गुरुग्राम, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| हरियाणा पुलिस के एक सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर ने एक महिला और उसके दो साथियों पर उनसे 1 करोड़ रुपये ऐंठने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उनकी शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। अधिकारियों ने बुधवार को मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी है। यह जानकारी गुरुवार को अधिकारियों ने दी।
पुलिस के अनुसार, पूर्व इंस्पेक्टर की पहचान दलबीर सिंह के रूप में हुई है, जो एक महीने पहले ही सेवानिवृत्त हुए हैं।
अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि उन्हें लगभग 11 महीने पहले गुरुग्राम सदर पुलिस स्टेशन में एक स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) के रूप में तैनात किया गया था। सिंह ने पुलिस से कहा, "महिला अपने मामले के संबंध में सदर थाने में आई थी, जिसमें मैंने कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की थी। लेकिन बाद में महिला ने अपने सहयोगी राजदीप और मोनू के साथ मुझे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और कई बार मुझसे पैसे लिए। बाद में तीनों ने 1 करोड़ रुपये की मांग की।"
सिंह ने अपनी शिकायत में आगे आरोप लगाया कि जब उन्होंने बड़ी राशि देने से इनकार कर दिया तो तीनों ने अगस्त 2019 में हरियाणा के जींद जिले में उनके खिलाफ एक फर्जी मामला दर्ज कराया था, जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
कथित तौर पर, महिला (26) दावा किया था कि सिंह (तब एसएचओ थे) ने मई 2019 में गुरुग्राम में एक बार-कम-रेस्तरां में नौकरी पाने में मदद करने के बहाने उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद उनके साथ एक आपत्तिजनक वीडियो फिल्माने के बाद उन्होंने करीब चार महीने तक उनके साथ दुष्कर्म किया, जिसके बाद वह उसे ब्लैकमेल करते आ रहे हैं।
पुलिस ने कहा कि महिला ने जींद के महिला थाने में अगस्त 2019 की घटना के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।
गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता सुभाष बोकेन ने कहा, "सेवानिवृत्त निरीक्षक की शिकायत पर गुरुग्राम के सदर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले की आगे की जांच जारी है।"
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर ( आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में लगातार हो रही राजनीतिक हत्याओं के खिलाफ गुरुवार को आयोजित मार्च में बीजेपी ने एक लाख की भीड़ जुटने का दावा किया। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पुलिस की बर्बर कार्रवाई में कई नेताओं सहित 15 सौ कार्यकर्ताओं के घायल होने की बात कही। बीजेपी मुख्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, "बंगाल में आज लोकतांत्रिक विरोध दर्ज करने के खिलाफ जिस तरह से वहां की सरकार का तानाशाही रूप सामने आया है, उसकी हम बहुत की भर्त्सना करते हैं। बंगाल में लोकतंत्र नहीं है।"
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, "वहां जो भी विरोध करता है, उसको या तो केस में फंसाते हैं या फिर शासन द्वारा तंग किया जाता है या फिर हत्या की स्थिति भी आ जाती है। बंगाल में अब तक 115 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है।"
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, "बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और ममता की राजनीतिक जमीन खिसक रही है। इसका प्रमाण पिछला लोकसभा का चुनाव है, जहां भाजपा ने 18 सीटें प्राप्त की। आने वाले चुनाव में जनता ममता बनर्जी को सबक सिखाएगी।"
भोपाल, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट की है। इसकी वजह भी है, क्योंकि यहां से राज्य सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत चुनाव मैदान में हैं, तो इस जिले के तीन शिवराज सरकार में मंत्री है, इस तरह तीनों मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
राज्य के गिनती के उन जिलों में से सागर ऐसा जिला है, जहां से शिवराज सिंह चौहान सरकार में तीन मंत्री हैं। इस जिले की सुरखी विधानसभा सीट पर राज्य सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भाजपा की ओर से किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं उनके अलावा इस जिले से दो और मंत्री भी आते हैं भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव।
इस तरह सुरखी विधानसभा क्षेत्र में कुल मिलाकर भाजपा के साथ ही तीनों मंत्रियों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। इसकी एक और वजह भी है, क्योंकि गोविंद राजपूत की गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों में भी होती है। उनका यहां मुकाबला भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक पारुल साहू से है।
सुरखी विधानसभा में चुनावी मुकाबला रोचक है, क्योंकि पुराने प्रतिद्वंद्वी राजपूत और पारुल साहू आमने-सामने हैं। वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पारुल साहू ने भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था और उन्होंने राजपूत को शिकस्त दी थी, इस बार दोनों आमने-सामने हैं मगर उनके दल अलग-अलग हैं।
भाजपा उम्मीदवार और मंत्री राजपूत ने चुनावी मुद्दा विकास को बनाया है तो दूसरी ओर साहू इस चुनाव को अहंकार के खिलाफ लड़ाई बता रही है।
राजनीतिक विश्लेषक विनोद आर्य का मानना है कि सुरखी का विधानसभा चुनाव राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण तो है ही, साथ में जिले के तीनों मंत्रियों की राजनीतिक हैसियत को भी प्रभावित करने वाला होगा। भाजपा को जीत मिलती है तो राज्य की सियासत में सागर की ताकत और बढ़ेगी, वही राजपूत के हारने से भूपेंद्र सिंह और भार्गव के राजनीतिक कद पर प्रभाव पड़ना तय है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मंत्री भूपेंद्र सिंह प्रभारी हैं और गोपाल भार्गव के विधानसभा क्षेत्र रहली से सुरखी का नाता भी है।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी की हवा की गुणवत्ता गुरुवार को 'खराब' श्रेणी में रही। वहीं सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने पूवार्नुमान में कहा कि एक्यूआई अगले तीन दिनों में रविवार तक और बिगड़ेगा। यह राजधानी में कोविड रोगियों के लिए गंभीर रूप से खतरनाक साबित हो सकता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तत्वावधान में आने वाली सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने प्रदूषण बढ़ने के लिए आस-पास के राज्यों में पराली जलाए जाने को बससे बड़ी वजह बताया है। एक दिन पहले, यानी 7 अक्टूबर को सिनराइज्ड फायर काउंट 399 था।
एयर क्वालिटी फॉरकास्टिंग सिस्टम ने आगे कहा, "वर्तमान में दिल्ली की ओर प्रदूषक तत्वों के परिवहन के लिए सीमा परतीय हवा की दिशा और गति दोनों अनुकूल है, लेकिन हवा की दिशा में बदलाव का अनुमान लगाया गया है, जिससे कुछ दिनों के लिए वायु गुणवत्ता के मध्यम श्रेणी में रहने की संभावना है।"
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, कुल 35 प्रदूषण निगरानी स्टेशनों में से 17 स्टेशनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी में है, जबकि 15 स्टेशनों ने सूचकांक को मध्यम श्रेणी में दर्ज किया, वहीं चार काम नहीं कर रहे थे।
दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पास के क्षेत्र में एक्यूआई सर्वाधिक 290 दर्ज किया गया।
उत्तरी राज्यों में पराली जलने के कारण हर सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है और प्रदूषक तत्व वायुमंडल के निचले स्तर में पानी की बूंदों के साथ मिलकर घने कोहरे की एक मोटी परत बनाते हैं, जिससे निवासियों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा होता है।
दिल्ली के आसपास के कृषि प्रधान राज्यों में पराली के जलने से अत्यधिक प्रदूषण फैलता है। किसान अक्टूबर में धान की फसल काट लेते हैं, जो गेहूं की बुवाई के अगले दौर से लगभग तीन सप्ताह पहले पराली जलाना शुरू कर देते हैं।
सस्ते श्रमिकों की कमी के कारण और मशीन से फसल की कटाई के बाद पराली बच जाती है, जिसे नष्ट करने के लिए किसान सबसे आसान विकल्प का सहारा लेते हैं, यानी पराली को खेतों में जला देते हैं।
कोलंबिया एशिया अस्पताल के पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ पीयूष गोयल के अनुसार, शहर में खराब वायु गुणवत्ता के कारण अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं।
उन्होंने कहा, "पिछले साल पराली का धुआं आने के बाद सांस लेने में तकलीफ बताने वाले मरीजों की संख्या में बाकी सालों की तुलना में 30-35 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।"
मुंबई, 8 अक्टूबर । मुंबई पुलिस का कहना है कि उसने एक ऐसे रैकेट का पर्दाफ़ाश किया है जिसके तहत न्यूज़ चैनल पैसे देकर अपने चैनल की टीआरपी (टेलीविज़न रेटिंग प्वाइंट्स) को बढ़ाने की कोशिश करते थे.
मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमवीर सिंह ने गुरुवार को प्रसे कॉन्फ़्रेंस कर इसकी जानकारी दी.
उनके अनुसार पुलिस को अभी तीन चैनलों के बारे में पता चला है जो इस कथित रैकेट में शामिल हैं. पुलिस कमिश्नर ने कहा कि इसमें रिपब्लिक टीवी भी शामिल है. उनके अनुसार रिपब्लिक टीवी ने टीआरपी सिस्टम के साथ छेड़छाड़ की है.
रिपब्लिक टीवी ने इन तमाम आरोपों को ख़ारिज किया है.
चैनल के एडिटर-इन-चीफ़ अर्णब गोस्वामी ने एक बयान जारी कर कहा, "मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने रिपब्लिक टीवी पर झूठा आरोप लगाया है क्योंकि हमने सुशांत सिंह केस के मामले में उनपर सवाल उठाए थे. रिपब्लिक टीवी मुंबई पुलिस कमिश्नर के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का केस दायर करेगी. BARC की ऐसी एक भी रिपोर्ट नहीं है जिसमें रिपब्लिक टीवी का ज़िक्र है. मुंबई पुलिस कमिश्नर को आधिकारिक तौर पर माफ़ी माँगनी चाहिए या फिर हमें कोर्ट में देखने के लिए तैयार रहना चाहिए."
पुलिस कमिश्नर के अनुसार दो मराठी चैनल के मालिकों को भी गिरफ़्तार किया गया है.
पुलिस ने बताया कि टीआरपी का सीधा संबंद विज्ञापन से मिलने वाले पैसों से है और टीआरपी में ज़रा सा भी फ़र्क़ आता है तो इससे हज़ारों करोड़ों की आमदनी पर असर पड़ता है.
पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ़्तार किया है. पुलिस ने उनसे 20 लाख रुपए बरामद करने का भी दावा किया है.
पुलिस के अनुसार संदिग्ध चैनलों के बैंक खातों की भी जाँच हो रही है और यह भी देखा जाएगा कि फ़र्ज़ी टीआरपी के आधार पर मिला विज्ञापन क्या अपराध का पैसा होगा.
क्या हैं मुख्य आरोप
BARC नाम की एजेंसी टीआरपी को तय करती है. मुंबई पुलिस के अनुसार BARC ने यह काम हंसा नाम की एक एजेंसी को दिया है. पुलिस के अनुसार हंसा एजेंसी के कुछ अधिकारियों ने किसी चैनल विशेष से पैसे लेकर उनकी टीआरपी बढ़ाने का सौदा किया था.
मुंबई में क़रीब दो हज़ार बैरोमीटर लगाए गए हैं. लेकिन पुलिस का कहना है कि अगर मुंबई में ऐसा हो रहा है तो इसकी पूरी आशंका है कि देश के दूसरे इलाक़ों में भी यही खेल खेला जा रहा था.
पुलिस के अनुसार लोगों को अपने घरों में किसी विशेष चैनल को अपने टीवी पर लगाने के लिए क़रीब 400-500 रुपए हर महीने दिए जाते थे.
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि चैनलों के ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि जाँच के अनुसार जिसको भी बुलाने या पूछताछ की ज़रूरत होगी उसके हिसाब से कार्रवाई होगी चाहे वो चैनल का कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो.
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि रिपब्लिक टीवी के मालिक और एडिटर-इन-चीफ़ अर्णब गोस्वामी को भी समन भेजा जाएगा.
कमिश्नर के अनुसार संयुक्त आयुक्त लेवल के एक अफ़सर की निगरानी में इस पूरे मामले की जाँच की जा रही है.(bbc)
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज की छात्रा के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी भाजपा के पूर्व सांसद स्वामी चिन्मयानंद को पीड़िता के बयानों की कॉपी देने से इनकार कर दिया है। पीड़िता ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने उनके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया था। न्यायमूर्ति विनीत सरन और रवींद्र भट के साथ ही न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कानूनी की पढ़ाई कर रही (लॉ स्टूडेंट) की ओर से दायर अपील की अनुमति दी, जो इस मामले में शिकायतकर्ता है।
पीठ ने उल्लेख किया कि 2014 में शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार, धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान की एक प्रति जांच अधिकारी को तुरंत दी जानी चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि जब तक आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर नहीं कर दी जाती, तब तक सीआरपीसी की धारा 173 के तहत किसी भी व्यक्ति को बयान की सामग्री का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।
दरअसल चिन्मयानंद ने दुष्कर्म पीड़िता के मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयानों की कॉपी मांगी थी। इस मामले में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आवेदन किया था, हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पीड़िता पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर 2019 को हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी और इस मामले में सुनवाई चल रही थी।
पीड़िता ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि आरोप पत्र दाखिल होने से पहले उसके बयान की प्रति नहीं दी जानी चाहिए। पीड़िता ने कहा था कि इस तरह की प्रथा कानून के विपरीत होगी और महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध के सभी मामलों में दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।
चिन्मयानंद को एसआईटी ने 21 सितंबर, 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
23 वर्षीय शिकायतकर्ता पर जबरन वसूली के आरोप भी दर्ज किए गए थे।
चिन्मयानंद को इस साल फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दी थी।
पटना, 8 अक्टूबर (आइएएनएस)। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के पूर्णिया में दलित नेता की हत्या में उन पर और उनके भाई तेजप्रताप पर हत्या के आरोप में मामला दर्ज कराने को एक साजिश बताते हुए कहा कि यह प्राथमिकी किसके दबाव में दर्ज कराया गया था, इसकी जांच होनी चाहिए। तेजस्वी ने गुरुवार को पटना में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि इस मामले में गिरफ्तार हुए लोगों ने अब अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है।
तेजस्वी ने गुरुवार को कहा कि इस मामले में पुलिस जांच में पूरी बात स्पष्ट हो गई है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या अब जदयू प्रवक्ता और भाजपा प्रवक्ता उनके ऊपर जो आरोप लगा रहे थे, उसके लिए नीतीश कुमार माफी मांगें।
पूर्णिया में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एससी-एसटी प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश सचिव शक्ति मल्लिक की हत्या के मामले में तेजस्वी यादव ने बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम एक पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी।
इस मामले में मृतक की पत्नी के बयान के आधार पर दर्ज प्राथमिकी में तेजस्वी यादव, उनके भाई तेजप्रताप यादव सहित छह लोगों को आरोपी बनाया गया है। मल्लिक की रविवार को गोली माराकर हत्या की गई थी।
तेजस्वी ने बिहार में सत्तारूढ़ दलों द्वारा घिनौनी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह दलित जाति के नाम का दुरुपयोग करते हुए जातीय उन्माद फैलाने की कोशिश की गई, वह शर्मसार करने वाला है। उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष के लोग डरे हुए हैं और हताशा में झूठा इल्जाम लगवा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मल्लिक की हत्या के आरोप में पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है। पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक विशाल शर्मा ने बताया कि घटना में संलिप्त आफताब और तनवीर अंजुम के पास से हत्या में प्रयुक्त देसी पिस्तौल, एक स्मार्टफोन भी बरामद किया गया है।
शर्मा ने बताया कि यह हत्या राजनीतिक विवाद में नहीं, बल्कि पैसे के लेनदेन को लेकर हुई थी। उन्होंने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल भी कर लिया है।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| पैनासोनिक ने गुरुवार को अपने फ्लैगशिप एस सीरीज हाइब्रिड फुल फ्रेम मिररलेस कैमरा ल्यूमिक्स एस5 को भारतीय बाजार में लॉन्च किया। इस आइकोनिक कैमरे की बॉडी की कीमत 1.64 लाख रुपये होगी और किट के लिए 1.89 लाख रुपये खर्च करने होंगे। ल्यूमिक्स एस5 ेमं 24.2एमपी फुल फ्रेम सीमॉस सेंसर लगा है जो डायनामिक रेंज के साथ-साथ हाई सेंसिविटी परफॉर्मेस के लिए जाना जाता है।
पैनासोनिक इंडिया एवं सार्क के बिजनेस चीफ (इमेजिंग बिजनेस ग्रुप) संदीप सहगल ने कहा, "यह कैमरा एडवांस्ड डीप लर्निग टेक्नोलॉजी से लैस है जो कि इसे हाई स्पीड बनाने के साथ-साथ एफएफ के मामले में भी काफी हाई प्रीसिशन का बनाता है। साथ ही इस टेक्नोलॉजी के कारण सबजेक्ट जैसे कि इंसान की आंख, सिर और शरीर का रियल टाइम डिटेक्शन होता है।"
हाथरस, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| हाथरस के बुलगढ़ी गांव में कथित तौर पर चार ऊंची जाति के लोगों द्वारा 19 वर्षीय युवती से सामूहिक दुष्कर्म के बाद मारपीट करने के मामले को लेकर स्थानीय लोगों को उकसाने की कोशिश करने के आरोप में पुलिस ने कांग्रेस के एक दलित नेता श्योराज जीवन को गुरुवार को दोपहर बाद हिरासत में ले लिया। जीवन लोगों को भड़काते हुए कैमरे में कैद हो गए थे, जिसके बाद उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।
कांग्रेस नेता को वीडियो में कथित रूप से देखा गया था, जिसमें उन्होंने यह स्वीकार किया कि कांग्रेस ने अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए हाथरस की घटना का इस्तेमाल किया।
वह हाथरस में पीड़ित परिवार और पूरे वाल्मीकि समुदाय को उकसाने के लिए भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे।
जीवन पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के राष्ट्रीय सचिव हैं।
श्योराज जीवन हाथरस पुलिस के सामने पूछताछ के लिए पेश हुए थे, तभी उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
मामला बुधवार रात को दर्ज किया गया था।
दलित कांग्रेस नेता ने हालांकि सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दावा किया कि वह पीड़ित परिवार से 19 सितंबर को मिले थे, जब पीड़िता अलीगढ़ के जे.एल.एन. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती थी।
वहीं, उन्हें वीडियो में यह कहते हुए देखा गया कि हाथरस में बड़े पैमाने पर जाति आधारित दंगे भड़काने की तैयारी की गई है। उन्होंने कथित तौर पर यह भी स्वीकार किया कि उनकी जमीनी कार्रवाई इतनी मजबूत थी कि आगामी हिंसा को कोई नहीं रोक सकता था।
वीडियो क्लिप में जीवन ने बड़े नेताओं का भी नाम लिया है जो हाथरस मामले में अशांति पैदा करने के लिए कांग्रेस पार्टी की पहल का हिस्सा होंगे।
जीवन कैमरे में कहते नजर आ रहे हैं, "राहुल गांधी तब हाथरस आएंगे जब चारों ओर से गोलियां चलने लगेंगी।"
कांग्रेस नेता को यह कहते हुए देखा गया कि, "दोनों पक्ष से दो लोगों को मरना चाहिए। एक नेता को मरना चाहिए या किसी आम आदमी को। भयंकर झड़प होगी, इसे कोई नहीं रोक सकता। यह एक खूनी लड़ाई होगी। जिस तरह की स्थिति बन रही है, इसमें कोई भी दंगों को रोक नहीं सकता, क्योंकि वाल्मीकि समाज एक लड़ने वाला समुदाय है। कई लोग मारे जाएंगे।"
बिना जीवन का नाम लिए वीडियो का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसे तत्व हैं जो अपने भड़काऊ बयानों के जरिए माहौल को भड़काकर नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
भोपाल, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी करार देते हुए वादा किया है कि, "उप-चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनते ही इन कानूनों को राज्य में लागू नहीं करने का फैसला लूंगा।"
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने गुरुवार को कहा कि, "केंद्र और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार इस कानून के जरिए पूंजीपति और कॉरपोरेट क्षेत्र को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। इसलिए बिना किसानों के भविष्य की सोचे ताबड़तोड़ तरीके से प्रदेश में इस कानून को लागू कर दिया गया। किसानों के खिलाफ अमीरों से मिलकर जो साजिशें रची जा रही हैं, उसका कांग्रेस पार्टी पुरजोर विरोध करेगी।"
संसद में कृषि कानून पारित करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कमल नाथ ने कहा कि, "संसद में जिस अलोकतांत्रिक ढंग से किसान विरोधी कानून पारित कराए गए हैं, वह भाजपा की मंशा को स्पष्ट करते हैं कि वह सीधे-सीधे इनके जरिए किसानों की कीमत पर बड़े घरानों को लाभ पहुंचाना चाहती है। ये तीनों कानून पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं।"
कमल नाथ ने कहा कि, "मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही किसानों के हित में फैसला लूंगा और इन तीनों कानून को मध्यप्रदेश में लागू नहीं होने दूंगा। साथ ही मंडी टैक्स को न्यूनतम स्तर पर लाया जायेगा और मंडियों का दायरा भी बढ़ाया जायेगा।"
उन्होंने कहा कि, "केंद्र सरकार 23 प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करती है। मगर सिर्फ धान और गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदती है और बहुत सीमित मात्रा में दाल और मोटा अनाज वो भी इसलिए क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरित करना होता है और आपात स्थिति के लिए संग्रहित करना होता है। बांकी की फसलों के लिए किसान बाजार के भरोसे होता है।"
उन्होंने कहा कि, "हाल ही में खुद केंद्र सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की रबी 2020-21 की रिपोर्ट में यह आरोप सरकार पर लगाया गया है कि वो किसानों से दाल खरीद कर स्टॉक करती है और जब दाल की फसल आने वाली होती है, तो उसे खुले बाजार में बेंच देती है, जिससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।"
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि, "भाजपा दोहरी चाल चरित्र और चेहरे की पार्टी है। इसका ज्वलंत उदाहरण किसान विरोधी कानून हैं। किसानों की आय दोगुना करने का झूठ 15 साल तक शिवराज सिंह चौहान बोलते रहे। असलियत यह है कि आज हमारे किसानों की आय दोगुनी की बजाय आधी ही रह गयी है। केंद्र सरकार वर्ष 2015 में आयी शांताकुमार कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की ओर कदम बढ़ा रही है और देश में समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदने के खात्मे की बुनियाद रख रही है। भाजपा शुरू से ही किसान विरोधी रही है। वर्ष 2014 में केंद्र में सत्ता में आते ही सरकार ने किसानों के हक का भूमि का उचित मुआवजा कानून भी अध्यादेशों के माध्यम से बदलने की कोशिश की थी। मगर कांग्रेस ने किसानों के पक्ष में मुखरता से आवाज उठायी और केंद्र सरकार को उन अध्यादेशों को वापस लेने पर मजबूर किया।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि, "अन्नदाता किसान जो अथक परिश्रम कर अपना पेट काटकर देश के भोजन का प्रबंध करता है। उसे भाजपा षडयंत्र पूर्वक न केवल कमजोर करने बल्कि उसे कंगाल बनाने में तुली है। कांग्रेस ने तय किया है कि वह भाजपा सरकार की इन कोशिशों को न केवल बेनकाब करेगी, बल्कि उसके मनसूबों को सफल नहीं होने देगी।"
हाथरस, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश हाथरस कांड अभी ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है। चारों आरोपियों ने पत्र भेजकर अपने को बेकसूर बताया है। इसके बाद पीड़ित परिवार ने प्रतिक्रिया दी है। परिवार का कहना है कि उसको (पीड़िता) चुपके से जला दिया गया। अब हम लोगों को जहर दे दो। एसपी हाथरस के नाम आरोपियों का पत्र वायरल होने के बाद पीड़ित परिवार ने मीडिया से बाचीत करते हुए कहा कि अब तो हमारे खिलाफ साजिशों का दौर शुरू हो गया है, यह सब सुनाने से बेहतर है कि हमको जहर दे दिया जाए। पीड़िता की भाभी, मां और पिता ने कहा कि हमारे खिलाफ साजिश की जा रही है। भाभी ने कहा कि उसको (पीड़िता) तो जिला व पुलिस प्रशासन ने चुपके से जला दिया। अब हम लोगों को जहर दे दो।
पीड़िता के पिता ने कहा कि हमारे खिलाफ तो लगातार साजिश रची जा रही है। अब पत्र के रूप में एक और बड़ा झूठ सामने आया है। हमारे ऊपर तो रोज आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। उन्होंने साफ कहा कि चार में से किसी भी आरोपी से उनकी कभी भी बात नहीं हुई है। न तो इनमें से किसी की भी हमारे लड़के से दोस्ती है। यह चारों तो आतंकी टाइप के हैं, इनसे भला कौन दोस्ती करेगा। इनमें से किसी का भी हमारे घर क्या, घर के आसपास भी आना-जाना नहीं था।
मृत युवती के पिता ने कहा कि चार में से एक आरोपी का नाम हमारे लड़के का भी है। उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन की कई जानकारी उनको काफी बाद में मिली।
दो आरोपियों रामू और रवि की मां ने कहा कि हमारे दोनों बेटे निर्दोष हैं। इस केस में उनको बाद में फंसाया गया है। चिट्ठी में जो लिखा है, वह सही होगा लेकिन हमने यह नहीं देखा है कि वह कब युवती से मिलने जाते थे और कब नहीं जाते थे।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के हाथरस केस के मुख्य आरोपी संदीप ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) को चिट्ठी लिखकर खुद को बेकसूर बताया है और दावा किया है कि पूरा मामला ऑनर किलिंग का है। संदीप का कहना है कि इस मामले में हम निर्दोष हैं। मेरे रिश्तेदार रवि और रामू को भी फंसाया गया। इसके साथ ही लवकुश का नाम भी डाला गया है। हम चारों निर्दोष हैं और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं। हाथरस जेल अधीक्षक ने चिट्ठी लिखे जाने की पुष्टि की है। अभी तक एसपी की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
भुवनेश्वर, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| ओडिशा सरकार ने गुरुवार को राज्य के प्रमुख मंदिर प्रशासन से कोविड -19 नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक स्थलों को फिर से खोलने की कार्ययोजना तैयार करने को कहा है। सरकार ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए), पुरी और अन्य प्रमुख मंदिरों को निर्देशित किया कि वे भक्तों के लिए कोविड -19 दिशानिदेशरें का कड़ाई से पालन करने के साथ परिसर में पूजा अर्चना करने देने के लिए कार्य योजना तैयार करें।
सरकार ने जिला कलेक्टरों से सभी हितधारकों के साथ परामर्श करने और अगले 10 दिनों में इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
मुख्य सचिव असित त्रिपाठी ने ट्वीट किया, "राज्य सरकार ने पुरी के मंदिर प्रशासन और राज्य के अन्य प्रमुख मंदिरों के प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे कोविड नियमों का पालन करने वाले उपासकों के लिए मंदिर खोलने की कार्ययोजना तैयार करें। अगले 10 दिनों में सभी के साथ विचार-विमर्श करने के बाद रिस्पांस कलेक्टर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।"
गौरतलब है कि विभिन्न मंदिरों के पुजारी और सेवादार सरकार से धर्मस्थलों को फिर से खोलने के लिए अनुरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हजारों पुजारी और सेवक कमाई के लिए पूरी तरह से मंदिरों पर निर्भर हैं, लेकिन मंदिरों के बंद होने के कारण उनकी आजीविका दांव पर लगी है।
इसके अलावा ओडिशा हाईकोर्ट में कई जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दायर की गई हैं, जो राज्य में मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों को फिर से खोलने से जुड़े हैं।
राज्य सरकार ने धार्मिक स्थलों को 31 अक्टूबर तक के लिए बंद करने का आदेश दिया है।
भाजपा एवं उनके कुछ करीबी उद्योगपति मित्रों की मिलीभगत का खुलासा
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर। कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर अपने पसंदीदा कारोबारियों के लिए हजारों करोड़ के एक लौह अयस्क घोटाले का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि लौह अयस्क के निर्यात की शर्तों में ढील देते हुए मोदी सरकार ने ऐसा इंतजाम किया कि देश के कुछ कारोबारियों ने 12 हजार करोड़ रूपए का निर्यात शुल्क चुरा लिया।
इस आरोप को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज मीडिया के सामने कहा- केन्द्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने पिछले 6 सालों में बार-बार ऐसे उदाहरण दिए हैं जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार सिर्फ अपने कुछ चुनिंदा अमीर दोस्तों के लिए सत्ता में आई है। हवाई अड्डों से लेकर बंदरगाहों तक, टेलिकम्यूनिकेशन से लेकर नवरत्न कंपनियां और यहां तक की भारत का गौरव मानी जाने वाले भारतीय रेल तक मोदी सरकार अपने दोस्तों पर लूटाने पर सदैव तत्पर दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा- यह सरकार भूल जाती है कि देश और देश के भीतर इन तमाम संस्थानों का निर्माण कुछ मु_ी भर पूंजीपतियों ने नहीं किया बल्कि इस देश का निर्माण एक-एक भारतवासी की मेहनत और खून-पसीने से हुआ है। जिस देश को हर देशवासी ने बनाया हो उसे चंद अमीरों के हाथों में बिकता देख दुख होता है।
श्री खेड़ा ने कहा- आज खनन क्षेत्र में हुए एक बहुत बड़े घोटाले की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। 2014 से पहले लौह अयस्क (कच्चा लोहे) का निर्यात सिर्फ एमएमटीसी द्वारा ही किया जाता था। और एमएमटीसी भी सिर्फ वह लौह अयस्क निर्यात कर सकती थी जिसमें 64 प्रतिशत लोहे की संकेन्द्रण इससे ऊपर के स्तर का लोहा बेचने से पहले एमएमटीसी को भी सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी। जिबकी एमएमटीसी में 89 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार की है। लौह अयस्क के निर्यात पर 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क भी लगता था। यह इसलिए किया जाता था ताकि उम्दा स्तर का लोहा देश में ही रहे और देश के स्टील प्लांट के उपयोग में आए।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा- 2014 में जब मोदी सरकार आई तो यह तमाम नियम कानून आनन-फनन में बदल दिए गए। स्टील मंत्रालय ने सबसे पहले तो 64 प्रतिशत लौह संकेन्द्रण का नियम बदला और कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) को चीन, ताइवाइन दक्षिण कोरिया और जापान में लौह अयस्क निर्यात की अनुमति दी। इसके अलावा मंत्रालय ने नीति में एक और परिवर्तन करते हुए यह घोषणा की कि लौह अयस्क पर तो 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क जारी रहेगे लेकिन अगर यह लौह अयस्क छर्रों के रूप में निर्यात किया जाए तो उस पर कोई निर्यात शुल्क लागू नहीं होगा। निर्यात करने की अनुमति केआईओसीएल को प्राप्त थी लेकिन 2014 से अब तक कई निजी कंपनियों ने छर्रों के माध्यम से हिन्दूस्तान का लौह अयस्क निर्यात करना शुरू कर दिया। इस पर शुल्क के रूप में हजारों करोड़ रूपये की चोरी हुई ।
उन्होंने कहा- अनुमान यह है कि इन निजी कंपनियों ने 2014 से अब तक लगभग 40 हजार करोड़ रूपये का लौह अयस्क निर्यात किया है। स्मरण रहे इन कंपनियों के पास लौह अयस्क को निर्यात करने की अनुमति नहीं थी। निजी क्षेत्र की वह कंपनियों जिनके पास अपने उपयोग के लिए लौह अयस्क की खदानें थी उन्होंने भी मौके का फायदा उठाते हुए स्टील मंत्रालय और केन्द्र सरकार की नाक के नीचे उम्दा लौह अयस्क का निर्यात छर्रो के माध्यम से किया।
श्री खेड़ा ने कहा- ऐसा करने से न केवल भारत के बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन को लुटाया गया बल्कि 12,000 करोड़ रूपये का निर्यात शुल्क भी चोरी किया गया। विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) एक्ट 1992 के तहत इन कंपनियों पर लौह अयस्क छर्रों के गैर कानूनी निर्यात पर 2 लाख करोड़ का जुर्माना बनता है।
उन्होंने कहा- 10 सितंबर 2020 को कानून मंत्रालय ने पत्र (संलग्न) के माध्यम से यह स्पष्ट भी किया कि छर्रों के निर्यात की अनुमति केआईओसीएल को है और उसके अलावा जितनी भी कंपनियों इस्तेमाल कर रहे हैं वह गैर कानूनी है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा-यह न केवल विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) एक्ट 1992 के तहत गैर कानूनी है बल्कि कस्टम एक्ट 1962 के तहत भी यह गंभीर अपराध माना जाता है।
हम केन्द्र सरकार से यह जानना चाहते हैं-
1. उच्च गुणवत्ता के लौह अयस्क जिसमें 64 प्रतिशत से ज्यादा लोहे का संकेन्द्रण हो के निर्यात की अनुमति क्यों दे दी गई ?
2. वह कौन सी कंपनियां हैं जिन्होंने 2014 से लेकर अब तक बिना अनुमति के लौह अयस्क का निर्यात किया? उनके नाम सार्वजनिक किए जाए।
3. 2014 से लेकर अब तक क्या सरकार ने, क्या सरकार की किसी भी जांच एजेंसी ने लौह अयस्क के गैर कानूनी निर्यात को लेकर किसी भी निजी क्षेत्र की कंपनी की जांच की ?
4. केन्द्र सरकार ने अपने किसी मंत्री अथवा इससे संबंधित अधिकारी जिन्होंने यह गैर कानूनी निर्यात होने दिया पर क्या कार्यवाही हुई ?
5. इस 2 लाख करोड़ के घोटाले में देश के बेशकीमती प्राकृतिक संसाधनों की खुली लुट हुई है इसकी नैतिक जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी जी किस पर टालेंगे।
हम इन तमाम प्रश्नों के उत्तर सरकार से पूछते हैं।
हाथरस, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड में हर रोज एक नया मोड़ सामने आ रहा है। चारो आरोपियों ने एसपी हाथरस को पत्र लिखकर अपने को निर्दोष बताया है। यह पत्र तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। एसपी को भेजी गई चिट्ठी में चारों आरोपी संदीप, रामू, रवि और लवकुश के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान भी हैं। जेलर आलोक सिंह ने बताया कि पत्र हाथरस एसपी को भेज दिया गया है।
हाथरस केस में आरोपियों ने पुलिस अधीक्षक को लिखी चिट्ठी में खुद को झूठे मामले में फंसाए जाने की दलील दी है। आरोपी संदीप, रामू, लवकुश और रवि ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है। मुख्य आरोपी संदीप ने चिट्ठी में वारदात के पूरे घटनाक्रम को बताया है।
मुख्य आरोपी ने चिट्ठी में यह भी दावा किया कि उसकी मृत युवती के साथ दोस्ती थी, जिस पर उसके परिवार को एतराज था। घटना वाले दिन के बारे में आरोपी का कहना है कि वह उस दिन मिलने खेत पर गया था लेकिन बाद में वह युवती के भाई व मां के कहने पर घर वापस लौट आया था और अपने पिता के साथ पशुओं को पानी पिला रहा था। मुख्य आरोपी संदीप ने चिट्ठी में मृत युवती के भाई और उसकी मां पर युवती के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया है। उसने कहा, हम लोगों की फोन पर बात होती थी। इसी वजह से उस दिन मां और भाई ने लड़की की पिटाई की थी। यह लोग भी मौके पर बाद में पहुंचे थे। उन्हें पानी भी पिलाया था, लेकिन उल्टा उन्हें ही फंसा दिया गया। चारों आरोपियों ने इस मामले में पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
मुख्य आरोपी संदीप ने चिट्ठी में बताया कि इस केस में आरोपी बनाए गए रवि और रामू उसके परिवार से ताल्लुक रखते हैं और रिश्ते में उसके चाचा हैं।
इनका कहना है कि उस दिन मृत युवती की पिटाई मां और भाई ने की थी। आरोपियों ने यह भी बताया है कि उनकी मृत युवती से दोस्ती और काफी देर फोन पर ओर बात करने की वजह से उसको भाई व मां ने पीटा है। इतनी बुरी तरह पीटा है, इसकी जानकारी हम लोगों को नहीं थी। इन लोगों ने कहा कि, घटना वाले दिन भी हमारी मृत युवती से मुलाकात हुई थी। इस दौरान लड़की की मां तथा भाई के कहने पर मैं वहां से चला गया। हमारी फोन पर बात होती थी, लेकिन हमने कभी उसको न तो मारा-पीटा और न ही उसके साथ गलत काम किया।
जेल अधीक्षक आलोक सिंह के अनुसार, जेल मैनुअल के मुताबिक किसी भी बंदी को जेल से बाहर चिट्ठी भेजने का अधिकार है। बुधवार को दोपहर में यह चिट्ठी लिफाफा बंद कराकर उपलब्ध कराई गई जो शाम तक हाथरस के एसपी को दी गई।
भोपाल, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा बुलाई जाने वाली जनसभाओं में कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए 100 से ज्यादा लोगों को बुलाने की छूट रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 100 लोगों को सभा में बुलाने की सीमा को खत्म कर दिया है। राज्य के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने गुरुवार को बताया कि भारत सरकार की कोरोना संक्रमण को लेकर नई गाइडलाइन आई है। उसमें परिवर्तन हुआ है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक, जो चुनावी सभाएं होंगी प्रदेश के अंदर, उन सभाओं में 100 व्यक्तियों के जमा होने की सीमा अब समाप्त कर दी गई है।
उन्होंने आगे बताया कि गाइडलाइन के अनुसार, 100 लोगों की सीमा समाप्त की गई है लेकिन जो आवश्यकताएं हैं, प्रतिबंध हैं, मास्क है, सोशल डिस्टेंसिंग है, सैनिटाइजर का उपयोग, वो सब पूर्ववत जारी रहेंगी।
ज्ञात हो कि राज्य के 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले है। केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के कारण तय की गई गाइडलाइन में राजनीतिक कार्यक्रमों में अधिकतम 100 लोगों की संख्या सीमा तय की थी। इस संख्या सीमा को अब खत्म किया गया है ।
बदायूं (उत्तर प्रदेश), 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| उप्र के हजरतपुर गांव में एक पांच साल की दलित बच्ची से दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। आरोपी पीड़िता का अपना चाचा है। पीड़िता को अत्यधिक रक्तस्राव होने के बाद अपना अपराध छिपाने के लिए आरोपी ने उसके अंगों पर मोबिल तेल डालकर स्राव रोकने की कोशिश की। पीड़िता को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, बच्ची अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी, तभी 35 वर्षीय आरोपी उसे पड़ोस में अपने घर ले गया।
पीड़ित बच्ची द्वारा पेट में अत्यधिक दर्द की शिकायत करने के बाद उसके परिवार को घटना के बारे में पता चला। उसे एक डॉक्टर के पास ले जाया गया, जिसके बाद दुष्कर्म की पुष्टि हुई।
आरोपी पर आईपीसी की धाराओं और पोक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
लड़की के परिवार को सरकारी लाभार्थी योजना के तहत 3 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं, क्योंकि वे 'बहुत गरीब' हैं।
जिला मजिस्ट्रेट कुमार प्रशांत ने लड़की के परिवार को मदद करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में कहा, "हमने सुनिश्चित किया है कि उनका राशन कार्ड प्राथमिकता के आधार पर बनाया जाए और खेत की जमीन का एक टुकड़ा पट्टे पर प्रदान किया जाए।"
बदायूं के एसएसपी संकल्प शर्मा ने गुरुवार को कहा, "आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और लड़की को उचित इलाज मिल रहा है। उसकी हालत स्थिर है। उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।"
उन्होंने आगे कहा कि सर्कल अधिकारी मामले की जांच करेगा और चार्जशीट जल्द ही दायर होने की उम्मीद है।
एसएसपी ने कहा, "हमारे पास आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। हम फास्ट-ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल सुनिश्चित करेंगे।"
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| पिछले साल बालाकोट में संचालित अभियान में शामिल भारतीय वायु सेना के तीन अधिकारियों को गुरुवार को 88वें वायु सेना दिवस के अवसर पर वीरता पदक से सम्मानित किया गया। युद्ध सेवा पदक प्राप्त करने वाले अधिकारियों में स्क्वाड्रन लीडर मिन्टी अग्रवाल, ग्रुप कैप्टन हंसल सीक्वेरा और ग्रुप कैप्टन हेमंत कुमार वडस्रा शामिल हैं।
युद्ध क्षेत्र में आसाधारण सेवा व कर्तव्यों के निर्वहन के मद्देनजर युद्ध सेवा पदक दिए जाते हैं।
स्क्वाड्रन लीडर मिन्टी अग्रवाल भारतीय वायु सेना की एक फाइटर कंट्रोलर हैं। वह उस टीम का हिस्सा थीं, जिसने साल 2019 में भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान का नेतृत्व किया था।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने पिछले साल 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में एक आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला बोला था। भारत में किए गए इस आतंकी हमले में कुल 40 सैनिक शहीद हुए थे। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने 14 फरवरी को किए गए हमले की जिम्मेदारी ली थी।
भारतीय वायु सेना दिवस हर साल 8 अक्टूबर को वायु सेना के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पीलीभीत, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के सुंदर नगर गांव के पास सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के 49 वीं बटालियन के जवानों और नेपाली नागरिकों के बीच संघर्ष होने की खबर है, जिसके कारण क्षेत्र में तनाव फैल गया है। ये संघर्ष मंगलवार को होने की सूचना मिली है।
एसएसबी के नौजला सीमा चौकी के प्रभारी उज्जवल सिंह ने कहा कि एसएसबी ने सोमवार को नेपाल से आ रहे एक ट्रक को जब्त किया था। ट्रक में 24.55 लाख रुपये मूल्य के सौंदर्य प्रसाधन थे। नौजालहा गांव के एक विक्रम चक्रवर्ती को तस्करी के लिए गिरफ्तार भी किया गया है।
इसके बाद बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक सीमा पर जमा हो गए, जो कि बंदरबोझ गांव में सिंचाई पाइपलाइन फटने के कारण किसी व्यक्ति की जमीन पर जलभराव का विरोध करने आए थे। लेकिन उनका मकसद एसएसबी की कार्रवाई का विरोध करना था।
मामले को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल को बुलाना पड़ा।
एसएसबी अधिकारियों का मानना है कि जलजमाव के साथ सीमा की जांच के चलते कुछ नेपाली नागरिकों को परेशानी हुई क्योंकि यह रास्ता भारत में माल की तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अब यहां से आना-जाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि रास्ते में फिसलन है।
ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि कुछ नेपाली नागरिकों ने पुलिस की उपस्थिति में दो एसएसबी जवानों के मोबाइल फोन छीन लिए ताकि उन्हें सीमा पर अपमानजनक ²श्य की वीडियो-रिकॉडिर्ंग करने से रोका जा सके। हालांकि, एसएसबी ने घटना की पुष्टि नहीं की।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कोरोनावायरस के खिलाफ लोगों की लड़ाई पर जोर देते हुए जिंदगियां बचाने में जुटे कोविड वारियर्स की भूमिकाओं की सराहना की। मोदी ने ट्वीट किया, "भारत में कोविड-19 की लड़ाई लोगों द्वारा जारी है और इसे हमारे कोविड वारियर्स से बहुत ताकत मिलती है। हमारे सामूहिक प्रयासों ने कई लोगों की जान बचाई है। हमें गति को जारी रखना है और अपने नागरिकों को वायरस से बचाना है।"
उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा, "आइए कोरोना से लड़ने के लिए एकजुट हों। हमेशा याद रखें, मास्क जरूर पहनें, हाथ साफ करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, दो गज की दूरी रखें। एक साथ हम सफल होंगे और एकसाथ हम कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में विजयी होंगे।"
भारत में कोविड-19 के कुल 68,35,655 मामलों के साथ 68 लाख का आंकड़ा पार हो चुका है और अब तक 1,05,526 लोग मारे गए हैं। प्रधानमंत्री का ट्वीट इसी के मद्देनजर आया है।
हाथरस, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| हाथरस मामले में पुलिस ने कांग्रेस के दलित नेता श्योराज जीवन के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है। जीवन को हाथरस के बुलगड़ी गांव में स्थानीय लोगों को उकसाने की कोशिश करते हुए कैमरे में कैद किया गया था। जिसके बाद उनके खिलाफ ये मामला दर्ज किया गया। कांग्रेस नेता को वीडियो में कथित रूप से देखा गया था, जिसमें उन्होंने यह स्वीकार किया कि कांग्रेस ने अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए हाथरस की घटना का इस्तेमाल किया।
वह हाथरस में पीड़ित परिवार और पूरे वाल्मीकि समुदाय को उकसाने के लिए भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे।
जीवन केंद्रीय कैबिनेट में पूर्व राज्य मंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के राष्ट्रीय सचिव हैं।
हाथरस पुलिस ने श्योराज जीवन पर राजद्रोह के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है और उनसे पूछताछ के लिए पेश होने को कहा है।
मामला बुधवार रात को दर्ज किया गया।
दलित कांग्रेस नेता ने हालांकि सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दावा किया कि वह पीड़ित परिवार से 19 सितंबर को मिले थे जब पीड़िता जे.एल.एन. अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती थी।
हालांकि, उन्हें वीडियो में यह कहते हुए देखा गया कि हाथरस में बड़े पैमाने पर जाति आधारित दंगे भड़काने की तैयारी की गई है। उन्होंने कथित तौर पर यह भी स्वीकार किया कि उनकी जमीनी कार्रवाई इतनी मजबूत थी कि आगामी हिंसा को कोई नहीं रोक सकता था।
वीडियो क्लिप में जीवन ने बड़े नेताओं का भी नाम लिया है जो हाथरस मामले में अशांति पैदा करने के लिए कांग्रेस पार्टी की पहल का हिस्सा होंगे।
राहुल गांधी तब हाथरस आएंगे जब चारों ओर से गोलियां चलने लगेंगी, जीवन को यह कहते हुए कैमरे पर दिखाया गया है।
कांग्रेस नेता को यह कहते हुए देखा गया कि, दोनों पक्ष से दो लोगों को मरना चाहिए। एक नेता को मरना चाहिए या किसी आम आदमी को। भयंकर झड़प होगी, इसे कोई नहीं रोक सकता। यह एक खूनी लड़ाई होगी। कोई भी दंगों को रोक नहीं सकता है, जिस तरह से स्थिति पनप रही है। क्योंकि वाल्मीकि समाज एक लड़ने वाला समुदाय है। कई लोग मारे जाएंगे।
बिना जीवन का नाम लिए वीडियो का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसे तत्व हैं जो अपने भड़काऊ बयानों के जरिए माहौल को भड़काकर नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले में जहां योगी सरकार दंगे कराने की साजिश की थ्योरी दे रही है, वहीं दूसरी तरफ पीड़िता का परिवार लगातार मिल रही धमकियों की वजह से खौफ के साये में है। डर का आलम ये है कि पीड़िता का परिवार अब गांव छोड़ना चाहता है। आज तक की खबर के अनुसार पीड़िता के पिता और भाई का कहना है कि वो लगातार मिल रही धमकियों के कारण डर में जीने को मजूबर हैं। आरोपियों के परिवार की तरफ से उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
खबर के अनुसार परिवार ने कहा कि हादसे के बाद से गांव में भी कोई उनकी मदद नहीं कर रहा है। हादसे के बाद से किसी ने पानी तक नहीं पूछा। परिवार ने कहा कि यहां तक कि मदद करने के बजाय लोग हमसे दूरी बना रहे हैं। आरोपियों की तरफ से दबाव बढ़ता जा रहा है। इसलिए हमारे पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। हम किसी रिश्तेदार के यहां चले जाएंगे।
हाथरस पीड़िता के पिता ने डरते हुए बताया कि हमें यहां मौत दिखाई दे रही है। गांव के लोग डर की वजह से हालचाल पूछने तक नहीं आ रहे हैं। पिता ने कहा कि सोच रहे हैं कि कहीं नाते रिश्तेदारी में चले जाएं। कहीं भी चले जाएंगे भीख मांगकर खाएंगे, पर जिंदा तो रहेंगे। वहीं पीड़िता के बड़े भाई ने कहा कि यहां रहना मुश्किल हो गया है। छोटे भाई को मारने की धमकी दी जा रही है। पीड़िता के छोटे भाई ने कहा कि कोई हमें पूछने भी नहीं आया।
गौरतलब है कि 14 सितंबर को हाथरस में 19 साल की दलित लड़की से गैंगरेप की घटना सामने आई थी। लड़की के साथ बुरी तरह मारपीट भी की गई थी, जिसमें उसकी जीभ काट दी गई थी, रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी और गर्दन मरोड़ दी गई थी। अलीगढ़ में लंबे इलाज के बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेजा गया था, जहां लड़की का निधन हो गया था। इसके बाद यूपी पुलिस ने रात के अंधेरे में ही परिवार की गैरमौजूदगी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसकों लेकर काफी विवाद हुआ था।(navjivan)
दिल्ली से सटे गाजियाबाद के हिंडन एयरफोर्स स्टेशन में आज इस वक़्त 88वां वायुसेना दिवस मनाया जा रहा है।
समारोह में आकाश मिसाइल, ध्रुव हेलिकॉप्टर, मिराज-2000, जगुआर, तेजस, सुखोई-30, एमकेआई रोहिणी रडार सिस्टम, अपाचे हेलिकॉप्टर, और सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान शामिल हैं।
प्रयागराज, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| हाथरस पीड़िता के परिवार के सदस्यों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि जिला प्रशासन ने उन्हें उनके घर में अवैध रूप से कैद कर रखा है। कोर्ट से जिला प्रशासन को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि 'परिवार के सदस्यों को अवैध कैद से मुक्त किया जाए और उन्हें अपने घर से बाहर निकलने और लोगों से मिलने की अनुमति दी जाए।'
पीड़िता के परिवार द्वारा दायर इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए उसे 8 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया गया है।
पीड़िता के पिता ओम प्रकाश, पीड़िता की मां, दो भाइयों और परिवार के दो अन्य सदस्यों ने याचिका दायर की है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि 29 सितंबर को जिला प्रशासन ने याचिकाकतार्ओं को उनके घर में अवैध रूप से कैद कर दिया है और तब से उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है।
आगे यह भी आरोप लगाया गया है कि "हालांकि, बाद में कुछ लोगों को याचिकाकतार्ओं से मिलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन जिला प्रशासन अभी भी उन्हें (याचिकाकतार्ओं) को अपने घर से अपनी इच्छानुसार बाहर जाने की अनुमति नहीं दे रहा है।"
इस याचिका में याचिकाकतार्ओं ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें स्वतंत्र रूप से मिलने या संवाद करने से रोका जा रहा है, जिससे उनकी स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के साथ-साथ सूचना प्राप्त करने के अधिकार का भी उल्लंघन हो रहा है।
वहीं याचिका में खुद को अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत का राष्ट्रीय महासचिव होने का दावा करते हुए एक व्यक्ति सुरेंद्र कुमार ने कहा है कि उन्हें याचिकाकतार्ओं ने टेलीफोन पर संपर्क कर सारी जानकारी दी और उनकी ओर से ही उन्होंने याचिका दायर की है।
किसी व्यक्ति को अवैध रूप से कैद करने पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाईकोर्ट में दायर की जाती है।
कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अगर कोर्ट को पता चलता है कि व्यक्ति अवैध रूप से कैद में है, तो न्यायाधीश उस व्यक्ति की रिहाई का आदेश दे सकते हैं।
नई दिल्ली: गैस क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाते हुये सरकार ने बिना नियमन वाले क्षेत्रों से निकलने वाली गैस को बेचने की पूरी तरह से छूट दे दी. इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों को फायदा होगा और वह अपनी सहयोगी कंपनियों को गैस की बिक्री कर सकेंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गैस मूल्य की खोज के लिये एक मानक इलेक्ट्रानिक- बोली प्रक्रिया को मंजूरी दी गई. Also Read - जियो ने विकसित की ‘स्वदेश निर्मित’ 5जी प्रणाली, देश को ‘2जी-मुक्त’ बनाने का लक्ष्य
सरकार ने 2016 से लेकर 2019 के बीच सभी क्षेत्रों को मूल्य तय करने की आजादी दे दी थी. हालांकि, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और आयल इंडिया लिमिटेड (आयल) को नामांकन आधार पर दिये गये क्षेत्रों को इसमें शामिल नहीं किया गया था. मूल्य निर्धारण की आजादी दी गई लेकिन गैस बिक्री को लेकर कई तरह के प्रतिबंधों को जारी रखा गया. गैस उत्पादक उससे जुड़ी सहयोगी कंपनियों को गैस की बिक्री नहीं कर सकते थे और कई मामलों में तो सरकार द्वारा नामित किसी अधिकारी को ही गैस उठाने को प्राधिकृत कर दिया गया था. इससे प्रतिस्पर्धा में रुकावट आई और दाम भी कृत्रिम रूप से नीचे रहीं . Also Read - कर्जमुक्त हुई रिलायंस इंडस्ट्रीज, मुकेश अंबानी ने 9 माह पहले ही शेयरधारकों से पूरा किया वादा
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धमेन्द्र प्रधान ने यहां सेवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने प्राकृतिक गैस विपणन के क्षेत्र में सुधारों को मंजूरी दे दी. उन्होंने कहा कि इससे ओएनजीसी और आयल इंडिया लिमिटेड द्वारा उन्हें नामांकन आधार पर दिये गये गैस क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के दाम में कोई बदलाव नहीं होगा. इनके लिये हाल ही में 1.79 डालर प्रति इकाई (प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट) की दर तय की गई है. Also Read - रिलायंस इंडस्ट्रीज कर्जमुक्त कंपनी बनने ओर अग्रसर, कुछ सप्ताह में अच्छा-खासा धन जुटाया
उन्होंने कहा कि सीसीईए ने पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी ई- बोली के जरिये गैस का मूल्य खोज निकालने के लिये एक मानक प्रक्रिया को भी मंजूरी दी है. इसके साथ ही गैस उत्पादक कंपनी की सहायक इकाइयों को भी बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति होगी. जिन गैस क्षेत्रों के उत्पादन भागीदारी अनुबंध (पीएससी) में गैस विपणन की पूरी आजादी का प्रावधान किया गया है उन क्षेत्रों से निकलने वाली गैस की मार्केटिंग को पूरी आजादी दी गई है. इससे वेदांता के स्वामित्व वाली केयर्न और फोकस एनर्जी जैसी कंपनियों को फायदा होगा. ये कंपनियां अब किसी को भी गैस की बिक्री कर सकेंगी.
प्रधान ने कहा कि प्राकृतिक गैस विपणन क्षेत्र में किये गये इस सुधार से गैस के मौजूदा 8.40 करोड़ घनमीटर प्रतिदिन (एमएमएससीएमडी) में 4 करोड़ घनमीटर प्रतिदिन उत्पादन को और जोड़ने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि गैस उत्पादक कंपनी द्वारा खुद की गैस को खरीदने के मामले पर रोक जारी रहेगी ताकि इसमें किसी तरह का एकाधिकार नहीं हो सके. हालांकि, इन कंपनियों की अनुषंगी कंपनियों को गैस मूल्य खोज के लिये होने वाली नीलामी में बोली लगाने की अनुमति होगी.
पिछले साल ही रिलायंस और उसकी भागीदारी बीपी ने अपने केजी-डी6 ब्लॉक से 50 लाख घनमीटर गैस प्रतिदिन की बोली निकाली थी जिसमें एस्सार और जीएसपीसी सफल रहीं. हालांकि, रिलायंस और बीपी खुद इस गैस को खरीदने के लिये तैयार थी लेकिन नियमों के तहत वह ऐसा नहीं कर पाये. अब रिलायंस और बीपी का संयुक्त उद्यम इंडिया गैस साल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड गैस बिक्री में बाली लगाने और खरीदारी करने की हकदार होगी.(india)
चंडीगढ़ : नवजोत सिंह सिद्धू की भाजपा में घर वापसी हो सकती है. भाजपा नेता इसके संकेत दे रहे हैं लेकिन सिद्धू इस मुद्दे पर मौन हैं. सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह में छतीस का आंकड़ा रहा है और कई बार यह मुद्दा कांग्रेस आलाकमान के भी संज्ञान में लाया गया है. सिद्धू अकाली दल के खिलाफ रहे हैं. वह जब भाजपा में थे तब आलाकमान पर अकाली दल से नाता तोड़ने के लिए दवाब बना रहे थे. जब उनकी बात अनसुनी की गई तो वे भाजपा से अलग हो गए.
अब जबकि अकाली दल खुद भाजपा का साथा छोड़कर अकाली दल से अलग हो चुका है तब सिद्धू के लिए भाजपा में घर वापसी का रास्ता साफ है. पंजाब के मोगा से रविवार को राहुल गांधी की किसान बचाओ रैली की शुरूआत हुई थी. सिद्धू भी इस रैली में शामिल हुए। लेकिन अगले दिन सोमवार को नवजोत सिंह सिद्धू राहुल के मार्च से गायब रहे. संगरूर और पटियाला की रैली में सिद्धू शामिल नहीं रहे. दरअसल सिद्धू ने राहुल के मंच से ही पंजाब सरकार पर निशाना साधा. इस कारण मुख्यमंत्री नाराज बताए जा रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि सोमवार को सिद्धू को रैली में नहीं बुलाया गया.
इस बीच पंजाब के भाजपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मास्टर मोहन लाल ने दावा किया है कि नवजोत सिद्धू की घर वापसी का रास्ता साफ हो गया है और वह 2022 का चुनाव भाजपा से लड़ेंगे. मास्टर मोहन लाल ने दावा किया है कि नवजोत सिद्धू के साथ बातचीत जारी है. वह 2022 का चुनाव भाजपा से लड़ें.
मास्टर मोहन लाल ने कहा कि सिद्धू 2014 में अमृतसर लोकसभा सीट से अपना टिकट कटने और अरुण जेटली के चुनाव मैदान में उतरने से नाराज थे. इसके अलावा सिद्धू दंपती खुलकर भाजपा को अकाली दल से नाता तोड़ने की बात कह रहे थे. अब सिद्धू की दोनों शर्तें पूरी हो गई हैं, इसलिए उनकी भाजपा में घर वापसी का रास्ता साफ है.
आपको बता दें कि लंबे वक्त के बाद पिछले दिनों मंच पर आए पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, राहुल गांधी की मौजूदगी में पंजाब के कांग्रेस नेताओं को असहज कर गए थे. उन्होंने किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने के साथ-साथ अपनी ही पंजाब सरकार को भी घेरने का काम किया था.(encounterindia)