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ट्रंप, बाइडन और अमेरिका के लिए क्या है महाभियोग का मतलब
15-Jan-2021 4:28 PM
ट्रंप, बाइडन और अमेरिका के लिए क्या है महाभियोग का मतलब

-एंथनी जर्चर

पहले सौ दिन किसी भी नये राष्ट्रपति के लिए बेहद अहम होते हैं, ये वो समय होता है जब किसी भी नेता और उनके प्रशासन का राजनीतिक प्रभाव सबसे ज़्यादा होता है। ऐसे में महाभियोग का ये मुकदमा बाइडन की ऊर्जा और समय जरूर नष्ट करेगा।

अमेरिकी संसद में सुरक्षाकर्मियों को बंदूकें निकालकर सदन की सुरक्षा करनी पड़ी थी। ठीक एक सप्ताह बाद अब संसद के उसी सदन में हिंसक भीड़ का समर्थन करने वाले राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ महाभियोग शुरू हुआ है।

अमेरिका के 231 साल के इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी राष्ट्रपति पर उनके कार्यकाल में दोबारा महाभियोग शुरू हुआ हो।

एक राष्ट्रपति जो अपने कार्यकाल के ऐतिहासिक होने की शेखी बघारते रहे थे, उनके लिए कार्यकाल का यह शर्मनाक अंत है।

महाभियोग के मुकदमें में एक ही आरोप है। राष्ट्रपति ट्रंप पर राजधानी पर हमला करने वाली भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया गया है।

बीते बुधवार को ट्रंप समर्थकों की भीड़ ने अमेरिकी संसद भवन पर हमला कर दिया था।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में लाया गया महाभियोग प्रस्ताव अब सीनेट में भेजा जाएगा। यहाँ सौ सदस्यों की सीनेट जूरी की तरह बैठेगी, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करेंगे। राष्ट्रपति पर महाभियोग के इस मुक़दमे का फैसला जो बाइडन के पद संभालने से पहले आ जाएगा, इसे लेकर शक है।

इस समय संसद की इस कार्रवाई के राजनीतिक नफा-नुकसान का आकलन किया जा सकता है। एक साल से कुछ अधिक समय पहले जब हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में ट्रंप पर महाभियोग चला था, तब रिपब्लिकन पार्टी के किसी सदस्य ने इसके समर्थन में वोट नहीं किया था। इस बार ट्रंप की अपनी पार्टी के दस सदस्य उनके खिलाफ हो गये हैं और महाभियोग का समर्थन कर रहे हैं।

बुधवार को जब राजधानी में हिंसा हुई थी तो बहुत से रिपब्लिकन नेताओं ने ट्रंप का विरोध किया था।

पूर्व उप-राष्ट्रपति डिक चेनी की बेटी और सदन में तीसरे नंबर की रिपब्लिकन नेता लिज़ चेनी ने तो खुलकर राष्ट्रपति का विरोध किया।

एक बयान में चेनी ने कहा, ‘अमेरिका में कभी भी किसी भी राष्ट्रपति ने इस तरह संविधान और अपनी शपथ का उल्लंघन नहीं किया है।’

चेनी के इस बयान का डेमोक्रेट नेताओं ने बार-बार उल्लेख किया है। ऐसी चर्चाएं भी हैं कि सीनेट में भी कई रिपब्लिक नेता राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ वोट कर सकते हैं।

न्यूयॉर्क टाईम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि रिपब्लिकन नेता मिच मैककोनेल राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाए जाने से खुश हैं।

उन्होंने उम्मीद की है कि अब रिपब्लिकन पार्टी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपना पिंड छुड़ा सकेगी। इसके बाद मैककोनेल ने कहा है कि वो महाभियोग का मुकदमा खत्म होने तक अपना फ़ैसला गुप्त रखेंगे। लेकिन सीनेट के ख़ामोश दफ़्तरों से ऐसी बातें हवा में ही बाहर नहीं निकलती हैं। उनमें कुछ ना कुछ तो होता ही है।

ट्रंप को लेकर रिपब्लिकन

पार्टी में विरोध

अब रिपब्लिकन पार्टी में भी तलवारें खिंच गई हैं और लोग खेमों में बंट रहे हैं।

अगले कुछ दिनों में रिपब्लिकन नेता अपना फैसला लेंगे। एक तरफ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राजनीति का समर्थन है जिसने साल 2016 में पार्टी को व्हाइट हाऊस और संसद दोनों का नियंत्रण दिया था। हालांकि पार्टी 2020 में दोनों को ही गंवा बैठी।

दूसरी तरफ एक अनिश्चित भविष्य है लेकिन वो कम से कम ट्रंप की भडक़ाऊ राजनीति से मुक्त है। डेमोक्रेट नेताओं ने ट्रंप और उनकी राजनीति पर हमला किया। बुधवार को हुए हमले के बाद से ही डेमोक्रेट नेता ट्रंप पर पलटवार करने की रणनीति बना रहे थे।

उनका मानना है कि संसद पर हमला सिर्फ अमेरिकी लोकतंत्र के लिए ही खतरनाक नहीं था, बल्कि उनकी अपनी जानें भी खतरें में थीं। और अंत में उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप पर दोबारा महाभियोग चलाने का फैसला लिया। ये अलग बात है कि ये राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल का आखिरी सप्ताह है।

ट्रंप को दो बार महाभियोग का सामना करने वाला राष्ट्रपति बनाना उनका अधिक कारगर कदम हैं। बुधवार को उन्होंने सिर्फ राष्ट्रपति ट्रंप पर ही महाभियोग नहीं चलाया है, बल्कि ट्रंप की राजनीति को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है।

महाभियोग के मुकदमे में उन महीनों का खासतौर पर जिक्र है, जब ट्रंप नवंबर में होने वाले आम चुनावों पर हमलावर हो रहे थे।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटिटिव में बहस के दौरान डेमोक्रेट नेताओं ने ट्रंप के व्यवहार पर सवाल उठाए। रिपब्लिकन पार्टी में ऐसे नेता भी हो सकते हैं जो ट्रंप और उनकी राजनीति से आगे बढऩा चाहते हों लेकिन ये भी साफ हो गया है कि कांग्रेस में ऐसे डेमोक्रेट नेता भी हैं जो ट्रंप और पिछले सप्ताह हुई हिंसा को रिपब्लिकन पार्टी के गले में बांधना चाहते हैं।

ट्रंप के लिए राहें मुश्किल

बीते कुछ महीनों में हुए घटनाक्रम के अलग दिशा लेने की कल्पना कीजिए।

मान लीजिए कि डोनाल्ड ट्रंप ने नवंबर के चुनावों में मिली हार को चुनौती देने के बजाए शांति से स्वीकार कर लिया। तो जॉर्जिया में हुए उपचुनाव में कम से कम रिपब्लिकन पार्टी एक सीट जीतकर सीनेट पर अपना नियंत्रण तो बरकरार रखती ही।

तब ट्रंप रिपब्लिकन नेताओं की तरफ से अपने आप को दफन कर दिए जाने की जल्दबाजी का सामना करने के बजाए पार्टी के किंगमेकर बन गए होते। तब साल 2024 में उनकी फिर से उम्मीदवारी पेश करने की एक वास्तविक संभावना होती। लेकिन अब ट्रंप के लिए राहें मुश्किल हो गई हैं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट बंद हैं। उनका पसंदीदा ट्विटर खाता भी बंद है। भले ही सीनेट में अपराधी घोषित किए जाने के बाद भी उन्हें फिर से चुनाव लडऩे से नहीं रोका जा सकेगा, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के भीतर उनका प्रभाव तो कम हो ही गया है। (बाकी पेज 5 पर)

 

राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थकों का कहना है कि पार्टी में अब भी उनका गहरा प्रभाव है। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों के घटनाक्रम ने पार्टी में उनके विरोधियों को मजबूत किया है, जो उन्हें चित करने का कोई मौका अब नहीं छोड़ेंगे।

ट्रंप अब अपने सबसे मुश्किल दौर में हैं। बीते पाँच सालों से ट्रंप अपने आलोचकों और अपना राजनीतिक मर्सिया लिखने वालों को गलत साबित करते रहे थे। वो ऐसे स्केंडलों और विवादों से बाहर निकल आये जो अधिकतर राजनेताओं का करियर खत्म कर देते। लेकिन अब, आखिरकार, ये वक्त उनके लिए पहले से अलग हो सकता है।

सीनेट का मुकदमा बाइडन को भी असहज करेगा। राष्ट्रपति पद संभालते ही बाइडन के सामने कोरोना महामारी की चुनौती होगी जिसमें अमेरिका में अब रोज़ाना औसतन चार हजार लोग मर रहे हैं और अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट पड़ रही है।

उन्हें इन मुश्किल हालात का सामना ऐसे समय करना है जब सीनेट उनके पूर्ववर्ति राष्ट्रपति पर मुकदमा चला रही होगी।

बाइडन के सामने चुनौती

रिपब्लिकन नेताओं ने बुधवार को चेताया है कि महाभियोगा का ये मुकदमा अमेरिकी लोगों के बीच और अधिक मतभेद पैदा करेगा। ये ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिकी लोगों को राहत की जरूरत है।

उनका कहना है कि इससे बाइडन के लिए देश को एकजुट करने का वादा पूरा करना भी मुश्किल होगा। महाभियोग का ये मुक़दमा बाइडन के सामने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के शुरुआती दिनों में वास्तविक चुनौतियां पेश करेगा।

एक सीनेट जो राष्ट्रपति ट्रंप पर महाभियोग का मुकदमा चलाने और अपना फैसला देने में व्यस्त होगी, वो राष्ट्रपति बाइडन के पहले सौ दिन के एजेंडे को कितना पूरा कर पाएगी?

बाइडन अपने प्रशासन के लिए जो टीम चुनेंगे उसे भी सीनेट में अनुमोदित कराने में दिक्कतें आएंगी इसकी वजह से बाइडेन को संघीय सरकार का विशाल कार्यभार संभालने में भी दिक्कतें आ सकती हैं।

बाइडन ने पूछा है कि क्या सीनेट ट्रंप पर महाभियोग चलाने के साथ-साथ उनके प्रशासन के लिए चुने गए लोगों को पुष्ट करने की कार्रवाई भी कर सकती है?

इसकी कोई गारंटी नहीं है कि निष्पक्ष सीनेट में रपब्लिकन नेता बाइडेन के इस प्लान के अनुसार चलें हीं।

हालांकि, पहले सौ दिन किसी भी नये राष्ट्रपति के लिए बेहद अहम होते हैं, ये वो समय होता है जब किसी भी नेता और उनके प्रशासन का राजनीतिक प्रभाव सबसे ज़्यादा होता है। ऐसे में महाभियोग का ये मुकदमा बाइडन की ऊर्जा और समय जरूर नष्ट करेगा। (bbc.com)

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