राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 12 अप्रैल । भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस और डीएमके को भ्रष्टाचारी और वंशवादी पार्टियां बताते हुए कहा है कि कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी है और भ्रष्टाचार की इसी गोंद से इंडी गठबंधन, जिसे घमंडिया गठबंधन भी कहा जाता है, में शामिल सभी राजनीतिक दल जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने का संकल्प लिया है। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके को कांग्रेस के भ्रष्टाचार की फोटोकॉपी बताते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस और डीएमके दोनों ही भ्रष्टाचार और वंशवाद वाली पार्टी हैं और आज दोनों भ्रष्ट पार्टियों के नेता, राहुल गांधी और डीएमके नेता, तमिलनाडु में एक मंच पर नजर आएंगे।
उन्होंने कहा कि इन दोनों नेताओं के मंच पर तमिलनाडु की रैली में भ्रष्टाचार, वंशवाद और क्षेत्रीय आधार पर देश को बांटने की नीति दिखाई देगी। प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच एजेंसियों को कार्रवाई करने की खुली छूट दी हुई है और भ्रष्टाचारी नेता जेल जा रहे हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी, दोनों नेता आज जमानत पर हैं। डीएमके नेता सेंथिल बालाजी जेल जाने के बाद भी 235 दिनों तक राज्य में मंत्री बने रहते हैं।
भाटिया ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में केंद्र और डीएमके सरकार में राज्य में हुए कई घोटालों का जिक्र करते हुए डीएमके पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि आज तमिलनाडु की जनता के लिए डीएमके का फुल फॉर्म धोखाधड़ी, मक्कारी और कमीशनखोरी है। केजरीवाल को लेकर उन्होंने कहा कि आजकल जेल से सरकार चलाने का नया चलन चल पड़ा है।
उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल के चाल-चलन और वक्तव्य से ऐसा प्रतीत होता है कि उनका एक ही उद्देश्य है कि आम आदमी पार्टी के बचे-खुचे नेताओं को जेल भेज दें ताकि उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल दिल्ली की मुख्यमंत्री बन सकें। लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन की बड़ी जीत का दावा करते हुए भाटिया ने कहा कि भाजपा जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। जबकि, इंडी गठबंधन के नेता घबराए और डरे हुए हैं।
राजद नेता और लालू यादव की बेटी मीसा भारती के प्रधानमंत्री मोदी को लेकर दिए गए बयान की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह विपक्ष की हताशा और निराशा को बताता है। उन्होंने कहा कि संसद के नए भवन में सेंगोल स्थापित कर और काशी तमिल संगमम कार्यक्रम के आयोजन के जरिए एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु के गौरव और ऐतिहासिक परंपरा को सम्मान देने का काम किया है, राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने का काम किया है तो वहीं ठीक इसके उलट डीएमके नेता सनातन की आलोचना कर रहे हैं और अन्य विपक्षी नेता दक्षिण भारत को उत्तर भारत से बांटने की बात कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
भोपाल, 12 अप्रैल । मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश के साथ ओले पड़े हैं, जिससे किसानों की फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है। भीगे और कम चमक वाले गेहूं की खरीदी में भी किसानों को परेशानी हो रही है। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि किसानों का जो गेहूं भीग गया है, उसकी थोड़ी सी चमक भी निकल जाएगी, तब भी हम उसे खरीदेंगे। असमय वर्षा को लेकर हमने निर्देश जारी किए हैं। फसल का नुकसान नहीं होना चाहिए। किसानों का जो गेहूं भीग गया है, उसकी थोड़ी सी चमक भी निकल जाएगी, तब भी हम उसे खरीदेंगे।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि खेत के अंदर भी अगर कोई हानि होती है, तो उसका सर्वे कराकर मुआवजा देंगे। पशु हानि या किसी अन्य प्रकार का नुकसान होगा तो उसकी भी चिंता हम कर रहे हैं। किसी भी कष्ट में सरकार सदैव किसानों के साथ खड़ी दिखाई देगी।
बता दें कि पिछले दिनों ऐसी शिकायतें आई हैं कि किसानों के कम चमक वाले गेहूं को सहकारी समिति ने खरीद लिया। मगर, उसे केंद्रीय एजेंसी लेने में आनाकानी कर रही है। इसके चलते किसानों का भुगतान भी समय पर नहीं हो पा रहा है।
(आईएएनएस)
आनी (हिमाचल प्रदेश), 12 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश के राणाबाग-करशाला मार्ग पर चोईनाला में एक मारुति ऑल्टो कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमें 4 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
दुर्घटना की सूचना मिलते ही आनी से पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लिया।
पुलिस के अनुसार, मृतकों की पहचान सुरेंद्र कुमार (40), सुशील कुमार (36), बीर सिंह (43) और संजीव कुमार (34) के रूप में हुई है।
वहीं, सूचना मिलते ही आनी के विधायक लोकेंद्र कुमार ने दुर्घटना पर गहरा शोक जताया और मौके की ओर रवाना हो गए।
शवों का पोस्टमार्टम आनी अस्पताल में किया जाएगा और उसके बाद परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
(आईएएनएस)
सीधी, 12 अप्रैल । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा है कि बीते 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने हर क्षेत्र में प्रगति की है और देश में बदलाव आया है। कांग्रेस के शासन काल में तो गणेश जी की प्रतिमा तक चीन से आती थी।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुक्रवार को मध्य प्रदेश के प्रवास पर हैं।
उन्होंने सीधी संसदीय क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार डॉ राजेश मिश्रा के समर्थन में आयोजित जनसभा में कहा, कांग्रेस पहले राजनीति भाई को भाई से लड़ने के लिए करती थी, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति की परिभाषा ही बदल दी।
भारत के विकास की रफ्तार और आते बदलाव का जिक्र करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने कहा, वर्तमान में ऑटोमोबाइल बाजार में भारत ने जापान को भी पीछे छोड़ दिया है, हमसे आगे सिर्फ अमेरिका और चीन है। हम तीसरे नंबर पर हैं। 10 साल पहले मोबाइल पर लिखा होता था -- मेड इन चाईना, अब इस मोबाइल पर लिखा हुआ है मेड इन इंडिया। यह फर्क है। इतना ही नहीं दुनिया में सस्ती और असरदार दवा भारत के उद्योगपति बना रहे हैं। दुनिया में निर्यात लगातार हमारा बढ़ा है। हालत यह थी कि 10 साल पहले गणेश जी भी चीन से आते थे, दिवाली के समय जो गणेश जी खरीदते थे, वह भी चीन से आते थे और यह खिलौने चीन से आते थे। आज भारत खिलौने के एक्सपोर्ट के मामले में ढाई गुना वृद्धि कर गया है। आज भारत मोबाइल के एक्सपोर्ट में, खिलौने एक्सपोर्ट में ढाई गुना वृद्धि कर गया है।
कांग्रेस के गांधी परिवार पर हमला करते हुए नड्डा ने कहा, दिल्ली में बैठे हुए परिवार के लोग चाहे माताजी हों, बेटा हो, बेटी हो, इनको क्या समझ में आएगा। भारत का मूड क्या है और भारत ने किस तरह से मन बना लिया है। मुझे याद है चार महीने पहले जब मैं चुनाव प्रचार करने रीवा आया था, उस समय मुझे साफ दिखता था कि एमपी के मन में मोदी है और मोदी के मन में एमपी और आज भी मुझे दिख रहा है एमपी के मन और देश के मन में मोदी और मोदी के मन में देश और मध्य प्रदेश है।
उन्होंने आगे कहा कि पहले राजनीति होती थी लोगों को बांट कर, कांग्रेस ने लंबे समय तक भाई को भाई से बांटा। नदी के इस पार उस पार, अगड़ा -पिछड़ा, बिरादरी और वोट बैंक की पॉलिटिक्स की और उसके बाद सबका वोट लिया और वोट लेने के बाद सरकार किसी जाति की बन गई, वर्ग की बन गई, किसी समुदाय की बन गई। वह सभी की सरकार नहीं थी, लेकिन नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 साल में राजनीति की परिभाषा बदल दी। अब राजनीति होगी वह विकास की राजनीति होगी और रिपोर्ट कार्ड की राजनीति होगी।
कोरोना और यूक्रेन युद्ध के बाद की दुनिया के हालात की चर्चा करते हुए नड्डा ने कहा, आज दुनिया में अमेरिका जैसा देश भी कोरोना और यूक्रेन-रूस के युद्ध के बाद सारे यूरोप की आर्थिक स्थिति लड़खड़ा गई है। लेकिन इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड जो आर्थिक दृष्टि से सबसे बड़ा संगठन है उसको अगर कोई उगता सूरज दिखता है तो भारत है। हम 10 साल पहले 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था थे आज भारत पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन गया है और नरेंद्र मोदी के तीसरी बार पीएम बनने के बाद भारत 2027 में तीसरी आर्थिक शक्ति बन जाएगा।
(आईएएनएस)
इन लोकसभा चुनावों में विपक्ष के आपसी मतभेद सबसे ज्यादा केरल की वायनाड लोकसभा सीट में नजर आ रहे हैं. इस सीट पर सीपीआई की ऐनी राजा राहुल गांधी के खिलाफ लड़ रही हैं, जबकि दोनों पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
यूं तो विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन में शामिल कई पार्टियां कई राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ ही लड़ रही हैं, लेकिन इस झगड़े में वायनाड की जगह अलग ही है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा में वायनाड का प्रतिनिधित्व करते हैं.
2019 में उन्होंने यह सीट लगभग 65 प्रतिशत वोट प्रतिशत से जीती थी. सीपीआई 2019 में भी यहां से उनके खिलाफ लड़ी थी, लेकिन तब सीपीआई के प्रत्याशी पीपी सुनीर राहुल गांधी से चार लाख मतों से भी ज्यादा के अंतर से हार गए थे.
वाम मोर्चे की वरिष्ठ नेता
मार्च, 2023 में सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मुकदमे में दोषी ठहराए जाने के बाद गांधी की लोकसभा की सदस्यता ही चली गई थी, लेकिन उन्होंने इस फैसले को चुनौती दी. अगस्त, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल की.
वह दोबारा वायनाड से ही चुनाव लड़ेंगे यह भी काफी पहले ही स्पष्ट हो गया था, लेकिन इसके बावजूद वाम मोर्चे ने ऐनी राजा के रूप में राष्ट्रीय स्तर के अपने सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक को उनके खिलाफ चुनाव लड़वाने का फैसला किया.
मूल रूप से केरल के कन्नूर जिले की रहने वाली ऐनी सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारणी की सदस्य हैं और पार्टी के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं. वह सीपीआई की ही संस्था 'नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमिन' की महासचिव भी हैं.
वायनाड तुलनात्मक रूप से एक नई लोकसभा सीट है, जिसे 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले बनाया गया था. तब से यह सीट कांग्रेस के ही पास है. 2009 और 2014 में कांग्रेस नेता एमआई शनवास यहां से सांसद चुने गए.
कांग्रेस का 'गढ़'
हालांकि यह अकेली सीट नहीं है जहां सीपीआई कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही है. लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के सदस्य के रूप में पार्टी केरल में चार सीटों पर लड़ रही है, जिसमें तिरुवनंतपुरम भी शामिल है, जहां से कांग्रेस नेता शशि थरूर लगातार तीन बार जीत चुके हैं और चौथी बार लड़ रहे हैं.
'इंडिया' गठबंधन में सिर्फ यही दो पार्टियां नहीं हैं जिनका तालमेल पूरी तरह से बैठ नहीं पाया है. कांग्रेस और 'आप' भी दिल्ली और हरियाणा में तो मिल कर लड़ रही हैं लेकिन पंजाब में दोनों एक दूसरे के खिलाफ हैं.
पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस मिल कर नहीं लड़ रही हैं. जम्मू और कश्मीर में भी कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस तो एक साथ लड़ रही हैं, लेकिन 'इंडिया' की सदस्य पार्टी पीडीपी उनके साथ नहीं है. देखना होगा कि इस तरह के विरोधाभास का विपक्ष के प्रदर्शन पर क्या असर पड़ता है. (dw.com)
कलकत्ता हाईकोर्ट के दो ताजा फैसलों ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले आए इन फैसलों से विपक्षी दल बीजेपी को एक मजबूत हथियार मिल गया है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
इनमें सबसे बड़ा फैसला है हाल के महीनों में सुर्खियों में रहे संदेशखाली की घटना की सीबीआई जांच का आदेश. इसके अलावा पूर्व मेदिनीपुर जिले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के खिलाफ दायर एफआईआर मामले में अदालत ने पुलिस की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. अदालत के फैसले के बाद पहले से ही संदेशखाली की घटना पर आक्रामक रवैया अपनाने वाली बीजेपी का रुख और हमलावर हो गया है. बंगाल में अपनी चुनावी रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दोषियों को चुन-चुन कर गिरफ्तार किया जाएगा. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही चेतावनी दी थी.
संदेशखाली पर कोर्ट का फैसला
कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.एस.शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने संदेशखाली मामले पर दायर पांच जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपने फैसले में सीबीआई को बुधवार से ही इस घटना की जांच का निर्देश दिया. खंडपीठ ने जांच एजेंसी से एक अलग ईमेल आईडी बनाने को कहा है ताकि लोग उसके जरिए अपनी शिकायत दर्ज करा सकें. साथ ही सीबीआई को यह अधिकार दिया गया है कि वह पूछताछ के लिए किसी को भी बुला सकती है चाहे वह कितना ही बड़ा नेता या अधिकारी क्यों नहीं हो.
खंडपीठ का कहना था कि न्याय के हित में संदेशखाली की घटना की तटस्थ जांच जरूरी है. तमाम संबंधित पक्ष 15 दिनों के भीतर ईमेल के जरिए सीबीआई के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. ईमेल के जरिए शिकायत का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि शिकायत करने वालों की पहचान गोपनीय रहे. कोर्ट ने सीबीआई को दो मई को होने वाले अगली सुनवाई से पहले इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.
सीबीआई की यह जांच अदालत की निगरानी में होगी. खंडपीठ ने संदेशखाली में राज्य सरकार के खर्च पर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे और एलईडी लाइटें लगाने का भी निर्देश दिया है. वैसे तो अदालत ने बीते बृहस्पतिवार को ही इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली थी. लेकिन उसने फैसला सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान न्यायाधीश की टिप्पणी थी कि अगर इन घटनाओं में से एक प्रतिशत भी सही है तो यह बेहद शर्म की बात है. जिला प्रशासन और राज्य सरकार को अपनी नैतिक जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए.
क्या है संदेशखाली मामला
कोलकाता से करीब 120 किमी दूर उत्तर 24-परगना जिले में बांग्लादेश की सीमा पर बसा संदेशखाली इस साल जनवरी से ही सुर्खियों में है. राज्य में कथित राशन घोटाले की जांच के लिए मौके पर पहुंची ईडी की टीम पर स्थानीयटीएमसी नेता शाहजहां शेख के समर्थकों ने हमला कर दिया था. उसमें ईडी के तीन अधिकारी घायल हो गए थे.
उसके बाद फरवरी में इलाके की तमाम महिलाएं सड़कों पर उतर आई. उन्होंने शाहजहां और उसके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न और खेती की जमीन पर जबरन कब्जे के आरोप लगाए थे. उसी समय तमाम राजनीतिक दलों और केंद्रीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने इलाके का दौरा किया और कई सप्ताह तक इलाके में धारा 144 लागू रही. दबाव बढ़ते देख कर टीएमसी ने शाहजहां समेत तीन नेताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया. बाद में उन तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में इसे टीएमसी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बना लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उस इलाके में अपनी चुनावी रैली में पीड़िताओं से मुलाकात की. पार्टी ने बशीरहाट संसदीय सीट, जिसके तहत संदेशखाली इलाका है, में एक पीड़िता रेखा पात्रा को ही अपना उम्मीदवार बनाया है. दूसरी ओर, इस मामले पर विवाद बढ़ते देख कर टीएमसी ने बशीरहाट में पिछली बार जीतने वाली अभिनेत्री नुसरत जहां का टिकट काट कर पूर्व सांसद हाजी नुरुल इस्लाम को अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि विवाद थमने की बजाय लगातार तेज हो रहा है.
केंद्रीय एजेंसियों पर हमला
बीते सप्ताह बम विस्फोट की घटना की जांच के लिए पूर्व मेदिनीपुर जिले के भूपतिनगर पहुंची एनआईए की एक टीम पर भी हमला किया गया जिसमें एक अधिकारी घायल हो गए. लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए इस घटना का समर्थन किया कि एनआईए की टीम स्थानीय पुलिस-प्रशासन को सूचना दिए बिना ही गांव में पहुंच गई.
इस घटना पर विवाद बढ़ते ही गांव की एक महिला ने एनआईए अधिकारियों को खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज करा दी और पुलिस ने संबंधित अधिकारियों को पूछताछ का समन भेज दिया. इसी के खिलाफ एनआईए ने हाईकोर्ट में अपील की थी. उसकी अपील पर अदालत ने पुलिस को फिलहाल किसी भी एनआईए अधिकारी को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट के जज जय सेनगुप्ता ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस को पूछताछ से 72 घंटे पहले नोटिस देनी होगी और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ करनी होगी.
पश्चिम बंगाल के चुनावी दौरे पर आने वाले बीजेपी के तमाम केंद्रीय नेता लगातार इन दोनों मुद्दों को उठा रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को बालूरघाट की रैली में कहा कि संदेशखाली में लंबे समय से महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं हो रही थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ऐसी शर्मनाक घटना पर राजनीति करते हुए दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल में आधा दर्जन चुनावी रैलियां कर चुके हैं और अपनी लगभग हर रैली में वो संदेशखाली का मुद्दा उठाते रहे हैं.
राजनीतिक दलों की खींचतान
राज्य में चुनाव के समय केंद्रीय एजेंसियों की कथित सक्रियता टीएमसी और बीजेपी के बीच विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह हमले केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल के आरोपों का नतीजा है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेता लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं. इससे राज्य के आम लोगों में धीरे-धीरे यह भावना घर कर गई है कि ईडी, सीबीआई और एनआईए जैसी तमाम एजेंसियां बीजेपी के इशारे पर राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही हैं.
अब अदालत की ओर से लगे ताजा झटकों के बाद टीएमसी ने कहा है कि किसी खास राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए ही ऐसा किया गया है. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष कहते हैं कि पूर्व जज और भाजपा उम्मीदवार अभिजीत गांगुली की छाया अब भी अदालत पर नजर आ रही है. अभिजीत गांगुली ने शिक्षक भर्ती घोटाले में सरकार और टीएमसी के खिलाफ एक के बाद एक कई कड़े फैसले दिए थे. उनके फैसलों के कारण ही पार्टी के कई मंत्री, विधायक और नेता जेल में हैं. बाद में वो इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए और पूर्व मेदिनीपुर जिले की तमलुक सीट से मैदान में हैं. कुणाल घोष ने अदालत के फैसले की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संदेशखाली मामले में पुलिस की जांच सही दिशा में बढ़ रही थी. ऐसे में इसे सीबीआई को सौंपने का कोई तुक नहीं है. (dw.com)
यूपी की मुस्लिम बहुल सहारनपुर सीट से अब तक सबसे ज्यादा छह बार कांग्रेस पार्टी चुनाव जीत चुकी है लेकिन 1984 के बाद से उसने जीत का स्वाद नहीं चखा है.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
लकड़ी की नक्काशी के लिए मशहूर सहारनपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी अहमियत रखती है. कभी कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट से 1984 के बाद से अब तक कांग्रेस का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका. 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद चुनाव लड़ रहे हैं जिनकी लड़ाई बहुजन समाज पार्टी के माजिद अली और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राघव लखनपाल से है.
इसी सहारनपुर में एक कस्बा और विधानसभा क्षेत्र देवबंद भी है जहां विश्व प्रसिद्ध मदरसा दारूल उलूम है. दारुल उलूम वैसे तो इस्लामिक शिक्षण संस्थान के लिए जाना जाता है लेकिन राजनीति और राजनीतिक लोगों का भी यहां से पुराना नाता रहा है. कभी कई राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता दारुल उलूम देवबंद में आकर राजनीतिक जमीन तलाशते थे और कई बार बड़े नेताओं ने चुनाव से पहले उलेमाओं की मदद मांगी लेकिन अब स्थिति यह हो गई है कि दारुल उलूम में नेताओं का प्रवेश निषेध कर दिया गया है.
राजनीति से परहेज
दारुल उलूम से जुड़े अशरफ उस्मानी बताते हैं कि चूंकि यह एक धार्मिक और शैक्षणिक संस्था है इसलिए इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. उनके मुताबिक, संस्था के जिम्मेदार लोगों ने इसी वजह से नेताओं का प्रवेश बंद कर रखा है. हालांकि कुछ लोगों के मुताबिक, ऐसा इसलिए है कि कुछ लोग यहां के उलेमाओं के साथ तस्वीरों का गलत इस्तेमाल करने लगे थे इसीलिए नेताओं का आना बंद करना पड़ा.
दारुल उलूम मदरसे से पढ़ाई कर चुके देवबंद कस्बे के रहने वाले मोहम्मद यासीन बताते हैं, "हुआ यह कि 2009 में एक पार्टी के कोई बड़े नेता यहां आए और उन्होंने उस समय के प्रमुख मौलाना के साथ तस्वीर खिंचाई. उस तस्वीर का इस्तेमाल उन्होंने यह कहते हुए चुनाव में किया कि उन्हें देवबंद और वहां के मौलाना का आशीर्वाद हासिल है. मतलब, कुछ इस तरह कि जैसे दारुल उलूम चुनाव में उनका समर्थन कर रहा है. बस उसके बाद ही नेताओं के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया और हर चुनाव से पहले एक बयान भी जारी किया जाता है कि यहां राजनीति के लिए कोई जगह नहीं.”
हालांकि उससे पहले यहां राजनीति के कई दिग्गज पहुंचते रहे हैं. 1980 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देवबंद के शताब्दी समारोह में पहुंची थीं. 2006 में राहुल गांधी आए थे, 2009 में मुलायम सिंह यादव, 2011 में अखिलेश यादव और 2019 में आरएसएस के घटक दल मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक इंद्रेश कुमार भी आ चुके हैं. इनके अलावा मौलाना अबुल कलाम आजाद, फारुख अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी यहां का दौरा कर चुके हैं.
दारुल उलूम का असर
दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 30 मई 1866 को हुई थी. इसकी स्थापना हाजी सैयद मोहम्मद आबिद हुसैन, फजलुर्रहमान उस्मानी और मौलाना कासिम नानौतवी द्वारा की गई थी. मौजूदा समय में यहां देश-विदेश के करीब साढ़े चार हजार छात्र इस्लामी तालीम हासिल करते हैं. मुस्लिम समाज दारुल उलूम के साथ किस कदर भावनात्मक तौर पर जुड़ा है, उसे इसी बात से समझा जा सकता है कि दारुल उलूम जब कोई फतवा जारी करता है तो उसे आमतौर पर हर मुस्लिम मानता है.
साल 2011 के बाद से दारुल उलूम ने राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति देना भले ही बंद कर दिया हो लेकिन यहां से जुड़े जमीयत उलेमा-ए-हिंद का राजनीति से गहरा नाता रहा है. जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी के पिता मौलाना असद मदनी कांग्रेस पार्टी से तीन बार राज्यसभा सांसद रहे जबकि मौलाना महमूद मदनी भी समाजवादी पार्टी से एक बार राज्यसभा पहुंच चुके हैं.
सहारनपुर लोकसभा सीट
सहारनपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां करीब 18 लाख मतदाता हैं. फिलहाल यहां 10 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी के बीच ही है. गंगा-यमुना के बीच बसे यूपी के इस शहर की सीमाएं हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से लगती हैं. साल 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां से बीएसपी उम्मीदवार हाजी फजुर्लरहमान ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार राघव लखनपाल को बीस हजार वोटों से हराया था.
सहारनपुर लोकसभा के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में तीन सीटों पर बीजेपी और दो सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी. बीजेपी ने सहारनपुर नगर, देवबंद और रामपुर विधानसभा सीटें जीती थीं जबकि सहारनपुर देहात और बेहट विधानसभा सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में गई थीं. लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी का गठबंधन है इसलिए कांग्रेस उम्मीदवार की स्थिति मजबूत मानी जा रही है.
सहारनपुर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो 1952 से लेकर 1971 तक यहां कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. इस सीट से दो बार अजित प्रसाद और दो बार सुंदरलाल सांसद चुने गए. 1977 में भारतीय लोकदल के उम्मीदवार रशीद मसूद ने इस सिलसिले को तोड़ा और 1980 में भी उन्होंने जीत दर्ज की लेकिन 1984 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और जीत दर्ज की. लेकिन उसके बाद यहां सपा, बीएसपी और बीजेपी सभी पार्टियों के उम्मीदवार जीतते रहे, पर कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका.
कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद इससे पहले 2014 में भी कांग्रेस के टिकट पर यहां से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और उस वक्त भी उनका मुकाबला बीजेपी के राघव लखनपाल से ही था. लेकिन राघव लखनपाल ने उन्हें करीब 68 हजार वोटों से हरा दिया था. 2019 में बीएसपी के हाजी फजलुर्रहमान ने राघव लखनपाल को करीब बीस हजार वोटों से हराया था लेकिन बीएसपी ने इस बार फजलुर्रहमान की बजाय माजिद अली को उम्मीदवार बनाया है.
कांशीराम यहीं से हारे थे
इस सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब एक तिहाई वोटर मुस्लिम समुदाय से आते हैं जबकि करीब 15 फीसद मतदाता दलित हैं. सवर्ण मतदाताओं की संख्या भी करीब इतनी ही है. बाकी पिछड़ी जातियां हैं जिनमें गुर्जर, सैनी इत्यादि हैं.
सहारनपुर लोकसभा सीट से बीएसपी के संस्थापक कांशीराम भी चुनाव हार चुके हैं. साल 1998 के लोकसभा चुनाव में वह तीसरे स्थान पर थे. बीजेपी उम्मीदवार नकली सिंह ने यहां से जीत दर्ज की थी और दूसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार रशीद मसूद थे. रशीद मसूद का इस सीट पर राजनीतिक प्रभाव करीब चार दशक तक रहा. 1977 से लेकर 2004 के बीच वह सहारनपुर से लोकसभा सांसद और तीन बार राज्यसभा सांसद रहे. लेकिन साल 2013 में मेडिकल एडमिशन घोटाले में चार साल की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता चली गई थी. किसी अपराध में दोष सिद्ध होने के बाद सदस्यता गंवाने वाले वह पहले सांसद थे. कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद रशीद मसूद के ही भतीजे हैं.
स्थानीय पत्रकार दिनेश सिंह कहते हैं, "छह लाख से भी ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं समेत इमरान मसूद की अन्य मतदाता वर्ग में भी अच्छी पकड़ के चलते उन्हें मजबूत उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है. समाजवादी पार्टी का भी साथ है. लेकिन मुकाबले में पूर्व सांसद राघव लखनपाल भी कहीं से कमजोर नहीं हैं. बीएसपी ने भी चूंकि मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है इसलिए उसका नुकसान भी इमरान मसूद को हो सकता है. पर बीजेपी के खिलाफ क्षत्रियों की नाराजगी ने बीजेपी उम्मीदवार की स्थिति जरूर कुछ कमजोर की है.”
सहारनपुर जिले के ननौता कस्बे में तीन दिन पहले क्षत्रिय महाकुंभ का आयोजन हुआ था जिसमें कई राज्यों के लोग पहुंचे थे. सम्मेलन में बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया. क्षत्रिय समाज के लोग कई बातों से बीजेपी से नाराज हैं और अब खुलकर विरोध में उतर आए हैं. विरोध की मुख्य वजह कुछ क्षत्रिय उम्मीदवारों का टिकट कटना और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला का क्षत्रियों के खिलाफ दिया एक बयान बताया जा रहा है.
रुपाला ने एक कार्यक्रम में कहा था कि "राजपूत राजाओं ने अंग्रेजों के साथ रोटियां तोड़ीं और अपनी बेटियों की शादी उनसे की. लेकिन हमारे दलित समुदाय ने न तो किसी ने अपना धर्म बदला और न ही अंग्रेजों के साथ दोस्ताना संबंध स्थापित किए. जबकि उन पर सबसे अधिक अत्याचार हुआ.” (dw.com)
जयपुर, 12 अप्रैल। पूर्व सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह के बेटे कर्नल (सेवानिवृत्त) मानवेंद्र सिंह छह साल के अंतराल के बाद आज फिर से पार्टी में शामिल होंगे।
पार्टी के पदाधिकारियोें ने बताया कि शुक्रवार को बाड़मेर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में मानवेंद्र सिंह दोबारा भाजपा में शामिल होंगे।
मानवेंद्र सिंह अपना पहला चुनाव 1999 में भाजपा के टिकट पर लड़े, लेकिन वह कांग्रेस नेता कर्नल (सेवानिवृत्त) सोनाराम चौधरी से हार गए। 2004 में पासा पलटा और मानवेंद्र सिंह ने बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता।
2013 में, उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता और शेओ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने।
2014 में, भाजपा ने जसवंत सिंह को टिकट देने से इनकार कर दिया। इस पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए।
इसके बाद, मानवेंद्र सिंह ने विद्रोह कर दिया। इसके कारण उन्हें भाजपा से निलंबित कर दिया गया। बाद में वह 2018 में कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2019 में वह एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और हार गए।
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें सिवाना से मैदान में उतारा। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी सहयोगी, कांग्रेस नेता सुनील परिहार ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह कर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसका नतीजा यह हुआ कि मानवेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा।
सुनील परिहार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद मानवेंद्र सिंह निराश हो गए और उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।
बाड़मेर में त्रिकोणीय मुकाबले में अपनी जीत को लेकर भाजपा आश्वस्त है।
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया ने कहा,' हम इस सीट को जीतने के लिए पूरी तरह तैयार है। 2014 में भी बाड़मेर में त्रिकोणीय मुकाबला था, फिर भी हम जीते। इस बार भी कुछ अलग नहीं है और हम यह सीट जीतेंगे।”
(आईएएनएस)
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना सीट करीब आठ साल पहले एकाएक पलायन जैसे मुद्दे को लेकर चर्चा में आ गई थी जब वहां के सांसद हुकुम सिंह ने पलायन कर गए कई लोगों की सूची सार्वजनिक कर दी थी. क्या अभी भी पलायन वहां कोई मुद्दा है?
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
हरियाणा के पानीपत से लगे पश्चिमी यूपी के जिले शामली का एक कस्बा है कैराना. इसी नाम से लोकसभा सीट भी है और विधानसभा सीट भी.
2016 में पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर में साल 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि महज तीन साल के भीतर कैराना के सांसद हुकुम सिंह ने यहां से बड़ी संख्या में हिन्दुओं के पलायन का मुद्दा उठाया तो राजनीतिक हलकों में भूचाल सा आ गया.
कुछ रिपोर्टें आईं कि लोग अपराधियों और बढ़ते अपराध की वजह से यहां से पलायन कर रहे हैं और अपने घरों पर ‘मकान बिकाऊ है' के बोर्ड चस्पा किए हुए हैं.
कैसे उठा पलायन का मुद्दा
कैराना मुस्लिम बहुल इलाका है और रिपोर्टों में इशारा यह था कि ये अपराधी और अपराध मुस्लिम समुदाय के हैं और पलायन करने वाले हिंदू.
पलायन के इस मुद्दे ने राजनीति में कुछ उसी तरह ‘आग में घी' का काम किया जैसे साल 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों ने किया था. इस मुद्दे ने भारतीय जनता पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में न सिर्फ पश्चिमी यूपी बल्कि पूरे प्रदेश में जबर्दस्त फायदा दिलाया और पार्टी ने ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया.
लेकिन जब मुद्दे की जमीनी स्तर पर पड़ताल हुई, पलायन वाली सूची की खोजबीन शुरू हुई तो यह दावा पूरी तरस से संदिग्ध मिला. कई मामले गलत पाए गए और यहां तक कि इस मुद्दे को उठाने वाले बीजेपी सांसद हुकुम सिंह खुद बाद में इस पर सफाई देने लगे कि पलायन का मुद्दा कानून-व्यवस्था से जुड़ा था न कि किसी संप्रदाय से.
हुकुम सिंह की साल 2018 में मृत्यु हो गई और उसके बाद कैराना में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया. लेकिन मृगांका सिंह यह उपचुनाव समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल की संयुक्त उम्मीदवार तबस्सुम हसन से हार गईं.
क्या फिर जीत पाएगी बीजेपी?
साल 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने मृगांका सिंह की बजाय प्रदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया और प्रदीप कुमार ने तबस्सुम हसन को हरा दिया. मृगांका सिंह को बीजेपी ने 2022 में विधानसभा का टिकट दिया लेकिन मृगांका सिंह विधानसभा चुनाव भी समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन से हार गईं.
कैराना में पहले चरण में ही 19 अप्रैल को मतदान होने हैं. बीजेपी ने एक बार फिर प्रदीप कुमार को टिकट दिया है जबकि इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार इकरा हसन उनका मुकाबला कर रही हैं. राष्ट्रीय लोकदल इस बार बीजेपी के साथ इंडिया गठबंधन में है और बीएसपी ने श्रीपाल राणा को मैदान में उतारकर चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है.
करीब आठ साल और कई चुनाव बीतने के बाद भी पलायन जैसा मुद्दा वहां कितना महत्व रखता है? वहां के लोगों से बात करने पर पता चलता है कि यह मुद्दा न तो तब था और न ही अब है. हां, कुछ लोगों ने इस मुद्दे को उठाकर, उसे सांप्रदायिक रंग देकर राजनीतिक लाभ जरूर ले लिया लेकिन अब यह राजनीतिक लाभ देने लायक भी नहीं बचा है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में कैराना कस्बे के व्यवसायी और व्यापार मंडल के अध्यक्ष अनिल गुप्ता कहते हैं, "कैराना का इतिहास यह है कि यह बहुत शांत इलाका है. यहां कभी सांप्रदायिक झगड़ा नहीं हुआ. गंगा-जमुनी तहजीब है यहां की. हिंदू-मुस्लिम साथ रहते हैं, उठते-बैठते हैं. लेकिन यह भी सही है कि पिछली सरकारों में यहां गुंडई-बदमाशी चरम पर थी. रंगदारी भी मांगी जाती थी. कुछ मर्डर भी हुए थे. लेकिन योगी सरकार में सभी को सुरक्षा है कोई डर नहीं है.”
पिछड़ापन है असली समस्या
हालांकि अनिल गुप्ता ये भी कहते हैं, "बदमाश की कोई जाति या धर्म नहीं होता है. बदमाश लोग जब थे तो वो सभी के लिए खतरा थे. हिन्दुओं और मुसलमान दोनों के लिए. कई लोग डर के मारे दूसरी जगहों पर चले गए लेकिन ऐसा नहीं है कि मुसलमानों के डर से हिंदू चले गए या हिंदू के डर से मुसलमान चले गए.”
वहीं कैराना कस्बे के पास के एक गांव जहानपुर के प्रधान रह चुके रईस अहमद कहते हैं, "कुछ लोगों ने राजनीतिक फायदे के लिए ये सब किया. यहां तो गूजर लोग हैं और मजे की बात है कि एक ही परिवार के कुछ गूजर हिंदू हैं और कुछ मुसलमान. कभी सांप्रदायिक दंगे, लड़ाई-झगड़े नहीं हुए. सब राजनीति की बातें हैं और यहां इन सब मुद्दों पर कोई वोट भी नहीं करता.”
पलायन जैसे मुद्दे के लिए एक समय भले ही कैराना चर्चा में रहा हो लेकिन फिलहाल यहां पर यह मुद्दा प्रभावहीन और अप्रासंगिक हो गया है. कैराना कस्बे के ही रहने वाले राजेंद्र सिंह कहते हैं कि अब तो चुनावों में भी इस मुद्दे की चर्चा नहीं होती.
डीडब्ल्यू से बातचीत में इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार इकरा हसन बताती हैं कि यहां सबसे बड़ा मुद्दा विकास का है जिसमें यह इलाका बहुत पीछे है. वो कहती हैं, "डबल इंजन की सरकार रहते हुए भी कैराना में कोई काम नहीं हुआ है. हमारे यहां मेडिकल कॉलेज नहीं है, कॉलेज की कमी है. सड़कें खराब हैं. रोजगार और महंगाई का हाल तो जो पूरे प्रदेश और देश में है, वही यहां भी है.”
कैराना के ही रहने वाले पत्रकार रवि सिंह कहते हैं कि बीजेपी और आरएलडी के साथ आने से एनडीए को फायदा होता लेकिन राजपूतों की नाराजगी और किसान आंदोलन का नुकसान भी होगा. इसलिए लड़ाई आसान नहीं है.
रवि आगे कहते हैं, "यह गन्ना का इलाका है. किसान आंदोलन का यहां जबर्दस्त प्रभाव है और बीजेपी ने जिस तरह से आंदोलन को दबाने का काम किया था उसे लोग यहां भूले नहीं हैं. आरएलडी के बीजेपी के साथ आने से ऐसा नहीं है कि वो किसान भी बीजेपी उम्मीदवार को वोट दे देंगे जिन्होंने किसान आंदोलन के दौरान उत्पीड़न झेला है."
दूसरे, अभी राजपूत महासभा की पंचायत में राजपूतों की नाराजगी जिस तरह से दिख रही है, वो बीजेपी के लिए शुभ संकेत नहीं है. बीएसपी ने तो राजपूत उम्मीदवार भी उतारा है जो सीधे तौर पर बीजेपी को नुकसान पहुंचाने वाला है.”
कैराना के राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब 18 लाख मतदाता हैं जिनमें छह लाख मुस्लिम, दो लाख जाट, ढाई लाख दलित, डेढ़ लाख गुर्जर के अलावा करीब तीन लाख अन्य पिछड़ी जातियां भी हैं. करीब पचास हजार ठाकुर और 40 हजार ब्राह्मण भी हैं.
कैराना सीट पर बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत पिछड़े और सामान्य वर्ग के मतदाताओं का साथ आना है और इसी वजह से वो अब तक दो चुनावों में जीत भी हासिल कर चुकी है.
वहीं समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं और कुछ पिछड़ी जातियों पर निर्भर है जो उसे मजबूती देते हैं. आरएलडी का साथ होने से बीजेपी को यदि फायदा होने की उम्मीद है तो वहीं ठाकुर समुदाय की नाराजगी का उसे नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. उसकी वजह यह है कि बीएसपी ने ठाकुर उम्मीदवार को उतारा है. (dw.com)
नई दिल्ली, 12 अप्रैल । भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल ने तृणमूल कांग्रेस विधायक हमीदुल रहमान के बयान को मतदाताओं को धमकाने वाला और लोकतंत्र की हत्या करने वाला बयान बताते हुए चुनाव आयोग से टीएमसी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
भाजपा प्रवक्ता शुक्ल ने पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर की चोपड़ा विधानसभा से टीएमसी विधायक हमीदुल रहमान ने भाजपा समेत तृणमूल कांग्रेस के सारे विरोधी दलों के मतदाताओं को धमकी देते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद जब केंद्रीय सुरक्षा बल राज्य से लौट जाएंगे तो फिर उनसे (टीएमसी) वहां के लोगों को कौन बचाएगा ?
उन्होंने पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की भी याद दिलाते हुए आरोप लगाया कि उस समय टीएमसी के गुंडों के कारण हजारों लोगों को बंगाल छोड़कर पड़ोसी राज्यों में शरण लेनी पड़ी थी और तृणमूल कांग्रेस के विधायक एक बार फिर से उसी प्रकार की धमकी पश्चिम बंगाल के लोगों को दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने राज्य में लोकतंत्र को शोकतंत्र बनाने का षडयंत्र रच रखा है। बंगाल में संदेशखाली की आग अभी तक ठंडी भी नहीं पड़ी है और टीएमसी के गुंडे मतदाताओं को खुल्लमखुल्ला धमका रहे हैं। ममता बनर्जी स्वयं भी मतदाताओं को धमकाती रही हैं।
भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने टीएमसी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से इसका संज्ञान लेकर टीएमसी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी कभी-कभी ममता की निर्ममता पर बोलते हैं, लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस एवं विपक्षी दलों के अन्य नेता ममता बनर्जी की इस निर्ममता को सह रहे हैं।
वहीं आप की मंत्री आतिशी के राष्ट्रपति शासन लगाने के बयान को पूरी तरह से झूठ बताते हुए शुक्ल ने आरोप लगाया कि जेल में रहकर अरविंद केजरीवाल रोज संविधान को कुचलने का काम कर रहे हैं और उनकी पार्टी के नेता रोज प्रेस कांफ्रेंस कर झूठे आरोप लगा रहे हैं, अफवाहें फैला रहे हैं।
(आईएएनएस)
बेंगलुरु, 12 अप्रैल । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बेंगलुरु कैफे विस्फोट मामले में हमलावर मुसाविर हुसैन शाजिब और उसके साथी अब्दुल मथीन ताहा को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया है।
असम और पश्चिम बंगाल में उनकी गतिविधियों की सूचना के बाद एनआईए ने 10 लाख रुपये के इनामी को गिरफ्तार किया।
30 वर्षीय मुसाविर हुसैन शाजिब उर्फ शाजेब कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के तीर्थहल्ली शहर का निवासी है।
उसके अन्य साथी मोहम्मद जुनैद हुसैन और मोहम्मद जुनेद सईद हैं।
एनआईए ने तीन मार्च को मामले को अपने हाथ में लिया और मुख्य आरोपी मुसाविर की पहचान की। उसी ने विस्फोट को अंजाम दिया था।
अब मामले में एक अन्य साजिशकर्ता, अब्दुल मथीन ताहा उर्फ मथीन उर्फ ताहा उर्फ विग्नेश डी उर्फ सुमित की तलाश है।
वह अपनी पहचान छुपाने के लिए जाली पहचानपत्रों को इस्तेमाल कर रहा है।
इससे पहले एनआईए ने कैफे ब्लास्ट मामले में मुख्य साजिशकर्ता मुजामिल शरीफ की गिरफ्तारी की घोषणा की थी।
जांच से पता चला है कि शरीफ ने 1 मार्च को बेंगलुरु के आईटीपीएल रोड, ब्रुकफील्ड स्थित कैफे में आईईडी विस्फोट में शामिल दो आरोपियों को रसद सहायता प्रदान की थी।
विस्फोट में कई कर्मचारी घायल हो गए थे और कैफे को भी नुकसान हुआ था।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अप्रैल । भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी की मंत्री आतिशी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह अनर्गल आरोप लगा रही हैं और बेहतर तो यही होगा कि केजरीवाल इस्तीफा देकर अपनी पार्टी में से किसी और को दिल्ली का सीएम बना दें क्योंकि आप के पास बहुमत है।
दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की आशंका को लेकर आतिशी द्वारा दिए गए बयान की आलोचना करते हुए सचदेवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को पड़ी दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार और आतिशी को दिल्ली भाजपा द्वारा दिए गए मानहानि नोटिस का असर दिखने लगा है। आतिशी इस बार ऑपरेशन लोटस की अपनी पुरानी झूठी कहानी की बजाय आज सुबह-सुबह नई मनगढ़ंत कहानी गढ़ती नज़र आईं।
भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष ने आतिशी से पूछा कि 60 से ज्यादा विधायकों वाली पार्टी को आज कैसे राष्ट्रपति शासन का भय सता रहा है ? आतिशी यह बताएं कि क्या उनके विधायक उनके संपर्क में नहीं है ? क्या आप के विधायक उनका विश्वास खो चुके हैं ? क्या आप के विधायक अपने नेता के भ्रष्टाचार और लालच से आजिज हो चुके हैं ?
सचदेवा ने आगे कहा कि अपनी सोच और अपनी विचारधारा से भटक चुकी आम आदमी पार्टी आज अपने ही विधायकों पर शक कर रही है। बेहतर तो यही होगा कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें और आप पार्टी में से किसी और को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर दिल्ली की सरकार और प्रशासन को चलने दें क्योंकि आप के पास बहुमत है।
(आईएएनएस)
मुंबई, 12 अप्रैल । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने शरद पवार को अपनी तरफ करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे।
पाटिल ने कहा कि शरद पवार ने अपनी विचारधारा और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और इसलिए वह कभी भी भारतीय जनता पार्टी या सत्तारूढ़ महायुति का साथ नहीं देंगे।
पाटिल ने पूछा, "उन्होंने उन्हें (शरद पवार) ले जाने की बहुत कोशिश की। लेकिन वह हमेशा अपने वैचारिक सिद्धांतों पर स्पष्ट रहे हैं और कभी भी भाजपा का समर्थन नहीं करेंगे।"
भाजपा के इस दावे पर कि एनसीपी (सपा) ''नकली'' है, पाटिल ने हंसते हुए कहा कि यह अजीब है कि पहले वे एक पार्टी को तोड़ते हैं और फिर मूल पार्टी को नकली बताते हैं, जैसा कि उन्होंने (अविभाजित) शिवसेना के साथ किया था जो विभाजित हो गई। उसके बाद (अविभाजित) एनसीपी जुलाई 2023 में टूट गई।
इस संदर्भ में, उन्होंने (सत्तारूढ़) शिवसेना सांसद गजानंद कीर्तिकर के बयानों का हवाला दिया कि पार्टी क्यों टूटी, और कहा कि लोगों को इसका संज्ञान लेना चाहिए।
पाटिल का बयान एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के उस दावे के बाद आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि जुलाई 2023 में शरद पवार अपने भतीजे अजीत पवार के सत्तारूढ़ महायुति सरकार में शामिल होने के लिए पार्टी तोड़ने के बाद भाजपा को समर्थन देने के लिए "50 प्रतिशत" तैयार थे।
हालांकि, शरद पवार अंतिम समय में विचलित हो गए और ऐसा नहीं हो सका।
उन्होंने कहा कि जब अजित पवार ने 2 जुलाई, 2023 को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली, तो एक पखवाड़े बाद अलग हुए गुट के नेताओं ने मुंबई और पुणे में शरद पवार से मुलाकात की, लेकिन शरद आखिरी समय में अनिच्छुक थे।
शरद पवार, जयंत पाटिल, क्लाइड क्रेस्टो, महेश तापसे और अन्य सहित शीर्ष एनसीपी (सपा) नेताओं ने पटेल के बयानों को "सरासर झूठ" कहकर खारिज कर दिया और इसे प्रतिद्वंद्वी एनसीपी नेता द्वारा लोगों के मन में भ्रम पैदा करने का जानबूझकर किया गया प्रयास करार दिया।
पाटिल ने कहा, "एनसीपी (सपा) ने आगाह किया है कि राज्य के लोग इन सभी चीजों को बहुत करीब से देख रहे हैं और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, पार्टी शरद पवार साहब के नेतृत्व में लोक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और "मतदाता बुद्धिमानी से चयन करेंगे।"
(आईएएनएस)
लखनऊ, 12 अप्रैल। उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद को वह तो मिल गया, जो वह चाहते थे, लेकिन जैसा वह चाहते थे, वैसा नहीं मिला। उनके बेटे प्रवीण निषाद को बीजेपी ने संत कबीर नगर से लगातार दूसरी दफा चुनावी मैदान में उतारा है।
बीजेपी ने निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद को भी भदोही से बीजेपी उम्मीदवार बनाया है।
हालांकि, बीजेपी ने संजय निषाद की पार्टी को अपना चुनाव चिन्ह नहीं दिया।
संजय निषाद ने कहा, "लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी के लिए एक वकील का होना अनिवार्य है। प्रवीण निषाद सांसद हैं, लेकिन वह बीजेपी से हैं।"
जबकि भाजपा ने एक सीट, घोसी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) को दी है और अपना दल के लिए दो सीटें रखी हैं। लेकिन निषाद पार्टी को कुछ नहीं दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि जहां संजय निषाद को 2021 में भाजपा द्वारा विधान परिषद के लिए नामांकित किया गया और बाद में मंत्री बनाया गया, वहीं, उनके बेटे प्रवाण निषाद ने 2018 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर उपचुनाव में गोरखपुर लोकसभा सीट जीती।
2019 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा करने के बाद निषाद पार्टी इससे बाहर हो गई और भाजपा के साथ चली गई, जिसके टिकट पर प्रवीण ने उसी वर्ष संत कबीर नगर सीट जीती।
उनके छोटे बेटे श्रवण निषाद 2022 में भाजपा के टिकट पर चौरी चौरा से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
इसलिए तकनीकी तौर पर अपने दोनों बेटों के बीजेपी में होने के कारण संजय निषाद बीजेपी से अपनी हिस्सेदारी मांगने की स्थिति में नहीं हैं।
भाजपा ने अपने सहयोगियों के लिए पांच सीटें छोड़ी हैं - राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और अपना दल (एस) के लिए दो-दो और एसबीएसपी के लिए एक।
56 वर्षीय संजय निषाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण मिशन और शक्ति मूर्ति महासंग्राम जैसे संगठनों की स्थापना से की और फिर निषाद एकता परिषद का गठन किया।
उन्होंने 2013 में निषाद पार्टी की स्थापना की और 2017 में भदुरिया के ज्ञानपुर से विधायक बने।
(आईएएनएस)
पटना, 12 अप्रैल । राजद की नेता और पाटलिपुत्र से उम्मीदवार मीसा भारती शुक्रवार को पीएम और भाजपा के नेताओं को जेल भेजने वाले अपने बयान से पलट गईं। उन्होंने मीडिया पर ही बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मीडिया एजेंडा सेट कर रही है।
उन्होंने मीडिया को नसीहत देते हुए कहा कि मीडिया एजेंडा सेट ना करे, नेताओं को करने दें।
उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए पिछले बयान से पलटते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर उन्होंने बयान दिया था।
उन्होंने कहा कि हमने कहा था कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार आएगी तो पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड से लिए गए चंदे के तरीके को असंवैधानिक नहीं बताया है?
भारती ने आगे कहा कि भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है। क्या भाजपा का कोई नेता बेरोजगारी, किसानों की आय दोगुना करने पर बात कर रहा है। जब भी आते हैं केवल तुष्टिकरण की बात करते हैं।
(आईएएनएस)
पटना, 12 अप्रैल । बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने केंद्र और बिहार सरकार पर बिहार के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाते हुए सवाल किया तो भाजपा और जदयू ने भी राजद सरकार में 118 नरसंहार के हिसाब मांग लिए।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केंद्र सरकार की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, "बिहार ने मोदी जी को 40 में से 39 सांसद दिए। केंद्र में 10 साल से भाजपा सरकार, 17 साल से बिहार में सरकार, केंद्र में मंत्री। दिल्ली में इनका शासन, पटना में इनका शासन प्रशासन। सीबीआई, ईडी, आईटी और मीडिया का एक वर्ग इनके साथ। फिर बिहार के युवाओं को नौकरी देने, विशेष राज्य का दर्जा देने, विशेष पैकेज देने, बिहार में इंडस्ट्री लगाने के लिए और क्या चाहिए?"
उन्होंने आगे कहा कि इतने सांसद और डबल इंजन सरकार के बावजूद भी आप बिहार को कुछ ना देकर उलटा बिहारियों को ही भला-बुरा कहने बिहार आते है तो अबकी बार बिहारी आपको कड़ा सबक सिखायेंगे।
तेजस्वी के इस बयान को लेकर भाजपा और जदयू ने पलटवार करने में देरी नहीं की।
जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने लालू-राबड़ी शासनकाल की याद दिलाते हुए कहा, "बिहार में हुए 118 नरसंहार का दो जवाब, मां-बाप के राज का दो हिसाब। जवाब और हिसाब के बीच राजनीति की जो दूसरी पीढ़ी आई है, तो कौन है गुनाहगार। इसमें दलित, शोषित, सामान्य समुदाय के लोगों का कत्लेआम मच गया था। कौन है इसके लिए जिम्मेदार।"
इधर , भाजपा के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने भी तेजस्वी और रोहिणी को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्हें बिहार की अगली पीढ़ी को यह भी बताना चाहिए कि उनके माता-पिता के 15 वर्ष के राजकाज में 118 नरसंहार हुए थे बिहार में। जिसका नाम लालू राज-राबड़ी राज था। वही राज था माफिया राज, गुंडाराज, नरसंहारों का राज और उसी राज के राजकुमार और राजकुमारी हैं ये दोनों।
( आईएएनएस)
नांदेड़, 12 अप्रैल। केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह ने गुरुवार को तंज कसते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली 'नकली' शिवसेना, शरद पवार के नेतृत्व वाली 'नकली' एनसीपी और आधे-अधूरे मन वाली कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र के विकास को गति देने की स्थिति में नहीं है। यह केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा नीत एनडीए सरकार के तहत ही संभव है।
उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में हमारे खिलाफ तीन पार्टियां हैं। एक नकली शिवसेना है, दूसरी नकली एनसीपी है और तीसरी आधी-अधूरी कांग्रेस है। गुजरात में एक कहावत है - 'तीन तिगड़ा काम बिगड़ा' जब तीन एक हो जाते हैं तो काम बिगड़ जाता है। इसलिए उद्धव ठाकरे की शिवसेना पार्टी आधी हो गई, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी आधी हो गई है।"
अमित शाह ने कहा, "इन दोनों ने कांग्रेस को आधा कर दिया। क्या ये पार्टियां महाराष्ट्र का भला कर सकती हैं? नहीं। ये एक ऑटोरिक्शा हैं, जिसमें तीन पहिए हैं, लेकिन गियरबॉक्स फिएट का है, दूसरा इंजन मर्सिडीज का है। इस रिक्शा की कोई दिशा नहीं है। एक बार चुनाव होने दीजिए, अपसी ''मतभेद से यह गठबंधन टूट जाएगा।दूसरी ओर, हम सभी पीएम मोदी के नेतृत्व में एकजुट होकर लड़ रहे हैं।''
गृहमंत्री ने कार्यकर्ताओं से नांदेड़ से पार्टी उम्मीदवार प्रताप पाटिल चिखलीकर को रिकॉर्ड अंतर से जिताने का आह्वान करते हुए कहा कि मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए चिखलीकर के लिए वोट महत्वपूर्ण है।
उन्होंने शरद पवार पर भी निशाना साधते हुए दावा किया कि यूपीए सरकार में अपने 10 साल के मंत्री वाले कार्यकाल के दौरान उन्होंने पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार की तुलना में राज्य के विकास को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया।
उन्होंने कहा, "पवार के 10 साल के मंत्रिस्तरीय कार्यकाल के दौरान महाराष्ट्र को पिछले 10 वर्षों में रिकॉर्ड 7.15 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले केवल 1,51,000 करोड़ रुपये मिले। राज्य को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 3,90,000 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए 75,000 करोड़ रुपये मिले। रेलवे के लिए 2,10,000 करोड़ रुपये, हवाईअड्डों के लिए 4,000 करोड़ रुपये और विशेष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान है।''
अमित शाह ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने 10 साल के शासन के दौरान न केवल महाराष्ट्र के विकास को, बल्कि देश के समग्र विकास को बढ़ावा दिया है।
उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव कर दिया, जिसका शरद पवार ने विरोध किया था।
उन्होंने कहा, "बालासाहेब ठाकरे औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के पक्ष में थे। लेकिन उनका नाम बदलने के बाद उद्धव ठाकरे के चेहरे पर कोई मुस्कान नहीं थी।"
गृहमंत्री ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष कहते हैं कि कश्मीर मुद्दे का महाराष्ट्र और राजस्थान से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने सभा से यह भी पूछा कि क्या अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया जाना चाहिए था या नहीं, भीड़ ने सकारात्मक उत्तर दिया।
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पटना, 12 अप्रैल। किसी भी चुनाव से पहले नेताओं के दल बदलने का रिवाज पुराना रहा है। इस चुनाव में भी कई नेताओं ने अपने ठौर-ठिकाने बदले हैं। इनमें से अधिकतर नेताओं को तो नया ठौर मिल गया, लेकिन कई नेताओं को निराशा ही हाथ लगी। वे न घर के रहे न घाट के।
बिहार में इस लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृृृत्व में एनडीए और विपक्षी दलों के महागठबंधन के बीच है। राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों में से अधिकांश सीटों के लिए उम्मीदवार तय कर लिए गए हैं। हालांकि कई दलबदलू नेता अभी भी अपने लिए मुफीद ठिकाना खोज रहे हैं। अब हाल यह है कि ऐसे नेता या तो ’बिना दल’ (निर्दलीय) चुनाव मैदान में उतरें या फिर नए दल में अपने बदले संकल्पों के साथ रहें।
दल बदल कर राजद में आने वाले नेताओं को काफी लाभ हुआ दिख रहा है। जदयू छोड़कर कुछ ही दिनों पहले राजद में आए अभय कुशवाहा को पार्टी ने औरंगाबाद से चुनाव मैदान में उतार दिया, तो चुनाव के दौरान ही जदयू छोड़कर राजद में आईं बीमा भारती को राजद ने पूर्णिया से टिकट दे दिया।
वैशाली से राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे मुन्ना शुक्ला पिछले विधानसभा चुनाव में लालगंज से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। मुंगेर से चुनावी मैदान में उतरीं अनीता देवी भी पहले राजद की सदस्य नहीं थीं। हाल में ही उनहोंने बाहुबली अशोक यादव से विवाह रचाया और राजद का टिकट हासिल कर लिया।
ऐसा नहीं कि दलबदलू नेताओं को केवल राजद ने ही ठिकाना दिया है। एनडीए में शामिल चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने भी जमुई से अपने किसी कार्यकर्ता पर भरोसा नहीं जताया। चिराग ने यहां से अपने बहनोई अरुण भारती को प्रत्याशी बना दिया। जदयू ने समस्तीपुर से अपने किसी कार्यकर्ता पर भरोसा नहीं कर, बिहार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को चुनाव मैदान में उतार दिया।
एनडीए में शामिल जदयू के खाते में इस चुनाव में 16 सीटें गई हैं। जदयू ने अपने 13 पुराने सांसदों पर ही भरोसा जताया। पार्टी ने सिवान से विजयलक्ष्मी को टिकट दिया है। शिवहर से पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को चुनाव मैदान में उतारा है। लवली आनंद कुछ ही दिनों पहले राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुई थीं।
कई नेता ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी सुविधा के लिए पार्टी तो बदल ली, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। पूर्णिया सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे पप्पू यादव अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया, लेकिन महागठबंधन में हुए सीट बंटवारे में पूर्णिया सीट राजद के खाते में चली गई। इसलिए पप्पू यादव को बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना पड़ा।
वैसे, महागठबंधन में शामिल राजद ने अपने खाते की सीट सिवान के लिए अपने प्रत्याशी की घोषणा अभी नहीं की है। इसी प्रकार विकासशील इंसान पार्टी ने भी अपने खाते की तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम अभी सार्वजनिक नहीं किए हैं। कांग्रेस भी अपनी नौ सीटों में से सिर्फ तीन सीटों के लिए ही प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर सकी है। ऐसे में आयातित नेताओं को अभी भी ठिकाना मिलने की आस है, लेकिन पार्टियों के कार्यकर्ता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
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लखनऊ, 12 अप्रैल। लोकसभा चुनाव लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने शुक्रवार को नौ उम्मीदवारों की एक और सूची जारी कर दी।
बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को आजमगढ़ से, पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को घोसी से मैदान में उतारा है। इसके अलावा एटा से मोहम्मद इरफान, धौरहरा से श्याम किशोर अवस्थी, फैजाबाद से सच्चिदानन्द पांडेय, बस्ती से दयाशंकर मिश्रा को मौका दिया है।
वहीं, गोरखपुर से जावेद सिमनानी, चंदौली से सत्येंद्र कुमार मौर्य और रावर्ट्सगंज से धनेश्वर गौतम को उम्मीदवार बनाया है।
बसपा प्रमुख ने 11 अप्रैल को ईद के मौके पर मायावती महाराष्ट्र के नागपुर के इन्दौरा इलाके के बेजोनबाग मैदान में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहली चुनावी रैली की है। उनके भतीजे आकाश आनंद यूपी के मैदान में मोर्चा संभाले हुए हैं।
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हैदराबाद, 12 अप्रैल । तेलंगाना में दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में पांच लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
पहली दुर्घटना में, एक महिला और उसकी तीन महीने की बेटी की मौत हो गई जब उनकी कार हनमकोंडा जिले में एक खड़े ट्रक से टकरा गई। आत्मकुर मंडल के गुड्डेपाडु गांव के पास हुई दुर्घटना में दो अन्य घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि कार सड़क किनारे खड़े ट्रक में जा घुसी। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
दूसरी घटना सूर्यापेट जिले में हुई जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया। जिस कार में वे यात्रा कर रहे थे वह पीछे से एक खड़ी डीसीएम से टकरा गई। मृतकों की पहचान मोहम्मद नवीद (25), निखिल रेड्डी (26) और राकेश (25) के रूप में हुई है। घायल को सूर्यापेट सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पुलिस को संदेह है कि टक्कर का कारण तेज रफ्तार थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
दोनों घटनाएं मध्य रात्रि में हुई।
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गाजियाबाद, 12 अप्रैल । गाजियाबाद की सबसे पॉश माने जाने वाली एटीएस एडवांटेज सोसाइटी में गुरुवार देर रात 12वीं कक्षा के एक छात्र की 23वीं मंजिल से गिरकर मौत हो गई। छात्र को जब अस्पताल पहुंचाया गया तो उसकी जेब से एक नोट मिला। इसमें लिखा था "आई फियर कि सुसाइड फेल न हो जाए। फ्लोर 24, डेथ कन्फर्म"। पुलिस इस मामले में हत्या और आत्महत्या दोनों ही एंगल पर जांच कर रही है। सोसाइटी के सीसीटीवी को भी खंगाला जा रहा है। मृतक की पहचान नव खन्ना उर्फ कविश के रूप में हुई।
घटना उस वक्त हुई, जब नव और उसके दो दोस्त 24वें फ्लोर की टेरिस पर खड़े होकर मोबाइल से फोटोग्राफी कर रहे थे। इंदिरापुरम थाना क्षेत्र के नीतिखंड-तीन में रहने वाले 17 वर्षीय नव खन्ना उर्फ कविश ने इसी साल 12वीं का एग्जाम दिया था। अभी उसका रिजल्ट आना बाकी है।
गुरुवार देर शाम वो अपने दोस्त ईशान और कार्तिक साथ एटीएस एडवांटेज सोसाइटी में आया। यहां पर 21 नंबर टॉवर में उनका दोस्त प्रणय रहता है। चारों दोस्त 24वें फ्लोर पर पहुंच गए। रात करीब पौने 9 बजे नव खन्ना 23वें फ्लोर से नीचे गिर गया। पुलिस उसको लेकर शांति गोपाल हॉस्पिटल पहुंची, जहां उसे मृत घोषित कर दिया।
इस मामले में एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया, आरडब्ल्यूए और सिक्योरिटी से सूचना मिलते ही इंदिरापुरम थाने की पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और उसके दोस्तों से पूछताछ की। दोस्तों ने बताया कि वे सभी 24वें फ्लोर टेरिस पर मोबाइल से फोटोग्राफी कर रहे थे। इसके बाद एटीएस सोसाइटी में रहने वाला प्रणय अपने फ्लैट में चला गया। अब टेरिस पर नव खन्ना सहित ईशान और कार्तिक बचे थे। इन दोनों ने बताया कि प्रणय के जाने के बाद नव ये कहकर नीचे चला गया कि वो अभी थोड़ी देर में आ रहा है।
वो 24वें से 23वें फ्लोर पर आया और बालकनी से नीचे कूद गया। उसके गिरने की तेज आवाज आई। एसीपी ने बताया, पुलिस जब छात्र को शांति गोपाल हॉस्पिटल में लेकर पहुंची, तो वहां उसकी जेब से एक सुसाइड नोट प्राप्त हुआ। प्रथमदृष्टया ये आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है। सुसाइड नोट की लिखावट को मैच कराया जा रहा है। बाकी अन्य सभी बिंदुओं पर भी जांच की जा रही है। पुलिस की एक टीम सोसाइटी के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है।
फिलहाल इस हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या नव खन्ना सुसाइड करने के उद्देश्य से ही बिल्डिंग के टेरिस पर गया था और क्या पहले से ही सुसाइड नोट लिखकर आया था।
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भोपाल, 12 अप्रैल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बुंदेलखंड के सागर और महाकौशल के छिंदवाड़ा में बड़ा झटका लगा है। पूर्व विधायक पारुल साहू के अलावा छिंदवाड़ा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अमित सक्सेना सहित बड़ी तादाद में कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हो गए।
भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में कांग्रेस के अनेक नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
सागर जिले से पूर्व विधायक पारुल साहू ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और कहा कि उनकी यह घर वापसी है। वे भाजपा से ही विधायक निर्वाचित हुई थी और उसके बाद भाजपा छोड़ कर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरी थी। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
इसी तरह छिंदवाड़ा से जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अमित सक्सेना ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
इस मौके पर भाजपा नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से प्रगति कर रहा है और हर कोई इसमें शामिल होकर अपना योगदान देना चाहता है। बड़ी संख्या में लोग कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ रहे हैं।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले नेताओं को मुख्यमंत्री मोहन यादव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य नेताओं ने अंग वस्त्र पहनाकर स्वागत किया और भाजपा की सदस्यता दिलाई।
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मुंबई, 12 अप्रैल । महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास विभाग ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान का आकलन करने का निर्देश दिया है। राज्य के 11 जिलों में बेमौसम बारिश की वजह से किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है।
ज्वार, गेहूं, आम, संतरे, केले और रबी की बुरी तरह प्रभावित फसलें 50,000 हेक्टेयर भूमि पर फैली हुई हैं।
मौसम विभाग ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की आगे भी संभावना जताई है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
हालांकि, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि जिला प्रशासन को नुकसान हुए फसलों का आकलन करा कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, ताकि किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।
मंत्री ने कहा कि चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से वर्तमान में किसानों को किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान करना मुश्किल है। हालांकि, राज्य सरकार ने किसानों को आश्वस्त किया है कि उन्हें हर मुमकिन सहायता प्रदान की जाएगी।
बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन की गतिविधियां अहम हो जाती हैं। वहीं, मुख्य विपक्षी दल शिवसेना यूबीटी, एनसीपी, एसपी और कांग्रेस ने किसानों की फसलों को हुए नुकसान को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार किसानों की फसलों को हुए नुकसान को ध्यान में रखते हुए हर मुमकिन आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
अकेले अमरावती जिले में 40,000 हेक्टेयर में फैले संतरे, आम, केले सहित रबी फसलों और फलों को गंभीर नुकसान हुआ। निकटवर्ती अकोला में 74 गांवों में 4,060 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली फसलें प्रभावित हुईं।
बुलढाणा में 100 गांवों की 3,500 हेक्टेयर में फैली फसलें प्रभावित हुईं।
एनसीपी (सपा) ने किसानों के संकट पर भाजपा की आलोचना करते हुए कहा है कि पार्टी ने अब किसानों को इस बात पर बांट दिया है कि वे किस पार्टी से जुड़े हैं।
एनसीपी (एसपी) ने कहा, "बीजेपी किसानों के पास सिर्फ वोट के लिए जाती है, लेकिन इस बार ऐसे असंवेदनशील सरकार को मौका नहीं मिलेगा।"
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नई दिल्ली, 11 अप्रैल । दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया है। वह पैरोल पर बाहर आया था, लेकिन जेल में लौटा ही नहीं। वह पिछले तीन साल से फरार चल रहा था।
आरोपी की पहचान मोहम्मद मुस्ताक के रूप में हुई है। गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने अपनी दाढ़ी-मूंछें कटवा कर पहचान बदल ली थी।
पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) अमित गोयल ने कहा कि दिल्ली में कुछ साल पहले मुस्ताक और उसके दो दोस्तों के बीच एक चाय की दुकान पर झगड़ा हुआ था। इसकी सूचना चाय दुकान के मालिक के बेटे ने अपने पिता को दी। इसके बाद तीनों आरोपियों ने उसके बेटे को पांचवीं मंजिल से फेंक दिया।
डीसीपी ने बताया, ''मुकदमा पूरा होने के बाद मुस्ताक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उसे 15 मई 2021 को कोविड-19 महामारी के दौरान 90 दिनों के लिए पैरोल पर जेल से रिहा किया गया था, लेकिन उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और वह तब से फरार था।''
डीसीपी ने बताया कि 6 अप्रैल को विशेष इनपुट से पता चला कि वह फिलहाल मुंबई में रह रहा है।
डीसीपी ने आगे बताया, "सूचना पर कार्रवाई करते हुए टीम ने मुंबई के घनी आबादी वाले स्लम एरिया गोवंडी से पैरोल जम्पर का पता लगाया। चूंकि कोई पता नहीं था, इसलिए टीम ने चुनाव अधिकारी के रूप में 500 से अधिक घरों में जाकर वोटर कार्ड बनाने के नाम पर जांच की। टीम के अथक प्रयास से दोषी को पकड़ लिया गया।''
पूछताछ में मुस्ताक ने खुलासा किया कि पैरोल पर रिहा होने के बाद वह अपने गांव गया और शादी कर ली।
डीसीपी ने कहा, "वहां उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं था और पुलिस भी उसकी तलाश कर रही थी इसलिए वह मुंबई चला गया और वहां कढ़ाई गोदाम में काम करना शुरू कर दिया।" (आईएएनएस)
अमेठी, 11 अप्रैल। लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं में पाला बदलने का दौर जारी है। लेकिन अब आम लोग भी बीजेपा का दामन थाम रहे हैं। गुरुवार को अमेठी में बड़ी संख्या में यादव समाज के लोग बीजेपी में शामिल हो गए।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उत्तर प्रदेश सरकार के खेल एवं युवा कल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीश चंद्र यादव ने सभी को बीजेपी में शामिल कराया।
शामिल होने वाले लोगों ने बताया कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति से प्रभावित होकर बीजेपी में शामिल हुए हैं।
यादव समाज के लोगों को पार्टी में शामिल कराने के बाद स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस की दुर्गति पर भी तंज कसा।
ईरानी ने कहा, “राहुल गांधी ने अमेठी को धोखेबाज बताया। अमेठी की जनता ने राहुल को 15 साल दिया। आज मैं यह सवाल पूछना चाहती हूं कि उन्होंने इन सालों में अमेठी की जनता के लिए क्या किया।"
स्मृति ईरानी ने बताया, “मगर हमने जो किया वह शायद ही कोई सांसद कर सकता है। मैंने बताया था कि जिस दिन अमेठी की जनता हमें चुनेगी, अपने सांसद से मिलने के लिए उन्हें दिल्ली नहीं आना पड़ेगा, जबकि वह अपने सांसद से अमेठी में ही उनके आवास पर मिल सकते हैं। उनके साथ बैठ सकते हैं, यही नहीं खाना पीना भी सांसद के साथ कर सकते हैं।"
(आईएएनएस)