संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : मजबूत घरेलू लोकतंत्र वाले अमरीका में कैसी है यह तानाशाही?
08-Dec-2024 3:43 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : मजबूत घरेलू लोकतंत्र वाले अमरीका में कैसी है यह तानाशाही?

जाते हुए अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गंभीर मामलों में गुनहगार पाए गए, और सजा सुनने का इंतजार कर रहे अपने बेटे हंटर बाइडन को सारे मामलों में जिस तरह से राष्ट्रपति के विशेषाधिकार से माफी दे दी है, उससे अमरीकी राष्ट्रपति की कुर्सी देश के भीतर भी एक बड़ी नैतिक शर्मिंदगी से घिर गई है। इसके पहले पिछले ही राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अपने दामाद को सभी तरह की माफी दे दी थी, और कुछ अरसा पहले नैतिकता के बड़े दावे करने वाले बाइडन ने भी वही काम किया है। अमरीका देश के बाहर तो दुनिया का सबसे अलोकतांत्रिक देश है, लेकिन राष्ट्रपति के ऐसे विशेषाधिकार और उनके ऐसे बेशर्म इस्तेमाल से अब अमरीकी राष्ट्रपति की कुर्सी देश के भीतर भी बड़ी अलोकतांत्रिक साबित हो रही है। अब एक बड़े अमरीकी अखबार की रिपोर्ट है कि जो बाइडन अपने आखिरी छह हफ्तों में अपने समर्थकों और अपनी सरकार का हिस्सा रहे ऐसे लोगों की लिस्ट बना रहे हैं जिन पर अगले राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प बदले की कार्रवाई कर सकते हैं। इनमें ऐसे लोग भी हैं जिन पर अभी कोई जुर्म के मामले नहीं चल रहे, जिन्हें कोई सजा नहीं हुई है, लेकिन जिन पर आगे कोई मुकदमे चलाए जा सकते हैं, ऐसे लोगों को भी जो बाइडन आशंका के तहत जुर्म के पहले माफी दे सकते हैं। यह बड़ी ही अजीब बात है, और भारतीय संदर्भ में न तो हम शासन प्रमुख के ऐसे अधिकारों की कल्पना कर सकते, न ही जुर्म सामने आने के पहले महज उसकी आशंका या अटकल से उसकी माफी की सोच सकते। अमरीका में जो भी आंतरिक लोकतंत्र हो, उसके भीतर यह तानाशाही से भी बढक़र माफी का विशेषाधिकार अमरीकी राष्ट्रपति के पास है, और पता नहीं उस देश की जनता की स्वतंत्रता की धारणा के साथ यह विशेषाधिकार किस तरह एक ही संविधान के तहत चल सकता है?

खबरें बताती हैं कि 1977 में उस वक्त के अमरीकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने भी मुकदमों के पहले ही एक तबके को सामूहिक माफी दी थी। उन्होंने वियतनाम युद्ध में गए अमरीकी सैनिकों पर लगे आरोपों को लेकर उन भूतपूर्व सैनिकों को अपराध पूर्व सामूहिक आम माफी दी थी। अब अगर जो बाइडन अपनी सरकार और पार्टी के लोगों को आशंका-आधारित आम माफी देते हैं, तो क्या खुद अमरीका के भीतर इसके खिलाफ कोई जागरूकता नहीं बची है? बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के मुकाबले अधिक लोकतांत्रिक मानी जाती है। लेकिन महज आशंका से ऐसी आम माफी तो उसकी लोकतांत्रिक छवि को पूरी तरह खत्म कर देगी। ऐसी भी चर्चा है कि खुद उनकी पार्टी के बहुत से लोग ऐसी कार्रवाई के खिलाफ हैं। यह बड़ी अजीब बात रहेगी कि अब तक जिन लोगों पर कोई तोहमत भी नहीं लगी है, उन्हें ऐसी एडवांस माफी दी जाए कि अगर कभी उन पर कोई मुकदमा चले, और अगर उन्हें सजा हो, तो यह एडवांस माफी उन्हें बचा ले, या शायद इसके चलते उनके खिलाफ कोई मुकदमे भी दर्ज न हो सकें। तो क्या कोई अमरीकी राष्ट्रपति वहां के किसी भी नागरिक को, या दूसरे देश के अमरीका में बसे नागरिक को ऐसी एडवांस-माफी दे सकता है जो उस देश के कानून को इन लोगों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से रोक दे? इस लिस्ट में ऐसे लोगों के नामों की अटकल लगाई जा रही है जिन्होंने डोनल्ड ट्रम्प के कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद उनके खिलाफ, या उनके समर्थकों के खिलाफ कोई जांच की थी, अमरीकी संसद पर हुए हमले की जांच की थी, या कोरोना के उनके फैसलों को लेकर उन पर ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में किसी कार्रवाई की आशंका है। ट्रम्प इस बात को कई बार बोल चुके हैं, और उनके मनोनीत एफबीआई के अगले संभावित डायरेक्टर (भारतवंशी) कश पटेल भी 2020 के चुनावों को लेकर कब्रें खोदने की बात कहते आए हैं। ऐसे में जिन लोगों पर ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में खतरा दिख रहा है, उन्हें बचाने के लिए जो बाइडन इस तरह की एडवांस आम माफी की बात सोच रहे हैं।

हम अमरीकी राजनीति और संवैधानिक व्यवस्थाओं को लेकर आमतौर पर यह मानते हैं कि वहां दुश्मनी निकालने की गुंजाइश कुछ कम है, और सरकार से असहमत रहने पर भी लोग वहां महफूज रह सकते हैं। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि अगर शासन-प्रमुख ट्रम्प सरीखा हो, तो वह ठीक उसी तरह राजनीतिक बदला निकाल सकता है जिस तरह भारत-पाकिस्तान, बांग्लादेश, या इस तरह के कई और देशों में आमतौर पर निकाला जाता है। अमरीकी लोकतंत्र में इस तरह की बदले की कार्रवाई, और इस तरह की एडवांस माफी, दोनों ही वहां के लोकतंत्र की कुछ बुनियादी कमियों और खामियों के सुबूत हैं। इस देश को कुछ बेहतर लोकतांत्रिक परंपराओं से सीखना चाहिए। इस बात की जरूरत आज इसलिए भी लग रही है कि निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अपनी अगली सरकार के लिए जिस तरह के मंत्री और सहयोगी घोषित किए हैं, वे बदले की अपनी भावना के लिए अधिक जाने जा रहे हैं, और उनके बेसब्र उत्साह को लेकर भी अमरीका में तरह-तरह की आशंकाएं हैं। यह भी लगता है कि अमरीका में एक बार किसी के राष्ट्रपति उम्मीदवार मनोनीत हो जाने के बाद से लेकर उसकी जीत जाने, और उसका कार्यकाल खत्म हो जाने तक पार्टी का कोई दखल नहीं रह जाता है। अमरीकी राष्ट्रपति के इस पूरे चुनाव में, और अब ट्रम्प द्वारा लोगों को छांटने के मनमानी फैसलों में पार्टी कहीं नहीं रह गई है। हमें नेता और पार्टी के जटिल संबंधों की अधिक समझ नहीं है, लेकिन अमरीका में ऐसा लगता है कि उम्मीदवार तय होने के बाद से पार्टी घर बैठती है, और उम्मीदवार अपने मिजाज के मुताबिक मनमानी से लेकर तानाशाही तक, जहां तक चाहे पहुंच सकता है। जानकार या जिज्ञासु लोगों को इस बारे में भी सोचना चाहिए, और दुनिया के दूसरे लोकतंत्रों के साथ इसकी तुलना करके देखना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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