अंतरराष्ट्रीय
-मोहम्मद सुहैब
पाकिस्तान में एक बार फिर गेहूं और आटे की क़ीमतों में इज़ाफ़े का रुझान देखने में आ रहा है. देशभर में क़ीमतें हर दिन बढ़ रही हैं और इससे लोग ख़ासे परेशान हो रहे हैं.
सांख्यिकी संस्थान के अनुसार, दिसंबर के अंतिम सप्ताह में आटे के मूल्य में लगभग तीन फ़ीसदी (2.81) तक की वृद्धि दर्ज की गई जिसका साफ़ मतलब यह है कि इस सप्ताह आटे की 20 किलो की थैली की क़ीमत में कम से कम 200 रुपये तक की वृद्धि हो चुकी है.
जाड़े के मौसम के दौरान कई क्षेत्रों में स्थिति यह है कि अगर घर की गैस का प्रेशर कम हो तो फिर तंदूर का रुख़ करना पड़ता है जबकि तंदूर से एक रोटी 25 रुपये से कम की नहीं मिल रही है.
एक कृषि प्रधान देश होने के बावजूद पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान अपनी ज़रूरत पूरी करने के लिए गेहूं आयात करने पर मजबूर हो रहा है.
गेहूं पाकिस्तान में भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हर पाकिस्तानी औसतन 124 किलोग्राम गेहूं सालाना खा लेता है.
मुसद्दिक़ अब्बास इस्लामाबाद के रिहायशी इलाक़े जी-10 में तंदूर चलाते हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि आटे की क़ीमत में इज़ाफ़े के अलावा बिजली, गैस और दूसरे ज़रूरी सामान का दाम भी बढ़ गया है.
उनके मुताबिक़, "दो कर्मियों के वेतन के अलावा तंदूर का 15 हज़ार मासिक किराया अदा करता हूं जबकि बिजली और गैस का बिल अलग से जमा कराता हूं."
मुसद्दिक़ अब्बास कहते हैं, "आटे की क़ीमत में हर दिन इज़ाफ़ा होता जा रहा है. ऐसे में 25 रुपये की भी रोटी बेचकर सारे ख़र्चों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है."
बिना और समय गंवाए मुसद्दिक़ अब्बास अपने ग्राहकों के लिए तंदूर लगाने में लग गए, मगर मन में यह सवाल तो ज़रूर पैदा होता है कि आख़िर इस सारे संकट का ज़िम्मेदार कौन है या फिर इस संकट का हल कैसे पाया जा सकता है?
केंद्र सरकार ने इस मूल्य वृद्धि का मामला राज्यों पर डाल दिया है. उसके अनुसार यह समस्या या संकट मिल एसोसिएशनों और राज्य सरकारों का पैदा किया हुआ है. सरकार के अनुसार आटे का भंडारण, मिल और आटे का मूल्य निर्धारण राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है.
बीबीसी ने इस मामले पर प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की कैबिनेट में शामिल केंद्रीय मंत्रियों और आटा मिल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से बात की है और इस संकट को समझने की कोशिश की है कि आख़िर इस समस्या से बाहर कैसे निकला जा सकता है.
इस संकट को समझने से पहले यह बात ध्यान में रहे कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में इस साल एक बैठक हुई थी जिसमें देश में गेहूं की पैदावार, वर्तमान भंडार और राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खपत जैसे मामलों पर विचार किया गया था.
इस बैठक में चालू वर्ष में गेहूं की कुल पैदावार का लक्ष्य दो करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन रखा गया था जबकि संभावित पैदावार दो करोड़ 26 लाख मीट्रिक टन तक होने का अनुमान था. गेहूं की राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक खपत का अनुमान तीन करोड़ मीट्रिक टन लगाया गया है.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बताया गया कि गेहूं की सरकारी स्तर पर ख़रीदारी के लक्ष्य का पंजाब ने 91.66%, सिंध ने 49.68%, बलूचिस्तान ने 15.29% और 'पासको' (पाकिस्तान एग्रीकल्चर स्टोरेज एंड सर्विसेज़ कॉरपोरेशन लिमिटेड) ने सौ फ़ीसदी प्राप्त कर लिया है.
स्थानीय ज़रूरत की तुलना में गेहूं की कम उपज की वजह से केन्द्रीय कैबिनेट ने देश में 30 लाख टन गेहूं के आयात को मंज़ूरी दी है.
यह भी ध्यान रहे कि पिछले वर्ष देश में दो करोड़ 28 लाख मीट्रिक टन गेहूं की उपज हुई थी, लेकिन यह पैदावार भी देश की ज़रूरत से कम थी और इसलिए पाकिस्तान ने 20 लाख टन गेहूं दूसरे देशों से मंगवाया था.
सियासी खींचतान का असर
अब वर्तमान संकट पर केंद्रीय मंत्रियों से बात करने से पहले आटा मिल एसोसिएशन का पक्ष जानते हैं.
ऑल पाकिस्तान फ़्लावर मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन आसिफ़ रज़ा ने बीबीसी से बातचीत में बताया कि "सरकार 2300 रुपये प्रति मन पर आटा दे रही है, 20 किलो आटा 1295 का मिल रहा है. सरकारी दर में तो अंतर नहीं है, लेकिन प्राइवेट गेहूं की क़ीमत में इज़ाफ़ा हो रहा है."
आसिफ़ के मुताबिक़, आज से बस 10 दिन पहले गेहूं प्रति मन 3300 रुपये मिल रहा था और आज यह दर 4350 रुपये तक पहुंच चुकी है.
उन्होंने आगे कहा कि "सरकार की ओर से मिलों को जो गेहूं मिल रहा है वह कम है. उदाहरण के लिए बलूचिस्तान गेहूं दे ही नहीं रहा, सिंध सवा दो लाख टन तक मासिक गेहूं दे रहा है हालांकि सिंध को पौने तीन लाख टन जारी करना चाहिए."
उनके अनुसार, पंजाब में इन दिनों में 30 हज़ार टन गेहूं जारी किया जाता रहा है, आज साढ़े इक्कीस हज़ार टन जारी किया जा रहा है. ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में सात हज़ार टन गेहूं जारी होता रहा है, आज पांच हज़ार टन जारी हो रहा है.
आसिफ़ रज़ा के अनुसार, इसलिए अगर सभी राज्यों का अंतर निकालें तो यह 10 हज़ार टन प्रतिदिन है, इसका मतलब है एक लाख बोरी. इसके कारण सारा बोझ ओपन मार्केट पर आता है, यही वजह है कि जिसके पास गेहूं पड़ा है वह अपनी मनमानी रेट मांग रहा है.
वह कहते हैं कि इस समय खींचातानी चल रही है. "राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकार है. सिंध में पीपुल्स पार्टी है. ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, पंजाब और बलूचिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार है. खिचड़ी बनी हुई है. सरकारें कहती हैं कि हम क्यों दें, हम क्यों करें."
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि राज्यों को गेहूं दे और फिर बाद में राज्यों के कोटे से उसे निकाल ले. उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय पाबंदी लगाने का कोई फ़ायदा नहीं है बल्कि उल्टा नुक़सान है.
उनका यह भी कहना था कि इस समय केंद्र और राज्यों की ओर से गेहूं बचाने की बजाय उसे जारी करने की ज़रूरत है ताकि मार्केट की स्थिति सामान्य हो जाए.
"इसका दूसरा बड़ा हल यह है कि निजी क्षेत्र को गेहूं आयात करने की अनुमति दें, हमें वह 3300 से 3400 रुपये के बीच पड़ेगा. हम अगर ले आते हैं तो मार्केट ख़ुद-ब-ख़ुद 4300 से 3400 पर आ जाएगा."
केंद्र सरकार क्या कर सकती है
फ़्लावर मिल्स एसोसिएशन, सिंध के चेयरमैन चौधरी मोहम्मद यूसुफ़ का कहना था कि 'केंद्र सरकार के पास स्टॉक मौजूद है, अगर वह आज ही गेहूं जारी कर दे तो आटा 50 रुपये प्रति किलो कम हो सकता है या फिर हमें इजाज़त दें तो हम 30 रुपये किलो कम कर दें.'
उन्होंने कहा कि 'हमज़ा शहबाज़ ने सितंबर में जारी किया जाने वाला गेहूं मई में जारी किया. इसमें स्टॉक और सब्सिडी बर्बाद की गई जिसका नुक़सान आज हमें हो रहा है.'
चौधरी मोहम्मद यूसुफ़ ने कहा कि 'केंद्र ने हमें बांध दिया है, या तो हमें आयात करने की इजाज़त दे दें या फिर ख़ुद जारी कर दें क्योंकि ग़रीब आदमी इस वक़्त बद्दुआएं दे रहा है.'
केंद्रीय खाद्य सुरक्षा मंत्री तारिक़ बशीर चीमा ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि केंद्र ने तो गेहूं आयात भी किया है और "हम तो फ़्लावर मिल्स एसोसिएशन से मन्नतें कर रहे हैं कि वह क़ीमत में कमी लाएं, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे हैं."
ध्यान रहे कि सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान ने चालू वर्ष के पहले नौ महीनों में 80 करोड़ डॉलर का गेहूं आयात किया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फ़्लावर मिल्स एसोसिएशन को दिया जाने वाला गेहूं राज्य देते हैं, केंद्र नहीं देता.
अंतरराज्यीय समन्वय के राज्य मंत्री मेहर इरशाद ने बीबीसी को बताया कि गेहूं राज्य का मामला है. इस मामले में केंद्र के हाथ बंधे हुए हैं.
उन्होंने बताया कि पंजाब और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार है जहां से गेहूं का संकट पैदा किया जा रहा है.
केंद्र के अधिकारों के बारे में सवाल पर उनका कहना था कि गेहूं की ख़रीदारी तक राज्य करते हैं, गोदाम और स्टोर तक राज्यों के पास हैं.
एक और सवाल के जवाब में उनका कहना था कि 'केंद्र के पास थोड़ी मात्रा 'पासको' के गेहूं की होगी. मगर केंद्र तो समस्या नहीं पैदा कर रहा है, केंद्र भी तो अपने ही देश को यह गेहूं देता है.'
मेहर इरशाद के अनुसार, "यह खाद्य विभाग की समस्या है. केंद्र पूरी तरह से अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है. हालांकि जमाख़ोरी को रोकना राज्यों की ज़िम्मेदारी है.'
गेहूं के आयात की समस्याएं
सिंध की ओर से कोटे से कम गेहूं देने के सवाल पर राज्यमंत्री का कहना था कि उन्हें अभी इसके आंकड़े की सही जानकारी नहीं है, मगर वह एक बात विश्वास से कह सकते हैं, "सिंध को हमेशा एक साज़िश के तहत बदनाम किया जाता है, उसे आलोचना का शिकार बनाया जाता है."
उनके अनुसार, सिंध कभी हक़दार का हक़ नहीं मारता और यही वजह है कि राज्य में बेहतरीन सुविधाएं हैं जो पूरे पाकिस्तान की जनता को मयस्सर नहीं है.
चालू वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया था कि गेहूं की उपज के लक्ष्य और पैदावार में अंतर के कारणों में गेहूं की बुआई में कमी, पानी की क़िल्लत और पिछली सरकार की ओर से खाद वितरण में अव्यवस्था शामिल थी जिससे संकट पैदा हुआ.
इसके अलावा मार्च में गेहूं के समर्थन मूल्य की घोषणा देर से होने के कारण किसानों की ओर से गेहूं की बुवाई में दो फ़ीसदी कमी का रुझान भी देखने में आया था. तेल के मूल्य में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन यानी समय से पहले गर्मी बढ़ने से भी गेहूं के निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति में बड़ी रुकावट आई.
गेहूं के विशेषज्ञों के अनुसार, अगर गेहूं की ऊंची क़ीमत और रुपए की कम क़ीमत जारी रही तो आयातित गेहूं पाकिस्तानियों के लिए आटे की क़ीमत को और बढ़ा देगा. ये देश में पहले से मौजूद महंगाई के उच्च स्तर को चरम पर ले जाने के लिए काफ़ी होगा. (bbc.com/hindi)
मेलबर्न, दो जनवरी। ऑस्ट्रेलिया में सोमवार को समुद्र तट के ऊपर दो हेलीकॉप्टर आपस में टकरा गए जिससे एक हेलीकॉप्टर में सवार यात्री घायल हो गए।
पुलिस ने यह जानकारी दी। दुर्घटना के बाद एक हेलीकॉप्टर गोल्ड कोस्ट पर ‘मेन बीच’ के निकट सुरक्षित उतर गया। यह स्थान क्वीन्सलैंड राज्य के ब्रिस्बेन से 45 मील दूर दक्षिण में है।
अधिकारियों ने घटनास्थल की ओर जाने वाले ‘सीवर्ल्ड ड्राइव’ मार्ग को बंद कर दिया है। इसके समीप ही ‘सीवर्ल्ड पार्क’ है।
क्वीन्सलैंड एंबुलेंस सेवा ने बताया कि पुलिस और चिकित्सक घटना स्थल पर मौजूद हैं। देश के पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक गोल्ड कोस्ट में छुट्टियों के दौरान बहुत भीड़ रहती है।
शोभना मनीषा मनीषा 0201 1155 मेलबर्न (एपी)
यूक्रेन, 2 जनवरी । रूस की ओर से ताज़ा ड्रोन और मिसाइल हमलों के बीच रविवार रात भर कीएव में एयर रेड साइरन बजते रहे.
कीएव के रीजनल गवर्नर ओलेक्सी कुलेबा ने कहा कि आधी रात से पहले ही शुरू हमलों में कई अहम इमारतों को नुकसान पहुंचा है.
राजधानी के मेयर ने कहा कि एक रूसी ड्रोन के मलबे की वजह से कीएव में एक शख्स घायल हो गया.
रूस की ओर से बीते कई दिनों से जारी हमले नए साल पर भी नहीं रुके.
इस बीच यूक्रेन के सशस्त्र बलों ने कहा है कि न्यू ईयर से पहले की शाम में रूस के कब्ज़े वाले दोनेत्स्क क्षेत्र के मकीवका में 400 रूसी सैनिक मारे गए.
हैरानी की बात ये है कि रूस समर्थक प्रशासन ने इन मौतों को स्वीकार भी किया है. हालांकि, रूस ने मरने वाले सैनिकों की संख्या नहीं बताई. बीबीसी इस संख्या की पुष्टि नहीं कर सकता.
नए साल पर दिए अपने संदेश में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष करेगा.
वहीं, यूक्रेन की सेना ने सोमवार को स्थानीय समयानुसार रात एक बजे चेतावनी जारी की.
सोशल मीडिया साइट टेलीग्राम पर घोषणा की गई, "कीएव में हवाई हमले...राजधानी में हवाई अलर्ट जारी है."
शहर के सैन्य प्रमुख सेरही पॉपको ने लोगों से सुरक्षित ठिकानों में रहने के लिए कहा है. (bbc.com/hindi)
वियना, 2 जनवरी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की जी20 की अध्यक्षता को एक ‘‘बहुत बड़ी उपलब्धि’’ करार देते हुए कहा कि देश ने ऐसे समय में शक्तिशाली समूह की बैठकों की मेजबानी संभाली है, जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा दबाव है और दुनिया में राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है।
भारत ने एक दिसंबर को जी20 की अध्यक्षता औपचारिक रूप से संभाल ली है। अगला जी20 शिखर सम्मेलन नौ और 10 सितंबर को नयी दिल्ली में आयोजित होने वाला है।
ऑस्ट्रिया की राजधानी में रविवार को प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित को महत्व देगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझसे कभी-कभी पूछा जाता है कि यह बड़ी बात कैसे है? यह बहुत बड़ी बात है क्योंकि हमारे पास इतने शक्तिशाली राष्ट्र कभी नहीं थे जिनमें दुनिया की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, उनके नेता भारत आते हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ मायने यह नहीं रखता कि कौन आ रहे हैं । बल्कि कब आ रहे हैं यह मायने रखता है क्योंकि यह कठिन समय है। दुनिया की आपूर्ति श्रृंखलाओं पर गहरा आर्थिक दबाव है। राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है, यहां तक कि सभी प्रमुख देशों को एक मंच पर लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। हमारे लिए ऐसे समय में यह जिम्मेदारी संभालना बेहद बड़ी बात है।’’
पिछले 27 साल में भारत के विदेश मंत्री की ऑस्ट्रिया की यह पहली यात्रा है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह यात्रा हो रही है।
जयशंकर दो देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में साइप्रस से यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि देश यह सुनिश्चित करेगा कि वह समाजों और देशों की आवाज बनकर उभरे।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ हम इस मौके का इस्तेमाल भारत और उन परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करने के लिए करेंगे, जो मैं लोगों बताना चाहता हूं। जी20 की अध्यक्षता इस बार वैसी नहीं है जैसी आमतौर पर होती है। यह ऐसी नहीं है जिसे राजधानी या दो-तीन महानगरों में संपन्न किया जाएगा। हम इसे 55 से अधिक शहरों तक ले जाएंगे।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर क्षेत्र की विविधता, हर संस्कृति, हर स्थानीय व्यंजन और स्थानीय उत्पाद दुनिया के सामने आए।’’
जयशंकर ने कहा कि देश के कोने-कोने को देखने का अवसर पाने के लिए हजारों अधिकारी और नेता भारत आएंगे।
उन्होंने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ इसलिए, सही मायने में, मैं कहूंगा कि आप इसे दुनिया में भारत के प्रचार की तरह देख सकते हैं।’’ (भाषा)
ब्राजीलिया, 2 जनवरी | लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने ब्राजील के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। उन्होंने तीसरी बार देश के सर्वोच्च पद पर कब्जा जमाया है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार लूला दा सिल्वा और उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन ने रविवार अपराह्न् 3 बजे ब्राजीलिया में चैंबर ऑफ डेप्युटी के पूर्ण सत्र के दौरान शपथ ग्रहण किया। यह लूला दा सिल्वा का राष्ट्रपति के रूप में तीसरा कार्यकाल है। एक मामले में 2018 और 2019 के बीच एक साल से अधिक समय जेल में बिताने के बाद उनकी सत्ता में वापसी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को रद्द कर दिया था।
अक्टूबर में उन्हें 60.3 मिलियन वोट या 50.9 प्रतिशत वोट के साथ राष्ट्रपति चुना गया, जबकि तत्कालीन राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को 58.2 मिलियन या 49.1 प्रतिशत वोट मिले।
लूला दा सिल्वा संघ और पुनर्निर्माण आदर्श वाक्य के तहत, गरीबी से लड़ने के उद्देश्य से मजबूत सामाजिक कार्यक्रमों पर केंद्रित एक एजेंडे के साथ राष्ट्रपति पद पर लौटें हैं।
रविवार की सुबह से ही लूला समर्थकों की भीड़ जमा हो गई थी। (आईएएनएस)|
ब्रासीलिया, 2 जनवरी। लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा ने रविवार को ब्राजील के राष्ट्रपति पद की शपथ ली।
लूला डा सिल्वा ने पद संभालने के बाद अपने पहले संबोधन में देश को फिर से पटरी पर लाने पर जोर दिया और अपने पूर्ववर्ती जायर बोल्सोनारो के प्रशासन के सदस्यों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराने का संकल्प किया।
लूला डा सिल्वा ने बोल्सोनारो के फिर से सत्ता में आने के सपने को तोड़ते हुए तीसरी बार राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला है।
कांग्रेस के निचले सदन में लूला डा सिल्वा ने कहा, ‘‘ ब्राजील के लिए हमारा संदेश आशा व पुनर्निर्माण का है। अधिकारों, संप्रभुता और विकास की इस महान इमारत को हाल के वर्षों में काफी नुकसान पहुंचाया गया। इसे फिर से खड़ा करने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे।’’
लूला डा सिल्वा के हजारों समर्थक उनकी ‘वर्कर्स पार्टी’ को प्रतिबिंबित करने वाले लाल रंग के कपड़े पहने रविवार को शपथ ग्रहण के बाद खुशी से झूमते दिखे।
लूला ने कहा कि वह सभी सांसदों और न्यायिक अधिकारियों को पूर्व प्रशासन के बारे में एक रिपोर्ट भेजेंगे। बोल्सोनारो के ‘‘आपराधिक फरमानों’’ को रद्द करेंगे और कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लचर रणनीतिक को लेकर भी उनकी जवाबदेही तय करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम उन लोगों के खिलाफ बदले की भावना नहीं रखते हैं जिन्होंने देश को अपने व्यक्तिगत व वैचारिक मंसूबों के अधीन लाने की कोशिश की, लेकिन हम कानून का शासन सुनिश्चित करने जा रहे हैं।’’
गौरतलब है कि लूला ने 30 अक्टूबर को हुए चुनाव में बोल्सोनारो को मात दी थी, जिसके बाद उनके कई समर्थक देशभर में सड़कों पर उतर आए थे और चुनाव परिणाम स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। बोल्सोनारो के समर्थकों की कई मौकों पर पुलिस के साथ हिंसक झड़प भी हुई। (एपी)
एपी निहारिका शोभना शोभना 0201 0920 ब्रासीलिया
मेक्सिको सिटी, 2 जनवरी। मेक्सिको के स्यूदाद जुआरेज़ शहर स्थित एक कारागार पर बख्तरबंद वाहनों में आए बंदूकधारियों ने रविवार तड़के हमला कर दिया, जिसमें 10 सुरक्षा कर्मियों और चार कैदियों की मौत हो गई। सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
चिहुआहुआ के अभियोजन कार्यालय ने एक बयान में बताया कि सुबह करीब सात बजे कुछ बख्तरबंद वाहन कारागार पहुंचे और उस पर सवार बंदूकधारियों ने सुरक्षा कर्मियों पर गोलीबारी की। गोलीबारी में 10 सुरक्षा कर्मियों और चार कैदियों की मौत हो गई, जबकि 13 अन्य सुरक्षा कर्मी और कम से कम 24 कैदी घायल हो गए।
बयान के अनुसार, मेक्सिको के सैनिकों और राज्य की पुलिस ने रविवार रात कारागार को फिर अपने नियंत्रण में ले लिया। मामले की जांच जारी है।
गौरतलब है कि जुआरेज़ में अगस्त में इसी कारागार में हुए दंगों में 11 लोग मारे गए थे।
अभियोजन कार्यालय के अनुसार, रविवार को कारागार पर हुए हमले से कुछ समय पहले नगरपालिका पुलिस पर हमला किया गया था। हालांकि पुलिस ने उनका पीछा कर चार हमलावरों को पकड़ लिया। इसके बाद पुलिस ने एसयूवी में सवार दो कथित बंदूकधारियों का मार गिराया। (एपी)
एपी निहारिका शोभना शोभना 0201 0829 मैक्सिकोसिटी
सीरिया की सेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि इसराइल की ओर से किए गए एक हवाई हमले की वजह से देश का सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बंद करना पड़ा है.
हमले में हवाईअड्डे के आसपास के इलाके भी निशाना बनाए गए.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, सेना ने हवाई हमलों में दो सीरियाई सैनिकों की जान जाने की भी पुष्टि की है.
फ़िलहाल इसराइल की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया है.
बीते साल जून में भी इसराइल की ओर से सीरियाई हवाई अड्डे पर हमले की ख़बरें आई थीं.
टाइम्स ऑफ़ इसराइल की ख़बर के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि ईरानी कार्गो विमानों पर सीरिया के ज़रिये ईरान-सहयोगी गुटों को हथियारों की तस्करी की जाती है, जो अक़्सर दमिश्क अंतरराष्ट्रीय और तियास, या टी-4 एयरबेस पर उतरते हैं.
इसराइली मीडिया इस तरह के हमलों को हथियार तस्करी रोकने के प्रयासों से जोड़ता है. (bbc.com/hindi)
-कैटी वॉटसन
लुइस इनासियो लूला डि सिल्वा ने तीसरी बार ब्राज़ील के राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है.
दिग्गज वामपंथी नेता को 'लूला' के नाम से भी जाना जाता है. इससे पहले डि सिल्वा साल 2003 से 2010 के बीच ब्राज़ील के राष्ट्रपति रह चुके हैं. बीते साल अक्टूबर में हुए चुनावों में उन्होंने जाएर बोलसोनारो को हराया था.
राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले भाषण में लूला ने देश के पुनर्निमाण की शपथ ली.
उन्होंने देश की 'ख़राब हालत' के लिए अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति की नीतियों की आलोचना की. बोलसोनारो सत्ता हस्तांतरण के लिए होने वाले समारोह से बचने के लिए शुक्रवार को ही अमेरिका चले गए.
संसद के बाहर लूला के समर्थकों का जमावड़ा सुबह से ही लगना शुरू हो गया था. शपथग्रहण के बाद सेलिब्रेशन के लिए 60 से अधिक कलाकारों को बुलाया गया था और दो बड़े मंच सजाए गए थे.
हालांकि, इस दौरान कई मौकों पर लूला डि सिल्वा भावुक होते दिखे. संभवतः दो दशक से अधिक समय तक सत्ता से बाहर रहने के बाद लूला ने दोबारा राष्ट्रपति बनने का नहीं सोचा था.
इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों में लूला जेल में भी रहे. हालांकि, साल 2021 में सज़ा को रद्द कर दिया गया.
राजधानी ब्राज़ीलिया में 100 फ़ीसदी पुलिस बल को कार्यक्रम की सुरक्षा में तैनात किया गया था. ऐसी आशंकाएं थीं कि बोलसोनारो के समर्थक इस कार्यक्रम में व्यवधान डाल सकते हैं.
ब्राज़ील की मिलिट्री पुलिस ने बताया कि चाकू और पटाखों के साथ स्वागत समारोह में घुसने की कोशिश करते हुए एक शख़्स को रविवार सुबह गिरफ़्तार किया गया.
इससे पहले बोलसोनारो के एक अन्य समर्थक को भी गिरफ़्तार किया गया था जिसने क्रिसमस ईव पर राजधानी ब्राज़ीलिया में एयरपोर्ट के पास कथित तौर पर एक ईंधन से भरे ट्रक में विस्फ़ोटक रखे थे. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने रूसी नागरिकों से कहा है कि उनके नेता व्लादिमीर पुतिन रूस को बर्बाद कर रहे हैं.
ज़ेलेंस्की ने यह भाषण रूसी राष्ट्रपति पुतिन के नव वर्ष पर दिए गए संबोधन के बाद दिया है.
इससे पहले 2022 के अंतिम दिन पूरे यूक्रेन में मिसाइलों से घातक हमले किए गए. इसे लेकर ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन के लोग रूस को माफ़ नहीं करेंगे.
शनिवार के हमलों में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए.
वहीं यूक्रेन के अधिकारियों ने बताया है कि रविवार को नया साल शुरू होने के कुछ ही घंटों के भीतर राजधानी कीएव पर फिर से मिसाइलों से हमले किए गए.
हताहतों के सही आंकड़ों का अभी तक पता नहीं चल सका है.
ताज़ा हमलों के बाद यूक्रेन के लोगों में काफ़ी ग़ुस्सा और घृणा का माहौल देखा जा रहा है.
रूस ने जैसे ही राजधानी कीएव को मिसाइलों से थर्राया, वैसे ही यूक्रेन के कई निवासियों ने राष्ट्रगान गाया.
यूक्रेन के अधिकारियों ने रूस पर नए साल का जश्न मनाने के लिए जुटे अपने नागरिकों को जानबूझकर निशाना बनाने का आरोप लगाया है.
हालांकि रूस ने नागरिकों को निशाना बनाकर हमला करने के आरोपों से बार बार इनकार किया है.
वैसे व्लादिमीर पुतिन ने हाल में स्वीकार किया है कि रूस ने यूक्रेन के अहम ऊर्जा परियोजनाओं को निशाना बनाया है.
पिछले कुछ हफ़्तों में रूस पर हुए दर्जनों हमलों के कारण यूक्रेन में बिजली की आपूर्ति बाधित हुई है.
उधर यूक्रेन की सेना के प्रमुख वालेरी ज़ालुज़नी ने दावा किया है कि उनके एयर डिफेंस सिस्टम ने शनिवार को रूस के 20 में से 12 क्रूज़ मिसाइलों को मार गिराया. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 1 जनवरी। पाकिस्तान में कराची सहित कई बड़े शहरों में नये साल का स्वागत हवा में गोलियां चला कर की गईं, जिसमें कम से कम 22 लोग घायल हो गए। घायलों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं।
शनिवार रात 12 बजते ही नये साल का स्वागत करने के लिए कराची में गोलीबारी की आवाज़ गूंज उठी।
पाकिस्तानी टेलीविजन नेटवर्क जियो टीवी के मुताबिक, कराची के अलग-अलग हिस्सों में की गई हवाई गोलीबारी में बच्चों और महिलाओं समेत कई लोग घायल हो गए। हालांकि, शहर में हथियारों के प्रदर्शन पर रोक है।
अस्पतालों के सूत्रों ने बताया कि घायल हुए आठ लोगों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि चार घायलों को जिन्ना अस्पताल में और महिलाओं और बच्चों सहित 10 लोगों को अब्बासी शहीद अस्पताल ले जाया गया।
कोरंगी में गोलीबारी के सिलसिले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें से तीन पर हत्या की कोशिश का आरोप लगाया गया है।
समाचार चैनल की खबर के मुताबिक, कराची के लोग नये साल का जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े। सिंध के गवर्नर कामरान टेसोरी भी लोगों के साथ नुमाइश चौरंगी इलाके में आतिशबाजी देखने पहुंचे।
इसी तरह के जश्न की खबरें लाहौर, इस्लामाबाद और रावलपिंडी से भी मिली हैं। लाहौर से भी लोगों के घायल होने की सूचना मिली है।
पाकिस्तान में नये साल का जश्न विवादास्पद रहा है। धर्मगुरुओं का कहना है कि नये साल का जश्न मनाना और पश्चिमी संस्कृति की नकल करना ‘गुनाह’ है।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इस वार्षिक कार्यक्रम को मनाने के लिए सड़कों पर उमड़ने वाले लोगों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है।
राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी और प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने नव वर्ष पर देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मुबारकबाद दी और पाकिस्तान के विकास, प्रगति और समृद्धि के साथ-साथ दुनिया में शांति के लिए दुआ की।
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में उम्मीद जताई कि 2023 पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया से भुखमरी, युद्ध, आतंकवाद, अपराध, संप्रदायवाद और वर्ग विभाजन को खत्म करने वाला वर्ष साबित होगा। (भाषा)
चीन, 1 जनवरी । चीन के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा है कि एक अमेरिकी लड़ाकू विमान ने साउथ चाइना सी के ऊपर अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन किया था.
ये घटना दस दिन पहले की है. चीन कहना है कि अमेरिकी लड़ाकू विमान एक चीनी एयरक्राफ़्ट को चुनौती दे रहा था और उसने चीनी पायलटों की जान जोखिम में डाली.
इस हफ़्ते की शुरुआत में अमेरिकी सेना ने कहा था कि चीनी नौसेना का एक लड़ाकू विमान अमेरिकी एयरक्राफ़्ट के तीन मीटर दूरी से गुजरा था.
अमेरिका ने कहा था कि स्थिति टकराने की हद तक पहुंच गई थी और अमेरिकी विमान को मजबूर होकर इसे टालना पड़ा था.
अमेरिकी पक्ष के मुताबिक़ ये घटना पारसेल आईलैंड के पास विवादास्पद क्षेत्र में हुई थी.
चीनी प्रवक्ता का कहना है कि अमेरिका ने इस घटना के बारे में जानकारी देने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह किया था.
पारसेल आईलैंड के आस-पास के जल क्षेत्र पर चीन, ताइवान और वियतनाम अपने अधिकार का दावा करते हैं. (bbc.com/hindi)
काबुल, 1 जनवरी । अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में सैन्य हवाई अड्डे के बाहर रविवार सुबह आत्मघाती धमाका हुआ है.
तालिबान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि इस हमले में कई लोग मारे गए हैं.
वहीं, समाचार एजेंसी एएफ़पी ने तालिबान के अधिकारियों के हवाले से कहा है कि ये हमला हवाई अड्डे के गेट पर हुआ है और इसमें कई लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल नफ़ी तकोर ने कहा है, "हमारे कई सहयोगी मारे गए हैं और घायल हुए हैं."
अगस्त, 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता संभालने वाले तालिबान ने सुरक्षा हालात सुधारने का दावा किया था. लेकिन हाल के महीनों में अफ़ग़ानिस्तान में कई बड़े हमले हुए हैं.
स्वघोषित चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट की अफ़ग़ानिस्तान शाखा ने ऐसे कई हमलों की ज़िम्मेदारी ली है.
पिछले महीने ही बंदूकधारियों ने एक होटल पर हमला किया था जिसमें कम से कम पांच चीनी नागरिक घायल हुए थे. इस हमले की ज़िम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी. (bbc.com/hindi)
कोलंबो, 1 जनवरी। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को कहा कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे देश के लिए 2023 एक 'महत्वपूर्ण वर्ष' होगा और उनकी सरकार संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के भरसक प्रयास कर रही है।
विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी के कारण श्रीलंका 2022 में एक अभूतपूर्व वित्तीय संकट की चपेट में आ गया था। इसके चलते देश में राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हो गई थी और शक्तिशाली राजपक्षे परिवार को सत्ता गंवानी पड़ी थी।
विक्रमसिंघे ने नववर्ष संदेश में कहा, “पिछले साल सबसे मुश्किल दौर, अपार कठिनाइयों, अनिश्चितताओं और निराशा से गुजरने के बाद हम नए साल 2023 में प्रवेश कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, “मैं उस भारी बोझ को समझता हूं जो हम सभी पर आ पड़ा है और उन झटकों को भी जो देश के दयनीय आर्थिक पतन के कारण हममें से अधिकतर लोगों को झेलने पड़े हैं।”
अप्रैल से जुलाई तक, श्रीलंका में अराजकता का माहौल देखने को मिला था। ईंधन केंद्रों पर लंबी कतारें लगी थीं और खाली रसोई गैस सिलेंडर लिए हजारों लोग विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए थे।
श्रीलंका सरकार ने पिछले साल मई में घोषणा की थी कि 50 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज में फंसा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है।
विक्रमसिंघे ने कहा, “वास्तव में, 2023 एक महत्वपूर्ण वर्ष होगा, जिसमें हम अर्थव्यवस्था में बदलाव की योजना बना रहे हैं। 2023 ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी का 75वां साल भी है।”
चार फरवरी को 1948 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के उपलक्ष्य में हर साल इस तारीख को श्रीलंका में राष्ट्रीय दिवस या स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। (भाषा)
सियोल, एक जनवरी। उत्तर कोरिया ने नए साल के पहले ही दिन रविवार को एक मिसाइल का परीक्षण किया। वहीं उसके नेता किम जोंग उन ने अपने देश के परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करने और नई व अधिक शक्तिशाली अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने का आदेश दिया है।
उत्तर कोरिया ने पिछले साल रिकॉर्ड संख्या में मिसाइलों का परीक्षण किया। किम जोंग कई बार यह संकल्प ले चुके हैं कि वे ‘अमेरिका की दुश्मनी’ से निपटने के लिए मुल्क के शस्त्रगार की गुणवत्ता और क्षमता दोनों को बढ़ाएंगे।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि किम जोंग का अधिक परमाणु और नई हथियार प्रणालियों का उत्पादन पर जोर भविष्य में होने वाली वार्ताओं में उनकी स्थिति को मजबूत करने के लिए है। उत्तर कोरिया के अमेरिका साथ रिश्ते लंबे समय से तनावग्रस्त हैं।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी’ (केसीएनए) के मुताबिक, किम ने हाल में सत्तारूढ़ पार्टी की बैठक में कहा था कि ‘‘वे मानव इतिहास में अप्रत्याशित तौर पर उत्तर कोरिया को अलग थलग करने और दबाने पर लगे हुए हैं।’’
उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए सैन्य ताकत को मजबूत करने के लिए दोगुने प्रयास करने की जरूरत है जो उत्तर कोरिया की संप्रभुता, सुरक्षा और मौलिक हितों की सुरक्षा की गारंटी है।
किम जोंग ने आरोप लगाया कि दक्षिण कोरिया "अविवेकपूर्ण तरीके से खतरनाक हथियारों के निर्माण” पर तुला हुआ है और उत्तर कोरिया के साथ खुले तौर पर युद्ध की तैयारी का ढिंढोरा पीट रहा है।
केसीएनसी के मुताबिक, किम जोंग ने कहा है कि परमाणु हथियारों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की जरूरत है। उन्होंने ‘देश के परमाणु शस्त्रागार में तेज़ी से वृद्धि’ करने का आदेश भी दिया।
केसीएनए ने कहा कि किम ने एक अन्य अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली विकसित करने का निर्देश दिया है, जिसका मकसद तेज़ी से जवाबी परमाणु हमला करना है।
किम जोंग ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह दक्षिण कोरिया में परमाणु हमले के लिए हथियार तैनात कर रहा है और नाटो जैसा क्षेत्रीय सैन्य संगठन स्थापित करने की कोशिश में है।
किम जोंग ने यह भी कहा कि उत्तर कोरिया जल्द से जल्द अपना पहला सैन्य टोही उपग्रह भी प्रक्षेपित करेगा तथा इस बाबत तैयारी अपने अंतिम चरण में हैं।
अमेरिका में कैलिफोर्निया स्थित सुरक्षा ‘आरएएनडी’ में सुरक्षा विशेषज्ञ सू किम ने कहा कि पार्टी की बैठक से किम जोंग की टिप्पणियां नव वर्ष के महत्वाकांक्षी संकल्प लगते हैं लेकिन उन्हें साकार करना मुश्किल है।
पिछले महीने उत्तर कोरिया ने कई अहम परीक्षण किए थे जो नए रणनीतिक हथियारों के विकास के लिए जरूरी हैं।
‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में विशेषज्ञ अंकित पांडा ने कहा कि उपग्रह का प्रक्षेपण अप्रैल में हो सकता है। किम जोंग के दिवंगत पिता और देश के संस्थापक की जयंती 15 अप्रैल को पड़ती है जिसे उत्तर कोरिया में धूम धाम से मनाया जाता है।
केसीएनए ने कहा कि पार्टी बैठक में किम जोंग की रिपोर्ट ने साफ किया है कि देश के परमाणु हथियारों का पहला मिशन जंग रोकना है और शांति को सुनिश्चित करना है। उसके मुताबिक, अगर यह युद्ध रोकने में नाकाम रहते हैं तो “इनका दूसरा मिशन रक्षात्मक नहीं होगा।”
उत्तर कोरिया की ओर से बढ़ते खतरों की वजह से अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने अपने सैन्य अभ्यासों की संख्या में इज़ाफा किया है और त्रिपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मज़बूत किया जिसमें जापान भी शामिल है।
दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा है कि रविवार तड़के उत्तर कोरिया ने मध्य क्षेत्र में मिसाइल परीक्षण किया। ‘ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ’ ने एक बयान में कहा कि मिसाइल करीब 400 किलोमीटर की दूरी तक गई और फिर कोरियाई प्रायद्वीप तथा जापान के बीच जल क्षेत्र में गिर गई।
बयान में इस प्रक्षेपण को ‘गंभीर उकसावे वाला कदम’ बताया गया है, जो कोरियाई प्रायद्वीप की शांति और सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है।
उसमें यह भी कहा गया है कि दक्षिण कोरिया उकसावे भरी किसी भी हरकत से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
उत्तर कोरिया ने पिछले साल 70 से ज्यादा मिसाइलों का परीक्षण किया है।
उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने रविवार को पुष्टि की कि उसके देश ने ‘सुपर-लार्ज मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर’ का परीक्षण किया है और यह हथियार की क्षमता को आंकने के लिए किया गया है। केसीएनए ने कहा कि शनिवार को तीन गोले दागे गए जो देश के पूर्वी हिस्से के अपटतीय क्षेत्र में स्थित एक द्वीप में लक्ष्य पर जाकर लगे।
उसने कहा कि उत्तर कोरिया ने रविवार को अपने पूर्वी जल क्षेत्र की ओर एक और गोला दागा। (एपी)
एपी नोमान शोभना शोभना 0101 1125 सियोल
नए साल की पूर्व संध्या से लेकर आधी रात तक यूक्रेन पर रूस ने मिसाइल हमले किए हैं. ऐसी रिपोर्टें हैं कि राजधानी कीएव में रूसी मिसाइल धमाके हुए हैं.
यूक्रेन सुरक्षाबलों के प्रमुख ने कहा है कि वायु सुरक्षा प्रणाली ने 20 में से 12 क्रूज़ मिसाइलों को गिराया है.
वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा है कि उनका देश जीत हासिल करने तक लड़ाई जारी रखेगा.
उन्होंने क्रिसमस और न्यू ईयर पर आम नागरिकों पर हमला करने को लेकर कहा है कि मॉस्को ‘दानव’ के रास्ते पर चल रहा है.
वहीं पुतिन ने नए साल पर सरकारी टीवी चैनल पर दिए भाषण में सैनिकों से कहा है कि वो नैतिक रूप से सही हैं. (bbc.com/hindi)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को नए साल के लिए शुभकामना संदेश भेजा है. इस शुभकामना संदेश में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता के जरिए रूस-भारत के बहुआयामी संबंधों के लिए नए अवसरों के द्वार खुलेंगे और आम लोगों को इसका फ़ायदा होगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम भेजे गए इस शुभकामना संदेश में राष्ट्रपति पुतिन ने लिखा है कि भारत और रूस के कूटनीतिक संबंधों के 75 साल पूरे हो चुके हैं और ये संबंध दोस्ती की भावना और पारस्परिक सम्मान पर आधारित है.
बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग, ऊर्जा, सैन्य तकनीक और अन्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सहयोग के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों के अहम मसलों को हल करने में मिला जुला प्रयास किया जाएगा.
व्लादिमीर पुतिन ने कहा, ''मुझे भरोसा है कि हाल में भारत को मिली एससीओ और जी-20 की अध्यक्षता से दोनों देशों के बीच बहुस्तरीय सहयोग बढ़ाने के मौक़े मिलेंगे, जो एशिया और पूरी दुनिया में स्थिरता और सुरक्षा मज़बूत करने के पक्ष में होगा.''
इससे पहले बुधवार को भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने भारत को नए साल की बधाई देते हुए कहा था कि 2022 में भारत और ब्रिटेन के रिश्ते मज़बूत हुए.
उन्होंने यह भी बताया था कि इस साल दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता हुआ था. (bbc.com/hindi)
चीन के मौजूदा संकट पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बयान आया है. उन्होंने अपने बयान में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के ख़िलाफ़ ताज़ा संघर्ष में कई 'कठिन चुनौतियां' का ज़िक्र किया है.
दिसंबर की शुरुआत में सरकार द्वारा अपनी ज़ीरो-कोविड पॉलिसी छोड़ने के बाद यह राष्ट्रपति जिनपिंग का पहला बयान है.
नव वर्ष 2023 के मौक़े पर दिए अपने भाषण में उन्होंने सफ़ाई दी है कि देश के 'बदलते हालात' के मद्देनज़र चीन की ज़ीरो-कोविड पॉलिसी को छोड़ा गया.
इससे पहले, सख़्त प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ पूरे चीन में ज़ोरदार विरोध के बाद सरकार की नीति अचानक ही बदल गई थी.
चीन के ताज़ा संकट पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि एक ही मसले पर लोगों के अलग-अलग विचार रखना सामान्य सी बात है. (bbc.com/hindi)
बीजिंग, 31 दिसंबर। अपनी पत्नी के साथ चीन में लंबे समय तक रहने वाले पहले चीनी साहित्य विशेषज्ञ जानकी बल्लभ का उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण शुक्रवार को यहां निधन हो गया। उनके परिवार ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी। वह 94 साल के थे।
उनके परिवार में दो बेटे-अखिल डालाकोटी और अतुल डालाकोटी हैं। अखिल सिंगापुर में शिपिंग एक्जीक्यूटिव तथा अतुल चीन में भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) के कार्यकारी निदेशक हैं।
बल्लभ की शादी श्यामा बल्लभ से हुई थी, जो दशकों पहले रेडियो बीजिंग में पहली हिंदी उद्घोषक थीं। उन्होंने बच्चों से संबंधित कई चीनी किताबों का हिंदी में अनुवाद भी किया। श्यामा का 2014 में बीजिंग में निधन हुआ था।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा के डालाकोट गांव में जन्मे बल्लभ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से निकटता से जुड़े थे।
उनके बेटे अतुल ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद बल्लभ 1956 में एक हिंदी भाषा विशेषज्ञ के रूप में चीन पहुंचे और फिर इस देश से उनका लंबा जुड़ाव हो गया।
चीन में अपने विभिन्न कार्यकालों के दौरान, बल्लभ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के संस्थापक माओ जेडोंग के ‘सलेक्टेड वर्क्स’; चीनी उपन्यास 'जर्नी टू द वेस्ट'; प्रमुख चीनी लेखक, निबंधकार, कवि और साहित्यिक आलोचक लू शुन की रचनाओं और कई अन्य महत्वपूर्ण चीनी साहित्यिक कार्य का हिंदी में अनुवाद किया।
हाल के दिनों में बल्लभ ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की किताब 'द गवर्नेंस ऑफ चाइना' के पहले खंड का अनुवाद किया और 90 साल की उम्र में इसके दूसरे खंड का अनुवाद पूरा किया।
वर्ष 1961 में उन्हें तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा शांति और मित्रता पुरस्कार दिया गया था।
बल्लभ पहले भारतीय भी थे जिन्हें अपनी पत्नी के साथ चीन में दीर्घकालिक आवास मिला।
वर्ष 1956 में 28 साल की उम्र में हिंदी भाषा विशेषज्ञ के रूप में चीन पहुंचने के बाद, बल्लभ ने बीजिंग में पांच साल तक ‘फॉरेन लैंग्वेजेज प्रेस’ के लिए काम किया और 1961 तक देश में रहे।
वह 1962 में भारत-चीन युद्ध से पहले भारत लौट आए और 'वीर अर्जुन', 'सैनिक समाचार', 'न्यू एज' (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का आधिकारिक प्रकाशन) सहित विभिन्न भारतीय प्रकाशनों तथा बाद में 1963-77 के दौरान चीनी दूतावास के सांस्कृतिक कार्यालय में काम किया।
वह 1982 में चीन लौट आए और फॉरेन लैंग्वेजेज प्रेस (बीजिंग) और रेडियो चाइना के लिए काम किया।
दिल का दौरा पड़ने के बाद बल्लभ भारत वापस चले गए और बाद में ठीक होने के बाद अपने बेटे अतुल के साथ रहने के लिए बीजिंग लौट आए थे। (भाषा)
यूक्रेन के अधिकारियों ने कहा है कि रूस ने नए साल की पूर्व संध्या पर कीएव पर दर्जनों मिसाइलों से हमला किया है. हमले में एक से कम एक व्यक्ति की मौत हुई है.
यूक्रेन की राजधानी कीएव के मेयर विताली क्लिश्चको ने बताया है कि आज (शनिवार को) शहर में कई धमाके हुए. इसमें काफ़ी नुक़सान हुआ है और कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई है.
ताज़ा हमला रूस के बड़े हवाई हमले के दो दिन बाद किया गया है. दो दिन पहले हुए हवाई हमले को इस युद्ध की शुरुआत से अब तक के सबसे बड़े हमलों में से एक बताया गया.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने चेतावनी देते हुए कहा था, ''यूक्रेन के लोगों को नए साल का जश्न मनाने से रोकने के लिए रूस और हमले कर सकता है.''
माइकोलाइव के गवर्नर विताली किम ने फ़ेसबुक पर रूस के मिसाइल हमलों की पुष्टि की है. उन्होंने कहा है कि हमलावरों ने नए साल के हमारे जश्न को बर्बाद करने का फ़ैसला किया है.(bbc.com/hindi)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 31 दिसंबर। ब्रिटिश प्रधानमंत्री के तौर पर ऋषि सुनक ने अपने प्रथम नववर्ष संदेश में शनिवार को आगाह किया कि ब्रिटेन की समस्याएं 12 महीनों के मुश्किल भरे समय की समाप्ति के बाद 2023 में भी खत्म नहीं होंगी।
हालांकि, उन्होंने कहा कि 2022 में उनकी सरकार ने कड़े, लेकिन निष्पक्ष फैसले लिये हैं।
सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी में उथल-पुथल के बाद अक्टूबर के अंत में ब्रिटिश प्रधानमंत्री का पदभार संभालने वाले भारतीय मूल के 42 वर्षीय नेता ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट की सीढ़ियों से प्रधानमंत्री के तौर पर दिये अपने प्रथम भाषण को याद किया, जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण विषय पर अथक कार्य करने का वादा दोहराया था।
उल्लेखनीय है कि 10 डाउनिंग स्ट्रीट ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आवास है।
ब्रिटेन की राजनीति में 2022 का वर्ष काफी उथल-पुथल भरा रहा, जब बोरिस जॉनसन और लिज ट्रस के रूप में उनके दो पूर्वधाकारियों को कंजरवेटिव पार्टी के नेता पद से हटना पड़ा।
सुनक ने कहा, ‘‘मैं यह अनुमान नहीं करने जा रहा हूं कि हमारी सभी समस्याएं नववर्ष में दूर हो जाएंगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन 2023 हमें ब्रिटेन को विश्व मंच पर बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शित करने...स्वतंत्रता और लोकतंत्र की उन स्थानों पर रक्षा करने का अवसर देगा, जहां कहीं हम इसे खतरे में पाएंगे।’’
उन्होंने यूक्रेन में जारी बर्बर युद्ध को आगे की प्रमुख चुनौतियों में एक बताया।
सुनक ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘जैसे ही हम एक अभूतपूर्व वैश्विक महामारी से उबरे, रूस ने यूक्रेन में एक बर्बर और अवैध हमला कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसका दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा, जिससे ब्रिटेन भी अछूता नहीं रहा। अब, मैं जानता हूं कि आपमें से कई ने इसके प्रभाव को महसूस किया होगा। यही कारण है कि इस सरकार ने ऋण और उधार को नियंत्रण में लाने के लिए मुश्किल लेकिन निष्पक्ष फैसले लिये हैं। ’’
सुनक ने नववर्ष संदेश में यूक्रेन का सहयोग करने का संकल्प लिया।
सुनक ने कहा, ‘‘ तीन महीने पहले, डाउनिंग स्ट्रीट की सीढ़ियों से मैंने वादा किया था कि मैं उन चीजों पर लगातार काम करूंगा, जो आपके लिए सबसे ज्यादा मायने रखती हैं। तब से, इस सरकार ने अधिक धन राशि, अधिक चिकित्सकों और अधिक नर्स समेत रिकॉर्ड संसाधनों की मदद से हमारी एनएचएस (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा) को मजबूत करने के लिए निर्णायक कार्रवाई की है। हम अवैध प्रवासन से भी निपट रहे हैं और अपराधियों को हमारी आश्रय प्रणाली का दुरुपयोग करने से रोक रहे हैं। ’’ विपक्षी लेबर पार्टी के नेता, सर केर स्टार्मर ने भी अपने नववर्ष संदेश में यह स्वीकार किया कि यह बहुत कठिन वर्ष रहा। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन को राजनीति करने के अपने तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है।
लिबरल डेमोक्रेट नेता सर एड डेवी ने भी 2022 को मुश्किल भरा वर्ष बताया, लेकिन कहा कि नया साल आगे बढ़ने का अवसर है। (भाषा)
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि चीन के अधिकारियों को देश में कोविड-19 की स्थिति के बारे में रीयल टाइम डेटा शेयर करना होगा.
डब्ल्यूएचओ की ओर से ये बयान ऐसे समय में आया है, जब चीन में कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
चीन में पिछले कुछ हफ़्तों में कोरोना से जुड़ी बहुत सी सख़्त पाबंदियां उठा ली गई हैं. उसके बाद देश में कोरोना के मामले बढ़े हैं और कई देश चीन से आने वाले यात्रियों की अब स्क्रीनिंग कर रहे हैं.
डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने बताया है कि उन्होंने अस्पताल और आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीज़ों के साथ मौत के और आंकड़ों की ज़रूरत है. संस्था ने इसके अलावा टीकाकरण से जुड़े आंकड़े भी मांगे हैं.
अमेरिका, स्पेन, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, भारत, इटली, जापान और ताइवान जैसे देशों ने अपने देश में फिर से इस वायरस के फैलने से रोकने के लिए चीन से आने वाले यात्रियों के कोविड टेस्ट को ज़रूरी बना दिया है
वहीं, ब्रिटेन ने चीन से आने वाले यात्रियों के लिए नियम बनाया है कि वे फ्लाइट पर चढ़ने से पहले कोविड निगेटिव होने का दस्तावेज़ पेश करें.
डब्ल्यूएचओ ने चीन के अधिकारियों से बातचीत के बाद जारी एक बयान में कहा है, ''डब्ल्यूएचओ ने ताज़ा संक्रमण से जुड़े ख़ास और रीयल टाइम डेटा को नियमित तौर पर साझा करने की फिर से मांग की है. साथ ही टीकाकरण से जुड़े आंकड़े भी मांगे हैं.''
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वे इन मामलों में मदद करने के अलावा टीका लेने के प्रति लोगों की झिझक को दूर करने को इच्छुक हैं.
संस्था ने कहा है कि ताज़ा हालात में कई देशों की ओर से प्रतिबंध लगाने की बात समझी जा सकती है. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस अपने सबसे बड़े विदेशी निवेशक और ऊर्जा उत्पादों के मुख्य खरीदार यूरोप से हाथ धो बैठा है. आखिर क्या हुआ कि साल 2022 में रूस का आर्थिक भाग्य पूरी तरह से बदल गया.
डॉयचे वैले पर आंद्रे गुरकोव की रिपोर्ट-
रूस की सरकारी ऊर्जा कंपनियों गासप्रोम और रोजनेफ्ट ने साल 2022 में बहुत अच्छी शुरुआत की थी. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की नई गठबंधन सरकार ने गैस आधारित कई नए बिजली संयंत्रों की घोषणा की थी ताकि परमाणु और कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को धीरे-धीरे बंद किया जा सके. रूस के सरकारी बजट में सबसे बड़ी भागीदार ये दोनों कंपनियां जर्मनी की इस घोषणा का लाभ उठाने को एकदम तैयार थीं.
गासप्रोम को बड़े पैमाने पर जर्मनी में होने वाली गैस आपूर्ति की देखरेख करनी थी. जर्मनी पहले से ही रूस के प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा खरीदार था और पाइपलाइन से होने वाले उसके गैस निर्यात का एक चौथाई हिस्सा खरीदता था. यही नहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ में जर्मनी के कुछ साथी देशों के विरोध के बावजूद नवनिर्मित नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को चालू करने के लिए जर्मनी में संभावनाएं बनी हुई थीं.
दूसरी ओर, रोजनेफ्ट कंपनी जर्मनी की एक प्रमुख तेल रिफाइनरी का मालिकाना हक लगभग पूरी तरह से लेने को तैयार थी. ब्रांडेनबुर्ग प्रांत के श्वैट शहर में मौजूद यह रिफाइनरी राजधानी बर्लिन के अलावा विकसित हो रहे नये हवाई अड्डे और पूर्वी जर्मनी के एक बड़े हिस्से को पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति करती थी. इस सौदे को अंतिम रूप दिये जाने का इंतजार जरूर हो रहा था लेकिन इसमें कोई खास अड़चन नहीं थी.
बिखड़ा गासप्रोम और रोसनेफ्ट का जर्मन कारोबा
साल 2022 का अंत आते आते गासप्रोम से जर्मनी को मिलने वाली गैस की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई है और जर्मनी ने इससे जुड़ी सहायक कंपनी गासप्रोम गर्मानिया का उसकी प्राकृतिक गैस भंडारण सुविधा के साथ राष्ट्रीयकरण कर लिया है. और साथ ही, नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना को दफन कर दिया गया है. इन सभी घटनाओं के पीछे एक ही कारण है, और वह है रूस का यूक्रेन पर हमला.
हमले के बाद से ही जर्मनी ने ऊर्जा के मामले में रूस पर अपनी निर्भरता कम करते हुए वैकल्पिक रास्ते तलाशने शुरू कर दिए. दो लिक्विफाइड नेचुरल गैस टर्मिनल पहले ही शुरू हो चुके हैं, और अगले साल ठंड के मौसम तक कम से कम छह नए टर्मिनल चलने लगेंगे.
श्वेट रिफाइनरी पर से रोजनेफ्ट का नियंत्रण खत्म हो चुका है और अब वो जर्मन स्टेट ट्रस्टीशिप के अधीन है और इस आशंका का सामना कर रही है कि कहीं उसका मालिकाना हक उससे छिन न जाए. रिफाइनरी की योजना है कि यूरोपीय संघ के तेल प्रतिबंध के तहत 31 दिसंबर से रूसी तेल का शोधन बंद कर दिया जाएगा. भविष्य में, कजाखस्तान समेत कुछ अन्य तेल आपूर्ति करने वाले देशों पर भरोसा करने लगेगा.
महज दस महीनों में गासप्रोम और रोजनेफ्ट के जर्मनी में संचालित हो रहे काम बंद हो चुके हैं. आकर्षक जर्मन बाजार को खोना, शायद रूस के यूरोप केंद्रित आर्थिक मॉडल के ताबूत में आखिरी कील है.
रूसी व्यापार यूरोप की ओर बढ़ रहा था
रूस लंबे समय से अपने मुख्य उत्पादों, मसलन कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, प्राकृतिक गैस, कोयला और धातु का निर्यात मुख्य रूप से यूरोप को ही करता था, वो भी विशेषतौर पर यूरोपीय संघ के देशों को. बदले में, यूरोप ने रूसी अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने में मददगार मशीन और अन्य उपकरण प्रदान किए और रूसियों ने यूरोप की विलासिता सामग्री को लपक लिया.
यूरोप को प्राथमिकता देने वाला फैसला सिर्फ भूगोल के आधार पर ही नहीं लिया गया था बल्कि इस मामले में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की भी निर्णायक भूमिका थी. 18वीं शताब्दी की शुरुआत में जार पीटर प्रथम के शासन काल से ही रूस खुद को भी यूरोप का एक अभिन्न अंग मानता रहा है और यूरोपीय देशों को अपना पसंदीदा व्यापारिक सहयोगी मानता रहा है.
रूस की लगभग सभी निर्यात करने वाली गैस पाइपलाइन, तेल पाइलाइन्, रेलवे लाइन, हाईवे और हवाई मार्ग यूरोप की ओर उन्मुख थे. बाल्टिक सागर, बैरेंट्स और काला सागर में बंदरगाहों पर तेल, कोयला और कंटेनर टर्मिनलों का आधुनिकीकरण भी यूरोप के साथ जारी व्यापार पर निर्भर था.
यूरोपीय देश रूस में सबसे बड़े विदेशी निवेशक बन गए और पूंजी, तकनीक और अन्य चीजें लेकर यहां आए. इस वजह से तेल और गैस क्षेत्र, ऊर्जा उत्पादन, कार निर्माण और खाद्य सामग्री इत्यादि क्षेत्रों को काफी फायदा हुआ. अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी रूस में व्यापक स्तर पर निवेश किया लेकिन अमेरिका रूस के लिए कभी यूरोप जैसा निर्यात बाजार नहीं रहा.
यूरोपीय संघ के बाजार खोने का बड़ा नुकसान
साल 2023 आने वाला है और रूस के यूरोपीय संघ से संबंध संकट में हैं. यूरोप के मध्य भाग में युद्ध की घोषणा करके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अच्छे-भले चल रहे उस व्यापार मॉडल को अचानक नष्ट कर दिया है जिसे बनाने में उन्होंने खुद इतनी मेहनत की थी.
तमाम यूरोपीय कंपनियां पूरी तरह से रूस से जा चुकी हैं, जबकि अन्य ने अपना निवेश रोक दिया है. इन कंपनियों ने ऐसा रूस पर लगे यूरोपीय और अमरीकी प्रतिबंधों के कारण किया है क्योंकि कंपनियों को भी अपनी ब्रांड छवि बचानी है. युद्ध की वजह से रूस में व्यापारिक परिस्थितियां नष्ट हो चुकी हैं.
हालांकि, युद्ध से रूस के निर्यात बाजार का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. सबसे बड़ा झटका समुद्र के रास्ते रूस से तेल की डिलिवरी पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध के कारण लगा. 5 दिसंबर से यह प्रतिबंध प्रभावी हुआ है जो कि कुछ महीनों तक पूरी तरह महसूस नहीं होगा.
अगस्त में, ब्रसेल्स ने रूस के कोयला उद्योग को यूरोपीय बाजार से बाहर कर दिया. अभी कुछ समय पहले तक, यूरोपीय संघ के देश रूस के कुल कोयला निर्यात का करीब आधा हिस्सा खरीदते थे. फरवरी में, रूस के तेल उत्पादों पर प्राइस कैप लगने की उम्मीद है और यदि ऐसा हुआ तो यह रूस के लिए एक और बड़ा झटका होगा.
इस बीच, गासप्रोम को यूरोप की तुलना में क्रेमलिन के कारण ज्यादा नुकसान हुआ है क्योंकि पुतिन ने इस बात पर जोर दिया है कि रूसी गैस की कीमत रूबल में अदा करनी होगी. गर्मियों में, फर्म की नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन से जर्मनी को भेजी जाने वाली गैस की डिलिवरी को काफी कर दिया गया और फिर अगस्त में पूरी तरह से बंद ही कर दिया गया. ऐसा यह सोच कर किया गया कि इससे यूरोप में ठंड के दौरान गर्मी के इंतजाम में दिक्कत होगी.
दो जर्मन कंपनियां तो गासप्रोम पर गैस की आपूर्कोति नहीं करने को लेकर अनुबंध की शर्तों को तोड़ने के आरोप में मुकदमा करने की तैयारी कर रही हैं. अरबों डॉलर के अनुमानित नुकसान के निपटारे में जरा भी देरी एक और बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो सकती है. यह बाधा न सिर्फ राजनीतिक होगी बल्कि रूसी पाइपलाइन गैस को वापस जर्मनी भेजने में भी दिक्कतें आ सकती हैं.
रूस के पास समय, पैसे और प्रशिक्षित मजदूरों की कमी
यूरोप को जाने वाली रूसी गैस में कमी की वजह से रूस का गैस बाजार गहरे संकट में आ गया है. हालांकि रूस अपने तेल और कोयले के निर्यात को एशिया की ओर मोड़ सकता है लेकिन दिक्कत यह है कि रूस की सभी गैस पाइपलाइन पश्चिम की ओर जाती हैं और उन्हें एकाएक पूर्व की ओर नहीं मोड़ा जा सकता है.
हालांकि क्रेमलिन यह कह सकता है कि वह एशिया के लिए नई पाइपलाइन बनाएगा लेकिन रूस के पास इस वक्त समय, धन और प्रशिक्षित मजदूरों की बहुत कमी है. युद्ध की वजह से रूस का वित्तीय भंडार तेजी से खर्च हो रहा है और देश के ज्यादातर सक्षम युवा या तो युद्ध के मोर्चे पर तैनात हैं या फिर मर चुके हैं.
आने वाले दिनों में रूस अपने यूरोप-केंद्रित व्यापार मॉडल के विकल्प को तेजी से ढूंढ़ने के लिए संघर्ष करेगा और रूसी जनता इस पीड़ा को झेलने को विवश होगी. (dw.com)
इस्राएल की नई सरकार को अब तक की सबसे ज्यादा राष्ट्रवादी और धर्म पर जोर देने वाली सरकार माना जा रहा है. विश्लेषकों को चिंता है कि इसकी वजह से देश के भीतर विभाजन बढ़ेगा और फलस्तीन-इस्राएल संघर्ष भी और बढ़ सकता है.
डॉयचे वैले पर तानिया क्रेमर की रिपोर्ट-
करीब एक साल तक विपक्ष में रहने के बाद प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू की सत्ता में वापसी हो चुकी है. एक नवंबर को हुए संसदीय चुनाव के करीब दो महीने बाद इस्राएल की नई सरकार गुरुवार को शपथ ग्रणह करने की तैयारी कर रही है. चार साल से भी कम समय में यह पांचवां चुनाव था.
इस्राएल की इस नई सरकार के दक्षिणपंथी रुख की आशंकाओं के बीच, राष्ट्रपति आइजक हर्जोग ने हाल ही में कहा था कि अगली सरकार ‘ऐसी होनी चाहिए जो कि इस्राइल के सभी नागरिकों की सेवा करे, जिन्होंने उसे वोट दिया हो, उनकी भी और जिन्होंने न दिया हो, उनकी भी.'
दोबारा सत्ता में आने के लिए रूढ़िवादी लिकुड पार्टी के 73 वर्षीय नेतान्याहू को दो अति कट्टरपंथी पार्टियों और तीन धुर-दक्षिणपंथी दलों का गठबंधन बनाना पड़ा और इस गठबंधन ने चुनाव में मिलकर 14 सीटें जीती हैं.
कभी इस्राइली राजनीति में चरमपंथी समझे जाने वाले बेजालिल स्मोट्रिक (रिलीजियस जियोनिज्म पार्टी), इतामार बेन-ग्विर (ओत्ज्मा येहुदित) और अवी माओज (नोम) अब इस्राइल की मुख्य धारा की राजनीति में पहुंच गए हैं और गठबंधन बनने से पहले ही देश और विदेश में जनमत का ध्रुवीकरण कर चुके हैं.
नई सरकार बस्ती निर्माण योजना यानी सेटलमेंट को आगे बढ़ाएगी
मंगलवार को इस्राइली संसद क्नेसेट ने तथाकथित डेरी लॉ नामक कानून पारित किया. इस कानून का नामकरण अति कट्टरपंथी शास पार्टी के नेता एरे डेरी के नाम पर किया गया है. यह संशोधन उन्हें सरकार में मंत्री के रूप में नियुक्ति की अनुमति देता है, बावजूद इसके कि वो कर अपराधों में दोषी पाए गए हैं और उन्हें निलंबन की सजा भी हो चुकी है.
डेरी और स्मोट्रिक दोनों ही रिलीजियस जियोनिज्म पार्टी से हैं और उम्मीद की जा रही है कि दोनों को ही बारी-बारी से वित्त मंत्री बनाया जा सकता है. इस बीच, डेरी स्वास्थ्य और गृहमंत्रालय संभालेंगे. वहीं इस संशोधन को वापस लेने के लिए इस्राइल के नागरिक अधिकार समूहों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है.
इस तथ्य पर विशेष ध्यान दिया गया है कि इस्राइल में बस्ती निर्माण आंदोलन यानी सेटलर मूवमेंट का हिस्सा रहे स्मोट्रिक को एक अन्य संशोधन के जरिए उस सिविल एडमिनिस्ट्रेशन एजेंसी का नियंत्रण सौंप दिया गया है जो कि रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है.
यह एजेंसी पश्चिमी किनारे पर इस्राइली और फलस्तीनी दोनों ही क्षेत्रों के प्रशासन का काम देखती है और फलस्तीनी इस क्षेत्र को अपने देश के हिस्से के रूप में लेना चाहते हैं. यह संशोधन C क्षेत्र में यहूदी बस्तियों के विस्तार के संदर्भ में उन्हें व्यापक अधिकार देता है और यह क्षेत्र पूरे पश्चिमी किनारे का करीब 60 फीसद है. आलोचकों का कहना है कि इस संशोधन का परिणाम इस इलाके के ‘वास्तविक विलय' के रूप में सामने आ सकता है.
येरूशलम स्थित हिब्रू विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्री मजीडियन रहत कहते हैं, "धुर दक्षिणपंथियों की विचारधारा ही वृहत्तर इस्राइल की है.”
‘वृहत्तर इस्राइल' दक्षिणपंथी विचारधारा का हिस्सा है जिसका मतलब इस्राइल के अधीन जॉर्डन नदी से लेकर भूमध्यसागर तक की पूरी जमीन है. इसमें पश्चिमी किनारे का वो हिस्सा भी शामिल है जिस पर इस्राइल ने कब्जा किया हुआ है. रहत कहते हैं, "उनके मुताबिक, यह उनकी पवित्र भूमि है और यहां जो कुछ भी है, उस पर उन्हीं का अधिकार है.”
बुधवार को, नेतान्याहू की लिकुड पार्टी ने स्पष्ट किया कि इस्राइल की नई सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में से बस्तियों बस्तियों का विस्तार भी होगा. उनके बयान के मुताबिक, "सरकार इस्राइल के हर हिस्से में आगे बढ़ेगी और विकास करेगी. इनमें गैलिली, नेगेव मरुस्थल, गोलन हाइट्स और जूडिया और पश्चिमी किनारे के समरिया इलाके भी शामिल हैं.”
पिछले दशकों में इस्राइल की सभी सरकारों ने पश्चिमी किनारे के कब्जे वाले हिस्सों में बस्तियों के निर्माण का विस्तार किया है. नई गठबंधन सरकार इस विस्तार को और बढ़ा सकती है और छोटी बस्तियों में स्थित चौकियों को वैध बनाने पर जोर दे सकती है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, ये बस्तियां अवैध हैं. इस्राइल इसे विवादित निर्णय मानता है.
बेन ग्विर चाहते हैं कि पुलिस पर उनके अधिकार को बढ़ाया जाए
बुधवार को क्नेसेट ने एक और विवादास्पद गानून पारित किया. हालांकि यह कानून धुर दक्षिणपंथियों की परिकल्पना की तुलना में काफी नरम है. इस कानून का नामकरण राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री के रूप में नामित इतामार बेन ग्विर के नाम पर किया गया है और इसके जरिए उन्हें पुलिस पर नियंत्रण के लिए और व्यापक अधिकार मिल जाएंगे.
बेन ग्विर अपने अति दक्षिणपंथी विचारों के लिए जाने जाते हैं और अतीत में नस्लवाद के लिए उकसाने और कच आतंकी समूह का समर्थन करने के आरोप में दोषी ठहराए जा चुके हैं. कच आतंकी समूह को अमेरिका और इस्राइल में प्रतिबंधित किया गया है.
चुनाव प्रचार अभियान के दौरान बेन ग्विर ने वादा किया था कि अपराध प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस की कमी को दूर किया जाएगा और आतंक के मामले में सख्त रवैया अपनाया जाएगा. उनका कहना था कि वो चाहते हैं कि पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों पर पुलिस को गोली चलाने की अनुमति मिले और सुरक्षा बलों को कानूनी संरक्षण दिया जाए.
विश्लेषकों को एक और मुद्दा चिंतित किए हुए है और वह है एक अन्य धुर दक्षिणपंथी होमोफोबिक और अरब विरोधी नोम पार्टी को सरकार में शामिल करना. पार्टी के प्रमुख अवी माओज क्नेसेट में अपनी पार्टी के अकेले प्रतिनिधि हैं और उम्मीद है कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन बनाए गए एक नए पद "नेशनल ज्यूश आइडेंटिटी” में डिप्टी मिनिस्टर बनाया जा सकता है.
इस नए पद के पास इस्राइली स्कूलों में पाठ्यक्रम के अलावा पढ़ाई जाने वाली सामग्री पर अधिकार होगा और इससे उसे स्कूलों में पढ़ाने के लिए गैर सरकारी निकायों पर भी नियंत्रण करने का अधिकार मिल सकेगा.
LGBTQ विरोधी रुख के लिए जाने जाने वाले माओज का कहना है कि वो यरुसलम में आयोजित होने वाली वार्षिक समलैंगिक गौरव परेड को निरस्त करना चाहते हैं और ‘पारिवारिक मूल्यों' को बहाल करना चाहते हैं. लेकिन नेतान्याहू बार-बार अपनी इस बात को दोहरा रहे हैं कि समलैंगिक समुदाय को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को खामोश कर दिया गया है
किसी भी संभावित विवादास्पद नीति परिवर्तन, मसल- सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति पर अंकुश लगाने या भेदभाव-विरोधी कानूनों में संशोधन करने के लिए धुर दक्षिणपंथी दलों के वादों ने इस्राइल के उदारवादी लोगों, नागरिक अधिकार समूहों और व्यवसायियों को पहले ही सचेत कर दिया है. यह इस्राइल और उसके निकटतम सहयोगियों के बीच भी तनाव पैदा कर सकता है, लेकिन अब तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खामोशी छाई हुई है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दिसंबर की शुरुआत में कहा था कि संयुक्त राज्य अमेरिका ‘किसी भी ऐसे कार्य का स्पष्ट रूप से विरोध करना जारी रखेगा जो दो-राज्यों के समाधान की संभावनाओं को कमजोर करता है. इसमें बस्तियों का निर्माण भी शामिल है जो कि पश्चिमी किनारे पर कब्जे की ओर जाता है.'
कई अमेरिकी मीडिया समूहों को दिए साक्षात्कार में, नेतान्याहू ने राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री के लिए बेन-ग्विर की अपनी विवादास्पद पसंद का बचाव किया है. नेतान्याहू ने यह भी कहा कि वे सिर्फ उनके गठबंधन सहयोगी ही नहीं बल्कि वे भी उनके नियंत्रण में होंगे. उनका कहना है, "वे मेरे साथ शामिल हो रहे हैं. मैं उनके साथ शामिल नहीं हो रहा हूं.” (dw.com)
बेल्जियम के हज्जाम कटे हुए बालों को उठा कर संभाल कर रख रहे हैं. ये बाल एक एनजीओ को दिए जा रहे हैं जो उन्हें रिसाइकल कर पर्यावरण को बचा रहा है.
द हेयर रिसाइकल प्रोजेक्ट के तहत कटे हुए बालों को एक मशीन में डाला जाता है, जो उन्हें चौकोर मैटों में बदल देती है. इन मैटों का इस्तेमाल फिर तेल या पर्यावरण को दूषित करने वाले दूसरे हाइड्रोकार्बनों को सोखने के लिए किए जा सकता है. इनसे बायो-कम्पोजिट झोले भी बन सकते हैं.
इस प्रोजेक्ट के सह-संस्थापक पैट्रिक जानसेन बताते हैं कि एक किलो बालों से सात से आठ लीटर तेल और हाइड्रोकार्बन सोखे जा सकते हैं. बालों से बने मैटों को नालों में रखा जा सकता है, जहां वो पानी के नदी तक पहुंचने से पहले उसमें मौजूद प्रदूषक तत्वों को सोख लेंगे.
जानसेन ने रॉयटर्स को बताया, "हमारे उत्पाद ज्यादा एथिकल इसलिए भी हैं कि उन्हें स्थानीय स्तर पर ही बनाया जाता है...उन्हें धरती के दूसरे छोर से आयात नहीं किया जाता है. उन्हें यहीं स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए इस्तेमाल किया जाता है."
एक प्रोजेक्ट, कई फायदे
प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर बताया गया है कि बालों में शक्तिशाली गुण होते हैं: सिर्फ एक बाल अपने वजन से दस गुना तक ज्यादा वजन बर्दाश्त कर सकता है. चर्बी और हाइड्रोकार्बन सोखने के अलावा वो पानी में घुलनशील भी होता है. इसके अलावा अपने केरैटिन फाइबर की वजह से बाल बेहद लचीले भी होते हैं.
ब्रसेल्स के हेलियोद सैलों की मैनेजर इसाबेल वोलकीदिस देश के उन दर्जनों हेयरड्रेसरों में से हैं, जो इस प्रोजेक्ट को अपने काटे हुए बाल ले जाने के लिए एक छोटी सी रकम देती हैं.
अपने एक ग्राहक के बालों को संवारती हुई वो कहती हैं, "निजी रूप से मुझे इस बात से प्रेरणा मिलती है. मुझे बालों को कूड़ेदान में फेंकना बुरा लगता है, जबकि मैं जानती हूं कि उससे अब कितना कुछ किया जा सकता है."
सीके/एसएम (रॉयटर्स)