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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर क्यों मची भगदड़, प्रशासन और चश्मदीदों ने बताई वजह
16-Feb-2025 12:50 PM
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर क्यों मची भगदड़, प्रशासन और चश्मदीदों ने बताई वजह

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में शनिवार रात हुई भगदड़ की घटना में 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल हैं.

प्रशासन ने सभी 18 मृतकों के नाम की सूची भी जारी कर दी है. वहीं, रेलवे ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का एलान किया है.

गंभीर रूप से घायलों को ढाई लाख रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों को एक लाख रुपये के मुआवज़े का एलान हुआ है.

प्रशासन ने इस घटना के पीछे ज़्यादा भीड़ को वजह माना है. साथ ही असली कारणों का पता लगाने के लिए जांच की बात कही है.

घटना के वक्त मौजूद चश्मदीदों ने भी भगदड़ के बारे में अपनी आखोंदेखी बयां की है. चश्मदीदों की मानें तो प्लेटफॉर्म जाने के लिए जिस पैदल पुल का इस्तेमाल किया जाता है वहां यह भगदड़ मची.

जानते हैं प्रशासन ने इस घटना के पीछे क्या वजहें बताई हैं और वहां मौजूद चश्मीदों और बीबीसी संवाददाताओं ने क्या-क्या देखा.

प्रशासन का क्या कहना है


उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु उपाध्याय ने बताया, "जिस समय यह दुखद घटना घटी, उस समय प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर पटना की ओर जाने वाली मगध एक्सप्रेस और प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर जम्मू की तरफ जाने वाली उत्तर संक्रांति एक्सप्रेस खड़ी थी."

"इस दौरान फुट ओवर ब्रिज से 14 नंबर और 15 नंबर प्लेटफॉर्म की तरफ आने वाली सीढ़ियों पर यात्रियों के फिसलकर गिरने से उनके पीछे के कई यात्री इसकी चपेट में आ गए और यह दुखद घटना घटित हुई."

उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु उपाध्याय ने बताया, "इस हादसे की उच्च स्तरीय कमेटी जांच कर रही है."

रेलवे पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने भी घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.

डीसीपी रेलवे केपीएस मल्होत्रा ने कहा, "भगदड़ क्यों मची, वो जांच होने के बाद सामने आएगा. यह काम रेलवे करेगा."

उन्होंने कहा, "भीड़ का अंदाज़ा हम लोगों ने लगाया था. लेकिन, दो ट्रेनों का लेट हो जाना और वहां ज़्यादा लोगों के इकट्ठा हो जाने के कारण ऐसी स्थिति बनी. तथ्य तलाशने का काम रेलवे करेगा."

मल्होत्रा ने बताया, "9 बजे के आसपास जो ट्रेन थी, उस समय भीड़ बढ़ी. जब एक जगह पर ज़्यादा लोग होंगे और ट्रेन का इंतज़ार करेंगे, कोई ग़लत सूचना फ़ैलेगी तो उससे भी भगदड़ मचेगी. अब ये पॉइंट कि क्यों हुआ. वो पॉइंट आएगा जांच होने के बाद, जो रेलवे करेगी."

भगदड़ के कारणों के बारे में बताते हुए डीसीपी मल्होत्रा ने कहा, "ये घटना जिस 10 मिनट में हुई, उसमें ज़्यादा लोगों का आना और दो ट्रेनों का लेट होना हैं. बाकी इस घटना के पीछे क्या तथ्य हैं, वो रेलवे तरफ से जांच की जाएगी."

तीन नंबर प्लेटफॉर्म से 13 नंबर प्लेटफॉर्म पर आने के लिए यात्रियों को जानकारी दी गई, क्या इस वजह से भगदड़ हुई?

इस सवाल के जवाब में डीसीपी मल्होत्रा ने कहा, "नहीं ऐसा कुछ नहीं था. एक स्पेशल ट्रेन रेलवे की तरफ से चलनी थी, उसकी अनाउंसमेंट ज़रूर हुई. लेकिन ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदलने जैसी कोई बात अभी मेरी जानकारी में नहीं है."

शाम छह बजे से ही लोग लाखों की संख्या में जुटना शुरू हो गए थे, लोगों को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की गई?

इस सवाल पर डीसीपी ने कहा, "नहीं, छह बजे से लाखों की संख्या में लोग नहीं थे. नौ बजे के आसपास जो ट्रेन थीं, उस समय भीड़ बढ़ी. छह बजे के आसपास स्थिति नियंत्रण में थी."

वहीं एनडीआरएफ़ के कमांडेंट दौलत राम चौधरी ने बताया, "हमें जानकारी मिली कि यहां पर प्लेटफॉर्म नंबर 14 में भगदड़ मच गई है. हमें पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली थी."

बीबीसी संवाददाताओं को क्या पता चला?


घटना के बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और एलएनजेपी अस्पताल के बाहर मौजूद बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा और अभिनव गोयल ने इस घटना की विस्तार से जानकारी दी है.

अपनी ननद पिंकी को इस घटना में खो चुकीं सीमा ने बीबीसी संवाददाता से कहा, "हम लोग प्रयागराज के लिए जा रहे थे. जब हम लोग प्लेटफॉर्म के लिए सीढ़ी से उतर रहे थे तब पीछे से तेजी से धक्का दे रहे थे. उस धक्का-मुक्की में हम लोग नीचे गिर गए. ऊपर सीढ़ी पर जो लोग थे वो सारे हमारे ऊपर गिर गए."

बिहार में पटना की रहने वाली ललिता देवी अपने भांजे गिरधारी के साथ नई दिल्ली से पानीपत जा रही थीं. रात में क़रीब नौ बजे का समय था.

गिरधारी का कहना है, "हम दोनों पटना से पहले आनंद विहार ट्रेन से आए फिर पानीपत जाने के लिए नई दिल्ली से ट्रेन पकड़ रहे थे, लेकिन प्लेटफ़ॉर्म 14 पर भगदड़ मचने से मामी की मौत हो गई."

गिरधारी ने बताया, "प्लेटफॉर्म में जाने के लिए जैसे ही स्टेशन में आए भारी भीड़ थी. सीढ़ी में धक्का-मुक्की की वजह से हम अलग हो गए."

उन्होंने कहा, "मैं थोड़ी देर बाद उनको देखने गया तो उधर दो, तीन लोगों के बचाओ-बचाओ की आवाज आ रही थी. मैं चादर से मामी को पहचाना, जैसे ही चादर हटाई तो हल्की सांस चल रही थी."

इस घटना में दिल्ली में किराड़ी के रहने वाले उमेश गिरी अपनी 45 वर्षीय पत्नी शीलम देवी को खो चुके हैं.

उमेश गिरी बताते हैं, "हम महाकुंभ जा रहे थे. हम अजमेरी गेट की तरफ से चढ़े थे, 14 नंबर प्लेटफॉर्म से मेरी प्रयागराज एक्सप्रेस ट्रेन थी. मेरी टिकट एसी कोच में थी."

उन्होंने बताया, "ऊपर चढ़ने के बाद भीड़ काफी अनियंत्रित हो गई. बहुत ज़्यादा भीड़ होने की वजह से ये घटना घटी."

उमेश अपनी आंखोदेखी बताते हैं, "मेरे सामने पहले से कई लोगों की बॉडी गिरी हुई थी. उसके बाद वो लोग टकराए हैं, उनके ऊपर से लोग जाने लगे हैं."

उन्होंने बताया, "उस समय लोगों (बॉडी) को सीढ़ी के सामने ही लगा रखा था. उस समय वहां पर न कोई मीडिया थी और न कोई प्रशासन था."

मदद को लेकर उमेश कहते हैं, "मदद तो कुछ नहीं मिली. बाद में बहुत देर हो गई थी. मैंने कई पुलिस वाले, आरपीएफ़ वालों को कहा लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था."

बीबीसी से बात करते हुए एक चश्मदीद मनोरंजन झा ने कहा, "रात को 9.15 पर स्टेशन पर आया था. जब मैं आया तो रेलवे स्टेशन पर बहुत भीड़ थी. मेरी मां मरते-मरते बची. हम बच गए."

"भीड़ बहुत ज्यादा थी. एग्जिट की तरफ से एंट्री हो रही थी और बहुत भीड़ थी. एक ट्रेन के जाने के बाद वहां भगदड़ की स्थिति बन गई. हमारे सामने एक बूढ़ी माता बेहोश हो गईं."

'मैंने चिल्ला-चिल्लाकर लोगों से कहा रुक जाओ लेकिन...'
घटना के वक्त नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के अधिकारी अजीत ने बताया, "मैं यहां एक वीआईपी मूवमेंट के लिए आया हुआ हूं. मूवमेंट पूरा कराने के बाद मैं वापस जा रहा था लेकिन जा नहीं पाया."

उन्होंने कहा, "मुझे इस घटना की आशंका शाम को ही हो गई थी, क्योंकि जब मैं लोक कल्याण मार्ग से नई दिल्ली के लिए आ रहा था तो मुझे नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन से निकलने से एक घंटे लगे, जो कि मात्र दो मिनट का काम है."

वायुसेना के अधिकारी ने बताया, "मैं जब मूवमेंट कराने के बाद वापस जा रहा था तो मुझे रास्ता नहीं मिला. इसके बाद मैंने खुद से प्लेटफॉर्म नंबर 13 और 14 में एक अनाउंसमेंट किया कि भारतीय सेना की तरफ से और प्रशासन की तरफ से बताया जा रहा है कि लोग 3-4 दिन के लिए रुक जाएं."

"मैंने लोगों को बताया कि एक ट्रेन में 5-10 हज़ार आदमी एक टाइम पर नहीं जा सकते हैं. लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे. इसका परिणाम ये हुआ कि भगदड़ हो गई."

घटना के वक्त प्रशासन की मौजूदगी के सवाल पर वायुसेना के अधिकारी ने कहा, "जहां पर 5-10 हज़ार लोग एकसाथ एक ही जगह पर इकट्ठा हो जाएंगे तो प्रशासन वहां पर कितना ही हो सकता है. इतने लोगों को हैंडल करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और उन्होंने किया भी. मैं देख रहा था."

"लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था. मैंने भी चिल्ला-चिल्लाकर कहा कि दो-चार दिन रुक जाइए, मेला 26 फरवरी तक है."

दूसरे चश्मदीदों ने क्या बताया
समाचार एजेंसी एएनआई को एक प्रत्यक्षदर्शी हीरालाल महतो ने बताया, "जब यह घोषणा हुई कि प्लेटफ़ॉर्म नंबर 12 पर आने वाली ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म 16 पर आएगी, तो इसके बाद दोनों तरफ़ से लोग आने लगे. ऐसे में भगदड़ मच गई."

उन्होंने बताया, " पुल के ऊपर ही लोग घायल हो गए थे. कुछ लोगों को अस्पताल ले जाया गया. कोई भीड़ को कंट्रोल करने वाला नहीं था. प्रशासन यहां एक घंटे के बाद पहुंचा. अब तो यहां झाड़ू भी लग गई, सफ़ाई हो गई. मगर, जब भगदड़ मची थी, तब यहां कोई नहीं था."

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी रवि ने बताया, "मैं यहां पर ही था. भगदड़ साढ़े नौ बजे के आसपास मच गई थी. जब प्लेटफ़ॉर्म नंबर 13 पर मौजूद लोगों ने प्लेटफ़ॉर्म नंबर 14 और 15 पर खड़ी ट्रेनों को देखा, तो वो सभी लोग इधर की ओर आ गए. भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि नहीं रुक पाई. प्लेटफ़ॉर्म नहीं चेंज किया गया था."

घटना के वक्त नई दिल्ली स्टेशन पर मौजूद रवि ने बताया, "रात करीब नौ, साढ़े नौ बजे भगदड़ हुई थी. कुछ गाड़ियां भी लेट थीं. उसी समय ज़्यादा भीड़ हुई. 13 नंबर प्लेटफॉर्म पर भी बहुत भीड़ थी."

"लोगों ने जैसे ही गाड़ी देखी, उधर के लोग (दूसरे प्लेटफॉर्म के) यहीं पर आ गए और भगदड़ मच गई. ऊपर भी ज़्यादा लोग खड़े थे. भीड़ बहुत ज़्यादा थी. पुलिस सारी चीजें देख रही थी फिर भी भीड़ नहीं रुक पाई."

एक अन्य चश्मदीद ने बताया, "रात 9 बजे के आसपास यह घटना हुई थी. पुलिस ने बहुत कंट्रोल किया लेकिन पब्लिक लिमिट से ज़्यादा हो गई थी. वो संभाल ही नहीं पा रहे थे."

उन्होंने बताया, "यहां दोनों ओर गाड़ियां खड़ीं थीं. पुल (पैदल पुल) के ऊपर भगदड़ मच गई. जो भी नुकसान हुआ है, वहीं हुआ है. प्लेटफॉर्म तो खाली था. यहां उतनी भीड़ नहीं थी. जितनी भी सवारियां थीं वो गाड़ी में बैठी हुई थीं. जितनी भी भीड़ थी वो पुल के ऊपर थी."

चश्मदीद ने बताया, "मुझे 26 साल यहां पर हो गए. आज तक इतनी भीड़ नहीं देखी. ऐसा तो आज तक छठ पूजा में भी नहीं हुआ जैसा कल रात पब्लिक आई थी."

(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित) (bbc.com/hindi)

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