25 साल पहले निखिलकांत के पिता को नपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ.विमल चोपड़ा ने 1200 मतों से हराया था
उत्तरा विदानी
महासमुंद, 16 फरवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। महासमुंद में अलग तरह की राजनीति चलती है। यहां के लोगों पर देश-प्रदेश की राजनीति हावी नहीं होती। यहां के मतदाता जिन्हें अबाध मतों जीत दिलाते हैं। उनका काम देखते हैं। जब तक मतदाताओं का स्वाभिमान बरकरार रहता है, तब तक सब कुछ स्थिर रहता है। और जब भी लगा है कि अब उनके मतों का दुुरुपयोग हो रहा है तो उन्हें मतों के जरिए ही जमीन पर ला पटकते हैं। ऐसे कई वाकये महासमुंद में हुए हैं।
महासमुंद में 7 बार के सांसद विद्याचरण शुक्ल को इसी महासमुंद में हार का सामना करना पड़ा था। मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी जैसे दबंग जननेता को सीधे और सरल कहे जाने वाले चंदू साहू ने हरा दिया था। इस बार नगरपालिका में भी यही हुआ। डा. विमल चोपड़ा को अंत तक मतदाता नगरपालिका अध्यक्ष पद से काफी ऊपर कद वाले मानते रहे और 30 साल के नवयुवक निखिल के सामने हार का सामना करना पड़ा।
निखिल जब 8 साल का था तो कांग्रेस का झंडा उठाकर मुहल्ले के बच्चों को लेकर पापा के प्रचार के लिए निकलता था
इतिहास गवाह है कि आज से ठीक 25 वर्ष पहले निखिलकांत के पिता को वर्ष 2000 के नपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ.विमल चोपड़ा ने कड़े मुकाबले में करीब 1200 मतों से हराया था। उन दिनों निखिल 8 साल का था। तब निखिल कांग्रेस का झंडा उठाकर मुहल्ले के बच्चों को लेकर पापा के प्रचार के लिए निकला करता था। उसने पापा की हार को करीब से देखा था। बीते चुनाव में वह पार्षद बना और इस बार कांग्रेस ने उसके कामों को देखकर टिकट दे दी। लोग उसके लिए यह सीट डॉ. चोपड़ा जैसे भाजपा के कद्दावर नेता के सामने कठिन मान रहे थे। लेकिन सारे कयासों पर पानी फेरते हुये निखिल ने बड़ी जीत हासिल कर ली।
इस तरह नगरीय निकाय चुनाव में प्रदेश भर में भाजपा की सुनामी भले ही चली हो लेकिन महासमुंद में इस सुनामी में कांग्रेस ने अपना पंजा बचा लिया। भाजपा के भाजपा के डॉ. विमल चोपड़ा के अलावा यहां तीन बार के पार्षद महेन्द्र जैन, चार बार पार्षद रह चुकी मीना वर्मा को हार का सामना करना पड़ा। महेन्द्र जैन और मीना वर्मा को नगरपालिका चुृनाव में कभी सर्वाधिक मत प्राप्त होते थे। देवी चंद राठी खुद बहुत मुश्किल से महज 45 वोटों से अपनी सीट बचा पाए हैं। बागबाहरा में भी कांग्रेस की आंधी चली है। तुमगांव में भाजपा से बागी निर्दलीय ने जीत हासिल की है। महासमुंद नगरपालिका में बीते 25 सालों से भाजपा का साम्राज्य था। डा. विमल चोपड़ा यहां खुद ही 2 बार नपाध्यक्ष तथा एक बार निर्दलीय विधायक रहे। उन्हें 3546 वोटों से हराकर कांग्रेस का नया युवा चेहरा निखिल मनोजकांत साहू ने इतिहास लिख दिया है।
कल कृषि उपज मंडी में सुबह 9 बजे मतगणना शुरू हुई तो निखिलकांत ने पहले राउंड में ही 717 मतों की बढ़त बना ली थी। भाजपा प्रत्याशी डॉ.चोपड़ा और उनके समर्थकों को आगे राउंड में बढ़त की उम्मीद थी। दूसरे राउंड में फिर से निखिलकांत ने 863 मतों की बढ़त लेकर कुल बढ़त 1580 तक पहुंचा दी। उसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा। तीसरे राउंड में भी 995 और अंतिम राउंड में 971 मतों की बढ़त लेकर 3546 मतों से भगवा के गढ़ में पंजे की जीत दर्ज करा दी। निखिल को कुल 13660 वोट मिले। जबकि डा. चोपड़ा को 10114 मिले। भाजपा के बागी पूर्व नपाध्यक्ष निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश चन्द्राकर 4913 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस की बागी निवर्तमान अध्यक्ष निर्दलीय राशि त्रिभुवन महिलांग 1851 मतों के साथ चौथे नंबर पर रही।
नवनिर्वाचित नपाध्यक्ष निखिलकांत साहू ने ऐतिहासिक जीत के बाद कहा कि यह जीत उनकी नहीं बल्कि महासमुंद की जनता की है। उन्होंने कहा कि वे जनता के बीच रहे हैं और रहेंगे। आशीर्वाद लेने फिर उनके बीच जाउंगा। जनता जैसा चाहेगी वैसा महासमुंद का विकास होगा। चौथे और अंतिम राउंड में अविजित बढ़त लेने के बाद निखिलकात साहू मतगणना स्थल पर पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इस जीत का श्रेय उन्होंने जनता और माता-पिता को दिया है। कहा कि इस जीत से जनता के प्रति उनकी जवाबदेही बढ़ी है। एक सवाल कि 2 बार नपाध्यक्ष और एक बार यहां के विधायक रहे भाजपा के कद्दावर नेता डा.विमल चोपड़ा को आपने 3546 मतों से हराना यह कैसे संभव हुआ पर निखिल ने कहा कि मैं हमेशा अपने शहर के लोगों के साथ खड़ा रहा। अन्य प्रत्याशी जनता से दूर रहे। कोई भी सरकार जनकल्याण के लिए बनती है। अच्छी सोच के साथ और बिना भेदभाव के नगर विकास के लिए काम करूंगा। हमें दलित, शोषित, पीडि़त और अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाना है। ऑनलाइन टैक्स जमा कराने की सुविधा की भी व्यवस्था करेंगे।
179 ने नोटा का बटन दबाया
यहां गौर करने वाली बात यह है कि अंतिम के दो प्रत्याशी राशि महिलांग व पंकज साहू को शहर के तीन वार्डों में नोटा से कम वोट मिला है। वार्ड 21 में 33 लोगों ने नोटा का चयन किया। वार्ड क्रमांक 2 में आप प्रत्याशी चैतन्य कुमार कहार को 28 वोट मिले। जबकि नोटा को यहां 30 वोट पड़े। इसी तरह वार्ड 7 में आप प्रत्याशी अजीम शेख को 12 वोट मिले। यहां नोटा में 18 मत पड़े हैं। शहर के सभी वार्डों में नोटा को मत मिले हैं। जिसकी कुल संख्या 179 है। नोटा में सबसे कम मत वार्ड क्रमांक 4, वार्ड 11 तथा वार्ड 19 में पड़े। इन तीनों वार्डों में नोटा को 8-8 मत पड़े हैं।
इसी प्रकार वार्ड 2 में 30, 8 में 31, 15 में 31, 5 में नोटा को 22, वार्ड 10 में 24, 12 में 26, 18 में 22, 27 में 20, 29 में 22, 30 में 23 लोगों ने नोटा का चयन किया है। इस तरह सभी वार्डों को मिलाकर 179 लोगों ने नोटा का बटन दबाया है।
इस चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के अनेक दिग्गज पार्षदों को पहली बार चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों से पराजय का सामना करना पड़ा है। कुल 30 पार्षद वाली महासमुंद नगर पालिका में 17 भाजपा, 8 कांग्रेस और 5 निर्दलीय पार्षद हैं। इनमें से कुल 22 नये पार्षद हैं। पार्षद बनकर पहली बार नगर पालिका पहुंचे लोगों में निश्चय पूनम चन्द्राकर,गुलशन कुमार साहू, ज्योति रिंकु चन्द्राकर, जय कुमार देवांगन, सुनैना पप्पू ठाकुर, राहुल आवड़े, जितेन्द्र ध्रुव, सीता डोंडेकर, जरीना हफ ीज कुरैशी, सूरज नायक, माखन पटेल, ओमीन कागजी,कल्पना सूर्यवंशी, धनेन्द्र विक्की चन्द्राकर, नीरज चन्द्राकर, धनेश्वर सोनाधर सोनवानी, धनीराम यदु, चंद्रशेखर बेलदार,भारती राजेन्द्र चन्द्राकर, भाऊ राम साहू शामिल हैं।
चाय की दुकान चलाने वाला भाऊराम बना पार्षद
महासमुंद में भी चाय की दुकान चलाने वाले भाऊराम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कौशलेंद्र वैष्णव को हराया है। रायगढ़ के जीवर्धन चौहान भी चाय बेचते महापौर बन गए। अब महासमुंद बस स्टैंड के समक्ष साहू टी स्टाल के नाम से मशहूर चाय वाले भाऊराम साहू वार्ड 25 से चुनाव लडक़र पार्षद बन गए हैं।
जिस व्यवहार कुशलता से भाऊराम साहू अपने ग्राहकों को रिझाकर चाय बेचते हैं। उतनी ही कुशलता के साथ वार्ड 25 के मतदाताओं को रिझाने में सफल रहे। वे अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कौशलेंद्र वैष्णव को हराकर पार्षद बन गए।
सन 1985 से अब तक 39 सालों से चाय की दुकान चलाने वाले भाऊ की शहर सहित आसपास के ग्रामों में अपनी अलग पहचान है। शहर के अधिकांश राजनैतिक पार्टियों के दिग्गज नेता, समाजसेवी या फिर शासकीय कर्मचारी सुबह की पहली चाय की शुरुआत साहू के टी स्टाल से करते हैं। राजनीति में उनकी दिलचस्पी पहले से ही थी। लंबे समय के बाद वे इसमें सफल हुए हैं। अपनी जीत का श्रेय वे शहर के लोगों को देते हैं।
पार्टी से बगावत कर निर्दलीय जीते थे चोपड़ा
महासमुंद में सन् 2000 से 2005 तक भाजपा के डॉ.विमल चोपड़ा अध्यक्ष रहे। उन्होंने 2005-2010 तक पार्टी से बगावत कर निर्दलीय जीता और दुबारा अध्यक्ष बने। इसके बाद 2010-2015 तक स्वाभिमान मंच की टिकट पर राशि त्रिभुवन महिलांग नगरपालिका अध्यक्ष बनीं। साल 2015 से 2020 तक निर्दलीय पवन पटेल (अब भाजपा) अध्यक्ष रहे। साल 2020 में भाजपा प्रत्याशी प्रकाश चन्द्राकर चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने लेकिन कार्यकाल पूरा होने के बीच में ही राशि महिलांग ने प्रकाश चन्द्राकर के खिलाफ अविश्वास लाकर भाजपा पार्षदों की मदद से प्रकाश को अध्यक्ष पद से हटाया था।
कांग्रेस से भाजपा प्रवेश करने वाले हरबंश ढिल्लो ने कमल खिलाया
महज साल भर पहले कांग्रेस से भाजपा प्रवेश करने वाले हरबंश ढिल्लो उर्फ नानू भाई ने वार्ड 13 में कमल खिलाया है। इसके पहले कांग्रेस की टिकट पर वे जीतते रहे। भाजपा की कर्मठ कहे जाने वाली वरिष्ठ पार्षद मीना वर्मा, भाजपा शहर मंडल अध्यक्ष महेन्द्र सिका की पत्नी माधवी सिका,वरिष्ठ पार्षद महेन्द्र जैन, गिरधर यदु को पराजय का सामन करना पड़ा है। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष खिलावन बघेल, महेन्द्र चावला मिंदर, सोमेश दवे, वरिष्ठ पार्षद अमन चन्द्राकर,डॉ. तरूण साहू भी पराजित हुए हैं।