात को मान लेते हैं. बचपन से हम जो बातें सुनते हैं, उन्हें स्वीकार करते जाते हैं, इसी से अंधविश्वास शुरू होता है.”
वे आगे कहते हैं, "अंधविश्वास को मिटाने का एक ही तरीका है. हमारे सोचने के ढंग को बदलना और तर्कपूर्ण सोच को विकसित करना. साथ ही लोगों में साइंटिफिक टैंपर यानी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना. ऐसा सिर्फ शिक्षा और मीडिया के माध्यम से ही हो सकता है. अगर स्कूलों में तर्कपूर्ण तरीके से सोचना सिखाया गया होता तो अब तक पीढ़ियां बदल जातीं. लोग इतनी जल्दी अंधविश्वासी नहीं बनते.”
श्याम इस बात पर भी जोर देते हैं कि अंधविश्वास के खिलाफ जो कानून बने हैं, उनके बारे में जमीनी स्तर पर जागरुकता फैलानी होगी क्योंकि जब तक लोगों की सोच नहीं बदलेगी तब तक कुछ नहीं होगा. वे कहते हैं, "समाज से अंधविश्वास को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता. लेकिन अगर किसी समाज में 80 से 90 फीसदी लोग वैज्ञानिक सोच के साथ जीते हैं, तो उसे अंधविश्वास मुक्त समाज कहा जा सकता है.” (dw.com)
कोलकाता, 5 अक्टूबर । पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के कुलतली थाना अंतर्गत कृपाखाली इलाके में नाबालिग से सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या का मामला सामने आया है। इस मामले में ग्रामीणों ने पुलिस पर शिकायत नहीं दर्ज करने का आरोप लगाते हुए थाने में तोड़फोड़ और आगजनी की। जानकारी के अनुसार, चौथी कक्षा में पढ़ने वाली नाबालिग लड़की को ट्यूशन से लौटते वक्त अगवा कर सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर बेरहमी से हत्या कर दी गई। बाद में ग्रामीणों ने नदी किनारे से छात्रा का शव बरामद किया। कुलतली थाना पुलिस की ओर से शिकायत नहीं दर्ज किए जाने के बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए और थाने में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। भाजपा नेता डॉ. सुकांत मजूमदार ने कहा कि मासूम के साथ हुई भयानक घटना यह दर्शाती है कि ममता बनर्जी का प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है।
प्रशासन पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है। ममता बनर्जी ने कहा था कि एफआईआर मत करिए, पहले छानबीन कीजिए और फिर रिपोर्ट दर्ज कीजिए। यह इसलिए कहा गया क्योंकि बंगाल में बलात्कार और हत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि पीड़िता के परिवार और गांव वालों के कहने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया और न ही मिसिंग डायरी बनाई। इस नाबालिग के साथ जो दुष्कर्म हुआ है, वह अत्यंत गंभीर है। यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है, और अगर बंगाल में इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं, तो यह साबित होता है कि ममता बनर्जी के पास अपने पद पर बने रहने के लिए न तो कोई कानूनी आधार है और न ही कोई नैतिक अधिकार। भाजपा आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "पश्चिम बंगाल में एक और चौंकाने वाली घटना में कुलतली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत कृपाखली इलाके में ट्यूशन से लौट रही 11 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।
ग्रामीणों को नदी के किनारे से उसका शव मिला।" उन्होंने आगे लिखा, "गुस्साए ग्रामीणों ने कुलतली पुलिस स्टेशन पर हमला किया, क्योंकि उन्होंने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया क्योंकि बलात्कारी जाहिर तौर पर मुस्लिम है और पश्चिम बंगाल पुलिस कार्रवाई करने में अनिच्छुक है, क्योंकि इससे ममता बनर्जी नाराज हो सकती हैं। दुर्गा पूजा के दौरान जब पश्चिम बंगाल देवी शक्ति का उत्सव मनाता है, महिलाएं और लड़कियां असुरक्षित होती हैं। जब तक राज्य के मामलों की कमान संभालने वाली असुरी शक्तियों को नहीं हराया जाता, तब तक महिलाओं के खिलाफ अपराध बेरोकटोक जारी रहेंगे। बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ममता बनर्जी को जाना होगा।" --(आईएएनएस)
मुंबई, 5 अक्टूबर । लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी शनिवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर पहुंचे। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने कोल्हापुर पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत किया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बवाड़ा कस्बा के भगवा चौक पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। बता दें कि पिछले महीने ही महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा ढहने के बाद विवाद शुरू हो गया था और विपक्षी दलों ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर निशाना साधा था। छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण करने के साथ-साथ राहुल गांधी छत्रपति शाहू महाराज समाधि पर श्रद्धांजलि भी अर्पित करेंगे।
इसके बाद राहुल गांधी छत्रपति शाहूजी महाराज मंडप में संविधान सम्मान सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे। महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी का यह दौरा अहम माना जा रहा है। राहुल गांधी पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने वाले शाहूजी महाराज की भूमि कोल्हापुर से महाराष्ट्र चुनाव के लिए प्रचार शुरू करेंगे। कोल्हापुर की पहचान महाराष्ट्र में कांग्रेस को सबसे ज्यादा मजबूती देने वाले जिले के रूप में होती है। यहां वर्तमान में कांग्रेस के चार सांसद, दो एमएलसी और 13 सांसद हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की ओर से फिलहाल तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है। लेकिन, तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। महाराष्ट्र में संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस 100-110 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। --(आईएएनएस)
लखनऊ, 5 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश के केला उत्पादकों के लिए खुशखबरी है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच), लखनऊ ने केले की फसल को बर्बाद करने वाले फ्यूजेरियम विल्ट रोग का प्रभावी इलाज खोज निकाला है। इस घातक फफूंद जनित रोग से प्रभावित क्षेत्रों में फसलें बर्बाद हो रही थीं, लेकिन अब बायोएजेंट 'फ्यूसिकोंट' के इस्तेमाल से किसानों को राहत मिलेगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबद्ध केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच), लखनऊ, और करनाल स्थित केंद्रीय लवणता शोध संस्थान से संबद्ध क्षेत्रीय शोध केंद्र लखनऊ ने मिलकर इसका इलाज खोजा।
पेटेंट होने के साथ अब कृषि विज्ञान केंद्र अयोध्या के माध्यम से इसके प्रयोग के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। नतीजे भी अच्छे रहे हैं। सोहावल के जो किसान केला बोना बंद या कम कर दिए थे, अब फिर से केला बोने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. टी. दामोदरन के नेतृत्व में रोग के रोकथाम के लिए बायोएजेंट, आईसीएआर फ्यूसिकोंट (ट्रायकोडर्मा आधारित सूत्रीकरण) और टिशू कल्चर पौधों के जैव-टीकाकरण का उपयोग कर एक प्रबंधन प्रोटोकॉल विकसित किया गया। उत्पाद फ्यूसिकोंट केले विल्ट प्रबंधन के लिए एक 9 (3 बी) पंजीकृत सूत्रीकरण था। किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में उत्पादन और आपूर्ति के लिए आईसीएआर द्वारा इसका वाणिज्यीकरण भी किया गया है।
संस्थान के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन के अनुसार संस्थान द्वारा तैयार बायोजेंट (फ्यूसिकोंट फॉर्मूलेशन) पानी में पूरी तरह घुलनशील होता है। रोग से बचाव के लिए एक किलो बायोएजेंट को 100 लीटर पानी में मिला लें और एक-एक लीटर पौधों की जड़ों में रोपाई के 3, 5, 9, और 12 महीने के बाद डालें । अगर रोग के लक्षण फसल पर दिखाई दें तो 100 लीटर पानी में 3 किलो फ्यूसिकोंट फॉर्मूलेशन 500 ग्राम गुड़ के साथ घोल लें और दो दिन बाद एक- दो लीटर पौधों की जड़ों में रोपाई के 3, 5, 9, और 12 महीने के बाद प्रयोग करें। उन्होंने केला उत्पादक किसानों को यह भी सलाह दी कि वह फसल चक्र में बदलाव करते रहे। पहले साल की फसल में इस रोग के संक्रमण की संभावना बहुत कम होती है। पर उसी फसल की पत्ती से दूसरी फसल लेने पर संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। बेहतर हो कि केले के बाद धान, गेहूं, प्याज, लहसुन आदि की फसल लें। फिर केले की फसल लें। इससे मिट्टी का संतुलन भी बना रहता है और संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक पी.के. शुक्ल के मुताबिक जब कोई फसल गैर परंपरागत क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर प्रचलित होती है तो इस तरह के रोगों के संक्रमण का खतरा भी होता है। केले के साथ भी यही हुआ। हाल ही में डॉ. पी.के. शुक्ल ने अमेठी, बाराबंकी, अयोध्या, गोरखपुर, महाराजगंज, संत कबीर नगर जिलों में स्थित 144 केले के बागों का निरीक्षण किया। पाया कि केले के जड़ क्षेत्र में पादप परजीवी सूत्रकृमि की कई प्रजातियां मौजूद थीं। ये सूत्रकृमि फसल की उपज क्षमता में प्रत्यक्ष कमी के अलावा फसल को कवक जनित रोगों के प्रति संवेदनशील बनाती हैं।
यद्यपि उनकी आबादी को आर्थिक क्षति सीमा से नीचे ही देखा गया था, तथापि, फसल चक्र और टिशू कल्चर पौधों के रोपण का पालन करके उनकी जनसंख्या को नियंत्रित रखना ही केला किसानों के लिए बेहतर होगा। यूपी सरकार केले की फसल के आर्थिक और पोषण संबंधी महत्व के मद्देनजर केले की खेती को लगातार प्रोत्साहन दे रही है। केले की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर अनुदान के साथ ड्रिप या स्प्रिंकलर और सोलर पंप लगाने पर भी भारी अनुदान देती है। यही नहीं सरकार ने केले को कुशीनगर का एक जिला, एक उत्पाद भी घोषित कर रखा है। अब यहां के किसान केले की फसल लेने के साथ इसके कई तरह के बाई प्रोडक्ट भी बना रहे है। नतीजतन उत्तर प्रदेश में केले की खेती का क्रेज बढ़ा है। फफूंद जनित फ्यूजेरियम विल्ट रोग केले की फसल के लिए बेहद हानिकारक है। गंभीर संक्रमण होने पर केले की फसल बर्बाद हो सकती है। हाल के कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश के कई केला उत्पादक क्षेत्रों में इसका प्रकोप देखा गया। अयोध्या का सोहावल ब्लॉक जो केले की खेती के लिए जाना जाता है, वहां 2021 में इसका व्यापक प्रकोप देखा गया। इसी तरह प्रदेश के प्रमुख केला उत्पादक क्षेत्रों मसलन महाराजगंज, संत कबीर नगर, अम्बेडकर नगर और कुशीनगर जिलों में केले की फसल पर फ्यूजेरियम विल्ट रोग (टी आर 4) का गंभीर प्रकोप सामने आया था।
हाल के सर्वेक्षणों में भी लखीमपुर और बहराइच जिलों में व्यापक रूप से रोग के संक्रमण की पुष्टि हुई है। रोग का संक्रमण केले के तने के भीतरी भाग में होता है। संक्रमित केले के पौधे के तने का भीतरी हिस्सा क्रीमी कलर का न होकर कत्थई या काले रंग का हो जाता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश केले की फसल का रकबा लगभग 70000 हेक्टेयर और उत्पादन 3.172 लाख मीट्रिक टन से अधिक है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी करीब 45.73 मीट्रिक टन है। कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, बस्ती, महाराजगंज, अयोध्या, बहराइच, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, प्रतापगढ़ और कौशांबी जिले शामिल हैं। सीतापुर और लखीमपुर जिलों में भी केले की फसल का रकबा ठीक-ठाक है। - (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर । दिल्ली में द्वारका के सेक्टर 10 स्थित रामलीला मैदान में दशहरे पर दुनिया के सबसे बड़े रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। इसकी ऊंचाई 211 फीट बताई जा रही है। इसे बनाने में लगभग चार महीने लगा। इसे 30 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। द्वारका रामलीला कमेटी के आयोजक राजेश गहलोत ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया, “द्वारका रामलीला सोसाइटी, सेक्टर 10 में इस वर्ष दुनिया का सबसे ऊंचा और भव्य रावण का पुतला जलाया जाएगा। इसकी ऊंचाई 211 फीट है, जिसे कुछ विशेष कारीगरों ने मिलकर बनाया है।
ये कारीगर अंबाला और एनसीआर से हैं। पुतले का ढांचा पहले लोहे से तैयार किया गया, फिर इसके ऊपर बांस और मखमली कपड़े का प्रयोग किया गया है। रावण का चेहरा बेहद सुंदर और मजबूती से बनाया गया है, जिसे चार बड़े क्रेन की सहायता से खड़ा किया गया है। इस पुतले को बनाने में लगभग 4 महीने का समय और 30 लाख रुपये का खर्च आया है।” उन्होंने बताया, “जब हमने इस समारोह की शुरुआत की थी, तब पुतले की ऊंचाई लगभग 50 फुट थी। समय के साथ यह ऊंचाई बढ़ती गई, और अब 211 फुट के साथ यह दुनिया का सबसे ऊंचा रावण का पुतला बनने जा रहा है।
हम अपने सभी मेहमानों, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के राष्ट्रपति को निमंत्रण भेज चुके हैं। हमें उम्मीद है कि वे हमारे निमंत्रण को स्वीकार करेंगे और इस बार भी हमें अपना आशीर्वाद देंगे। इसके पहले हमें 2019 और 2023 में प्रधानमंत्री का आशीर्वाद मिला था। द्वारका रामलीला का मुख्य उद्देश्य है कि लोगों के समक्ष भगवान राम की लीलाओं को सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया जाए। इस बार की लीला के लिए पात्रों का चयन करने में हमें लगभग छह महीने का समय लगा है, और हमने पूरे एनसीआर से चार सौ कलाकारों को चुना है। हम आशा करते हैं कि इस विशेष आयोजन में अधिक से अधिक लोग शामिल हों और राम की कथा का आनंद लें।” --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर । हाल के दिनों में नागरिकों को धोखाधड़ी वाले कई कॉल प्राप्त हो रहे हैं, जो अक्सर भारतीय मोबाइल नंबरों के रूप में दिखाई देते हैं। वास्तव में ये कॉल विदेश से संचालित साइबर अपराधियों द्वारा हेराफेरी से किए जाते हैं। ये अपराधी कॉल की वास्तविक उत्पत्ति को छिपाने के लिए कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (सीएलआई) का फायदा उठाते हैं, जिसके कारण मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट होने, फर्जी डिजिटल गिरफ्तारी की धमकियों समेत तमाम घटनाएं घटित होती हैं। बढ़ते खतरे के मद्देनजर दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के साथ मिलकर एक उन्नत प्रणाली शुरू की है, जो भारतीय दूरसंचार ग्राहकों तक पहुंचने से पहले आने वाली अंतरराष्ट्रीय नकली कॉल की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए डिजाइन की गई है। इस प्रणाली को दो चरणों में लागू किया जा रहा है।
पहला, अपने स्वयं के ग्राहकों के फोन नंबरों से नकली कॉल को रोकने के लिए टीएसपी स्तर पर और दूसरा अन्य टीएसपी से ग्राहकों के नंबरों से नकली कॉल को रोकने के लिए केंद्रीय स्तर पर। अब तक, सभी चार टीएसपी ने इस प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू कर दिया है। कुल 4.5 मिलियन स्पूफ कॉल में से लगभग एक तिहाई को भारतीय दूरसंचार नेटवर्क में आने से रोका जा रहा है। अगले चरण में एक केंद्रीकृत प्रणाली को शामिल किया जाएगा, जो सभी टीएसपी में शेष स्पूफ कॉल को समाप्त कर देगी। इसके जल्द ही चालू होने की उम्मीद है। हालांकि, जनता को धोखा देने के लिए धोखेबाज नए-नए तरीके अपनाते और बनाते रहते हैं।
दूरसंचार विभाग इन नए तरीकों की रिपोर्ट होने पर दूरसंचार उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए समय रहते कदम उठा रहा है। तेजी से विकसित हो रही तकनीक के इस दौर में दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित और संरक्षित बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। हालांकि, इन मजबूत सुरक्षा उपायों के बावजूद अभी भी ऐसे मामले हो सकते हैं, जहां धोखेबाज दूसरे तरीकों से सफल हो जाते हैं। ऐसे मामलों में दूरसंचार विभाग नागरिकों को संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करता है, ताकि दूरसंचार विभाग को साइबर अपराध, वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग की पहचान करने और रोकथाम में मदद मिल सके। इससे नागरिकों को छद्म पहचान, शोषण से बचाने और संभावित खतरों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई करने में भी मदद मिलेगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के मतदाताओं से लोकतंत्र के पावन उत्सव का हिस्सा बनने और मतदान का एक नया रिकॉर्ड कायम करने की अपील की है। उन्होंने खासतौर से इस अवसर पर पहली बार वोट डालने जा रहे राज्य के युवाओं से भी मतदान अवश्य करने का आग्रह किया है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणा के मतदाताओं से झूठे वादों वाली नहीं, बल्कि विकास और सुशासन के ट्रैक रिकॉर्ड वाली सरकार चुनने के लिए वोट अवश्य करने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के मतदाताओं से रिकॉर्ड संख्या में मतदान करने का आग्रह करते हुए एक्स पोस्ट में कहा, " आज हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग है।
सभी मतदाताओं से मेरी अपील है कि वे लोकतंत्र के इस पावन उत्सव का हिस्सा बनें और मतदान का एक नया रिकॉर्ड कायम करें। इस अवसर पर पहली बार वोट डालने जा रहे राज्य के सभी युवा साथियों को मेरी विशेष शुभकामनाएं। " वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'पहलै मतदाण, फेर जलपाण' का नारा देते हुए एक्स पर पोस्ट कर कहा, "वीर भूमि हरियाणा की जनता आज प्रदेश में मतदान करने जा रही है। आपका एक वोट हरियाणा को खर्ची-पर्ची राज, भ्रष्टाचार और डीलरों से मुक्त रखने का काम करेगा।सभी बहनों-भाइयों से मेरा आग्रह है कि वे विकास की गति को बनाये रखने और सरकार को एक जिले से बाहर निकालकर, हरियाणा के गांव-गांव तक पहुंचाने वाली सरकार को चुनने के लिए वोट अवश्य करें।झूठे वादों वाली नहीं, बल्कि विकास और सुशासन के ट्रैक रिकॉर्ड वाली सरकार ही हरियाणा का कल्याण कर सकती है।
पहलै मतदाण, फेर जलपाण। " केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी सुशासन और विकास के लिए वोट करने की अपील की। उन्होंने एक्स पर लिखा, आज हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए वोट कर रहे समस्त मतदाताओं विशेषकर युवाओं से अधिक संख्या में मतदान करने की अपील करता हूं। आपका प्रत्येक मत प्रदेश को भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण से मुक्त रखकर यहां सेवा, सुशासन और तेज विकास की यात्रा को निरंतर रखने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। आपको बता दें कि, हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है। हरियाणा के साथ-साथ जम्मू कश्मीर में भी 8 अक्टूबर को मतगणना होगी। -- (आईएएनएस)
करनाल, 5 अक्टूबर । हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है, मतदान शाम 6 बजे तक चलेगा। प्रदेश के करीब 2 करोड़ मतदाता उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने करनाल के प्रेम नगर स्थित सरकारी स्कूल में मतदान किया। मतदान करने के बाद मनोहर लाल ने मीडिया से बात करते हुए प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का दावा किया। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर जुबानी हमला बोला। इस दौरान उन्होंने कहा कि करनाल की सीट बहुत अच्छी और कंफरटेबल है। मैं यहां से लगातार तीन चुनाव लड़ चुका हूं, दो विधानसभा का और एक लोकसभा का।
आज हमारे साथी जगमोहन यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। जहां तक कमल का सवाल है, पूरी लोकसभा में हमारी स्थिति मजबूत है। करनाल लोकसभा की सभी 9 विधानसभा सीट पर भाजपा जीत दर्ज करेगी। हमारे पास बहुत अच्छे कार्यकर्ता हैं, जो इस बार जीत के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि आपको पता है कि कांग्रेस के घर में कितनी निराशा है। उनकी स्थिति जगजाहिर है। उनका तनाव बाहर आ रहा है, और इसका संदेश जनता में भी है। जनता में भी इस निराशा का असर है। कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और शैलजा के बीच तनाव की स्थिति है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनता के मन में क्या है, यह सब जानते हैं। 8 अक्टूबर को चुनाव परिणाम सामने आएंगे।
मनोहर लाल ने कहा कि हमारी तरफ से एक खुला ऑफर है कि कोई भी जब चाहे भाजपा में शामिल हो सकता है। उन्होंने प्रदेश में इस बार भाजपा के 2014 से बेहतर प्रदर्शन और 50 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए अशोक तंवर के लिए उन्होंने कहा कि यह 'आया राम, गया राम' की राजनीति का उदाहरण है। वह दोपहर तक भाजपा की चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे और शाम को कांग्रेस में शामिल हो गए। निश्चित रूप से ऐसा कुछ हुआ है जो अभी स्पष्ट नहीं है। --(आईएएनएस)
फरीदाबाद, 5 अक्टूबर । हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार को मतदान किया जा रहा है। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर वोटरों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। पहली बार वोट देने वाले वोटर्स भी इस लोकतंत्र के पर्व में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, बुजुर्ग भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए वोट का इस्तेमाल करने के लिए मतदान केंद्र पहुंच रहे हैं। इन सबके बीच वोटरों को जागरूक करने और वोट की कीमत समझाने के लिए ग्रेटर नोएडा से एक साइकिल मैन बल्लभगढ़ विधानसभा पहुंचे हैं। फरीदाबाद की चावला कॉलोनी के रहने वाले भारतीय सेना के पूर्व ब्रिगेडियर विक्रम सौरोत ग्रेटर नोएडा से साइकिल चलाकर यहां पहुंचे हैं।
यहां उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मत का प्रयोग किया। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "ग्रेटर नोएडा से होते हुए बल्लभगढ़ अपने बूथ पर वोट देने के लिए आया हूं। हरियाणा वासियों को लोकतंत्र के पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं। 18 साल से अधिक उम्र के लोग अपने मत का इस्तेमाल जरूर करें। इससे देश और लोकतंत्र भी मजबूत होता है।" उन्होंने कारगिल यात्रा के बारे में बताया कि कारगिल इसलिए गया था, क्योंकि कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में रजत जयंती आयोजित की गई थी। मैंने संकल्प लिया कि मुझे वहां जाना चाहिए और देखना चाहिए कि हमारे देश के जवान जो देश की सुरक्षा में शहीद हुए और यहां जवान किस तरह से अपना जीवन व्यतीत करते हैं कैसे दुर्गम पहाड़ियों को पार करते हैं। मेरा अनुभव काफी अच्छा रहा है।
साइकलिंग के पीछे उन्होंने कहा कि इसके पीछा मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि इससे सेहत अच्छी रहती है। जो लोग घरों में 'डिजिटल अरेस्ट' हो रहे हैं, चाहे वह बच्चे हो या बुजुर्ग वह अगर शारीरिक व्यायाम करेंगे तो इससे सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा, "मेरी उम्र 60 साल हो चुकी है और मैंने कम से कम 500 बार 100 किलोमीटर की यात्रा की है। जीवन का मकसद है कि यह सेहतमंद और दवा रहित हो। -- (आईएएनएस)
पानीपत, 5 अक्टूबर । हरियाणा में शनिवार को 90 विधानसभा सीटों पर मतदान किया जा रहा है। सुबह से ही मतदाता अपने मत का प्रयोग करने के लिए मतदान केंद्र पहुंचे। मतदाताओं में वोट के प्रति काफी जागरूकता देखने को मिल रही है। इसकी एक झलक पानीपत के इसराना विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिली। यहां के गांवों के बुजुर्ग ने भी सुबह ही मतदान केंद्र पहुंचकर मत का प्रयोग किया। इस दौरान यहां से भाजपा प्रत्याशी कृष्ण लाल पंवार ने वोट डाला। साथ ही उन्होंने वोटरों से अपील की है कि वह अपने मत का प्रयोग करें। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, "बूथ नंबर 49 में मतदान किया है।
यहां पर सभी बूथों पर लोगों की भारी भीड़ के साथ भाजपा के प्रति उत्साह है। भाजपा प्रत्याशी ने सुबह हुए मतदान पर भविष्यवाणी करते हुए कहा कि प्रदेश में तीसरी बार भाजपा की सरकार बन रही है। इसराना विधानसभा सीट पर भारी मतों से भाजपा जीत रही है और पानीपत की सभी विधानसभा सीट भी भाजपा की झोली में आने वाली है।" भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि प्रदेश में तीसरी बार भाजपा की सरकार बन रही है और दूसरी बार नायब सैनी मुख्यमंत्री बनेंगे। बता दें कि 90 विधानसभा सीटों पर मतदान संपन्न होने के बाद 8 अक्टूबर को भारतीय चुनाव आयोग परिणाम की घोषणा करेगा।
हरियाणा के मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सैनी का दावा है कि प्रदेश की जनता हरियाणा में तीसरी बार भाजपा की सरकार बना रही है। भाजपा ने 10 साल के कार्यकाल में जनता के हित में काम किया है। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि भाजपा की हरियाणा से विदाई तय है, क्योंकि भाजपा ने 10 साल के शासनकाल में हरियाणा को पीछे धकेल दिया है। कांग्रेस पूर्ण बहुमत की सरकार बना रही है। वहीं, अन्य राजनीतिक दलों ने भी अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे किए हैं। वोटरों का कहना है कि हम मुलभूत सुविधाओं और क्षेत्र के विकास पर वोट कर रहे हैं। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर । एक नये अध्ययन में पीठ दर्द को बढ़ने से कैसे रोका जा सकता है इसे लेकर खुलासा हुआ है। अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि पीठ दर्द को बढ़ने से रोकने के लिए हर रोज बैठने का समय कम करें और व्यायाम करें। पीठ दर्द बहुत आम है। पीठ में दर्द होने के कुछ मुख्य कारण मांसपेशियों में खिंचाव, डिस्क की क्षति, कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे- स्कोलियोसिस और ऑस्टियोपोरोसिस शामिल हैं। फिनलैंड के तुर्कू विश्वविद्यालय के डॉक्टरेट शोधकर्ता और फिजियोथेरेपिस्ट जोआ नोरहा ने कहा, ''पीठ के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित लोगों को "काम पर या खाली समय में बैठना कम करना चाहिए।"
गतिविधि और पीठ दर्द के बीच संबंध और पीठ दर्द से संबंधित तंत्र को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने अधिक वजन या मोटापे और मेटाबोलिक सिंड्रोम से ग्रस्त 64 वयस्कों को शामिल किया। छह महीने के अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों ने औसतन प्रतिदिन 40 मिनट तक बैठने का समय कम कर दिया। पीठ दर्द से पीड़ित लोगों में अक्सर पीठ की मांसपेशियों में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है। उनमें ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म या इंसुलिन सेंसिटिविटी में कमी होने की भी संभावना होती है, जिससे उन्हें दर्द होने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि, अध्ययन में "पीठ की मांसपेशियों की चर्बी (वसायुक्तता) या ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म" के बीच कोई संबंध नहीं मिला।
इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने कहा कि ज्यादा वजन या मोटापे और मेटाबोलिक सिंड्रोम से न केवल पीठ दर्द का खतरा बढ़ता है, बल्कि हृदय रोग का भी खतरा बढ़ जाता है। फिजियोथेरेपिस्ट जोआ नोरहा ने कहा, "केवल खड़े रहना भी मददगार नहीं हो सकता। इसके बजाय चलना या अधिक तेज व्यायाम ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।" शोधकर्ताओं का कहना है कि सही मुद्रा की तलाश करने की तुलना में मुद्राओं के बीच बदलाव करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। लैंसेट रूमेटोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हालिया विश्लेषण के अनुसार, 2050 तक 80 करोड़ से अधिक लोग पीठ के निचले हिस्से में दर्द से पीड़ित होंगे, जो 2020 की तुलना में 36 प्रतिशत की वृद्धि है। अध्ययन से पता चला है कि 2017 से कमर दर्द के मामले तेजी से बढ़े हैं और यह संख्या आधे अरब से ज्यादा हो गई है। साल 2020 में कमर दर्द के लगभग 61.9 करोड़ मामले थे। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली/इस्लामाबाद, 4 अक्टूबर । विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने पाकिस्तान जाएंगे। वह आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) बैठक में शामिल होंगे। यह मीटिंग 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में आयोजित की जाएगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "विदेश मंत्री इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए हमारे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।" प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा के दौरान किसी भी द्विपक्षीय बातचीत के बारे में कोई विवरण इस समय उपलब्ध नहीं है।
औपचारिक प्रक्रिया के तहत पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बैठक के लिए आमंत्रित किया था। जयशंकर का बैठक में शामिल होना कोई हैरानी की बात नहीं है। एससीओ बैठक में राष्ट्राध्यक्षों के भाग लेने की जरुरत नहीं होती है। पहले भी भारत के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल इसमें भाग लेते रहे हैं। पिछले वर्ष पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए भारत आए थे। राजनीतिक विश्लेषक कामरान यूसुफ ने इस साल अगस्त में आईएएनएस से कहा था, "पीएम मोदी और अन्य सभी सदस्य देशों को निमंत्रण देना एक अनिवार्य प्रोटोकॉल है, जिसका पालन कोई भी मेजबान देश करता है।
पाकिस्तान ने भी यही किया है। मैं इसे राजनीतिक स्टंट के तौर पर नहीं देखता। हालांकि, मैं पीएम मोदी को इस्लामाबाद जाते हुए नहीं देखता।" पिछले कुछ वर्षों से भारत-पाकिस्तान के रिश्ते खासे तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले दिनों पाकिस्तान के साथ बातचीत की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के साथ वार्ता का युग समाप्त हो चुका है। जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, अनुच्छेद 370 खत्म हो चुका है।" --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर । दिन 7 अक्टूबर 2023, अपने आयरन डोम और बेहद सक्षम खुफिया तंत्र के लिए मशहूर इजरायल के नहल ओज बेस पर हमास ने अचानक हमला कर दिया। पहले मिसाइलों से हमला हुआ। सैकड़ों मिसाइलों के औचक हमले से आयरन डोम सभी को रोकने में विफल रहा। कई मिसाइलें इजरायली सीमा में आकर गिरीं। बेस को तहस-नहस करने के बाद सीमावर्ती इलाके में हमास और हिजबुल्लाह के कई सैनिक घुस आए। उन्होंने शहर में जमकर रक्तपात मचाया। करीब 1,200 लोग मारे गये जिनमें ज्यादातर इजरायली थे। हमास और हिजबुल्लाह ने इजरायली कार्रवाई से बचने के लिए करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया।
इनमें कुछ अंतर्राष्ट्रीय नागरिक भी थे। हमास के उस हमले को लगभग एक साल पूरे हो चुके हैं। इस बीच दुनिया काफी बदल चुकी है। स्पष्ट रूप से पूरा विश्व दो खेमों में बंट चुका है, हमास इजरायल युद्ध में कुछ नए देशों की एंट्री हो चुकी है, व्यापार करने के तरीके बदल चुके हैं। हमास से बदला लेने के लिए इजरायल ने त्वरित कार्रवाई की बजाय पूरी योजना बनाकर मैदान में उतरने की ठानी। शुरुआत में हवाई हमले किये गये। पूर्ण आक्रमण करने की बजाय दबाव बनाकर पहले बंधकों को छुड़ाने की कोशिश की गई, हालांकि हमास को भी पता था कि जब तक बंधक उसके पास हैं, इजरायल बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकता - खासकर बंधकों का लोकेशन जाने बिना। बातचीत के प्रयासों के फलस्वरूप 100 से अधिक बंधकों को रिहा किया गया है, लेकिन 101 बंधक अब भी हमास के कब्जे में हैं। इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने करीब एक महीने बाद अपनी आर्मी को गाजा पट्टी में उतार दिया। सेना धीरे-धीरे आगे बढ़ती रही और एक-एक कर इलाकों से हमास के नेटवर्क को खत्म करती रही। इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में आम नागरिक भी मारे गये। यूक्रेन पर रूसी कार्रवाई की निंदा करने वाले पश्चिमी दुनिया के देश अब इजरायल के साथ खड़े थे। हालांकि उन्होंने न रूस के खिलाफ, न यूक्रेन से साथ अपनी सेना उतारी है, लेकिन उन्होंने यूक्रेन और इजरायल दोनों को बचाव के लिए हथियार और इंटेलिजेंस जरूर मुहैया कराये हैं। इस बीच चीन, रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देश खुलकर फिलिस्तीन का समर्थन तथा इजरायली कार्रवाई की निंदा करते नजर आ रहे हैं। वहीं, भारत और सऊदी अरब जैसे देश भी हैं जो युद्ध विराम के लिए प्रयास करते दिख रहे हैं।
लेकिन जिस तरह लड़ाई में अब ईरान भी इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोल चुका है, यदि कुछ और देशों तक यह आग फैली तो किसी भी देश का तटस्थ रहना काफी मुश्किल होगा। हिजबुल्लाह पर पिछले कुछ दिनों में हुए इजरायली हमले और हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद ईरान की सरकार खुलकर इजरायल के विरोध में उतर चुकी है। ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह के लगभग पूरे शीर्ष नेतृत्व का सफाया हो चुका है। भारत के लिए स्थिति काफी पेचीदगी भरी है। अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से हमारे व्यापारिक के साथ-साथ सामरिक रिश्ते भी हैं। वहीं रूस के साथ भी हमारे सांस्कृतिक, सामरिक और रणनीतिक रिश्ते काफी मजबूत हैं। इजरायल से भारत के संबंधों में लगातार सुधार हो रहा था, तो वहीं भारत दो राष्ट्र सिद्धांत यानी फिलिस्तीन के अस्तित्व का समर्थन करता रहा है। ऐसे में भारत के लिए दोनों छोरों को एक साथ पकड़कर चलना सबसे बड़ी चुनौती है। इस संकट ने बड़े स्तर पर मानवीय त्रासदी भी पैदा कर दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पिछले एक साल में इजरायल 1,500 से ज्यादा, गाजा पट्टी में करीब 42 हजार और वेस्ट बैंक में 700 से अधिक लोग मारे गये हैं। इसके अलावा गाजा में 10 हजार से अधिक लोग लापता हैं और 19 लाख लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। वहीं, लेबनान में इजरायली और पश्चिमी देशों के हमलों में 1.600 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 10 लाख से अधिक विस्थापित हो चुके हैं। विस्थापितों में 1,60,000 सीमा पार कर सीरिया में प्रवेश कर चुके हैं और 3,50,000 शिविरों में रहने को विवश हैं। ईरान-इजरायल युद्ध का असर पहले ही दुनिया के शेयर बाजारों पर दिखने लगा है। बीएसई का सेंसेक्स पिछले चार कारोबारी सत्र में चार हजार अंक के अधिक लुढ़क चुका है। एक सप्ताह में लंदन के ब्रेंट क्रूड वायदा की कीमत 10 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 78 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक महीने में सोना पांच प्रतिशत से अधिक महंगा हो चुका है। युद्ध के कारण समुद्री व्यापारिक मार्गों में व्यवधान से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर । दिल्ली सरकार और एलजी के बीच बस मार्शल्स को लेकर एक बार फिर तनातनी देखने को मिल रही है। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार की शाम को एलजी हाउस के बाहर बस मार्शल्स के साथ प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन्हें हिरासत में लिया गया था। इसके अगले दिन शुक्रवार को दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि जानबूझकर इस समस्या का समाधान एलजी द्वारा नहीं किया जा रहा है। दिल्ली विधानसभा में एक संकल्प पास हुआ था कि 3 अक्टूबर को सरकार के मंत्री, 'आप' और बीजेपी के सभी विधायक एलजी से मिलने जाएंगे।
इस संकल्प में कहा गया था कि इस दौरान बस मार्शल्स की बहाली के लिए एलजी जिस कागज पर साइन आदि करने को कहेंगे, वहां साइन किए जाएंगे। सौरभ भारद्वाज का कहना है कि गुरुवार को 'आप' सरकार के मंत्री और विधायक अपने वादे पर खरे उतरे और एलजी से मिलने पहुंचे। लेकिन, बीजेपी के सभी विधायकों ने यूटर्न ले लिया और कोई भी एलजी साहब से मिलने नहीं पहुंचा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए तमाम कर्मियों की तनख़्वाह बीजेपी के एलजी द्वारा रोक दी गई, उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। बीजेपी के एलजी विनय सक्सेना हजारों की संख्या में संविदा कर्मियों को बेरोजगार करने में जुटे हुए हैं। गुरुवार को हजारों बस मार्शल्स अपना हक मांग रहे थे। लेकिन, एलजी साहब के पास उनसे मिलने तक का समय नहीं है। इसके अलावा उन्होंने इन बस मार्शल्स पर तानाशाह की तरह पुलिस बल का प्रयोग भी किया। - (आईएएनएस)
श्रीनगर,4 अक्टूबर जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में शुक्रवार को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास बारूदी सुरंग में धमाका होने से सेना के दो जवान घायल हो गए।
अधिकारियों ने कहा, ‘‘उत्तरी कश्मीर जिले के त्रेहगाम इलाके में नियंत्रण रेखा के पास गश्त के दौरान तड़के बारूदी सुरंग में धमाका होने से सेना के दो जवान हो गए।’’
दोनों जवानों को द्रुगमुल्ला में सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर है। (भाषा)
अमरावती, 4 अक्टूबर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल संबंधी आरोपों की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया।
नायडू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो), आंध्र प्रदेश पुलिस और एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण)के अधिकारियों की सदस्यता वाली एसआईटी गठित करने के माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं।’’
युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) की वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आर के रोजा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का निर्देश एक स्वागत योग्य है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि बेहतर होगा कि श्रीवारी प्रसादम के मामले पर राजनीतिक रूप से दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी करने से हर कोई परहेज करे।
इससे पहले, तेदेपा प्रवक्ता पट्टाभिराम कोम्मारेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार का इरादा सच्चाई सामने लाना और उन दोषियों को सजा देना है जिन्होंने भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के करोड़ों भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है।
तेदेपा प्रवक्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के निर्देश का स्वागत करते हैं। हमें इससे कोई परेशानी नहीं है। दुनिया भर के करोड़ों हिंदू मांग कर रहे हैं कि उन लोगों (दोषियों) को सलाखों के पीछे डाला जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए क्योंकि उन्होंने उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है।’’
न्यायालय ने तिरुपति लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए शुक्रवार को एक स्वतंत्र, विशेष जांच दल का गठन किया।
उसने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आंध्र प्रदेश पुलिस के दो-दो अधिकारियों के अलावा एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) का एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होगा।
न्यायालय ने कहा कि एसआईटी की जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक करेंगे।
पट्टाभिराम ने उम्मीद जताई कि एसआईटी की जांच समयबद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि अब तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर का आधिकारिक संरक्षक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) गाय का शुद्ध घी खरीद रहा है और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) सामग्री में किसी तरह की मिलावट की जांच के लिए तिरुमला में एक प्रयोगशाला स्थापित करने वाला है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इस महीने की शुरुआत में आरोप लगाया था कि राज्य में वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डू तैयार करने में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। इससे बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। (भाषा)
मुंबई, 4 अक्टूबर महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल और दो आदिवासी विधायक शुक्रवार दोपहर यहां मंत्रालय भवन की तीसरी मंजिल से कूद गए और सुरक्षा जाल पर जा गिरे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
झिरवाल और अन्य लोग जनजातीय आरक्षण में धनगर समुदाय को शामिल करने का विरोध कर रहे थे। अधिकारी ने बताया कि इस घटना में कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। (भाषा)
नयी दिल्ली, 4 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने तिरुपति लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय ‘‘स्वतंत्र’’ विशेष जांच दल (एसआईटी) का शुक्रवार को गठन करने के साथ ही स्पष्ट किया कि वह अदालत का ‘‘राजनीतिक युद्ध के मैदान’’ के रूप में इस्तेमाल किए जाने की अनुमति नहीं देगा।
यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त जांच दल उस एसआईटी का स्थान लेगा जिसका गठन आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुपति लड्डुओं को बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए 26 सितंबर को किया था।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि एसआईटी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आंध्र प्रदेश पुलिस के दो-दो अधिकारियों के अलावा एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) का एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होगा।
पीठ ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि हम न्यायालय का राजनीतिक युद्ध के मैदान के रूप में इस्तेमाल नहीं होने देंगे लेकिन करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए हम चाहते हैं कि जांच एक स्वतंत्र एसआईटी द्वारा की जानी चाहिए जिसमें राज्य पुलिस एवं सीबीआई के प्रतिनिधि और एफएसएसएआई का एक प्रतिनिधि शामिल हों।’’
पीठ ने निर्देश दिया कि यह उचित होगा कि जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक की निगरानी में की जाए।
उसने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक नाटक बन जाए। दुनिया भर में करोड़ों लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हैं।’’
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इस महीने की शुरुआत में आरोप लगाया था कि राज्य में वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डू तैयार करने में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। इससे बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
युवजन श्रमिक रायथू (वाईएसआर) कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए ये ‘‘निंदनीय आरोप’’ लगाए और राज्य में सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने अपने दावे के समर्थन में एक प्रयोगशाला रिपोर्ट जारी की।
पीठ ने इस मामले में न्यायालय की निगरानी में जांच कराए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।
पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने दोनों याचिकाओं में लगाए गए आरोपों और राज्य सरकार सहित प्रतिवादियों के रुख पर गौर नहीं किया है।
उसने यह भी स्पष्ट किया कि उसके आदेश को राज्य द्वारा नियुक्त एसआईटी के अधिकारियों की निष्पक्षता पर किसी प्रकार के सवाल के तौर पर नहीं देखा जाए।
पीठ ने कहा कि न्यायालय देवता में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी को जांच सौंपने का आदेश दे रहा है।
उसने कहा, ‘‘राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एसआईटी को बदला जाता है...।’’
उसने कहा कि सीबीआई के दो अधिकारियों को जांच एजेंसी के निदेशक द्वारा नामित किया जाएगा, जबकि आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस के दो अधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा।
पीठ ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि एफएसएसएआई के अध्यक्ष स्वतंत्र एसआईटी में शामिल करने के लिए प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी को नामित करेंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि अगर आरोपों में जरा भी सच्चाई है, तो यह बात अस्वीकार्य है।
उन्होंने सुझाव दिया कि एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी केंद्र सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जा सकती है।
उच्चतम न्यायालय ने 30 सितंबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह निर्णय लेने में सहायता करने को कहा था कि क्या राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जांच जारी रहनी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने शीर्ष विधि अधिकारी से इस मुद्दे पर विचार करने और इस संबंध में सहायता करने को कहा था।
न्यायालय ने 30 सितंबर को कहा था कि कम से कम देवताओं को तो राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के इस सार्वजनिक बयान पर सवाल उठाया कि वाई एस जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार के शासन के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में कथित तौर पर पशुओं की चर्बी का इस्तेमाल किया गया।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि प्रयोगशाला जांच रिपोर्ट ‘‘बिलकुल भी स्पष्ट नहीं’’ है और प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि ‘अस्वीकृत घी’ की जांच की गई।
उसने कहा था कि राज्य सरकार के अनुसार, मामले में प्राथमिकी 25 सितंबर को दर्ज की गई और एसआईटी का गठन 26 सितंबर को किया गया।
पीठ ने कहा था , ‘‘इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया बयान 26 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज होने और एसआईटी गठित होने से भी पहले का है। मुख्यमंत्री 18 सितंबर को जनता के बीच जा चुके हैं।’’
उसने कहा था, ‘‘हमारा प्रथम दृष्टया यह मानना है कि जब जांच प्रक्रिया जारी है, तो एक उच्च संवैधानिक पदाधिकारी के लिए सार्वजनिक रूप से जाकर ऐसा बयान देना उचित नहीं है, जो करोड़ों लोगों की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है।’’ (भाषा)
श्रीनगर, 4 अक्टूबर । जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) ने शुक्रवार को इंडिया गठबंधन के बाहर किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ सरकार गठन के लिए किसी भी परदे के पीछे की बातचीत की अफवाहों का खंडन किया है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव तीन चरणों में हुए हैं। चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे। इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक प्रवक्ता ने कहा कि एनसी परिणाम आने के बाद सरकार गठन के लिए किसी अन्य राजनीतिक दल या निर्दलीय उम्मीदवार के साथ परदे के पीछे की बातचीत में शामिल नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा, "एनसी के प्रतिद्वंद्वियों ने अपनी हार के बाद यह झूठा अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे ऐसी निराधार अफवाहों को नजरअंदाज करें।" एनसी के प्रवक्ता का यह बयान भाजपा नेता राम माधव के उस बयान के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगली सरकार जम्मू क्षेत्र के मतदाता तय करेंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू डिवीजन में मजबूत पकड़ है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) का पारंपरिक राजनीतिक आधार मुस्लिम-बहुल कश्मीर घाटी रहा है। भाजपा ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा, जबकि एनसी और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था।
एनसी और कांग्रेस के बीच चुनाव पूर्व समझौते के अनुसार, एनसी ने 52 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जबकि कांग्रेस ने 31 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। वहीं दोनों पार्टियों ने दो सीटें निर्विरोध छोड़ दी थीं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, जिनमें से 47 कश्मीर में और 43 जम्मू में हैं। इनमें से नौ एसटी और सात एससी सीटें हैं। --(आईएएनएस)
वाराणसी, 4 अक्टूबर । केंद्र सरकार की पीएम इंटर्नशिप योजना के तहत गुरुवार से केंद्रीकृत पोर्टल शुरू हो गया है। इस पोर्टल के जरिए युवा कंपनियों द्वारा आमंत्रित जगहों पर आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक इंटर्न (प्रशिक्षु) 12 अक्टूबर से ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इस योजना को लेकर आईएएनएस ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों से बात की। बीएचयू की छात्रा साक्षी सिंह ने खुशी जताते हुए कहा, “प्रधानमंत्री की इंटर्नशिप योजना का लॉन्च होना हमारे लिए एक सुनहरा अवसर है। हाल ही में जो बजट पेश हुआ, उसमें विद्यार्थियों के लिए कई योजनाएं शामिल थीं, जिनमें से यह सबसे प्रमुख है।
इसमें भारत की 500 शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप का अवसर दिया जाएगा। अक्टूबर में इसकी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू होने वाली है, और दिसंबर के पहले हफ्ते से इस पर काम भी शुरू होगा। यह योजना उन विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण है जो रोजगार की कमी की शिकायत कर रहे थे। प्रधानमंत्री की यह योजना सराहनीय है।” सोशल वर्क के छात्र करण प्रताप सिंह ने कहा, “मैं इसे बहुत बढ़िया कदम मानता हूं। सोशल वर्क की पढ़ाई के दौरान हमें भी हफ्ते में दो दिन फील्ड वर्क करने का मौका मिलता है, जिसमें कुछ एनजीओ भी इंटर्नशिप के रूप में ₹5000 देते हैं।
प्रधानमंत्री की योजना भी इसी तरह है, जिससे छात्रों को आर्थिक मदद मिलेगी। यह एक अच्छा कदम है। शिवांश सिंह इसे बेहतरीन अवसर के तौर पर देखते हैं। कहते हैं, “प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च की गई इंटर्नशिप योजना छात्रों के लिए बेहद फायदेमंद है। हर महीने छात्रों को ₹5000 की सहायता दी जाएगी, जो बीए, बीएससी जैसे विभिन्न प्रोग्रामों के छात्रों के लिए एक बेहतरीन अवसर है। सरकार ने यह योजना छात्रों के हित में लॉन्च की है, और इससे उन्हें कौशल विकास में मदद मिलेगी।” हिंदी विभाग के छात्र सर्वेश ने कहा, “केंद्र और राज्य सरकार युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक का ध्यान रखती है। जैसे होली और दीपावली के समय उज्ज्वला के सिलेंडर वितरित किए जाते हैं, वैसा ही आर्थिक सहयोग इस इंटर्नशिप के माध्यम से युवाओं को भी मिल रहा है। यह एक बहुत स्वागत योग्य पहल है।” --(आईएएनएस)
श्रीनगर, 4 अक्टूबर । जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास शुक्रवार को बारूदी सुरंग में विस्फोट से दो जवान घायल हो गए। यह घटना सुबह करीब तीन बजे की है। जब ये धमाका हुए था तब जवान नियंत्रण रेखा पर गश्त पर थे। घायल जवानों की पहचान 19 सिख रेजिमेंट के एक हवलदार और एक नायक के रूप में हुई है। एक अधिकारी ने बताया, "घायल सैनिकों को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों के अनुसार, दोनों घायल सैनिकों की हालत स्थिर है।"
श्रीनगर स्थित 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने गुरुवार को ही पत्रकारों से कहा था कि कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए एलओसी की सुरक्षा में तैनात सैनिकों और आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। कश्मीर घाटी के अलावा, जम्मू डिवीजन में भी सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं। पिछले तीन-चार महीनों में जम्मू के डोडा, कठुआ, राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में सेना, स्थानीय पुलिस और नागरिकों पर आतंकवादियों द्वारा किए गए हिट-एंड-रन हमलों के बाद, माना जा रहा है कि ये आतंकवादी कट्टर विदेशी भाड़े के आतंकवादी हैं।
पहाड़ी इलाकों में सेना और अन्य लोगों पर घात लगाकर हमला करने के बाद आतंकवादी इन पहाड़ी जिलों के घने जंगलों में भाग जाते थे। आतंकवादियों की इन चालों को नाकाम करने के लिए जम्मू डिवीजन के पहाड़ों की चोटियों और घने जंगलों में चार हजार से अधिक पैरा कमांडो और पर्वतीय युद्ध में प्रशिक्षित जवानों को तैनात किया गया था। सुरक्षाबलों की रणनीति के बाद, इन जिलों में आतंकवादी हमलों में भारी कमी आई है। इन इलाकों में सुरक्षाबलों की सक्रियता के कारण आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हुई हैं। विदेशी आतंकवादियों की चुनौती का सामना करने के लिए सुरक्षाबलों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया, जिसके कारण अब तक पांच आतंकवादी मारे गए हैं। --(आईएएनएस)
रांची, 4 अक्टूबर । झारखंड में एनसीपी (अजीत पवार) के विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में असम के सीएम और प्रदेश भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने उनका पार्टी में स्वागत किया। मिलन समारोह में कमलेश सिंह के साथ उनके पुत्र सूर्या सिंह और सैकड़ों समर्थकों भी भाजपा में शामिल हुए। कमलेश सिंह पलामू जिले के हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। वह पूर्व में झारखंड सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
भाजपा की सदस्यता लेने के बाद उन्होंने कहा कि झारखंड में आज जिस तरह के भय का वातावरण है और बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से राज्य की पहचान खतरे में है, उसमें जनता भाजपा की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। कमलेश सिंह ने कहा कि भाजपा की अगुवाई में ही राज्य की तस्वीर और तकदीर बदलेगी। भाजपा एक समुद्र की तरह है, जबकि बाकी पार्टियों की हैसियत तालाब से ज्यादा नहीं है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कमलेश सिंह और उनके समर्थकों के पार्टी में आने से पलामू प्रमंडल में निश्चित रूप से पार्टी की ताकत बढ़ेगी। झारखंड में पिछले डेढ़ महीने में राज्य के चार विधायकों ने दूसरी पार्टियों को छोड़कर भाजपा का दामन थामा है। इनमें चंपई सोरेन और लोबिन हेंब्रम झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर आए हैं। हालांकि, चंपई सोरेन ने भाजपा की सदस्यता लेने के ठीक पहले विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था। इनके अलावा हजारीबाग जिले के बरकट्ठा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक अमित यादव भी हाल में भाजपा में शामिल हुए हैं। -- (आईएएनएस)
रांची, 4 अक्टूबर । मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दो साल से भी ज्यादा वक्त से जेल में बंद झारखंड के चर्चित कारोबारी प्रेम प्रकाश को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ जमानत दे दी है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने शुक्रवार को उसकी जमानत मंजूर करते हुए कहा कि वह अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करेंगे और बिना कोर्ट की इजाजत के देश नहीं छोड़ेंगे। प्रेम प्रकाश झारखंड में सत्ता और ब्यूरोक्रेसी के गलियारे में बेहद चर्चित नाम रहा है। ईडी ने उसे 25 अगस्त, 2022 को गिरफ्तार किया था। इसके पहले उसके डेढ़ दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।
इस दौरान उसके रांची के हरमू कॉलोनी स्थित किराए के मकान से दो ए.के. 47 राइफलें और 60 कारतूस बरामद किए गए थे। उसके खिलाफ अवैध खनन और जमीन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दो अलग-अलग केस हैं। एक केस में उसे पहले ही जमानत मिल चुकी थी, जबकि दूसरे केस में उसकी जमानत आज मंजूर की गई है। इसके बाद उसके जेल से बाहर आने का रास्ता सामने आ गया है। झारखंड की सीनियर आईएएस पूजा सिंघल, उनके पति और अन्य के ठिकानों पर वर्ष 2022 में ईडी ने मनरेगा घोटाले की रकम की मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में छापा मारा और इसके बाद माइंस डिपार्टमेंट के कई अफसरों से पूछताछ हुई तो प्रेम प्रकाश सहित दो-तीन पावर ब्रोकर के कनेक्शन भी सामने आये थे। मूल रूप से बिहार के सासाराम का रहने वाला प्रेम प्रकाश सात-आठ साल पहले झारखंड आया और उसने सत्ता से लेकर ब्यूरोक्रेसी के गलियारे में जबरदस्त रसूख हासिल कर ली थी। (आईएएनएस)
बेलगावी, 4 अक्टूबर । कर्नाटक के बेलगावी में शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए सांसद जगदीश शेट्टर ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर गंभीर आरोप लगाए। शेट्टर ने कहा कि जब राज्यपाल ने मामले की जांच की मांग की, तो मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के आदेश को चुनौती दी। लेकिन, उच्च न्यायालय ने राज्यपाल के आदेश को बरकरार रखा। शेट्टर ने बताया कि एक एफआईआर दर्ज की गई है और जांच जल्द शुरू होने वाली है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया ने दशहरा कार्यक्रम की शुरुआत इस उद्देश्य से की है ताकि जनता का सरकार पर विश्वास कम हो। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरकार द्वारा ईडी के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया गया जो सही नहीं है। सांसद शेट्टर ने आगे कहा कि हम पहले से ही मांग कर रहे हैं कि मुडा घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए और अब भी वही कह रहे हैं। उन्होंने सिद्धारमैया से कहा कि वह इस्तीफा दें और जांच का सामना करें।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) में विकास योजनाओं के दौरान खुद की जमीन खोने वाले लोगों के लिए सन 2009 में एक योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत जमीन खोने वाले लोगों को विकसित भूमि का 50 फीसदी हिस्सा देने की बात की गई थी। इसी वजह से आगे चलकर यह योजना 50:50 के नाम से मशहूर हुई। इस योजना को 2020 में भाजपा की सरकार ने स्थगित कर दिया। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि इस मुडा के विकास प्रोग्राम के लिए अधिग्रहित की गई, लेकिन बिना इस जमीन का अधिग्रहण किए ही देवनूर विकास योजना का तृतीय चरण विकसित कर दिया गया। --(आईएएनएस)