अंतरराष्ट्रीय
मशहूर पाकिस्तानी एक्ट्रेस रेशमा ने रविवार को पूर्व पीएम और पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान द्वारा पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी को लेकर निशाना साधा. रेशमा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इमरान खान और मरियम नवाज की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, "एक महिला के बारे में यह अपमानजनक बयान एक ऐसे शख्स ने जारी किया है, जिसने पहले कहा था कि एक महिला का पहनावा पुरुषों को आकर्षित करता है."
रेशम ने कहा कि इमरान खान ने ये बयान तब जारी किया है जब देश में हर दूसरे दिन कम उम्र की लड़कियां यौन हिंसा का शिकार हो रही हैं. उन्होंने कहा, "वह (इमरान खान) हमेशा महिलाओं के लिए खराब और अपमानजनक शब्द बोलते हैं." उन्होंने कहा कि उनकी सार्वजनिक सभाओं में शामिल होने वाली महिलाएं यह नहीं समझ सकतीं कि मरियम के बारे में उनके नेता का बयान वास्तव में उनका अपना अपमान है.
बता दें इमरान खान ने मुल्तान रैली में पूर्व पीएम नवाज शरीफ की बेटी व पीएम शहबाज शरीफ की भतीजी मरियम नवाज के खिलाफ यह विवादित टिप्पणी थी थी. इमरान खान ने मरियम नवाज की सरगोधा में हुई रैली का जिक्र कर कहा था, 'उस भाषण में उन्होंने इतने जुनून के साथ मेरा नाम बोला कि मैं उनसे कहना चाहूंगा कि मरियम, कृपया सावधान रहें! आपके पति परेशान हो सकते हैं क्योंकि आप लगातार मेरा नाम दोहरा रही थीं.'
इमरान खान की इस टिप्पणी को लेकर खासी आलोचना हो रही है. पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी इमरान खान की आलोचना की है.
ह्यूस्टन, 22 मई । अमेरिका के टेक्सास प्रांत में पाकिस्तानी मूल के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी, चार साल की बेटी और सास की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस और मीडिया रिपोर्ट में इस घटना की जानकारी मिली है।
हैरिस काउंटी शेरिफ एड गोंजालेज ने कहा कि बृहस्पतिवार को तड़के गोलियां चलने की सूचना मिलने के बाद कानून प्रवर्तन अधिकारी चैंपियन वन क्षेत्र में विंटेज पार्क अपार्टमेंट परिसर में दाखिल हुए और वहां चार लोगों को एक मकान के अंदर मृत पाया।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति के शव के पास एक अर्ध-स्वचालित बन्दूक मिली थी।
एड गोंजालेज ने एक ट्वीट में कहा, “ ऐसा प्रतीत होता है कि व्यक्ति अलग रह रही अपनी पत्नी के घर गया था। उसके बाद उसने वहां जाकर अपनी पत्नी, चार साल की बेटी और सास की गोली मार कर हत्या कर दी। इसके बाद उसने खुद को भी गोली मार ली। घटनास्थल पर चार शव मिले और वहां से एक पिस्तौल भी बरामद की गयी है। यह परिवार मूल रूप से दक्षिण एशिया से संबंधित था।”
एड गोंजालेज के मुताबिक उनका तलाक होने वाला था और दोनों पति-पत्नी अलग-अलग रहते थे।
स्थानीय पुलिस ने अभी तक उनके नामों का खुलासा नहीं किया है लेकिन, उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने वाले इस्लामिक सोसाइटी ऑफ ग्रेटर ह्यूस्टन के मुताबिक मृतकों की पहचान सादिया मंजूर, उनकी बेटी खदीजा मोहम्मद और मां इनायत बीबी के रूप में की है। उस व्यक्ति की पहचान मोहम्मद के रूप में की गयी है। सादिया ह्यूस्टन पीस एकेडमी में शिक्षिका थीं।
इस्लामिक सोसाइटी ऑफ ग्रेटर ह्यूस्टन के कब्रिस्तान में उन्हें दफन किया गया।(भाषा)
नयी दिल्ली, 22 मई। कांग्रेस के चिंतन शिविर का फलसफा भले ही 50 वर्ष से कम उम्र के नेताओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण, पदाधिकारियों के लिए पांच साल का कार्यकाल, एक परिवार-एक टिकट और खोया जनाधार वापस पाने की रणनीति पर ध्यान केन्द्रित करना रहा, लेकिन सबसे अधिक चर्चा पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान की रही, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि कोई भी क्षेत्रीय दल भाजपा को नहीं हरा सकता क्योंकि उनके पास विचारधारा का अभाव है।
राहुल गांधी के इस बयान के बाद क्षेत्रीय दलों की कड़ी प्रतिक्रिया आई और देश में इस विषय पर एक नई बहस छिड़ गई। इसी से जुड़े मुद्दों पर चुनाव सुधार की दिशा में काम कर रहे अग्रणी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक सदस्य और भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के पूर्व निदेशक जगदीप चोकर से "भाषा के पांच सवाल" और उनके जवाब:
सवाल: राहुल गांधी के बयान और उसके बाद क्षेत्रीय दलों, खासकर कांग्रेस के सहयोगियों की ओर से ही सबसे तीखी प्रतिक्रिया आई। आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: मेरे ख्याल से तो कांग्रेस भी भाजपा को नहीं हरा सकती। जब कांग्रेस खुद भाजपा को नहीं हरा सकती तो वह दूसरों पर कैसे उंगली उठा सकती है। अगर वह भाजपा को हराने में सक्षम होती तो उसका यह कहना शायद वाजिब होता। लेकिन आज कांग्रेस की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। लोकसभा में कहां पहुंच गई है वह? कितने राज्य उसके पास रह गए हैं? इसलिए दूसरों पर सवाल खड़े करने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबान में देख लेना चाहिए था। मेरी समझ में तो कांग्रेस के पास खुद को बचाने की ही रणनीति नहीं है तो चुनाव लड़ने की क्या रणनीति होगी उसकी। इतना बुरा हाल है कांग्रेस का कि उसके अपने ही लोगों को पता नहीं है कि उसका अध्यक्ष कौन है। परिवार के तीन लोग हैं और कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता तीनों की ओर देखते रहते हैं। 23-24 (जी-24) नेताओं ने कुछ कहने की कोशिश की थी, वह भी किसी को रास नहीं आया। कांग्रेस के लिए तो अपने अस्तित्व का सवाल है। अभी खुद को प्रासंगिक बनाने के लिए उसे रणनीति बनाने की जरूरत है।
सवाल: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने एक सुझाव दिया था कि कांग्रेस को 220-225 सीटों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। ऐसे में अगले लोकसभा चुनाव में आप क्या परिदृश्य उभरता देख रहे हैं?
जवाब: मुझे नहीं पता कि क्या सोचकर तेजस्वी यादव ने यह सुझाव दिया है। वह यदि समझते हैं कि 225 या 220 सीटों पर कांग्रेस इतनी मजबूत है और वह भाजपा को हरा पाएगी तो तेजस्वी यादव को यह बताना चाहिए कि वो सीटें कौन-कौन सी हैं। कम से कम कांग्रेस को तो बताएं। रही बात चुनावी परिदृश्य की तो जो तथाकथित विपक्षी दल हैं, अगर वे इकट्ठा हो जाएं फिर शायद कुछ मुकाबला हो। लेकिन वे इकट्ठा होंगे नहीं। इसलिए, अभी जो पार्टी सत्ता में है, वही सत्ता में रहेगी।
सवाल: क्या कोई तीसरा मोर्चा भी बनने की संभावना है?
जवाब: तीसरा मोर्चा कहां से बनेगा? ना कोई एक दूसरे को पसंद करेगा, ना ही यकीन करेगा। चंद्रशेखर राव की बात क्या ममता बनर्जी मानेंगी या तेजस्वी यादव मानेंगे? ममता की बात क्या मायावती मानेंगी? अखिलेश यादव की बात क्या नवीन पटनायक मानेंगे? देश में एक ही व्यक्ति प्रधानमंत्री हो सकता है, 15 नहीं। सिर्फ प्रधानमंत्री की आलोचना करने या गाली देने से नेता कोई नहीं बन सकता।
सवाल: आजादी के 75 साल के बाद देश की राजनीति किस दिशा की ओर बढ़ते देख रहे हैं आप? गठबंधन की राजनीति का क्या भविष्य है?
जवाब: किसी भी राजनीतिक दल में देश को लेकर कोई भावना नहीं बची है। हर राजनीतिक दल का लक्ष्य केवल सत्ता हासिल करना रह गया है। वे सिर्फ अपने दल के भले के बारे में सोचते हैं। अफसोस की बात है, लेकिन कड़वी सच्चाई है। एक दल का नारा था कि हमको "कांग्रेस मुक्त भारत" चाहिए। अब धीरे-धीरे वह "विपक्ष मुक्त" भारत में बदल गया है और आज की तारीख में भारत विपक्ष मुक्त है। इसमें एक बड़ी भूमिका इलेक्टोरल बांड की है। और भी कई सारी चीजें हैं। लोकतांत्रिक प्रक्रिया देश में नाम मात्र की है और शायद नाम मात्र की ही रहे।
सवाल: भाजपा को मात देने के लिए कांग्रेस का मजबूत होना जरूरी है या कमजोर रहना? मजबूत होने की स्थिति में क्या क्षेत्रीय दल उसके साथ आएंगे?
जवाब: भाजपा को मात देना है तो कांग्रेस का मजबूत होना जरूरी है। लेकिन कांग्रेस मजबूत होती दिख नहीं रही है। कांग्रेस मजबूत होनी चाहिए इसमें तो कोई दो राय नहीं है लेकिन सिर्फ यह कहने से या सोचने से तो कांग्रेस मजबूत नहीं हो रही है। कांग्रेस के लोग ही कांग्रेस को मजबूत करेंगे, जब वे अपने निजी स्वार्थ को छोड़कर पार्टी को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। मैं फिर से कह रहा हूं कि कांग्रेस को मजबूत होना चाहिए। वह मजबूत होगी तो क्षेत्रीय दल खुद साथ आ जाएंगे। लोकतंत्र में प्रतिपक्ष को मजबूत होना चाहिए। (भाषा)
पाकिस्तान की सूचना एवं प्रसारण मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भारत प्रशासित कश्मीर के नेता यासीन मलिक के मामले में निष्पक्ष जाँच नहीं हुई. यासीन मलिक को भारत की एक अदालत ने टेरर फ़ंडिंग का दोषी क़रार दिया है और 25 मई को उनकी सज़ा सुनाई जाएगी.
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने मानवाधिकार और क़ानून मंत्रालयों को निर्देश दिए हैं कि वो पूरी दुनिया के सामने इस मुद्दे को उठाने के लिए रोडमैप तैयार करें.
संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ यासीन मलिक की पत्नी मुशाल और उनकी दस साल की बेटी रज़िया सुल्ताना भी बैठी थीं.
उन्होंने कहा कि यासीन मलिक ऐसे नेता हैं जो शांतिपूर्वक आंदोलन के हिस्सा रहे हैं और जिन्होंने भारत प्रशासित कश्मीर की आज़ादी के लिए अपनी ज़िंदगी कुर्बान कर दी है. मरियम औरंगज़ेब ने कहा कि यह जानकर उनका दिल बैठ गया जब उन्हें यासीन मलिक की पत्नी मुशाल ने बताया कि साल 2014 के बाद से वो अपने पति से नहीं मिल सकी हैं.
मुशाल ने पाकिस्तान सरकार से मांग की है कि वो इस मुद्दे को पूरी दुनिया के सामने उठाएं और अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में भी लेकर जाए. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की तरफ़ से जाँच आयोग बिठाने की मांग की.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी बयान जारी कर कहा है कि यासीन मलिक को भारतीय अदालत के ज़रिए मुजरिम क़रार दिया जाना निंदनीय है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यासीन मलिक को दोषी ठहराना मानवाधिकार के अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव और नागरिक और राजनीतिक अधिकार के अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन है.(bbc.com)
भारत सरकार ने शनिवार को पेट्रोल-डीज़ल के दामों में कटौती का एलान किया. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल पर एक्साइज़ ड्यूटी में कटौती की है. सरकार ने पेट्रोल पर 8 रुपए प्रति लीटर और डीज़ल पर 6 रुपए प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी कम कर दी है. इसके साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना के लाभार्थियों के लिए 200 रुपये की सब्सिडी का एलान भी किया.
भारत सरकार के इस फ़ैसले से भारत में आम लोगों को जहां बड़ी राहत मिली है वहीं मोदी सरकार के इस फ़ैसले का असर पाकिस्तान में भी हुआ है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भारत सरकार के इस फ़ैसले की जमकर तारीफ़ की है.
इमरान ख़ान ने ट्वीट करके मोदी सरकार की तारीफ़ की है.
उन्होंने लिखा है- “क्वाड का हिस्सा होने के बावजूद भारत अमेरिका के दवाब के आगे नहीं झुका और रूस से सस्ता तेल ख़रीदकर अपने लोगों को राहत दी. स्वतंत्र विदेश नीति अपनाते हुए हमारी सरकार यही हासिल करने के लिए काम कर रही थी.“
इसी ट्वीट को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने लिखा है, “हमारी सरकार के लिए पाकिस्तान की भलाई सबसे ऊपर थी लेकिन दुर्भाग्य से यहां के मीर जाफ़र और मीर सादिक बाहरी दबाव में तख़्तापलट की साज़िश के मोहरे बन गए और अब वो अर्थव्यवस्था को गर्त में ले जा रहे हैं.”
हालांकि यह पहला मौक़ा नहीं जब इमरान ख़ान ने भारत की तारीफ़ की है. इससे पहले एक जलसे के दौरान उन्होंने कहा था कि पड़ोसी देश की विदेश नीति उसके लोगों के हित के लिए है.
इमरान ख़ान ने कहा था,"मैं आज हिंदुस्तान को दाद देता हूं, उन्होंने हमेशा आज़ाद विदेश नीति रखी. क्वॉड के अंदर अमेरिका के साथ अलायंस है और अपने आप को वो न्यूट्रल (तटस्थ) कहता है. रूस से तेल मंगवा रहा है, जबकि प्रतिबंध लगे हुए हैं, क्योंकि हिंदुस्तान की पॉलिसी अपने लोगों के लिए है."
शनिवार को हुई दामों में कटौती की घोषणा
शनिवार शाम को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की, “हमने पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साइज़ ड्यूटी 8 रुपए प्रति लीटर और डीज़ल पर 6 रुपए प्रति लीटर कम कर दी है. इससे पेट्रोल के दाम में 9.5 रुपए प्रति लीटर और डीज़ल के दाम में 7 रुपए प्रति लीटर की कमी आएगी.”
मार्च में पांच राज्यों के चुनाव समाप्त होने के बाद पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ने शुरु हुए थे और पेट्रोल सौ रुपए प्रति लीटर के पार चला गया था.
चुनावों के बाद 22 मार्च को पहली बार दाम बढ़े थे. अगले कई दिनों तक रोज़ाना पेट्रोल के दाम में इज़ाफ़ा किया गया.
हालांकि 4 नवंबर से 22 मार्च के बीच, जब पांच राज्यों में चुनाव चल रहे थे, तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दाम नहीं बढ़ाए थे. (bbc.com)
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) के सोशल मीडिया सेल से बात करते हुए मरियम नवाज़ ने कहा कि उन्हें इमरान ख़ान की टिप्पणी जानकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ.
इमरान ख़ान ने 20 मई को एक रैली में मरियम नवाज़ के ख़िलाफ़ कुछ ऐसा कह दिया, जिसकी काफी आलोचना हो रही है.
इमरान ख़ान ने कहा था, 'मरियम देखो थोड़ा ध्यान करो, तुम्हारा पति ही नाराज़ न हो जाए. जिस तरह तुम मेरा नाम लेती हो.'
इमरान खान ने कहा, "किसी ने मुझे सोशल मीडिया पर भाषण भेजा, मरियम कल कहीं भाषण दे रही थी, सोशल मीडिया पर जो भाषण मुझे मिला उसमें वो इतनी बार और इतने जुनून से मेरा नाम ले रही है कि मैं उससे कहना चाहता हूं कि मरियम देखो थोड़ा ध्यान करो, तुम्हारा पति ही न नाराज़ हो जाए जिस तरह तुम मेरा नाम लेती हो."
इमरान ख़ान की इस टिप्पणी पर मरियम नवाज़ ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि इमरान ने मुझ पर नहीं, बल्कि मुल्क की बेटियों, बहनों और माताओं पर हमला किया है.
मरियम नवाज़ ने इमरान पर हमला बोलते हुए कहा, “मेरे पास इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ राजनीति से जुड़ी इतनी चीज़ें हैं कि उन्हें इमरान ख़ान पर निजी हमले करने की ज़रूरत नहीं.”
पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने कहा शीरीन मज़ारी पर यह मुक़दमा पहले से ही था.
उन्होंने कहा कि अगर एंटी-करप्शन ने उन्हें गिरफ़्तार किया है तो इसकी कोई वजह तो होगी. मरियम नवाज़ ने कहा कि इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई महिला-कार्ड खेल रही है.
मरियम ने कहा कि वह बदला लेने की मंशा पर यक़ीन नहीं करतीं. (bbc.com)
तुर्की के रक्षा मंत्री जनरल हुलुसी अकार (रिटायर्ड) ने रावलपिंडी में पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष, जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाक़ात की.
तुर्की के रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर पाकिस्तान के रुख़ के प्रति अपना पूरा समर्थन जताया है.
इस बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा और सहयोग समेत साझा हित के कई मामलों पर चर्चा हुई. रेडियो पाकिस्तान की ख़बर के अनुसार, इस बैठक में समग्र क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति पर भी बात हुई.
जनरल हुलुसी और जनरल बाजवा ने क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करने पर ज़ोर दिया.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा मोहम्मद असिफ़ ने भी अपने समकक्ष से मुलाक़ात की. उन्होंने कहा कि तुर्की, पाकिस्तान का दोस्त रहा है और मुश्किल वक़्त में उसने हमेशा पाकिस्तान की मदद की है.
हुलुसी अकार ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के साथ भी प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक की.
प्रधानमंत्री ने सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक सहयोग की सराहना की और इसे आगे भी जारी रखने पर ज़ोर दिया. (bbc.com)
सिडनी, 22 मई। लेबर पार्टी के नेता एंथनी अल्बानीस ऑस्ट्रेलिया के नए प्रधानमंत्री चुने गए हैं।
अल्बानीस (59) ने उन्हें देश का 31वां प्रधानमंत्री बनाने के लिए मतदाताओं का कैंपरडाउन उपनगर में आभार व्यक्त किया और सिडनी में अपनी परवरिश का उल्लेख किया।
अल्बानीस ने अपने समर्थकों से कहा, ‘‘यह हमारे महान देश के बारे में बहुत कुछ कहता है कि एक पेंशनभोगी अकेली मां का बेटा जो कैंपरडाउन में सार्वजनिक आवास में पला-बढ़ा, वह आज रात ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के रूप में आपके सामने खड़ा हो सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हर माता-पिता अगली पीढ़ी के लिए ज्यादा चाहते हैं। मेरी मां ने मेरे लिए एक बेहतर जिंदगी का सपना देखा था और मुझे उम्मीद है कि मेरी यात्रा ऑस्ट्रेलियाई लोगों को सितारों की बुलंदियों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करेगी।’’
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि अल्बानीस की पार्टी बहुमत की सरकार बना सकती है या उसे निर्दलीय अथवा अन्य छोटे दलों के निर्वाचित सांसदों का समर्थन चाहिए होगा।
डाक मतपत्रों की गिनती अभी चल रही है,जिससे कई दिनों तक मतगणना चलने की संभावना है और इसे देखते हुए अल्बानीस संभवतः रविवार को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं,ताकि वह तोक्यो में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंगलवार के क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग ले सकें।
विश्लेषकों का मानना है कि मॉरिसन और उनकी टीम की जलवायु, कोविड-19 सहित अपने तीन साल के कार्यकाल में महिलाओं के अधिकार, राजनीतिक अखंडता और प्राकृतिक आपदाएं जैसे कई मुद्दों से निपटने में नाकामी चुनाव में हार का कारण बनी। (एपी)
अमेरिका को रूस के खिलाफ जंग लड़ रहे यूक्रेन की मदद करना अब भारी पड़ता नजर आ रहा है। कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले से ही भारी दबाव से गुजर रही है। इस बीच यूक्रेन को लगातार दी जा रही मदद ने अमेरिका के बजट के गणित को और ज्यादा बिगाड़ दिया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज ही यूक्रेन को 40 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता वाले बिल पर साइन किया है। इसी के साथ फरवरी से लेकर अभी तक अमेरिका ने यूक्रेन को 56.44 अरब डॉलर की कुल वित्तीय मदद दे दी है।
अमेरिका की यूक्रेन को दी गई वित्तीय सहायता रूस के 2022 के कुल रक्षा बजट से भी ज्यादा है। रूस ने इस साल अपना रक्षा बजट 51.3 बिलियन डॉलर रखा था। हालांकि, यूक्रेन में जारी स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन को देखते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आपातकालानी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सैन्य सहायता को कई गुना बढ़ा दिया है। इसमें यूक्रेन में ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को आर्थिक सहायता भी शामिल है। इतना ही नहीं, सैनिकों के दूसरे देश में खान-पान और रसद सप्लाई में रूस को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध बजट का दोगुना
यूक्रेन को दी गई 56.55 अरब डॉलर की मदद अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध की औसत वार्षिक लागत का लगभग दोगुना है। तब अमेरिका नाटो के सैन्य अभियान का सबसे बड़ा भागीदार था। अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों के लिए खान-पान, रसद, गोला-बारूद की सप्लाई दुनिया के अलग-अलग इलाकों में मौजूद अपने मिलिट्री बेस से करता था। पिछले साल जुलाई में अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया था। जिसके बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर अमेरिका के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया था।
बाइडेन ने शनिवार को 40 अरब डॉलर की सहायता दी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन की मदद के लिए शनिवार को 40 अरब डॉलर की नयी सहायता से जुड़े विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए। यह विधेयक अमेरिकी कांग्रेस में दोनों दलों के समर्थन से पारित हुआ था। विधेयक रूस के साथ जारी युद्ध के चलते अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे यूक्रेन के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जाने वाली इस सहायता में से 20 अरब डॉलर की सहायता यूक्रेन की सैन्य मदद के लिए है। बाइडेन ने असामान्य परिस्थितियों में विधेयक पर हस्ताक्षर किए।
कैनबरा, 21 मई। ऑस्ट्रेलिया में शनिवार को हुए मतदान के बाद प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के गठबंधन की तुलना में विपक्षी लेबर पार्टी के सरकार बनाने की अधिक संभावना दिखाई दे रही है और चुनाव का परिणाम एक दुर्लभ त्रिशंकु संसद के रूप में भी निकल सकता है।
प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का कंजर्वेटिव गठबंधन अगर चुनाव जीतता है तो वह चौथी बार सत्ता में आएगा। हालांकि इस चुनाव में विपक्षी नेता एंथनी अल्बानीस की लेबर पार्टी के विजयी होने के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन मॉरिसन ने 2019 में भी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को धता बताते हुए मामूली अंतर से जीत हासिल की थी।
सांसदों और विश्लेषकों ने प्रारंभिक मतगणना के आधार पर कहा कि लेबर पार्टी बहुमत की सरकार बना सकती है और गठबंधन की एकमात्र उम्मीद त्रिशंकु संसद में अल्पमत की सरकार बनाने की है।
अल्बानीस ने सिडनी के मैरिकविले टाउन हॉल में मतदान किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत सकारात्मक हूं और आज रात अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है।’’
वहीं, मॉरिसन ने अपनी पत्नी जेनी के साथ दक्षिणी सिडनी में लिली पिली पब्लिक स्कूल में मतदान किया। बाद में, उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई समुद्री क्षेत्र में घुसने का प्रयास कर रही शरणार्थियों से भरी एक नौका को रोके जाने की घटना का हवाला देते हुए कहा कि इसलिए मतदाताओं को उनकी सरकार को पुन: निर्वाचित करना चाहिए।
ऑस्ट्रेलियाई सीमा बल ने एक बयान में कहा कि ऐसी आशंका है कि श्रीलंका से आई यह नौका ऑस्ट्रेलिया में गैरकानूनी रूप से घुसने की कोशिश कर रही थी।
मॉरिसन ने दलील दी कि लेबर पार्टी शरणार्थियों को रोकने में नाकाम होगी।
महामारी के कारण ऑस्ट्रेलिया के 1.7 करोड़ मतदाताओं में से 48 प्रतिशत से अधिक ने पहले ही मतदान कर दिया या डाक मतपत्रों के लिए आवेदन किया है।
सरकार ने हाल में कोविड-19 से पीड़ित रहे लोगों के फोन पर मतदान करने के लिए शुक्रवार को नियमों में बदलाव किया था।
ऑस्ट्रेलिया के निर्वाचन आयुक्त टॉम रोजर्स ने कहा कि योजना के अनुसार 7,000 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए और 15 प्रतिशत मतदान कर्मी कोरोना वायरस और फ्लू के कारण बीमार पड़ गए।
अल्बानीस ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि मॉरिसन गत सप्ताहांत चुनाव कराएंगे क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के मंगलवार को तोक्यो शिखर वार्ता में शामिल होने की उम्मीद है, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेंगे।
लेबर पार्टी ने चुनाव जीतने पर बच्चों तथा बुजुर्गों की देखभाल पर अधिक खर्च करने का वादा किया है। उसने महामारी के कारण ऑस्ट्रेलिया का घाटा बढ़ने पर बेहतर आर्थिक प्रबंधन का वादा किया है।
वहीं, मॉरिसन ने कहा कि फिर से निर्वाचित होने पर उनकी सरकार करों में कमी लाएगी और साथ ही ब्याज दरों पर दबाव भी कम करेगी।
‘द ऑस्ट्रेलियन’ अखबार में शनिवार को प्रकाशित ‘न्यूजपोल’ में 53 प्रतिशत मतदाताओं के समर्थन के साथ लेबर पार्टी को आगे दिखाया गया है। (एपी)
इस्लामाबाद, 21 मई। पाकिस्तान की पूर्व मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी को पुलिस अधिकारियों ने “पीटा” और उन्हें अपने साथ ले गये। मजारी की बेटी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
पिछले महीने इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये प्रधानमंत्री पद से हटाने के बाद से पूर्व मंत्री मजारी, सेना की आलोचना करती रही हैं।
उनके विरुद्ध आरोपों की घोषणा अभी आधिकारिक तौर पर नहीं की गई है लेकिन स्थानीय मीडिया की खबर में कहा जा रहा है कि यह जमीन विवाद से जुड़ा मामला हो सकता है जो पुलिस ने इस वर्ष मार्च में दर्ज किया था।
मजारी की बेटी ईमान जैनब मजारी-हजीर ने ट्वीट किया कि उनकी मां को “भ्रष्टाचार रोधी” अधिकारियों ने गिरफ्तार किया।
मजारी-हजीर ने कहा, “पुरुष पुलिस अधिकारियों ने मेरी मां को पीटा और उन्हें अपने साथ ले गए। मुझे केवल इतना बताया गया कि लाहौर की भ्रष्टाचार रोधी इकाई उन्हें ले गई।” भ्रष्टाचार रोधी प्रतिष्ठान (एसीई) के अधिकारियों ने ‘डॉन न्यूज’ से कहा कि शिरीन को हिरासत में लिया गया है।
प्रधानमंत्री के पूर्व विशेष सहायक शाहबाज गिल ने पाकिस्तान तहरीक-ए -इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं से कोहसार पुलिस थाने पहुंचने को कहा है जहां मजारी को रखा गया है। पीटीआई के नेताओं ने कहा कि राजनीतिक विद्वेष के कारण यह गिरफ्तारी की गई है। की कोई परवाह नहीं है। (भाषा)
न्यूयॉर्क, 21 मई। टेस्ला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)एलन मस्क ने ‘स्पेस एक्स’ की अनुबंधित एक विमान परिचारिका (फ्लाइट अटेंडेंट) द्वारा किये गये यौन शोषण के दावे का खंडन किया है।
मामला 2016 का है जब एक विमान परिचारिका ने मस्क पर यौन शोषण का आरोप लगाया था।
‘बिजनेस इनसाइडर’ की एक खबर में कहा गया है कि ‘स्पेसएक्स’ कंपनी ने 2018 में महिला को मुकदमा दायर नहीं करने के लिए सहमत होने के बदले में 2,50,000 डॉलर का भुगतान किया।
खबर के अनुसार विमान परिचारिका ने घटना के तुरंत बाद इस संबंध में अपने एक मित्र को बताया था । इसी मित्र ने ‘बिजनेस इनसाइडर’ को इस घटना के बारे में बताया।
मस्क ने यौन शोषण के दावे का खंडन किया है। (एपी)
(सज्जाद हुसैन)
न्यूयॉर्क/इस्लामाबाद, 19 मई। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि के बीच पाकिस्तान को उम्मीद है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन अपनी ज़मीन को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने की अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता पर खरा उतरेगा।
बिलावल ने कहा कि अफगानिस्तान में हो रही घटनाओं का पाकिस्तान में लोगों के जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। बिलावल ने पिछले महीने कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर कहा कि इस्लामाबाद पड़ोसी देश काबुल में पैदा हो रहे मानवीय संकट के आलोक में कट्टर इस्लामवादियों के साथ साझेदारी की वकालत करता रहेगा।
पूर्व आईएसआई प्रमुख और वर्तमान पेशावर कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के नेतृत्व में एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के साथ बुधवार को अफगानिस्तान में एक बैठक में, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान आतंकवादी समूह ने कबायली नेताओं की मांगों पर संघर्ष विराम को 30 मई तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने बुधवार को सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में पाकिस्तानी सेना और प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के बीच घोषित संघर्ष विराम के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘हम न केवल स्थिति पर निगरानी रखते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी तरफ से काम करते हैं कि आतंकवाद के खतरे से निपटने की कोशिश कर सकें। हम आशा करते हैं कि अफगानिस्तान में शासन आतंकवाद के लिए अपनी ज़मीन का इस्तेमाल नहीं होने देने की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता पर खरा उतरेगा।''
हाल ही में एक घटना में, पाकिस्तान के अशांत उत्तरी वजीरिस्तान कबायली जिले में एक आत्मघाती विस्फोट में पाकिस्तानी सेना के तीन सैनिक और तीन बच्चे मारे गए थे। यह इलाका अफगानिस्तान की सीमा से भी सटा हुआ है।
पिछले महीने पाकिस्तान ने पूर्वी अफगानिस्तान में हवाई हमले किए थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि हमले एक शरणार्थी शिविर और एक अन्य स्थान पर हुए, जिनमें कम से कम 40 लोग मारे गए।
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान के करीब 10,000 आतंकवादी छिपे हुए हैं।
पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों पर नज़र रखने वाले इस्लामाबाद स्थित एक थिंक-टैंक ''पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज’’ के अनुसार पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान के शासन पर नियंत्रण के बाद से पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान को काबुल में मौजूदा प्रशासन को स्वीकार करने के लिए क्या करना होगा, बिलावल ने कहा था कि इस संबंध में कोई भी निर्णय अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ चर्चा के अनुरूप लिया जाना चाहिए।
बिलावल ने कहा पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि अगर हम एक बार फिर अफगानिस्तान के लोगों को छोड़ देते हैं तो यह हमारे हित में नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लगातार अफगानिस्तान के साथ जुड़ा हुआ है, चाहे सत्ता में कोई भी हो।
बिलावल वर्तमान में अमेरिका में ‘‘ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन’’ पर मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के निमंत्रण पर अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर हैं।
बुधवार को, बिलावल ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की और क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और द्विपक्षीय और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया।
बिलावल के साथ अपनी बैठक से पहले अपनी टिप्पणी में ब्लिंकन ने कहा कि वाशिंगटन विदेश मंत्री के साथ और पाकिस्तान में एक नई सरकार के साथ काम करने को लेकर बहुत खुश है। (भाषा)
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 19 मई। पाकिस्तान ने भारतीय दूतावास प्रभारी को यहां विदेश मंत्रालय में तलब कर उन्हें आपत्ति संबंधी एक दस्तावेज (डिमार्शे) सौंपा है, जिसमें कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ "मनगढ़ंत आरोप" लगाए जाने की कड़ी निंदा की गई है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार देर रात एक बयान में कहा कि कश्मीरी हुर्रियत नेता मलिक फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद है।
बयान में कहा गया ''भारतीय दूतावास को पाकिस्तान की गंभीर चिंता से अवगत कराया गया कि भारत सरकार ने कश्मीरी नेतृत्व की आवाज़ को दबाने के लिए उन्हें (मलिक को) फर्जी मामलों में फंसाया है।''
इसमें कहा गया है कि भारतीय पक्ष को 2019 से “अमानवीय परिस्थितियों” में तिहाड़ जेल में मलिक के बंद होने पर पाकिस्तान की चिंता से भी अवगत कराया गया।
विदेश मंत्रालय ने कहा पाकिस्तान ने भारत सरकार से मलिक को सभी "निराधार" आरोपों से बरी करने और जेल से तत्काल रिहा करने का मांग की ताकि वह अपने परिवार से मिल सकें तथा अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सामान्य जीवन जी सकें।
मलिक ने हाल ही में, 2017 में कश्मीर घाटी में अशांति पैदा करने वाले कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में दिल्ली की एक अदालत के समक्ष, कड़े गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और विभिन्न धाराओं के तहत लगाए गए सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था।
भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू और कश्मीर "हमेशा से ही भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।’’ भारत ने पाकिस्तान को वास्तविकता को स्वीकार करने और भारत विरोधी दुष्प्रचार को रोकने की भी सलाह दी। (भाषा)
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के शीर्ष खुफ़िया अधिकारी ने कहा है कि भारत के परमाणु हथियारों की संख्या और उसकी सैन्य ताक़त को देखते हुए, पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा सकता है. अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान परमाणु क्षमताओं का आधुनिकीकरण और विस्तार करना जारी रखेगा.
डिफ़ेंस इंटेजिलेंस एजेंसी के निदेशक लेफ़्टिनेंट जनरल स्कॉट बेरियर ने सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के सदस्यों से ये बात कही.
उन्होंने कहा, "भारत के परमाणु हथियारों और पारंपरिक सेना के बलों की मज़बूती को देखते हुए पाकिस्तान परमाणु हथियारों को अपने देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण मान रहा है."
"पाकिस्तान 2022 में अपने तैनात हथियारों के साथ प्रशिक्षण आयोजित करके और नई वितरण प्रणाली विकसित करते हुए, अपनी परमाणु क्षमताओं का आधुनिकीकरण और विस्तार करना जारी रखेगा."
उन्होंने पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए कहा, "फ़रवरी 2019 में कश्मीर में सीआरपीएफ़ के काफ़िले पर हमला हुआ था जिसमें 40 जवान मारे गए थे हमले के बाद से भारत के साथ पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं."
बेरियर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया वक़्त में स्थायी कूटनीतिक निष्कर्ष को लेकर कोई भी बेहतर प्रगति नहीं हुई है.
भारत ने अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर को 370 के तहत मिला विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने का ऐलान किया और इसे केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर बना दिया. इस क़दम से नाराज़ पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर करते हुए इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था.
इसके अलावा जनरल स्कॉट बेरियर ने ये भी कहा कि भारत रूस से मिलने वाले मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम (एस-400) का प्रयोग चीन और पाकिस्तान से ख़ुद को सुरक्षित रखने के लिए करना चाहता है.
जनरल बेरियर ने कहा, " दिसंबर में भारत को एस-400 की शुरुआती खेप मिली थी. भारत जून 2022 तक इस डिफ़ेंस सिस्टम को चीन और पाकिस्तान से ख़ुद को डिफेंड करने के लिए ऑपरेशनल कर सकता है."
उन्होंने कहा कि भारत हाइपरसोनिक, बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइल कार्यक्रम को भी विकसित कर रहा है और उसने 2021 में इस दिशा में कई टेस्ट किए है. इसके अलावा अंतरिक्ष में कई भारतीय उपग्रह हैं जो भारत की स्पेस में क्षमताओं को बढ़ाते हैं.
बेरियर ने सांसदों से कहा कि भारत हवाई, ज़मीनी, नौसैनिक और स्ट्रैटजिक न्यूक्लियर फोर्स के व्यापक आधुनिकीकरण पर तेज़ी से काम कर रहा है. इसके साथ ही वो घरेलू रक्षा उत्पादन पर भी ज़ोर दे रहा है.
भारत एक इंटिग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने जा रहा है जिसकी मदद से उसके तीनों सेना के साझा ऑपरेशन को और बेहतर बनाया जा सके.
2019 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने घरेलू रक्षा उद्योग का विस्तार करके विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से रक्षा खरीद को कम किया.
बेरियर ने ये भी कहा भारत और रूस के बीच लंबे वक़्त से चले आ रहे रक्षा संबंध अभी भी मज़बूत स्थिति में हैं.
भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर कोई पक्ष ना लेते हुए रूस की किसी भी मंच पर आलोचना नहीं की है.
बेरियर के अनुसार, 2021 के दौरान, भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए अपनी एक विदेश नीति के लागू करना जारी रखा है.
बेरियर ने ये भी कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. उसे डर है कि अफ़ग़ानिस्तान की ये हलचल भारत में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधि को बढ़ा सकती है.
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी से मुलाकात की. दोनों नेताओं की बातचीत क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ-साथ द्विपक्षीय आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही.
बिलावल भुट्टो एंटनी ब्लिंकन के निमंत्रण पर संयुक्त राष्ट्र में बुधवार को होने वाली मंत्रिस्तरीय बैठक "ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन" में भाग लेने बतौर विदेश मंत्री अपनी पहली अमेरिका यात्रा पर हैं.
किसके पास कितने परमाणु हथियार हैं?
साल 2021 में आए स्वीडन के थिंक टैक 'स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट' (सिप्री) ने सोमवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट के अनुसार, शीत के युद्ध के समापन (1990) के बाद से यह पहली बार है जब दुनिया में परमाणु हथियार बमों में कमी का सिलसिला थम गया है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि परमाणु हथियारों के मामले में भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान उससे कहीं आगे हैं.
भारत ने पिछले साल छह नए परमाणु हथियार बनाए और अब उसके पास करीब 156 परमाणु हथियार हो गए हैं.
पाकिस्तान ने पिछले साल के मुकाबले पाँच नए परमाणु हथियार बनाए है और उसके पास अब करीब 165 परमाणु हथियार हैं.
चीन ने पिछले साल की तुलना में 30 नए परमाणु हथियार बनाए हैं और अब पास करीब 350 परमाणु हथियार हो गए हैं.
उत्तर कोरिया ने पिछले साल के मुकाबले करीब 10 नए परमाणु हथियार बनाए हैं और मौजूदा वक़्त में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार हैं.
फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन साइंटिस्ट्स नामक संस्था के मुताबिक रूस के पास दुनिया भर में 5,977 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,500 एक्सपायर होने वाले हैं या पुराने हो जाने के कारण जल्द ही उन्हें तबाह कर दिया जाएगा.
चीन, फ़्रांस, रूस, अमेरिका और ब्रिटेन उन 191 देशों में शामिल हैं जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हुए हैं.
इस संधि के अंतर्गत उन्हें अपने परमाणु हथियारों के जख़ीरे को कम करना है और सैद्धांतिक तौर पर पूरी तरह से ख़त्म करना है.
1970 और 1980 के दशक में इन देशों ने अपने हथियारों की संख्या में बड़ी कटौती की है.
भारत, इसराइल और पाकिस्तान ने कभी इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए. उत्तर कोरिया ने 2003 में ख़ुद को इस संधि से अलग कर लिया था.
विश्व की नौ परमाणु शक्तियों में से मात्र इसराइल ही ऐसा है जिसने आजतक कभी औपचारिक रूस से खुद के पास परमाणु हथियार होने की बात नहीं कही है.
लेकिन माना जाता है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं.
विश्व हथियार आयात
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार 2010 से 2014 के दौरान विश्व हथियार आयात में भारत का हिस्सा 15 फ़ीसदी था.
इसके साथ ही भारत हथियार आयात के मामले में पहले नंबर पर था.
परमाणु
दूसरी तरफ़ चीन फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन को पीछे छोड़ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश के रूप में सामने आया है.
2005 में भारत ने अपनी ज़रूरत के हथियारों का 70 फ़ीसदी हिस्सा देश में बनाने का लक्ष्य तय किया था जो अब भी 35 से 40 फ़ीसदी तक ही पहुंच पाया है.
द स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में सैन्य खर्चों में हर साल 1.2 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हो रही है.
इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के सैन्य खर्चों में अमरीका अकेले 43 फ़ीसदी हिस्से के साथ सबसे आगे है.
इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चार स्थाई सदस्य आते हैं. हालांकि बाक़ी के सदस्य अमेरिका के आसपास भी नहीं फटकते हैं.
चीन सात फ़ीसदी के साथ दूसरे नंबर पर है. इसके बाद ब्रिटेन, फ़्रांस और रूस क़रीब चार फ़ीसदी के आसपास हैं.
परमाणु हथियारों से कितनी तबाही?
परमाणु हथियारों का मकसद ही है अधिकतक तबाही. लेकिन तबाही का स्तर नीचे दी गई चीज़ों पर निर्भर करती है -
•परमाणु हथियार का साइज़
•ज़मीन से कितने ऊपर इसका विस्फोट हुआ
•स्थानीय वातावरण
लेकिन छोटे से छोटा परमाणु हथियार में बड़ी संख्या में लोगों की जान ले सकता है और आने वाली पीढ़ियों पर भी असर डाल सकता है.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा में गिराया गया अमेरिका परमाणु बम 15 किलोटन था.
आजकल के परमाणु बम एक हज़ार किलोटन तक के हो सकते हैं.
जैसे ही किसी इतने बड़े परमाणु हथियार के इस्तेमाल के बाद विस्फोट होगा, इसके आस-पास कुछ नहीं बचेगा.
परमाणु विस्फोट के दौरान, एक आँखे चौंधिया देने वाली रोशनी के बाद एक आग का गोला निकलता है जो अपने आस-पास कई किलोमीटर तक इमारतों और अन्य ढांचे को नेस्तनाबूद करते जाता है. (bbc.com)
-सारा रेन्सफोर्ड
मार्च में कीएव से रूसी फौजों के वापस लौटने के बाद से बूचा में 1000 नागरिकों के शव बरामद हो चुके हैं. इनमें से ज्यादातर को कम गहराइयों वाली कब्रों में दफना दिया गया था. लेकिन बच्चों के एक समर कैंप में जो कुछ हुआ वह दिल दहलाने वाला था. बीबीसी की सराह रेन्सफोर्ड समर कैंप में की गई कार्रवाई की पड़ताल कर रही हैं. इस कैंप को अब अपराध स्थल माना जा रहा है.
*इस रिपोर्ट की कुछ सामग्रियाँ कुछ पाठकों को विचलित करती हैं*
एक झटके में ये क़त्लगाह आपकी निगाहों में नहीं भी आ सकता है. लेकिन जंग से पहले लोगों के सैर-सपाटे के लिए मशहूर बूचा की जंगलों के किनारे पर बने इस बेसमेंट में घुटनों के बल बिठा कर पांच यूक्रेनियों को गोली मार दी गई थी. उन्हें सिर में गोली मारी गई थी.
इस बेसमेंट में घुसने की जगह से दाईं ओर खून से सने पत्थर दिखते हैं, जो सूख कर काले पड़ चुके हैं. वहीं पर एक ऊनी टोपी पड़ी है और इसमें एक तरफ सूराख है. इसके किनारे खून में सने हुए हैं. दरवाजों पर मैंने गिना, गोलियों के कम से कम एक दर्जन निशान थे.
कुछ सीढ़ियों से दूर रूसी सेना के राशन का पैक पड़ा था. एक जगह चावल से बनी खीर, बीफ और क्रैकर का एक खाली पैकेट दिखा. दीवार पर किसी का नाम पोता गया था. ऐसा लगता है कि यह जगह बच्चों का एक कैंप हुआ करती थी. लेकिन मार्च की शुरुआत में बूचा में रूसी सैनिकों के घुसते ही कैंप रेडिएंट नाम से जानी जाने वाली ये जगह कत्लगाह में तब्दील हो गई थी.
इस समर कैंप में जो हत्याएं हुई हैं वो जघन्य हैं. लेकिन इसका ब्यौरा भी सिहरा देनेवाला है. रूसी कब्ज़े के दौरान मार्च में एक महीने के भीतर ही बूचा में 1000 नागरिक मारे गए थे. लेकिन ज्यादातर लोग बम और गोलों से नहीं मरे. रूसी सैनिकों ने 650 से अधिक नागरिकों को गोलियों से मार डाला.
अब यूक्रेन इन हत्यारों की तलाश कर रहा है.
व्लोदोमीर बोइचेनको होस्तोमेल में रहते थे. बूचा से ठीक ऊपर जाने वाली सड़कों की ओर. उनका घर उस एयरफील्ड के नज़दीक था जहां रूसी सैनिक पहली बार यूक्रेन की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उतरे थे.
लड़ाई के नजदीक आने से पहले जब उनकी बहन एलियोना मिकितियुक वहां से भाग रही थीं तो उन्होंने व्लोदोमीर को भी साथ चलने को कहा. वो सिविलियन थे सैनिक नहीं. लेकिन लोगों की मदद के लिए वहीं रहना चाहते थे. वह कई दिनों तक होस्तोमेल में घूम-घूम कर खाना और पानी इकट्ठा करते रहे ताकि पड़ोसियों और बच्चों की मदद की जा सके.
रूसी बमबारी और हवाई हमलों से बचने के लिए ये तहखाने में छिपे हुए थे.
मर्चेंट नेवी में काम करने की वजह से दुनिया घूम चुके 34 साल के बातूनी व्लोदोमीर ने उस दौरान अपने परिवार वालों को फोन कर कहा कि वह सुरक्षित हैं. लेकिन उनकी बहन एलियोना थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर उनके फोन का इंतजार करती रहती थीं.
उन्हें मालूम था कि फोन कनेक्ट करने के लिए उन्हें ऊंची जगह पर जाना होगा. लेकिन बमबारी हुई तो उनके लिए छिपने की जगह को छोड़ कर ऊंची जगह पर जाना मुश्किल होगा. जब खाने-पीने की चीजें खत्म हो रही थीं तो उन्होंने अपने भाई को किसी सुरक्षित जगह पर जाने को कहा. लेकिन तब तक रास्ते बंद हो चुके थे.
8 मार्च को एलियोना की अपने भाई से आखिरी बार बातचीत हुई. उस दिन भी व्लोदोमीर ने कहा कि चिंता ना करो. उन्होंने बहन से कहा, '' मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं.'' लेकिन एलियोना ने रोते हुए बताया कि यह सुनना बेहद दर्दनाक था.
उन्होंने कहा, '' भाई की आवाज़ में डर था. पड़ोसियों ने चार दिन बाद व्लोदोमीर को पोरोमेनेस्ती के पास देखा. इसे कैंप रेडिएंट भी कहा जाता है. लेकिन इसके बाद व्लोदोमीर गायब हो गए.''
मार्च में कीएव में भीषण लड़ाई चल रही थी और बूचा शहर इसके केंद्र में था. लेकिन जब अप्रैल में रूसी सेना लौटी तो भयावह मंजर सामने आए. दुनिया सन्न रह गई. बड़ी तादाद में नागरिकों के शव सड़कों पर बिखरे पड़े थे. उन्हें गोलियों से भून दिया गया था.
रूस ने इस कत्लेआम से इनकार किया है. लेकिन अब बूचा एक बार फिर यूक्रेनी सेना के नियंत्रण में है और उसने कत्लेआम के सुबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं.
कीएव रीजनल पुलिस के चीफ आंद्रेई नेवितोव ने कहा, '' हमें पता नहीं पुतिन क्या योजना बना रहे हैं. वो यहां बम गिरा कर रूसी सैनिकों की ओर से की गई इन हत्याओं के सुबूत मिटा भी सकते हैं. इसलिए हम जल्द से जल्द सुबूत जुटाने को अंजाम देने में लगे हैं. ''
इन सुबूतों में नागरिकों की ऐसी कारें भी शामिल हैं, जिन्हें अंधाधुंध चलाई गई गोलियों से कई छेद हो गए हैं. बूचा में ऐसी कारों के ढेर लगे हैं. उन कारों को उस वक्त निशाना बनाया गया, जो यूक्रेनी परिवार उनमें बैठ कर भाग रहे थे.
इनमें से एक कार पर तो सफेद कपड़ा अभी भी लगा है. ये सफेद कपड़ा रूसी सैनिकों को ये बताने के लिए लगाया गया था कि वे उनके लिए खतरा नहीं हैं. लेकिन इस कार को भी नहीं छोड़ा गया. थोड़ा नजदीक जाते ही आपको यहां मौत की बदबू का अहसास होगा.
4 अप्रैल को जब कैंप रेडिएंट में जो लाशें बरामद हुईं उनमें एक व्लोदोमीर बोइचेनको की भी थी. एलियोना ने हफ्तों तक अपने भाई को अस्पतालों और मुर्दाघरों में तलाशने की कोशिश की थी. उस दिन उनके पास एक फोटो भेजी गई ताकि वह इसे पहचान सकें. लेकिन फोटो के डाउनलोड होने से पहले ही वो जान गई थीं कि ये उनके भाई की ही है.
व्लोदोमीर के हत्यारों को लानते भेजते हुई एलियोना कहती हैं, '' मेरा रोम-रोम उनसे नफरत करता है. रोते हुए वो कहती हैं, '' हालांकि ऐसा बोलना ठीक नहीं है लेकिन वे इंसान नहीं हैं. जिन लोगों की लाशें मिली हैं उनके शरीर में एक इंच भी नहीं बची है, जहां पिटाई के निशान न हों. ''
कीएव रीजनल पुलिस के चीफ आंद्रेई नेवितोव कहते हैं, पांच लोगों की लाशें घुटने के बल गिरी हुई मिली थीं. उनके सिर नीचे थे और हाथ पीठ से बंधे. हमें मालूम है कि उन्हें काफी प्रताड़ित किया गया था.
उन्होंने बीबीसी से कहा, '' रूसी सैनिकों को ये मालूम नहीं कि युद्ध कैसे लड़ा जाता है. उन्होंने हर सीमा लांघ दी. ये यूक्रेन की सेना से नहीं लड़ रहे थे. वे नागरिकों का अपहरण कर उन्हें यंत्रणा देने में लगे थे. ''
न तो अभियोजक का दफ्तर और न ही एसबीयू सिक्योरिटी सर्विस रूसी सैनिकों की करतूतों की जांच का ब्योरा दे रहा है. लेकिन कुछ रूसी सैनिक इतने लापरवाह थे कि वे जिन रास्तों से गुजरे थे वहां के सुबूत भी उन्होंने नहीं मिटाए थे. यहां से काफी अहम सुबूत मिल सकते हैं.
यूक्रेनियन टेरिटोरियल डिफेंस यूनिटों ने उन सैनिकों की सूची तलाशी है जो इन ठिकानों पर तैनात थे. इनमें से एक ड्यूटी चार्ट जैसा लग रहा है, जिसमें वहां की गंदगी हटाने के लिए ड्यूटी पर लगाए जाने वाले सैनिकों के नाम थे. एक और कागज के टुकड़े पर पासपोर्ट के ब्योरे और फोन नंबर लिखे हैं.
सबूत जुटाने के क्रम में अब तक 11 हज़ार से ज्यादा संभावित युद्ध अपराध के मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
हमें कैंप रेडिएंट में इस युद्ध अपराध का एक संभावित सुराग मिला. यहां एक पार्सल पड़ा दिखा, जो किसी किश्विका नाम की महिला ने एक रूसी सैनिक के नाम भेजा था. उस सैनिक का नाम और उसकी मिलिट्री यूनिट का नाम इस पर साफ लिखा था. इसमें यूनिट नंबर 6720 लिखा था जो रब्तोसोविस्क में स्थित थी. यह साइबेरिया के अलताई क्षेत्र में है. यह बूचा से जुड़ा मामला है, जो हमले के दौरान रूसी सैनिकों ने यूक्रेनी घरो से लूटे हुए सामानों को बड़े-बड़े पैकेट में बंद कर अपने रिश्तेदारों को भेजना शुरू किया था. सीसीटीवी कैमरे में वे ऐसा करते हुए देखे जा रहे हैं.
यह तो निश्चित तौर पर नहीं जा सकता कि रब्तोसोविस्क के सैनिक ही वहां बच्चों के कैंप पर तैनात थे. यह भी कहना मुश्किल है जिस समय वहां लोगों का कत्ल हुआ वे सैनिक वहां मौजूद थे. पुलिस को पहले यह पक्का करना होगा कि उन मौतों का समय क्या रहा होगा.
पुलिस चीफ नेबितोव ने कहा, '' हम इस पर काम कर रहे हैं. लेकिन ये जल्दी होने वाली चीज नहीं है. लेकिन वह कैंप हेडक्वार्टर था इसलिए वहां कोई कमांडर रहा होगा. कमांडर की जानकारी के बगैर किसी की हत्या नहीं की जा सकती थी. इसलिए हमें पहले इन हत्याओं की योजना बनाने वालों और फिर इसे अंजाम देने वालों को बारे में पता करना होगा. ''
रेडिएंट कैंप की दूसरी ओर से एक चर्च है जिस पर गोलीबारी से हुए नुकसान के निशान हैं. यहां ऐसा लगता है कि बूचा में एक बार फिर जिंदगी शुरू करने की जद्दोजहद हो रही है. छोटे बच्चे इधर-इधर यार्ड में दौड़ते हुए दिखते हैं. जबकि एक शख्स बमबारी से टूट चुकी खिड़कियों में लकड़ी के फट्टे लगाने की कोशिश कर रहा है. एक छोटी दुकान खुली हुई दिखी है. इसमें रिपेयरिंग का काम चल रहा है.
यूक्रेन
बूचा में अब लोग एक खुले में घूमते दिख रहे हैं. एक दूसरे से मिलते वक्त पड़ोसी इस बात की चर्चा करते हैं कि वे उन दिनों को याद करते हैं जब रूसी टैंक सड़कों पर घूम रहे थे. रूसी सैनिक अंधाधुंध गोलियां चला रहे थे और शराब पीकर सड़कों पर घूम रहे थे. ये सैनिक घरों के दरवाजे तोड़ कर सामान लूटने में लगे थे.
वो उस स्थानीय शख्स को भी याद करते हैं जो दूसरी ओर बने समर कैंप से भाग कर उनके फ्लैट ब्लॉक में घुस आया था. उन लोगों ने जोखिम के बावजूद उसे जगह दी थी.
विक्टर स्तिनित्सकी कैंप रेडिएंट के बारे में पहले नहीं जानते थे. लेकिन उन्होंने जो ब्यौरा दिया, वह उससे काफी मिलता-जुलता है. वो फिलहाल पश्चिमी यूक्रेन में हैं. उन्होंने फोन पर मुझे इस कहानी के बारे में बताया. वो अपनी कार से मुझे फोन कर रहे थे ताकि उनकी मां परेशान न हों.
मार्च की शुरुआत में जब विक्टर को सड़कों पर रूसी सैनिकों ने पकड़ लिया था तो उन्होंने उनके हाथ बांध दिए थे. रूसी सैनिकों ने सिर की टोपी को खींच कर उनकी आंखें बंद कर दी थी. उसके बाद सैनिक उन्हें तहखाने में खींच कर ले गए थे. विक्टर को यह पक्का पता था कि वह एक चिल्ड्रेन कैंप की जमीन पर हैं.
रूसी सैनिकों ने पहले उसके पैरों पर पानी उड़ेला ताकि वे जम जाएं. वो कहीं भाग नहीं पाए. इसके बाद उन सैनिकों ने उनके सिर पर बंदूक टिका दी थी.
'रूसी सैनिक उनसे पूछते जा रहे थे.- कहां हैं फासिस्ट? यूक्रेनी सैनिक कहां हैं? जेलेंस्की कहां हैं. वह कहते हैं, '' एक ने पुतिन का नाम लिया तो मैंने उसके खिलाफ कड़ा बोला. रूसी सैनिक नाराज़ होकर मुझे मारने लगे.''
विक्टर कहते हैं, '' मुझे रूसी सैनिकों पर गुस्सा आ रहा था लेकिन मैं डरा हुआ भी था. '' विक्टर पहले रूस में साइबेरिया के लोगों के साथ काम कर चुके थे. वे इस बात को लेकर बेहद डरे हुए थे कि रूसी उसके साथ बेहद बेरहमी से पेश आ सकते थे. इनमें से एक सैनिक ने बताया भी कि वह साइबेरिया से है.
विक्टर इस बात को लेकर दुखी थे के हालात कहां तक आ पहुंचे हैं. उनमें से एक रूसी सैनिक कहा था, '' दुख की बात ये है कि हमारे दादाओं ने नाज़ियों के खिलाफ युद्ध लड़ा और अब तुम फासिस्ट बन गए हो. ''
रूसी सैनिक ने कहा, '' तुमने जो देखा उसे याद करने के लिए तुम्हारे पास सुबह तक का वक्त है. अगर तुम याद करके उन चीजों बारे में नहीं बता पाए तो मार दिए जाओगे. ''
लेकिन उस रात विक्टर भाग्यशाली साबित हुए. भारी बमबारी हो रही थी और यह देखते हुए रूसी सैनिक उनकी निगरानी नहीं कर रहे हैं वे भाग निकले. ''
विक्टर कहते हैं, '' बमबारी के बीच मेरे जिंदा रहने की संभावना ज्यादा थी. अगर मैं उस तहखाने में रूसी कैद में रहता तो मारा जाता. उन्होंने बंदूक मेरे माथे पर सटा ही थी. ट्रिगर दबाने में कितना वक्त लगता''
उन्हें दफनाने के बाद उनकी बहन एलियोना ने कहा कि उन्होंने अपने सपने में भाई का चेहरा ठीक से देखा है.ऐसा लग रहा है जैसे वह मुझे दिलासा दे रहा हो.
लेकिन अब भी कई सवाल बरकरार हैं. व्लोदोमीर की कब्र पर क्रॉस के निशान पर सिर्फ उनका जन्म की तारीख लिखी है. मरने की तारीख नहीं है. क्योंकि उनके परिवार को पता नहीं है कि उन्हें कब गोली मारी गई.
इसका पता तब तक नहीं चल सकता जब तक कैंप रेडिएंट को कब्जे में लेने वाले कमांडर के बारे में पता नहीं चल जाता है.
बूचा में हर कोई जानता है स्थानीय नागरिक इस युद्ध में न सिर्फ फंस गए हैं बल्कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. उन्हें रूसी सैनिक मार रहे हैं. जो युद्ध के नियम जानते हैं और न इसकी परवाह करते हैं.
(तस्वीरेंः सारा रेन्सफ़ोर्ड)
इस रिपोर्ट के लिए डारिया सिपिगिना, मारियाना मातवेइचुक और टोनी ब्राउन ने भी योगदान दिया है (bbc.com)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेस्की मौजूदा हालात पर दुनियाभर में कई संसदों और नेताओं को संबोधित कर चुके हैं.
और इस बार पूर्व अभिनेता-कॉमेडियन ज़ेलेंस्की ने कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल को संबोधित करते हुए संदेश जारी किया.
वीडियो संदेश में ज़ेलेंस्की ने कहा- और अंत में...नफ़रत ख़त्म हो जाएगी और तानाशाह मारा जाएगा.
उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिनेमा की ताक़त का उल्लेख भी किया. अपने संदेश में उन्होंने चार्ली चैपलिन की फ़िल्म 'द ग्रेट डिक्टेटर' का भी ज़िक्र किया, जो एडोल्फ़ हिटलर का मज़ाक उड़ाती है.
उन्होंने कहा- हमें आज के समय में एक नए चार्ली चैपलिन की ज़रूरत है जो यह साबित कर सके कि सिनेमा मूक नहीं है.
कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में जिस वक़्त ज़ेलेंस्की का यह संदेश सुनाया गया, लोगों ने खड़े होकर उनके लिए तालियाँ बजाई. (bbc.com)
नासा के लिए मंगल ग्रह पर काम कर रहा अंतरिक्ष यान ‘इनसाइट’ अपने अंत की ओर बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों को आशंका है कि दो महीने के भीतर लैंड रोवर काम करना बंद कर देगा.
चार साल से मंगल पर लगातार काम कर रहे ‘इनसाइट' का अंत नजदीक दिख रहा है. नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि उसके सोलर पैनल पर धूल जम गई है. मंगलवार को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि सोलर पैनलों के काम बंद कर देने के बाद भी इनसाइट का प्रयोग जब तक संभव हो जारी रखा जाएगा क्योंकि उसमें सीज्मोमीटर यानी भूकंप आंकने वाले वाला यंत्र लगा है, जिससे मंगल पर आने वाले भूकंपों का पता लगाया जाता रहेगा. हालांकि जुलाई के बाद ऐसा होना शायद संभव ना हो.
उसके बाद भी इनसाइट पर इस साल के आखिर तक नजर बनाए रखी जाएगी, जिसके बाद उसे पूरी तरह मृत मान लिया जाएगा. नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री के प्रधान वैज्ञानिक ब्रूस बैनेर्ट ने बताया, "टीम में बहुत ज्यादा दुख का माहौल नहीं है. हम अभी भी अपना ध्यान इसे चलाए रखने पर लगा रहे हैं.”
विकल्प सोचना होगा
इनसाइट 2018 में मंगल ग्रह पर उतरा था. इस यान ने वहां 1,300 भूकंप दर्ज किए हैं. उनमें से सबसे शक्तिशाली भूकंप की तीव्रता 5 आंकी गई जो दो हफ्ते पहले ही आया था. इनसाइट धूल के कारण मंगल पर बेकार होने वाला दूसरा नासा यान होगा. 2018 में ऑपर्च्युनिटी के साथ भी यही हुआ था धूल भरे एक तूफान ने उसे बेकार कर दिया था. फर्क बस इतना है कि ऑपर्च्युनिटी एक ही तूफान में खराब हो गया था जबकि इनसाइट के काम करना बंद होने की प्रक्रिया धीमी रही है.
इस वक्त नासा के दो अन्य यान भी मंगल पर कार्यरत हैं. क्यूरियॉसिटी और परसेवेरंस दोनों यान काम कर रहे हैं. लेकिन इसका श्रेय परमाणु ऊर्जा को जाता है, जिससे ये दोनों यान चलते हैं. प्लेनटरी साइंस डाइरेक्टर लोरी ग्लेज कहती हैं कि दो यान एक ही तरह बर्बाद हो जाने के बाद नासा सोलर पैनलों को लेकर अपनी नीति पर पुनर्विचार कर सकती है. या हो सकता है कि वे नई तरह की पैनल साफ करने वाली तकनीक पर विचार करें अथवा यान को मंगल पर भेजने के लिए ऐसे मौसम चुनें जबकि तूफान कम आते हैं.
हवा भी काम ना आई
इनसाइट को सौर पैनलों से अपने अभियान की शुरुआत में जितनी ऊर्जा मिलती थी, अब उसका दसवां हिस्सा ही पैदा हो रही है. डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर कात्या जमोरा गार्सिया बताती हैं कि शुरुआत में इनसाइट के सोलर पैनल इतनी बिजली पैदा कर रहे थे कि इलेक्ट्रिक अवन को एक घंटा 40 मिनट तक चलाया जा सकता था. अब उस अवन को दस मिनट चलाने लायक बिजली ही पैदा हो रही है.
इनसाइट के अभियान को देखने वाले दल को पहले से अनुमान था कि धूल के गुब्बार परेशानी पैदा कर सकते हैं लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि हवा इस धूल को साफ कर देंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, जबकि तेज हवाओं के चलने के कई हजार वाकये हो चुके हैं. बेनेर्ट कहते हैं, "हवा के किसी भी झोंके ने सही जगह पर निशाना नहीं लगाया जिससे धूल साफ हो पाती.”
मंगल की धूल ने एक अन्य उपकरण ‘मोल' को भी नष्ट किया है. जर्मनी में बना खुदाई करने वाला यह उपकरण मंगल पर खुदाई के लिए भेजा गया था. इसका मकसद 16 फुट गहराई तक खुदाई करना था लेकिन यह दो फुट भी नहीं जा पाया क्योंकि मंगल की लाल मिट्टी की प्रकृति और संरचना के सामने उसकी तकनीक नाकाम रही. आखिरकार इस साल की शुरुआत में उसे मृत घोषित कर दिया गया.
वीके/एए (एपी)
स्वीडन ने कहा है कि वह तुर्की को राजी करने की पूरी कोशिश कर रहा है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि स्वीडिश विदेश मंत्री अन लिंड और फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्तो जल्द ही वार्ता के लिए तुर्की जाएंगे.
15 मई को फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू करने का आधिकारिक एलान किया. अब तक ऐसा माना जा रहा था कि अगर दोनों देश सदस्यता के लिए आवेदन देते हैं, तो नाटो की तरफ से उन्हें शामिल करने में कोई अड़चन नहीं आएगी. लेकिन अब यह मामला जटिल होता दिख रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोआन ने कहा है कि वह फिनलैंड और स्वीडन को नाटो का सदस्य नहीं बनने दे सकते हैं.
तुर्की ने क्या आरोप लगाए?
एर्दोआन ने कुर्द चरमपंथियों के खिलाफ दोनों देशों के एक्शन ना लेने को अपनी असहमति का कारण बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों देश कुर्द चरमपंथियों को तुर्की के हवाले करने से इनकार कर रहे हैं. एर्दोआन ने कहा, "स्वीडन और फिनलैंड दोनों की ही आतंकवादी संगठनों पर कोई पारदर्शी और स्पष्ट नीति नहीं है."
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि अगर दोनों देश नाटो में शामिल हुए, तो यह संगठन आतंकवादियों को पनाह देने का अड्डा बन जाएगा. नाटो में नए सदस्य को सदस्यता देने के लिए मौजूदा 30 सदस्यों की सहमति जरूरी है. ऐसे में एर्दोआन ने संकेत दे दिया है कि फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में जुड़ने की प्रक्रिया आसान नहीं होने वाली है.
एर्दोआन के बयान के बाद स्वीडिश अधिकारियों ने कहा कि वे इस मामले पर बातचीत के लिए अपने राजनयिकों को अंकारा भेजेंगे. एर्दोआन ने इसे समय की बर्बादी बताया. उन्होंने कहा, "क्या वे यहां हमें राजी करने की कोशिश करने आ रहे हैं? इस प्रक्रिया के दौरान हम उनके नाम पर हां नहीं कर सकते, जो तुर्की पर प्रतिबंध लगाते हैं."
प्रत्यर्पण की मांग ना जाने पर नाराजगी
बीते रोज तुर्की के न्याय मंत्रालय ने भी एक और समस्या उठाई. मंत्रालय ने कहा कि पिछले पांच सालों में दोनों देशों ने तुर्की की ओर से की गई प्रत्यर्पण की मांग पर सकारात्मक जवाब नहीं दिया है. ये मांग उन 33 आरोपियों से जुड़ी हैं, जिन पर तुर्की आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने का आरोप लगाता है. इनमें कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से जुड़े लोग भी शामिल हैं.
स्वीडन और फिनलैंड की सदस्यता पर तुर्की ने सबसे पहले 13 मई को आपत्ति उठाई थी. इसके बाद 15 मई को नाटो महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि तुर्की की उठाई चिंताओं के कारण सदस्यता की प्रक्रिया में देरी नहीं होगी. उन्होंने कहा, "तुर्की ने स्पष्ट किया है कि फिनलैंड और स्वीडन के आवेदन को ब्लॉक करने का उसका कोई इरादा नहीं है."
ऐसे में एर्दोआन के ताजा बयान पर पश्चिमी देशों के कई डिप्लोमैट हैरान हैं. उन्हें उम्मीद थी कि तुर्की इस मसले को नाटो से दूर रखेगा. वॉशिंगटन में स्वीडन की राजदूत कारीन ओलफ्स्डोट्टर ने भी कहा कि वह तुर्की की उठाई आपत्ति पर हैरान हैं. उन्होंने कहा, "हमारी आतंकवाद विरोधी नीति बहुत सख्त है और हम पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे सही नहीं हैं." स्वीडन ने हालिया दशकों में मिडिल-ईस्ट से आए हजारों शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है. इनमें सीरिया, इराक और तुर्की से गए कुर्द भी शामिल हैं.
एसएम/आरपी (एपी)
(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, 17 मई। अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करेगा।
अमेरिका ने साथ ही कहा कि वाशिंगटन देशों को निर्यात प्रतिबंधित नहीं करने के लिए ‘‘प्रोत्साहित’’ करेगा, क्योंकि इससे यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बीच खाद्यान्न की कमी बढ़ जाएगी।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है और देश ने भीषण गर्मी के कारण गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच घरेलू कीमतों को काबू में रखने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रैंस के जरिए मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर किसी भी प्रतिबंध से भोजन की कमी बढ़ेगी।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘भारत सुरक्षा परिषद में हमारी बैठक में भाग लेने वाले देशों में से एक होगा, और हमें उम्मीद है कि वे अन्य देशों द्वारा उठाई जा रही चिंताओं पर ध्यान देंगे और उस स्थिति पर पुनर्विचार करेंगे।’’
वह गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के भारत के फैसले पर एक सवाल का जवाब दे रही थीं।
अमेरिकी राजदूत ने कहा कि यूक्रेन विकासशील दुनिया की भोजन संबंधी जरूरत को पूरा करता था, लेकिन जब से रूस ने महत्वपूर्ण बंदरगाहों को अवरुद्ध करना शुरू किया है, तब से अफ्रीका और मध्य पूर्व में भूख की स्थिति और भी विकट हो गई है।
अमेरिका मई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और वह इस सप्ताह रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों की पृष्ठभूमि में खाद्य सुरक्षा पर एक हस्ताक्षर कार्यक्रम की मेजबानी करेगा। (भाषा)
करीब छह सालों में पहली बार कोई वाणिज्यिक उड़ान ने सोमवार को यमन की विद्रोहियों के कब्जे वाली राजधानी से उड़ान भरी है. इस उड़ान को शांति प्रक्रिया में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
राजधानी सना पर हूथी विद्रोहियों का कब्जा है और इस उड़ान के भरने से शांति स्थापना के और प्रबल होने की संभावना जताई जा रही है. यमनी यात्री विमान 126 यात्रियों को लेकर सना से जॉर्डन की राजधानी अम्मान के लिए रवाना हुआ. विमान मरीजों और उनके परिवारों को ले जा रहा था, जो इलाज के लिए विदेश जा रहे थे. यह लगभग छह वर्षों में सना हवाई अड्डे से पहली व्यावसायिक उड़ान थी.
सना हवाई अड्डे को अगस्त 2016 से वाणिज्यिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया गया था. सऊदी के नेतृत्व वाला सैन्य गठबंधन यमन में ईरानी समर्थित हूथी विद्रोहियों से लड़ रहा है. यमन अरब दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है. व्हीलचेयर पर बैठी एक मरीज लुत्फियाह ने कहा, "मैं सना हवाई अड्डे के खुलने से बहुत खुश हूं. आज उत्सव का दिन है और मुझे आशा है कि यह खुला रहेगा."
सना निवासी मोहम्मद जैद अली अपनी साढ़े तीन साल की बेटी रजान के साथ यात्रा कर रहे थे. उनकी बेटी को ब्रेन ट्यूमर है. अली ने जॉर्डन पहुंचने पर समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यमन से इलाज के लिए जा रहे निराशाजनक लोगों से फ्लाइट भरी हुई थी, इन लोगों को इस मौके के लिए सात साल तक इंतजार करना पड़ा."
संघर्ष विराम से मुमकिन
दरअसल यमनी सरकार सरकार और विद्रोहियों के बीच युद्ध विराम पर सहमति बनने के बाद विमान का उड़ना संभव हो पाया. रमजान के महीने की शुरुआत के साथ दो अप्रैल से संघर्ष विराम लागू है. शांति समझौते के प्रभावी होने के पांच दिन बाद, यमन के राष्ट्रपति जो सऊदी अरब में स्थित हैं, उन्होंने विद्रोहियों के साथ बातचीत करने के लिए काम करने वाली एक नेतृत्व परिषद को अपनी शक्तियां सौंप दीं. सना से उड़ानों को फिर से शुरू करना, विद्रोहियों के कब्जे वाले शहर ताइज के लिए सड़कों को फिर से खोलना और होदेइदाह के हूथी प्रबंधन वाले बंदरगाह पर डॉक करने के लिए ईंधन टैंकरों की अनुमति सभी संघर्ष विराम समझौते का हिस्सा थे.
यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र दूत हांस ग्रुंडबर्ग ने यमन सरकार के इस कदम को रचनात्मक सहयोग बताते हुए इसकी सराहना की है. ग्रुंडबर्ग ने कहा, "युद्ध से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति करने को लेकर यह और अधिक प्रयास करने के लिए दोनों पक्षों के साथ आने का यह एक पल होना चाहिए."
युद्ध विराम समझौते के तहत सना से जॉर्डन और मिस्र के काहिरा के लिए सप्ताह में दो व्यावसायिक उड़ानों के आने-जाने की इजाजत दी गई थी. अमेरिका ने भी उड़ान का स्वागत किया. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा, "अमेरिका विभिन्न पक्षों को यमनी लोगों की खातिर व्यापक शांति प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए इस मौके को पकड़ने करने के लिए प्रोत्साहित करता है."
एक युद्ध जिससे तबाह हुआ देश
यमन युद्ध की शुरुआत 2014 में हुई थी जब ईरान द्वारा समर्थित बागी हूथियों ने राजधानी सना समेत उत्तर के कई इलाकों पर कब्जा जमा लिया था. महीनों बाद अमेरिका द्वारा समर्थित और सऊदी अरब के नेतृत्व में एक गठबंधन ने हस्तक्षेप किया. गठबंधन ने बागियों से सत्ता छीन ली और एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार बनवा दी.
लेकिन हाल के सालों में यह एक छद्म युद्ध बन गया है जिसने 1,50,000 लोगों की जान ले ली है. मरने वालों में 14,500 से भी ज्यादा आम लोग थे. युद्ध ने दुनिया के सबसे बुरे मानवीय संकट को भी जन्म दे दिया है. आज देश की करीब 3.2 करोड़ आबादी में अधिकांश लोग हूथी नियंत्रत इलाकों में हैं.
एए/वीके (एएफपी, एपी)
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 16 मई। पाकिस्तान सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा अपने विरूद्ध हत्या की साजिश रचे जाने का दावा करने के दो दिन बाद सोमवार को उनकी सुरक्षा कड़ी कर दी।
खान ने शनिवार को दावा किया था कि पाकिस्तान एवं विदेश में उनकी हत्या की ‘साजिश’ रची जा रही है । उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनके साथ कुछ होता है तो लोगों को एक ऐसे वीडियो संदेश के मार्फत संबंधित अपराधियों के बारे जानने को मिलेगा जिसे उन्होंने हाल में रिकार्ड किया है और सुरक्षित स्थान पर रख लिया है।
खान ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट में एक रैली में कहा था, ‘‘ मेरी जान लेने की साजिश रची जा रही है । कुछ दिन पहले ही मुझे इस साजिश की पूरी जानकारी मिली। देश-विदेश में बंद कमरों में यह साजिश रची जा रही है। मैंने इस साजिश के बारे में एक वीडियो बनाया है जिसमें इससे जुड़े लोगों के नाम लिये हैं। यदि मेरे साथ कुछ होता है तो लोगों को पता चल जाएगा कि इस साजिश के पीछे कौन हैं।’’
समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान’ ने खबर दी है कि सोमवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख खान को ‘अभेद्य सुरक्षा प्रदान’ करने का निर्देश दिया। उससे पहले शहबाज शरीफ को पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा के संबंध में गृह मंत्रालय ने विस्तार से बताया था।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी अलग से कहा कि खान के लिए अभेद्य सुरक्षा प्रदान करने के बारे में प्रांतीय सरकारों को भी निर्देश दिये गये हैं।
उसने एक बयान में कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के निर्देश पर पूर्व प्रधानमंत्री को एक मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी दिया गया है।’’
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी एक बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की कि प्रधानमंत्री के निर्देश के मद्देनजर इमरान खान के लिए चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है।
सरकारी रेडियो पाकिस्तान ने प्रवक्ता के हवाले से कहा, ‘‘ पुलिस एवं अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सुरक्षाकर्मियों की तैनाती सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।’’
उसने कहा कि इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में पूर्व प्रधानमंत्री के बानी गाला आवास की सुरक्षा के लिए पुलिस और फ्रंटियर कोर के 94 कर्मियों को तैनात किया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि इस्लामाबाद पुलिस के चार वाहन एवं 23 कर्मी तथा फ्रंटियर कोर के एक वाहन एवं पांच कर्मी आवाजाही के दौरान पीटीआई अध्यक्ष के साथ रहेंगे।
प्रवक्ता ने कहा कि गृह मंत्रालय के निरीक्षण में ‘एक खतरा मूल्यांकन कंपनी इमरान खान की सुरक्षा से जुड़े मामलों की लगातार निगरानी कर रही है।’’
उसके अलावा खैबर पख्तूनख्वा पुलिस के 36 कर्मियों और गिलगिट बाल्टिस्तान पुलिस के छह कर्मियों को संबंधित सरकारों ने खान की सुरक्षा के लिए तैनात किया है।
गृह मंत्रालय ने खान से ‘कोई भी खास सूचना’ देने का आह्वान किया है ताकि सुरक्षा के लिए और इंतजाम किया जा सके।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री होने के नाते अपनी जान पर किसी भी संभावित खतरे या अन्य विषयों के बारे में गृह मंत्रालय एवं अन्य संबंधित संगठनों को सूचित रखना खान की राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।’’
जियो टीवी की खबर के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रांतीय सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि देश भर में कहीं भी रैलियां करने के दौरान खान के लिए समुचित सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
रोचक बात यह है जहां गृह मंत्रालय खान के लिए सुरक्षा बढ़ाने का प्रयत्न कर रहा है वहीं गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह ने ट्वीट किया, ‘‘ यदि इमरान खान अपनी जान पर खतरे के बारे में सूचना नहीं देते है तो यह चर्चा भी अमेरिका साजिश की भांति ही एक राजनीतिक स्टंट समझी जाएगी । एक पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा अपनी जान पर खतरे को राजनीतिक स्टंट के रूप में इस्तेमाल करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और खतरनाक हो सकता है।’’
क्रिकेट से राजनीति में आये खान को पिछले महीने ही अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता से हटाया गया था। उसके बाद खान ने कई शहरों में कई रैलियां की है और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली नयी सरकार को अमेरिका की कथित शह पर थोपी गयी ‘गद्दारों एवं भ्रष्ट शासकों’ की सरकार बताया है।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने रविवार को चुनौती दी कि अगर खान कथित ‘‘हत्या की साजिश’’ का सबूत दिखा देते हैं तो सरकार उन्हें अभी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को दी जा रही सुरक्षा से ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराएगी। (भाषा)
कोलंबो, 16 मई। श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) ने सोमवार को कहा कि वह देश के गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट से निपटने में मदद करने के लिए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली अंतरिम सर्वदलीय सरकार को सशर्त समर्थन देगी।
यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे को बृहस्पतिवार को देश का 26वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। इससे पहले अपने समर्थकों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमले के बाद भड़की हिंसा के मद्देनजर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और तभी से देश में कोई सरकार नहीं थी। महिंदा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई हैं।
एसजेबी ने एक बयान में कहा, “एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के रूप में, समागी जन बलवेगया का मानना है कि देश को मौजूदा संकट से बचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
उसने कहा, “उसी के अनुरूप, बिना कोई पोर्टफोलियो लिए और देश की भलाई की सोचते हुए एसजेबी ने आज अपनी संसदीय समूह चर्चा में आर्थिक सुधार के प्रयासों में वर्तमान सरकार का पूरा समर्थन करने का निर्णय लिया।”
समर्थन के लिये हालांकि कुछ शर्तें भी हैं।
उसने कहा, “अगर सरकारी समूह एसजेबी से पाला बदलने वालों को समायोजित करने की कोशिश करते हैं या एसजेबी सांसदों को पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ गतिविधियों के लिए अपने साथ जोड़ते हैं, तो संसदीय समूह ने बिना शर्त इस समर्थन को वापस लेने का फैसला किया है।”
एसजेबी ने पूर्व में सर्वदलीय अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के तौर पर विक्रमसिंघे का समर्थन करने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके पास कोई जनादेश नहीं है क्योंकि वह 225 सदस्यीय संसद में अपनी पार्टी के एकमात्र प्रतिनिधि हैं।
पिछले हफ्ते अपनी नियुक्ति के बाद विक्रमसिंघे ने एसजेबी नेता सजित प्रेमदासा को पत्र लिखकर समर्थन का आग्रह किया था।
विक्रमसिंघ ने लिखा, “हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि श्रीलंका एक बड़े आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। इसमें कोई संशय कि हर दिन तीव्र हो रहे इस संकट को समाप्त करने और एक स्थिर अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए हम सभी को एकजुट होना चाहिए। हम सभी की अगली पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है, यह देखते हुए कि इस समय में किए गए हमारे काम इस देश का आगे का रास्ता तय करेंगे।”
एसजेबी के सशर्त समर्थन के बावजूद, विक्रमसिंघे ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में 21वें संशोधन पर अटॉर्नी जनरल के विभाग के साथ चर्चा की जाएगी ताकि इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में प्रस्तुत किया जा सके।
21वें संशोधन के 20ए को निष्प्रभावी करने की उम्मीद है, जिसने 19वें संशोधन को समाप्त करने के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को निरंकुश शक्तियां प्रदान की थीं। 19वें संशोधन ने संसद को राष्ट्रपति पर शक्तिशाली बना दिया था।
विक्रमसिंघे ने ट्वीट किया था, “21वां संशोधन : इस पर कल (सोमवार) अटॉर्नी जनरल के विभाग के साथ चर्चा की जाएगी और फिर अनुमोदन के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।”
इसबीच विक्रमसिंघे ने रविवार को विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के प्रतिनिधियों के साथ देश के मौजूदा आर्थिक संकट को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि दोनों वित्तीय संस्थानों ने दवा, भोजन और उर्वरक जैसी आवश्यक वस्तुओं की खरीद में सहायता करने का वादा किया है।
गौरतलब है कि श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। (भाषा)
दुबई, 16 मई। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के इंतकाल के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को देश की राजधानी पहुंच रहा है।
प्रतिनिधिमंडल शेख खलीफा बिन जायेद अल नाहयान के निधन पर शोक व्यक्त करने के साथ ही, यूएई के नए राष्ट्रपति एवं अबू धाबी के नए हुक्मरान शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान से भी मुलाकात करेगा। शेख मोहम्मद दिवंगत शेख खलीफा के सौतेले भाई हैं। उनका शुक्रवार को इंतकाल हो गया था। वह लंबे वक्त से बीमार थे।
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में हैरिस के अलावा विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स और जलवायु दूत जॉन किर्बी शामिल हैं।
गौरतलब है कि शेख मोहम्मद लंबे वक्त से शासन चला रहे थे और उन्होंने देश की विदेश नीति को आकार दिया है, क्योंकि शेख खलीफा को करीब 10 साल पहले मस्तिष्क आघात हुआ था और तब से ही वह बीमार थे।
शेख खलीफा के निधन के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन दुख जताने के लिए सप्ताहांत पर अबू धाबी पहुंचने वाले शुरुआती यूरोपीय नेता थे।
अबू धाबी के लिए रवाना होने से पहले हैरिस ने कहा कि वह राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से शेख खलीफा के निधन पर शोक व्यक्त करने और यूएई के साथ अमेरिका के अहम रिश्तों को मजबूत करने के लिए जा रही हैं।
उन्होंने पत्रकारों से कहा “अमेरिका यूएई के साथ हमारे संबंधों और साझेदारी की मजबूती को काफी गंभीरता से लेता है। हम वहां अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए जा रहे हैं।”
भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शेख खलीफा के निधन पर रविवार को भारत की ओर से शोक व्यक्त किया। नायडू ने कहा कि भारत और उसके लोग इस मुश्किल समय में यूएई के साथ खड़े हैं। (एपी)
पाकिस्तान के पेशावर में स्थित सरबंद इलाक़े में सिख समुदाय के दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
ये दोनों ही लोग सरबंद के बाटा ताल बाज़ार में मसाले की दुकान चलाते थे. अज्ञात हमलावरों ने 42 साल के सरजीत सिंह और 38 साल के रणजीत सिंह पर गोलिया बरसाईं और दोनों की ही मौके पर ही मौत हो गई.
इस मामले में अज्ञात हमलावरों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ कर ली गई है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि दोषियों को ज़ल्द से ज़ल्द ग़िरफ्तार किया जाना चाहिए.
बिलावल भुट्टो की तरफ़ से जारी एक बयान में कहा गया है, ''किसी को भी देश में अलग-अलग धर्मों के बीच सद्भाव बिगाड़ने और राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने नहीं दिया जाएगा. हम सभी समुदायों की पार्टी हैं, सिख समुदाय को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा.''
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सिख समुदाय के लोगों की हत्या पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा, "ख़ैबरपख़्तूनख़्वाह के पेशावर में हमारे सिख नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा करता हूं. पाकिस्तान पर उसके सभी शहरियों का हक़ है. तथ्यों की पड़ताल के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं. क़ातिलों को गिरफ़्तार किया जाएगा और उन्हें ऐसी सज़ा दी जाएगी, जो दूसरों के लिए नज़ीर बनेगी. शोकसंतप्त परिजनों को मेरी संवेदनाएं."(bbc.com)