डेरा बाबा नानक (पंजाब), 30 नवंबर | केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के जारी प्रदर्शन के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को केंद्र सरकार से पूछा कि वह आखिर इस मुद्दे पर क्यों अड़ी हुई है और किसानों की बात क्यों नहीं सुन रही है। मुख्यमंत्री ने अपने ऐतिहासिक शहर के दौरे के दौरान अनौपचारिक रूप से मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "यह सरकार का काम है कि वह अपने लोगों की बात सुने। अगर किसान इतने सारे राज्यों से आंदोलन में शामिल हो रहे हैं, तो वे वास्तव में परेशान होंगे।"
उन्होंने कथित काले कानूनों के खिलाफ लड़ाई में किसानों के साथ मजबूती से खड़े रहने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
प्रधानमंत्री के इस रुख पर कि नए कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी शुरू से यही बात दोहराते आए हैं और यही वजह थी कि पंजाब अपने विधेयक लेकर आया।
उन्होंने राष्ट्रपति के पास भेजने के बजाय उन विधेयकों पर खुद विचार करने के राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाया। सिंह ने कहा कि राज्यपाल ने पिछले साल भी मुख्यमंत्री के सलाहकारों से संबंधित विधेयक पर भी ऐसा ही रुख अपनाया था।
सिंह ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और आढ़ती (कमीशन एजेंट) की प्रणाली को पंजाब के सफल कृषि मॉडल की रीढ़ बताया।
अमरिंदर सिंह ने सवाल पूछते हुए कहा, "क्या संकट के समय में किसानों की मदद करने वाले आढ़तियों की जगह लेने वाले कॉर्पोरेट्स कभी उन पर ध्यान देंगे?"
अमरिंदर सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव ने छोटे किसानों को बहुत महत्व दिया था, जिनकी पंजाब के कृषक समुदाय में बड़ी संख्या है और इनमें से 75 फीसदी के पास पांच एकड़ से कम जमीन है।
उन्होंने कहा, "यही वो किसान हैं, जो केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए काले कृषि कानूनों से बर्बाद हो जाएंगे।"
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को अपनी हक की लड़ाई के लिए दिल्ली की सीमाओं पर विरोध करना पड़ा रहा है और वे कठोर सर्दी का सामना कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि इसके साथ ही वे कोविड-19 का खतरा और हरियाणा पुलिस की बर्बरता भी झेल रहे हैं।
करतारपुर कॉरिडोर के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के लिए इसे खोलने का समय है, क्योंकि पाकिस्तान ने भी ऐसा किया है। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि केंद्र सरकार इसे क्यों नहीं खोल रही है।"
आंतरिक और बाह्य आक्रामकता की उभरती चुनौतियों का हवाला देते हुए, मुख्यमंत्री ने देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश करने वाली ताकतों का मुकाबला करने के लिए एकता की जरूरत को रेखांकित किया।
उन्होंने बताया कि गुरतेज सिंह जैसे पंजाबी सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालिया संघर्ष में 12 चीनी सैनिकों को मार दिया था। उन्होंने कहा कि केवल एकजुट भारत ही दुश्मन से लड़ सकता है।
मुख्यमंत्री ने प्रथम सिख गुरु के 550वीं जयंती समारोह और 551वें प्रकाश पर्व की परिणति को चिह्न्ति करने के लिए शहर और सुल्तानपुर लोदी का दौरा किया और इसी दौरान यह टिप्पणी की।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 30 नवंबर | हरियाणा की कम से कम 130 खाप पंचायतों ने दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के मौजूदा प्रदर्शन में मंगलवार से शामिल होने का आज(सोमवार को) एलान किया है। खाप के प्रवक्ता जगबीर मलिक ने मीडिया से कहा, "खाप के सभी लोग पहले किसान हैं और फिर नेता। वे पहले दिन से ही किसानों के प्रदर्शन के साथ जुड़े हैं। जैसा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि राज्य के किसान प्रदर्शन के साथ नहीं जुड़े हैं, यह एक गलत बयान है। हरियाणा के किसान इस प्रदर्शन से जुड़े हुए हैं।"
मलिक ने कहा कि हरियाणा की सभी खापों ने सर्वसम्मति से प्रदर्शनकारी किसानों को समर्थन देने का निर्णय लिया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 नवंबर | किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन का पंजाब और हरियाणा के कई खिलाड़ियों ने समर्थन किया है। वहीं कई खिलाड़ियों ने अपील कि है किसान केंद्र सरकार के साथ मिलकर समस्या का समाधान निकालें। दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर किसान नए किसान बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को इस आंदोलन को पांच दिन हो गए। विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी के पांच प्रवेश द्वारा कों ब्लॉक करने की धमकी दी है। वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सशर्त बातचीत के प्रस्ताव से खुश नहीं हैं।
हरियाणा के रहने वाले भारत के पुरुष कुश्ती खिलाड़ी बजरंग पूनिया ने कहा, "सबका पेट भरने वाला अन्नदाता अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। सभी उनका साथ दो, उनकी आवाज बनो। राजनीति बाद में कर लेना। किसान के बेटे हैं किसान के घर में जन्म लिया है। अभी जमीर जिंदा है हमारा। जय किसान।"
ओलम्पिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने लिखा, "किसान बचेगा तो देश बचेगा।"
उन्होंने हैशटैग के साथ लिखा कि किसानों के लिए आवाज उठाओ।
भारतीय टीम के ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने लिखा, "पंजाबी युवा दिल्ली बॉर्डर पर सड़क साफ करते हुए। हम नहीं चाहते कि हरियाणा और दिल्ली के लोग यह कहें कि पंजाबी आए और सब खराब कर के चले गए।"
महिला कुश्ती खिलाड़ी बबीता फोगाट ने ट्वीट किया, "नरेंद्र मोदी जब तक प्रधानमंत्री पद पर बैठे हैं तब तक किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। फिर भी किसानों को लगता है कि उनकी कोई बात रह गई है तो किसानों को सरकार के साथ मिलकर बैठकर हल निकालना चाहिए।"
ओलम्पिक पदक विजेता पूर्व कुश्ती खिलाड़ी योगेश्वर दत्त ने कहा, "कृपया सभी किसान भाई सहयोग करें। राज्य और केंद्र सरकार हर जायज मुद्दों का समाधान करेगी।"
31 किसान यूनियनों ने किसान बिल के विरोध में 26 से 27 नवंबर के बीच दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की इच्छा जाहिर की थी। पुलिस ने हालांकि दिल्ली की तरफ कूच कर चुके किसानों को हरियाणा में रोकने की कोशिश की, लेकिन वह लोग आगे बढ़ गए और सिंधु और टिगड़ी सीमा पर पहुंच गए।(आईएएनएस)
वाराणसी, 30 नवंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर सोमवार को वाराणसी पहुंचे हैं। यहां 6 लेन हाईवे का लोकार्पण करने के बाद उन्होंने खजुरी में जनसभा की। इसके बाद वह बाबा विश्वनाथ के मंदिर पहुंचे। उन्होंने यहां बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। बाबा विश्वनाथ के पूजन में फूल, दूध, दही, शहद, चंदन, रोड़ी, सुपारी, फल, मेवा आदि चढ़ाया गया। मोदी एक-एक कर सामग्री बाबा विश्वनाथ को अर्पित की। उन्होंने षोडशोपचार पूजन किया और आरती उतारी। प्रधानमंत्री को प्रसाद के रूप में रुदाक्ष की माला, बेलपत्र, भस्मी, बाबा का चित्र और दुपट्टा मिला।
बाबा विश्वनाथ के मंदिर पहुंचने के लिए मोदी ने क्रूज की सवारी की। भगवान अवधूत राम घाट से मोदी और योगी अलकनंदा क्रूज से ललिता घाट पहुंचे। इसके बाद उन्होंने विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास कार्यो का जायजा लिया। प्रधानमंत्री ने कॉरिडोर के रास्ते में विश्वनाथ मंदिर और काशी से जुड़े कुछ विशिष्टजनों से मुलाकात भी की। मोदी क्रूज से ही राजघाट पहुंचेंगे और दीया जलाकर दीपोत्सव का शुभारंभ करेंगे। यहीं पावन पथ वेबसाइट का लोकार्पण भी होगा।
देश के प्रतिनिधि के तौर प्रधानमंत्री ने देश के लिए मंगल कामना की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें स्मृति चिह्न् भेंट किया। साथ ही पचास हजार वर्ग मीटर में आकार ले रहे विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना के बारे में जानकारी दी। पीएम ने कॉरिडोर क्षेत्र में बन रहे भवनों का निरीक्षण किया। स्तंभों पर उकेरी गई नक्काशी को ध्यान से देखा। डॉक्यूमेंट्री के जरिए भी वह विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना की प्रगति से रूबरू हुए।(आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 30 नवंबर | केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन भी जारी है। हालांकि, विरोध प्रदर्शन के बीच गुरु नानक जयंती के मौके पर आस्था का रंग भी देखने को मिला। वहीं सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती पर किसानों ने भी उन्हें याद किया। गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानून का विरोध प्रदर्शन करने के लिए किसान एकत्रित हुए हैं। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले आए किसानों ने रविवार शाम गुरु नानक जयंती की पूर्व संध्या पर बॉर्डर पर किसानों ने उन्हे याद किया।
किसानों ने अगले निर्देश तक जहां हैं वहीं रहना तय किया है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने गुरुनानक जयंती के मौके कहा कि, "हम किसानों ने गाजीपुर में रहने का फैसला किया है।"
उन्होंने कहा, "हम इस स्थल को नहीं छोड़ेंगे। हम बुराड़ी नहीं जाएंगे। केंद्र को आगे आना चाहिए और किसानों की बात सुननी चाहिए। वहीं भविष्य में जहां बैठे हैं, वहीं झोपड़ियां बनाना भी शुरू कर देंगे।"
दरअसल प्रकाश पर्व पर घरों में भी लोग सिख गुरुवाणी का पाठ करते हैं और गुरुनानक देव को याद करते हैं। इस दिन शोभा यात्रा भी निकाली जाती है।
इसके जरिए गुरु नानक देव की ओर से दिए गए संदेश लोगों तक पहुंचाए जाते हैं। वहीं इस दौरान सिख धर्म के धार्मिक ग्रंथ श्री गुरुग्रंथ साहिब को फूलों की पालकी से सजे वाहन पर गुरुद्वारा लाया जाता है।(आईएएनएस)
शहडोल/भोपाल, 30 नवंबर | मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में बीते दो दिनों में छह बच्चों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों की मौत के मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल मंे उपचार के लिए लाए गए छह नवजात शिशुओं की बीते दो दिनों में मौत हुई है। इन मौतों की वजह स्थानीय लोग स्वास्थ्य अमले की लापरवाही बता रहे हैं। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जिन बच्चों को उपचार के लिए लाया गया था, वे अति गंभ्ीार स्थिति में थे। अस्पताल में भर्ती दो और बच्चों की हालत गंभीर बताई गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहडोल में कुछ बच्चों की मृत्यु की घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई और निर्देश दिए कि इस घटना की जांच कर प्रतिवेदन सौंपा जाए। यदि चिकित्सक और स्टाफ दोषी पाए जाएं, तो ऐसे लोगों को दंडित किया जाए।
मुख्यमंत्री चौहान ने अधिकारियों से कहा कि बच्चों के इलाज में कहीं भी व्यवस्थाओं में कमी है, तो उसे दूर किया जाए। वेंटिलेटर एवं अन्य उपकरणों का समुचित प्रबंध हो। आवश्यक हो तो विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं लेकर रोगियों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाएं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि लोगों की जिंदगी बचाना बहुत आवश्यक है। सभी अस्पतालों में व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया जाए।(आईएएनएस)
गुरुग्राम, 30 नवंबर | तीन नए किसान बिलों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन का आज पांचवा दिन है। इसी को देखते हुए दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस ने सोमवार को राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर के पास सुरक्षा व्यवस्था और चौकस कर दी है। दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर संदिग्ध वाहनों की चेकिंग शुरू कर दी है और रास्तों पर बैरिकेड लगा दिए है। दिल्ली गुरुग्राम बॉर्डर पर केंद्रीय बलों समेत भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।
इससे एक्सप्रेस वे पर यातायात सेवा प्रभावित हुई है, लेकिन जाम जैसी स्थिति नहीं है।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सुरक्षा तैयारियों का जायजा लेने के लिए बॉर्डर क्षेत्रों का जायजा लिया।
बॉर्डर पर तैनात दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "हमें हमारे सीनियर ने संदिग्ध वाहनों पर नजर रखने और राष्ट्रीय राजधानी में किसान समूहों के प्रवेश करने नहीं देने को लेकर नजर रखने को कहा है।"
गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि इस रूट से किसी भी किसान समूह ने दिल्ली में प्रवेश नहीं किया है। (आईएएनएस)
कोलकाता, 30 नवंबर | ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल सरकार 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर अपने कार्यक्रमों के लिए कमर कस रही है। ममता सरकार का 'डोर-टू-डोर सरकार' शीर्षक वाला यह कार्यक्रम एक दिसंबर से शुरू होगा, जिसमें राज्य प्रशासन की ओर से बंगाल भर में चल रही 10 विभिन्न प्रदेश स्तर की सरकारी योजनाओं का उल्लेख किया जाएगा।
बांकुरा में पिछले हफ्ते एक प्रशासनिक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री की ओर से घोषणा किए जाने के बाद इस पहल पर काम शुरू हुआ था। कार्यक्रम के तहत जिन योजनाओं को प्रमुख तौर पर लोगों के सामने रखा जाएगा, उनमें कोन्याश्री, कद द्योष्ठी (खाद्य योजना), सस्थोष्ठी (स्वास्थ्य योजना), 100 दिन का काम, शिक्खा श्री (शिक्षा योजना) आदि योजनाएं शामिल हैं।
राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, यह अभियान एक दिसंबर से 30 जनवरी तक चार चरणों में सभी जिलों में सभी नगरपालिका एवं पंचायत क्षेत्रों में जारी रहेगा। राज्य सरकार के विभिन्न विभाग उन योजनाओं की शिकायतों और कार्यान्वयन की स्थिति को सुनने के लिए शिविर आयोजित करेंगे।
जिला मजिस्ट्रेट अपने-अपने जिलों में 'डोर-टू-डोर सरकार' अभियान का नेतृत्व करेंगे। एक अधिकारी ने कहा कि ये शिविर विभिन्न स्कूलों, कॉलेज परिसरों, सामुदायिक हॉलों और पंचायत कार्यालयों में लगाए जाएंगे, ताकि राज्यभर में ऐसी सरकारी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोग उठा सकें।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, राज्य सरकार आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए ये कार्यक्रम शुरू कर रही है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 नवंबर| संसद से शुरू हुआ केंद्र सरकार के कृषि सुधारों का विरोध अब सड़कों पर उतर आया है। सरकार का दावा है कि नये कानून से कृषि उत्पादों के लिए 'एक राष्ट्र, एक बाजार' का सपना साकार हुआ है, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि नये कृषि कानून से किसानों की फसलों के लिए देश में दो बाजार बन गए हैं। केंद्र सरकार कहती है कि नये कानून से किसानों को देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिली है, जबकि नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों की मानें तो पहले भी एक राज्य से दूसरे राज्य में कृषि उत्पाद ले जाने के लिए किसानों पर कोई प्रतिबंध नहीं था।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020 के प्रावधानों के अनुसार, किसान एक राज्य के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्यों में कहीं भी एपीएमसी कानून द्वारा संचालित मंडियों के बाहर अपने उत्पाद बेच सकते हैं और इस प्रकार के व्यापार पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि राज्यों के एपीएमसी कानून के तहत संचालित मंडियों में मंडी शुल्क होता है।
सरकार का कहना है कि इस कानून से किसानों को देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिली है और कृषि उत्पादों के लिए पूरा देश एक बाजार बन गया है।
वहीं, किसानों का कहना है कि नये कृषि कानून के बाद देश में दो तरह का बाजार बन गया है, एक तो एपीएमसी द्वारा संचालित मंडियां हैं तो दूसरी ओर नये कानून में जो ट्रेड एरिया का प्रावधान किया गया है। एक किसान नेता ने कहा कि, "एपीएमसी में लाइसेंस धारक आढ़ती व कारोबारी होते हैं, जबकि ट्रेड एरिया में व्यापार के लिए कारोबारियों के पास सरकार द्वारा जारी कोई पहचान पत्र व पैन कार्ड होना चाहिए। इस प्रकार दोनों बाजार के नियम भी अगल-अलग हैं।"
नये कानून के तहत किसानों को देश में कहीं भी कृषि उत्पाद बेचने की आजादी दिलाने के सरकार के दावे पर किसानों का कहना है कि पहले भी देश के किसान अनाज, फल और सब्जियां दूसरे राज्य में जाकर बेचते थे और आज भी बेच रहे हैं।
किसानों के इन सवालों को कारोबारी भी सही ठहराते हैं। मध्यप्रदेश में सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, "मध्यप्रदेश का अनाज व अन्य कृषि उत्पाद पहले भी देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य राज्यों में बिकता था और किसानों पर कृषि उत्पाद देश में कहीं भी ले जाने को लेकर कोई रोक नहीं थी।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से आए किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का यह प्रदर्शन 26 नवंबर से जारी है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 नवंबर | केंद्र द्वारा पारित तीन किसान कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। गुरुग्राम के दो चिकित्सक किसानों की दुर्दशा को देखकर इस कदर प्रभावित हुए कि वे खुद सिंघु बॉर्डर पर आ गए। डॉ. सारिका वर्मा और डॉ. करण जुनेजा गुरुग्राम के दो सर्जन हैं, जिन्होंने किसानों को सभी तरह की सहायता पहुंचाने के लिए दो मेडिकल कैम्प लगाए हैं, जहां दवाई से लेकर उपचार तक की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
ये दोनों चिकित्सक प्रदर्शकारी किसानों के बीच मास्क का भी वितरण कर रहे हैं और उनसे सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन करने की अपील कर रहे हैं।
आईएएनएस संग बात करते हुए डॉ. सारिका वर्मा ने कहा, "हम यहां सुबह से हैं और अब तक बीस से अधिक मरीजों की ड्रेसिंग और 400 मरीजों की जांच कर चुके हैं। हम किसानों की हालत देखकर इस कदर हैरान और परेशान हुए कि हमने यहां मुफ्त में चिकित्सा शिविर लगाने का फैसला किया।"
डॉ. जुनेजा ने केंद्र से सभी किसानों के लिए कोविड टेस्ट की व्यवस्था कराए जाने की अपील की है। उन्होंने कहा, "हमें यहां कोविड टेस्ट की व्यवस्था करनी चाहिए। अगर यहां संक्रमण के फैलने की संभावना है, तो यह बीमारी कई और लोगों तक फैलेगी, जो काफी घातक होगा।" (आईएएनएस)
बेंगलुरू, 30 नवंबर | कर्नाटक प्रदेश चुनाव आयोग ने सोमवार को ग्राम पंचायत के चुनाव के लिए तिथि की घोषणा कर दी। राज्य में ये चुनाव 22 दिसंबर और 27 दिसंबर को होंगे और मतों की गिनती 30 दिसंबर को होगी। कर्नाटक उच्च न्यायालय से दो हफ्ता पहले हरी झंडी मिलने के बाद, केएसईसी ने इन तिथियों की घोषणा की।
हाईकोर्ट ने अपने नवीनतम फैसले में केएसईसी के लिए 12 नवंबर की समयसीमा तय की थी। साथ ही कहा था कि केएसईसी को फैसले के तीन सप्ताह के अंदर चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा करनी होगी।
केएसईसी ने जून में कोरोना महामारी के चलते ग्राम पंचायत के चुनाव टाल दिए थे और इसके परिणामस्वरूप 6004 ग्राम पंचायतों में से 5800 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया था। (आईएएनएस)
जयपुर, 30 नवंबर | राजस्थान के रासमंद से भाजपा की विधायक किरण माहेश्वरी का हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन पर पार्टी नेता सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। किरण 59 वर्ष की थीं। राजस्थान की भाजपा नेता व तीन बार विधायक रह चुकीं किरण का कोरोनावायरस टेस्ट पॉजिटिव आया था और एक पखवाड़े से उनका इलाज मेदांता अस्पताल में चल रहा था। रविवार देर रात उनका निधन हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भाजपा नेता वसुंधरा राजे, जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह चौहान, और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल सहित कई प्रमुख व्यक्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया।
मोदी ने लिखा, "किरण माहेश्वरी जी के असामयिक निधन से दुख हुआ। राजस्थान सरकार में सांसद, विधायक या कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने राज्य की प्रगति की दिशा में काम करने और हाशिए पर रहे लोगों सहित गरीबों के लिए कई कार्य किए। उनके परिवार के प्रति संवेदना। ओम शांति।"
गहलोत ने लिखा, "भाजपा नेता और राजसमंद की विधायक किरण माहेश्वरी जी के असामयिक निधन के बारे में पता चला। इस अत्यंत कठिन समय में उनके परिवार के सदस्यों और समर्थकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। भगवान उन्हें यह नुकसान सहने की शक्ति दे। उनकी आत्मा को शांति मिले।"
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा ने कहा, "मैं किरण के साथ करीबी रूप से जुड़ी हुई थी। उन्होंने भाजपा को मजबूत किया और जीवनभर सक्रिय पार्टी कार्यकर्ता की भूमिका निभाई। उनकी मृत्यु के कारण संगठन में आई शून्यता को भरना आसान नहीं होगा। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वह हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेंगी।"
शेखावत ने कहा, "राजस्थान सरकार में एक पूर्व मंत्री, वरिष्ठ सांसद, विधायक और पार्टी की एक समर्पित कार्यकर्ता, मेरी बड़ी बहन किरण माहेश्वरी के निधन की खबर सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ। उनका जाना न सिर्फ संगठन के लिए बड़ी क्षति है, बल्कि मेरे लिए भी है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे।"
बेनीवाल ने भी ट्विटर पर अपनी संवेदना व्यक्त की। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 नवंबर | कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वरिष्ठ नेताओं के साथ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। शाह के आवास पर सोमवार सुबह शुरू हुई बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता भी मौजूद रहे।
सूत्रों ने बताया कि यह बैठक केंद्र सरकार द्वारा किसानों को उनके विरोध को समाप्त करने और राजी करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर विचार-विमर्श करने के लिए की गई है। बैठक उन कदमों के बारे में फैसला करने के लिए हुई, जिनसे विवादास्पद मुद्दों को चर्चा के माध्यम से हल किया सके।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार किसी भी समय किसानों को बातचीत के लिए निमंत्रण भेज सकती है।
इस बैठक से एक दिन पहले ही किसानों ने बुराड़ी के मैदान में जाने से मना कर दिया था। सरकार ने कहा था कि वह बातचीत के लिए तैयार है, मगर साथ ही किसानों से अपील भी की थी कि वह उत्तर-पश्चिम दिल्ली के बुराड़ी मैदान चले जाएं।
बैठक से दो दिन पहले ही गृह मंत्री ने यह घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, "अगर किसान यूनियन तीन दिसंबर से पहले चर्चा करना चाहते हैं, तो मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जैसे ही आप अपना विरोध निर्धारित स्थान पर स्थानांतरित करेंगे तो अगले ही दिन आपकी चिंताओं को दूर करने के लिए हमारी सरकार आपके साथ बातचीत करेगी।"
सोमवार को पांचवें दिन भी किसानों का विरोध जारी रहा। कुछ किसान नेताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि सरकार उनके विरोध पर अपना रुख नरम कर सकती है।
पिछले पांच दिनों के दौरान किसानों और केंद्र सरकार ने अपने भविष्य के कार्यो को तय करने के लिए कई बैठकें आयोजित की हैं। लेकिन वे अब तक इस मुद्दे पर बातचीत के लिए आगे नहीं आए हैं।
शाह के आश्वासन के बाद यह पता चला है कि कुछ किसान नेता भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और अगर केंद्र सरकार बिना शर्त बात करने के लिए तैयार हो जाती है तो वे केंद्र से चर्चा के लिए तैयार हो जाएंगे।
इस बीच हरियाणा के रास्ते दिल्ली आने वाले प्रमुख मार्गो पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली-चंडीगढ़, टीकरी बॉर्डर पर दिल्ली-रोहतक और गाजीपुर की सीमा पर दिल्ली-गाजियाबाद मार्ग पर बड़ी संख्या में किसान डटे हुए हैं। भारी पुलिस उपस्थिति के बीच उन्हें अपने वर्तमान स्थानों पर रैली करने की अनुमति दी गई है।
किसान सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
कुल 31 किसान यूनियनों के प्रमुख ने 26 और 27 नवंबर को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की थी। दिल्ली चलो के नारे के साथ निकले किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी का रुख किया था। इनमें अधिकतर किसान पंजाब से हैं, जबकि कुछ किसान हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भी हैं। पुलिस ने एहतियात के तौर पर दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों को हरियाणा-दिल्ली की सीमा पर ही रोक दिया था। (आईएएनएस)
लखनऊ, 30 नवंबर | कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी कार्यकर्ताओं से 28 दिसंबर को राज्य के 60 हजार गांवों में पार्टी का झंडा फहराकर कांग्रेस का स्थापना दिवस मनाने के लिए कहा है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत के अनुसार, "पार्टी की राज्य कार्यकारिणी, जिला, शहर समितियां, ब्लॉक स्तर निकाय और न्याय पंचायतें गठित की गई हैं और कांग्रेस नेतृत्व अब राज्य की 60 हजार ग्राम पंचायतों में ग्राम स्तरीय समितियों का गठन कर रहा है। प्रियंका गांधी चाहती हैं कि राज्य के हर शहर और गांव में पार्टी का झंडा फहरे।"
सूत्रों ने कहा कि प्रियंका के सहयोगी, संदीप सिंह, लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं और पार्टी के विस्तार के लिए कैडर को प्रेरित करने और राज्यभर में पार्टी की उपस्थिति महसूस कराने के लिए राज्य में लगातार दौरे कर रहे हैं।
प्रियंका के एक वफादार ने कहा, "कांग्रेस को एक शक्तिशाली लॉबी ने अपहृत किया हुआ था। वह लॉबी व्यक्तिगत लाभ के लिए पार्टी का शोषण कर रही थी। उनकी सहमति के बिना कोई भी किसी भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं कर सकता था। यही वजह है कि कांग्रेस का पतन हो गया, लेकिन इन नेताओं का विकास जारी रहा। अब पार्टी में उनका एकाधिकार खत्म हो गया है। पार्टी नेतृत्व ने युवा खून को पार्टी संभालने की अनुमति दी है।"
उन्होंने कहा कि ग्राम स्तर के प्रतिबद्ध कैडर ही राज्य में पार्टी के वास्तविक संदेश वाहक होंगे।
दरअसल, प्रियंका उत्तर प्रदेश की प्रभारी के रूप में राज्य में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही हैं। पिछले 2 सालों से पार्टी की स्थिति खराब है। 2019 के चुनावों में पार्टी राज्य में केवल एक रायबरेली की सीट ही जीत पाई थी। वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में जीते 7 विधायकों में से 5 ही पार्टी में बचे हैं। उत्तर प्रदेश में पार्टी के नेताओं का लगातार पलायन हुआ है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 नवंबर | दिल्ली में विरोध स्थल को लेकर केंद्र सरकार के साथ गतिरोध के बीच दिल्ली-हरियाणा सीमा के सिंघू बॉर्डर एंट्री पॉइंट पर रैली कर रहे किसानों ने पहले सिख गुरु की जयंती पर सोमवार को कीर्तन सुना और उनकी शिक्षाओं को याद किया। पंजाब के अधिकांश किसान - और सिख धर्म के अनुयायी - पांच दिनों से सिंघु सीमा पर डेरा जमाए हुए हैं और जंतर मंतर या रामलीला मैदान में अपना प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन करने के लिए अड़े हुए हैं। इन सबके बीच, इनके नेता भविष्य में उठाए जाने वाले कदम को लेकर विचार-विमर्श में व्यस्त हैं।
सोमवार को विरोध स्थल पर पूरी तरह बदला हुआ माहौल नजर आया। किसानों और पुलिस अधिकारियों के बीच पिछले हफ्ते दिल्ली में प्रवेश करने को लेकर काफी झड़प हुई थी। गुरु नानक देव की 501वीं जंयती पर आस्था के रंग देखने को मिले और किसान कीर्तन सुनते नजर आए।
इस बीच, किसान नेता केंद्र सरकार के साथ बातचीत के लिए अपने रुख पर अड़े दिख रहे थे क्योंकि उन्होंने बुराड़ी मैदान में जाने के प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया था।
एक किसान नेता ने आईएएनएस को बताया, "हम उत्तर-पश्चिम दिल्ली के बुराड़ी मैदान में शिफ्ट नहीं होंगे क्योंकि यह हमें दरकिनार करने और उनके कृषि कानूनों के खिलाफ हमारे विरोध को नाकाम करने की एक चाल है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि किसान - ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं - सिंघु और टिकरी सीमाओं पर तब तक डटे रहेंगे, जब तक सरकार इन कानूनों को रद्द नहीं करती।
इस बीच, आउटर नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट पुलिस उपायुक्त ने सोमवार को किसान नेताओं के साथ एक बैठक की और उनसे सुरक्षा बलों की आसान आवाजाही की सुविधा के लिए दिल्ली-अंबाला राजमार्ग का हिस्सा खाली करने का आग्रह किया।
प्रदर्शनकारी किसानों को उनके नेतृत्व द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि वे अगले निर्देश तक जहां हैं वहीं बने रहें।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने भी कहा है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों ने भी गाजीपुर में प्रवेश मार्ग पर डटे रहने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, "हम इस स्थल को नहीं छोड़ेंगे। हम बुराड़ी नहीं जाएंगे। केंद्र को आगे आकर किसानों की बात सुननी चाहिए।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि वह मेहनती किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं, और केंद्र के नए कृषि कानून इस दिशा में एक कदम हैं। (आईएएनएस)
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 30 नवंबर | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मानना है कि दिल्ली सीमा पर किसानों के आंदोलन के पीछे पंजाब के आढ़तियों, बिचौलियों और कांग्रेस सहित कुछ राजनीतिक संगठनों का हाथ है। भाजपा के आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल का दावा है कि नए कानून के कारण सालाना छह हजार करोड़ रुपये के कमीशन पर चोट पहुंचता देख 25 हजार आढ़तियों ने आम किसानों को भड़काना शुरू कर दिया। जबकि नए बने तीनों कानून किसानों के हित में हैं। भाजपा को उम्मीद है कि सही जानकारी मिलने पर किसानों के बीच नए कानूनों को लेकर गलतफहमी दूर हो जाएगी।
केंद्र सरकार और भाजपा के बीच आर्थिक मामलों में सेतु की भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि पिछले 20 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि कई कमेटियों ने किसानों के लिए वैकल्पिक बाजार बनाने पर जोर दिया है। स्वामीनाथन कमेटी हो, पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी हो या फिर शांता कुमार समिति की रिपोर्ट, सभी ने इस दिशा में व्यापक बदलाव की जरूरत बताई थी।
गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने किसानों के आंदोलन के पीछे आढ़तियों और राजनीतिक दलों की सांठगांठ बताई। उन्होंने कहा, पंजाब में 25 हजार आढ़ती हैं। नए कानून से सालाना छह हजार करोड़ रुपये की कमाई पर चोट पड़ी है। साढ़े आठ प्रतिशत उनका कमीशन होता था। जिस तरह से नए कानूनों से एमएसपी और मंडी व्यवस्था खत्म होने की झूठी बात जोड़कर आंदोलन किया जा रहा है, उसमें राजनीति की बू आती है। मुझे लगता है कि आढ़तियों और उनसे मिले हुए कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों ने किसानों को भड़काने का काम किया है।
शत प्रतिशत एमएसपी की खरीद के सवाल पर उन्होंने कहा कि शांता कुमार की रिपोर्ट उठाकर देखेंगे तो पहले कुल उत्पादन का सिर्फ छह प्रतिशत फसल ही सरकार खरीदती थी। अब मोदी सरकार में सरकारी खरीद बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई है। यानी कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए बेहतर कर रही है। एमएसपी को लेकर भ्रम फैला रहे लोगों को समझना होगा कि केंद्र सरकार सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है, जबकि राज्य सरकारें खरीद करती है। राज्य सरकारें आर्थिक रूप से इतनी मजबूत नहीं हैं कि शत प्रतिशत खरीद वो कर पाएं और न ही उनके पास भंडारण की उचित क्षमता है।
सरकार लिखित रूप में एमएसपी का आश्वासन क्यों नहीं देती? इस सवाल के जवाब में गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जब नए कानून का एमएसपी से कोई संबंध नहीं है, तो फिर लिखकर देने की बात ही नहीं है। एमएसपी अलग विषय है, उस पर दूसरे स्तर से चर्चा हो सकती है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि एमएसपी की मौजूदा व्यवस्था खत्म नहीं हो रही है। जैसे 70 साल से व्यवस्था चली आ रही है, वैसे ही चलती रहेगी। मंडियों की व्यवस्था भी पहले की तरह होगी। आज की डेट में एपीएमसी की मोनोपाली (एकाधिकार) किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। आढ़तिये लोकल मंडी में किसानों को फसल बेचने के लिए मजबूर करते हैं। क्योंकि उन्हें साढ़े आठ प्रतिशत कमीशन मिलता है। जबकि नए कानून से जहां लाभ मिलेगा, किसान वहीं फसल बेच सकेंगे।
कानून को लेकर किसान संगठनों से संवाद की कमी के कारण क्या यह आंदोलन खड़ा हो गया? इस पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने व्यापक विचार विमर्श किया है। कई रिपोर्ट की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए और किसान संगठनों से बातचीत के बाद कृषि कानूनों से जुड़े ऑर्डिनेंस जून में आए थे। किसी को समस्या थी तो जून में भी बात उठा सकते थे। अब नवंबर के अंत में आंदोलन हो रहा है। इससे पता चलता है कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है।
स्टोरेज की लिमिट में छूट के पीछे क्या कारपोरेट को फायदा पहुंचाने का आरोप लग रहा है? इस सवाल पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि देश में वेयर हाउसिंग की क्षमता कम है। उसके लिए स्टोरेज कैपेसिटी बनानी है। यह तभी होगा जब प्राइवेट इन्वेस्टमेंट आएगा। भारत में आवश्यक वस्तु अधिनियम (एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट) 1955 में बना था, तब देश में अनाज की कमी थी। आज देश में अनाज सरप्लस है। ऐसे मे स्टोरेज की लिमिट में रियायत देकर प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने की कोशिश है। (आईएएनएस)
धर्मशाला, 30 नवंबर | तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की दूसरी आत्मकथा 'फ्रीडम इन एक्जाइल' का प्रख्यात लेखक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित येशे दोरजी थोंगछी ने असमिया भाषा में अनुवाद किया है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने सोमवार को यह जानकारी दी। भास्कर दत्ता बरुआ द्वारा प्रकाशित, पुस्तक के असमिया संस्करण का शीर्षक 'प्रबासत मुक्ता' है।
पहली बार 1991 में अमेरिका में प्रकाशित, 'फ्रीडम इन एग्जाइल' में आध्यात्मिक नेता द्वारा तिब्बत के इतिहास के बारे में चीन के आख्यानों का विरोध करने के लिए लिखा गया था।
आत्मकथा उनके जन्म, उनके तिब्बत का सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता बनने, तिब्बत-चीन संबंधों में खटास और भारत में उनके निर्वासित जीवन आदि का जिक्र है।
पुस्तक में, दलाई लामा ने भारत सरकार के साथ अपने संबंधों के बारे में भी खुलकर जिक्र किया है।
पाठक एमेजॉन से किताब को ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
2017 में, दलाई लामा की आत्मकथा 'माई लैंड एंड माई पीपल' असमिया भाषा में 'मोर देश अरु मोर मनुह' शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 30 नवंबर | केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल(सीआरपीएफ) के एक सब इंस्पेक्टर का जम्मू एवं कश्मीर के कुलगाम जिले में ड्यूटी के दौरान सोमवार को निधन हो गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। 93वीं सीआरपीएफ बटालियन का एसआई शबद कुमार डीके मार्ग हायर सेकेंडरी स्कूल में ड्यूटी के दौरान बेहोश हो गया। उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मौत के वास्तविक कारण का अभी पता नहीं चल पाया है।
पुलिस ने कहा कि मामले में आगे की जांच जारी है।(आईएएनएस)
चंद्रपुर (महाराष्ट्र), 30 नवंबर | समाज सेवा क्षेत्र की दिग्गज शख्सियत बाबा आमटे की पोती प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. शीतल आमटे-कर्जकी ने सोमवार सुबह आनंदवन आश्रम में आत्महत्या कर ली। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। वारोरा पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारी पी. पेंडारकर ने कहा, प्रारंभिक सूचना के अनुसार कथित तौर पर उन्होंने खुद को जहरीला इंजेक्शन लगाकर सोमवार सुबह अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उन्हें तुरंत नजदीकी वारोरा ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया था।
मैग्ससे पुरस्कार से सम्मानित मुरलीधर डी. आमटे उर्फ बाबा आमटे की पोती डॉ. शीतल महारोगी सेवा समिति की सीईओ थीं जिसने कुष्ठ रोगियों के बीच सराहनीय काम किया है। (आईएएनएस)
महोबा, 30 नवंबर| उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक व्यवसायी को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में फरार चल रहे निलंबित पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार और बर्खास्त कांस्टेबल अरुण यादव पर 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इलाहाबाद जोन) प्रेम प्रकाश ने कहा कि पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए उनके संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
पत्थर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी (44) 8 सितंबर को अपनी कार में गोली लगने से लहूलुहान हालत में मिले थे। 13 सितंबर को एक अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने महोबा के तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके बाद ये घटना हुई।
त्रिपाठी के भाई ने आरोप लगाया था कि पाटीदार ने व्यवसायी से रिश्वत में 6 लाख रुपये की मांग की थी और राशि का भुगतान न करने पर उसे जान से मारने या झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी दी थी।
आरोपों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने निष्कर्ष निकाला कि त्रिपाठी ने आत्महत्या की थी। पुलिस ने कहा कि यह पाया गया कि उनकी लाइसेंसी पिस्तौल से निकली गोली उनकी गर्दन में लगी थी।
घटना के तुरंत बाद पाटीदार को निलंबित कर दिया गया और उसकी संपत्ति की जांच के आदेश दिए गए।
एडीजी ने कहा कि बर्खास्त एसएचओ देवेंद्र शुक्ला को 25 नवंबर को मामले में गिरफ्तार किया गया था। शुक्ला घटना के बाद फरार चल रहे थे।
शुक्ला की सेवाओं को पिछले महीने समाप्त कर दिया गया था क्योंकि विशेष जांच टीम ने उन्हें भ्रष्टाचार और आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी पाया था। (आईएएनएस)
कानपुर (उप्र), 30 नवंबर| उत्तर प्रदेश के कानपुर के चकेरी इलाके में प्रेमी और उसके 3 दोस्तों ने कुछ ही घंटों में एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर 3 बार सामूहिक दुष्कर्म किया। यह घटना शनिवार को हुई थी, लेकिन घटना के बारे जानकारी तक मिली जब लड़की घर लौटी और उसने अगले दिन अपने माता-पिता को अपनी आपबीती सुनाई।
पुलिस ने 2 आरोपियों राहुल सोनकर और मिथुन सोनकर को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं बाकी 2 आरोपी फरार हैं। पुलिस ने बताया कि चकेरी इलाके की रहने वाली लड़की ने फेसबुक के जरिए साहिल नाम के लड़के से दोस्ती की। शनिवार को साहिल ने अपने दोस्तों राहुल और मिथुन को अपनी प्रेमिका को त्रिमूर्ति मंदिर के पास मोटरसाइकिल पर लाने के लिए कहा। जब वे लड़की को लेकर आए, तो साहिल वी.के. राजपूत नाम के लड़के के साथ उन्हें एक कार में मिला। उन्होंने लड़की को कुछ खाने के लिए दिया।
जब लड़की बेहोश हो गई तो वे चारों उसे एकांत स्थान पर ले गए और कार में उसके साथ दुष्कर्म किया। फिर वे उसे एक खाली प्लॉट में ले गए और फिर से उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। कैंट के सर्कल ऑफिसर सत्यजीत गुप्ता ने कहा, "इसके बाद आरोपी उसे एक दूकान की छत पर ले गये और तीसरी बार उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।"
उन्होंने आगे कहा, "पॉक्सो अधिनियम के अलावा आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। हमने 2 आरोपियों राहुल सोनकर और मिथुन सोनकर को गिरफ्तार किया है। साहिल और वी.के. राजपूत को गिरफ्तार करने के लिए तलाशी अभियान चला रहे हैं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 नवंबर| नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। हालांकि, विरोध प्रदर्शन के बीच गुरु नानक जयंती के मौके पर आस्था के रंग भी देखने को मिले और प्रदर्शन स्थल पर गुरबानी और शबद की गूंज सुनने को मिली। ट्रैक्टर ट्रॉलियों से भरे सिंघु सीमा विरोध स्थल गुरुओं (गुरबानी) के शब्दों से गूंजता रहा क्योंकि सभा को संबोधित कर रहे किसानों ने उन्हें अपने भाषणों में इसे शामिल कर लिया।
सोमवार सुबह सूरज उगने के साथ ही प्रदर्शनकारियों द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ फिर से नारेबाजी शुरू हो गई।
वहीं दूसरी तरफ, सुरक्षा बल की तैनाती भी सीमा पर बढ़ गई ताकि जारी विरोध प्रदर्शन के बीच शांति और सद्भाव को बरकरार रखा जाए।
किसानों ने रविवार को केंद्र द्वारा दिल्ली के बुराड़ी मैदान में विरोध करने और सीमाओं पर नाकेबंदी हटाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। किसानों ने कहा कि बातचीत का प्रस्ताव सशर्त है और वे बुराड़ी नहीं जाएंगे।
किसानों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने नेताओं के अगले निर्देश तक जहां हैं वहीं रहें।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने भी गाजीपुर में रहने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, "हम इस स्थल को नहीं छोड़ेंगे। हम बुराड़ी नहीं जाएंगे। केंद्र को आगे आना चाहिए और किसानों की बात सुननी चाहिए।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 नवंबर| कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने वैक्सीन डेवलपमेंट सेंटर्स का दौरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की, जिसके बाद रविवार को कांग्रेस खुद को बैकफुट पर पा रही है। शर्मा द्वारा मोदी की सराहना करने के एक दिन बाद ही कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री की आलोचना की। शर्मा राज्यसभा में विपक्ष के उप नेता हैं और उन 23 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी में सुधार के लिए कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखा था।
ट्वीट्स की एक श्रृंखला में उन्होंने मोदी की सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला के दौरे का स्वागत करते हुए इसे भारतीय वैज्ञानिकों के कोविड-19 वैक्सीन का उत्पादन करने के काम को मान्यता देने वाला बताया।
उन्होंने कहा, "यह अकेले ही सीमावर्ती योद्धाओं का मनोबल बढ़ाएगा और राष्ट्र को आश्वस्त करेगा। साथ ही उन्होंने उन संस्थानों का सम्मान किया है जिन्होंने दशकों में भारत के दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता के रूप में विशेषज्ञता और क्षमता पैदा की है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि वैक्सीन आने के साथ ही एक कुशल और न्यायसंगत प्लेटफॉर्म भी तैयार हो।"
शनिवार को सुरजेवाला ने कहा, "काश प्रधानमंत्री विमान में उड़ान भरने के बजाय किसानों से बात करते। कोरोनावायरस वैक्सीन वैज्ञानिकों द्वारा बनाया जाएगा, किसान देश को खिलाएंगे और मोदी जी और भाजपा नेता टेलीविजन को संभालेंगे।"
प्रधानमंत्री ने वैक्सीन के विकास और निर्माण प्रक्रिया की व्यापक समीक्षा करने के लिए तीन शहरों अहमदाबाद में जाइडस बायोटेक पार्क, हैदराबाद में भारत बायोटेक और पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा किया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 नवंबर| केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन जारी है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे प्रदर्शनकारी किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं ने बताया कि विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों की कोर कमेटी की थोड़ी देर में बैठक होने वाली है जिसमें आगे की रणनीति तय होगी। उधर, प्रदर्शनकारी किसानों के बुराड़ी ग्राउंड आने के अगले ही दिन उनसे बातचीत करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान नेताओं द्वारा ठुकरा देने के बाद रविवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के आवास पर इस सिलसिले में एक बैठक हुई जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे।
गृहमंत्री ने शनिवार को किसानों से दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड आकर प्रदर्शन करने की अपील करते हुए उन्हें आश्वासन दिया था कि बुराड़ी ग्राउंड शिफ्ट होने के दूसरे दिन ही भारत सरकार उनके साथ चर्चा के लिए तैयार है।
मगर, किसानों ने उनकी इस अपील को शर्तिया प्रस्ताव बताते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया और दिल्ली की सीमाओं पर ही डटे रहने का फैसला लिया। किसानों का यह आंदोलन अब पांचवें दिन में प्रवेश कर गया है और इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। किसानों के धरना-प्रदर्शन के चलते उत्तर भारत का मुख्य मार्ग जीटी रोड पर यातायात बाधित है। किसान नेताओं ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले अन्य मार्गों को भी बंद करने का एलान किया है।
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरेंद्र सिंह लाखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि सभी किसान संगठनों ने फैसला लिया है कि वे यहीं (सिंघू बोर्डर) बैठे रहेंगे और आने वाले दिनों में दिल्ली की ओर जाने वाली अन्य सड़कों को भी जाम करेंगे।
मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 शामिल हैं। प्रदर्शनकारी किसान नेताओं का कहना है कि इन तीनों कानूनों से किसानों को कोई फायदा नहीं है, बल्कि इनका फायदा कॉरपोरेट को होगा, इसलिए वे इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं। (आईएएनएस)
चेन्नई, 30 नवंबर | तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने राज्य में 31 दिसंबर तक कोविड-19 लॉकडाउन बढ़ा दिया है, हालांकि कुछ निश्चित छूटों को भी शामिल किया है। यहां जारी एक बयान में, पलानीस्वामी ने कहा कि कोरोनोवायरसफैलने से रोकने के लिए मेडिकल, लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और जिला कलेक्टरों के साथ चर्चा के आधार पर, कोविड-19 लॉकडाउन को 30 नवंबर से 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है।
पलानस्वामी के अनुसार, कोविड-19 कन्टेनमेंट जोन्स को छोड़कर निम्नलिखित छूट मौजूदा राहतों के साथ लागू होती हैं :
- सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों के तहत अंतिम वर्ष और चिकित्सा पाठ्यक्रम (स्नातक और स्नातकोत्तर के तहत)।
- पहले वर्ष के लिए शैक्षणिक वर्ष के कॉलेज के छात्रों की कक्षाएं मंगलवार से शुरू होंगी।
- प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए स्विमिंग पूल को मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के अनुपालन में खुलने की अनुमति दी जाएगी।
- मरीना और अन्य समुद्र तट 12 दिसंबर से जनता के लिए खुलेंगे जो कि कोरोनोवायरस एसओपी के अधीन है।
- प्रदर्शनी हॉल को एसओपी का पालन करने के बाद व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ही खुलने की अनुमति दी जाएगी।
- इनडोर सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक मंडली में 50 प्रतिशत बैठने की क्षमता के साथ अनुमति दी जाएगी और मंगलवार से 31 दिसंबर तक 200 व्यक्तियों से अधिक नहीं होने की अनुमति है। जिला कलेक्टरों और ग्रेटर चेन्नई पुलिस (चेन्नई मीटिंग्स के लिए) से अनुमति आवश्यक है।
- कोरोनावायरस प्रसार के आधार पर, आउटडोर मीटिंग्स की अनुमति तय की जाएगी।
- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा अन्य राज्यों से तमिलनाडु आने वालों के लिए ई-पंजीकरण की मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी।(आईएएनएस)