डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ बढ़ाने के फैसले पर पलटवार करते हुए चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह ‘किसी भी तरह के युद्ध’ के लिए तैयार है।
ट्रंप ने सभी चीनी वस्तुओं पर टैरिफ़ बढ़ा दिया है इसके बाद से दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं में ट्रेड वॉर का ख़तरा बढ़ गया है।
इसके तुरंत बाद ही चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 10-15त्न टैरिफ़ लगाने की घोषणा की।
मंगलवार को चीनी दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, ‘चाहे टैरिफ़ वॉर हो, ट्रेड वॉर हो या कोई अन्य जंग, अमेरिका अगर जंग चाहता है तो हम इसके अंजाम तक जंग लडऩे को तैयार हैं।’
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन की ओर से यह सबसे तीख़ी बयानबाज़ी है और ऐसे मौके पर आई है जब नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के सालाना अधिवेशन में बीजिंग में चीन के नेता इक_ा हुए है।
चीन ने पहले भी दी है चेतावनी
बुधवार को चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने घोषणा की कि चीन इस साल अपने रक्षा खर्च में 7।2त्न की बढ़ोतरी करेगा।
उन्होंने कहा, ‘पूरी दुनिया में तेज़ गति से ऐसे बदलाव हो रहे हैं जिन्हें एक सदी में कभी नहीं देखा गया। ’
हालांकि रक्षा बजट में यह बढ़ोतरी उम्मीद के मुताबिक है और पिछले साल की घोषणा से मेल खाता है।
बीजिंग में नेता चीन की जनता को एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें भरोसा है कि देश की अर्थव्यवस्था ट्रेड वॉर के ख़तरों के बावजूद बढ़ सकती है।
ऐसा लगता है कि चीन अमेरिका के मुक़ाबले अपनी छवि को स्थिर और शांत देश के रूप में पेश करना चाहता रहा है।
बीबीसी संवाददाता लॉरा बिकर कहती हैं कि कनाडा और मेक्सिको जैसे अमेरिकी सहयोगियों पर ट्रंप के फ़ैसलों से पडऩे वाले असर को चीन अपने हित में मोडऩे की उम्मीद कर सकता है। लेकिन वह बयानबाज़ी को एक हद से अधिक नहीं बढ़ाना चाहता जिससे उसके संभावित नए वैश्विक पार्टनर डर जाएं।
चीन ने पहले भी कहा है कि वह जंग के लिए तैयार है। पिछले साल अक्तूबर में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताईवान के चारों ओर मिलिटरी ड्रिल के दौरान सैनिकों को जंग के लिए तैयार रहने को कहा था।
वॉशिंगटन में चीनी दूतावास ने एक दिन पहले विदेश मंत्रालय के बयान का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि ड्रग फ़ेंटानिल की तस्करी के लिए अमेरिका चीन पर बेवजह आरोप मढ़ रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, ‘चीनी उत्पादों के आयात पर अमेरिकी टैरिफ़ बढ़ाने के लिए फ़ेंटानिल का मुद्दा एक कमज़ोर बहाना है।’
बयान के अनुसार, ‘धमकी से हम डरने वाले नहीं। दबंगई का हम पर कोई असर नहीं पड़ता। दबाव, ज़बरदस्ती या धमकियां, चीन से निपटने का सही तरीक़ा नहीं हैं।’
चीन से जंग को अमरीका तैयार-हेगसेट
चीन की कड़ी प्रतिक्रिया पर अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेट ने फॉक्स न्यूज़ के एक कार्यक्रम में कहा, ‘हम तैयार हैं। जो शांति चाहते हैं, उन्हें जंग के लिए भी तैयार रहना चाहिए।’
उन्होंने कहा, यही वजह है, ‘अमेरिका अपनी सेना को मजबूत कर रहा है और डिटरेंस बहाल कर रहा है।’
‘हम एक ख़तरनाक़ दुनिया में रह रहे हैं, जहां ऐसे शक्तिशाली और आगे बढ़ते देश हैं जिनकी बहुत अलग विचारधाराएं हैं। वे अपने रक्षा ख़र्च को तेज़ी से बढ़ा रहे हैं, टेक्नोलॉजी को अत्याधुनिक कर रहे हैं, वे अमेरिका की जगह लेना चाहते हैं।’
हेगसेट ने कहा कि सैन्य ताक़त बनाए रखना, तनाव से बचने का मुख्य तरीक़ा है।
उन्होंने कहा, ‘अगर हम चीन या अन्य देशों के साथ युद्ध को रोकना चाहते हैं तो हमें ताक़तवर होना होगा।’
‘और राष्ट्रपति (ट्रंप) जानते हैं कि इसी से शांति आएगी। उनके चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अच्छे संबंध हैं।।।हम चीन के साथ युद्ध नहीं चाहते और न ही युद्ध करना चाहते हैं और राष्ट्रपति ने इस ऐतिहासिक मौके को इसके लिए इस्तेमाल भी किया।’
उन्होंने कहा, ‘रक्षा मंत्री के नाते मुझे ये सुनिश्चित करना होगा कि हम तैयार हैं, हमें रक्षा ख़र्च, क्षमता, हथियार और तेवर बनाए रखने की ज़रूरत है।’
अमेरिका और चीन के रिश्ते
अमेरिका और चीन के रिश्ते हमेशा से दुनिया में सबसे तनाव वाले रिश्ते रहे हैं।
एक्स पर जारी चीनी विदेश मंत्रालय के बयान को सोशल मीडिया पर काफ़ी साझा किया गया है और ट्रंप के कैबिनेट में चीन विरोधी नेताओं के लिए यह एक सबूत की तौर पर पेश किया जा सकता है कि बीजिंग विदेशी नीति के मामलों में और आर्थिक रूप से वॉशिंगटन का सबसे बड़ा ख़तरा है।
चीनी अधिकारियों को उम्मीद थी कि ट्रंप के शासन में अमेरिका और चीन संबंध बेहतर होंगे। गौरतलब है कि अपने शपथ ग्रहण समारोह में ट्रंप ने शी जिनपिंग को आमंत्रित किया था।
डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा था कि दोनों नेताओं के बीच फ़ोन पर ‘अच्छी बातचीत’ हुई थी।
शी जिनपिंग घरेलू स्तर पर घटते उपभोग, प्रापर्टी संकट और बेरोजग़ारी की चुनौती का सामना कर रहे हैं।
रक्षा बजट: अमेरिका बनाम चीन
चीन का रक्षा बजट 245 अरब डॉलर है, जोकि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट है, लेकन यह अमेरिका से छोटा ही है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, बीजिंग अपनी सेना पर जीडीपी का 1।6त्न खर्च करता है जोकि अमेरिका और रूस के मुक़ाबले काफ़ी कम है।
हालांकि विश्लेषक मानते हैं कि चीन अपने रक्षा ख़र्च को कम करके दिखाता है। चीन का रक्षा बजट अब भी अमेरिका की तुलना में काफ़ी कम है।
अमेरिका हर साल अपने रक्षा बजट पर 800 अरब अमेरिका डॉलर से ज़्यादा ख़र्च करता है। या कहें चीन का रक्षा बजट, अमेरिकी रक्षा बजट का एक तिहाई है।
अमेरिका का रक्षा बजट 886 अरब डॉलर है और यह अपने जीडीपी का 3त्न इसपर ख़र्च करता है।
हालांकि दुनिया में सेना पर चीन अमेरिका के बाद सबसे अधिक खर्च करने वाला देश है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, चीन का लक्ष्य 2050 तक वर्ल्ड क्लास मिलिटरी बनने का है।
हाल के दिनों में चीन ने अपनी सेना के अधुनिकीकरण पर अधिक ज़ोर दिया है।
साल 2023 में अमेरिका ने चीन के परमाणु आधुनिकीकरण को लेकर आगाह भी किया था। तब अमेरिका ने अनुमान लगाया था कि चीन के पास 500 से ज़्यादा न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं, इनमें से 350 आईसीबीएम हैं।
अमेरिका की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2030 तक चीन के पास 1000 वॉरहेड्स होंगे। अमेरिका और रूस का कहना है कि उनके पास 5000 से ज़्यादा वॉरहेड्स हैं।
चीन की मिलिट्री रॉकेट फोर्स को लेकर भी विवाद है। ये यूनिट ही परमाणु हथियारों को संभालती है।
अमेरिकी सेना की ताक़त
ग्लोबल फ़ायर पॉवर के मुताबिक, 2025 मिलिटरी स्ट्रेंथ रैंकिंग में अमेरिका पहले नंबर है।
अमेरिका के पास कुल 13,043 हवाई जहाज हैं, जिनमें 1790 फ़ाइटर जेट, अटैक टाइप 889, ट्रांसपोर्ट टाइप 918, ट्रेनर 2647, टैंकर फ़्लीट 605 और हेलीकॉप्टर की संख्या 5843 है।
जबकि अमेरिकी नौसेना के पास 11 विमानवाहक पोत हैं, 9 हेलीकॉप्टर कैरियर, 81 डिस्ट्रॉयर और 70 सबमरीन हैं।
अमेरिकी नौसेना की कुल क्षमता कऱीब 41 लाख टन है। अमेरिकी वायु सेना में 7,01,319 वायु सैनिक और थल सेना में कऱीब 14 लाख सैनिक हैं। अमेरिकी नेवी की ताक़त छह लाख 67 हज़ार है।
चीन की सैन्य ताक़त
ग्लोबल फ़ायर पॉवर के अनुसार, 2025 मिलिटरी स्ट्रेंथ रैंकिंग में चीन तीसरे नंबर पर आता है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की थल सेना में 25।45 लाख सैनिक और नेवी में तीन लाख 80 हज़ार नौसैनिक हैं। वायुसेना में तकऱीबन चार लाख वायु सैनिक हैं।
पीएलए की वायुसेना में कुल 3309 जहाज हैं जिनमें 1212 फ़ाइटर जेट, अटैक टाइप 371, ट्रंपासपोर्ट टाइप 289, ट्रेनर 402, टैंकर फ़्लीट 10 और हेलीकॉप्टर 913 हैं।
हाल के सालों में चीन ने अपनी नेवी को बढ़ाने और अत्याधुनिक करने पर काफ़ी ध्यान दिया है।
मौजूदा समय में पीएलए की नेवी में तीन विमान वाहक पोत, चार हेलीकॉप्टर कैरियर, 50 डिस्ट्रॉयर, 47 फ्रिगेट्स, 72 कार्वेट्स और 61 सबमरीन हैं।
पीएलए नेवी की कुल क्षमता 28।6 लाख टन है। (bbc.com/hindi)