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दिल्ली, 5 अक्टूबर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि सिर्फ और सिर्फ आपराधिक मामला लंबित होने से कोई व्यक्ति विदेश में नौकरी तलाशने के अपने अधिकार से अयोग्य नहीं हो जाता।
अदालत ने पासपोर्ट अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर एक व्यक्ति को ‘पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट’ (पीसीसी) जारी करने का निर्देश दिया, जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं और उसे कनाडा में व्यवसाय शुरू करने के लिए कनाडाई अधिकारियों को एक दस्तावेज प्रस्तुत करने की जरूरत है।
उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के अधिकारों एवं हितों को अधिकारियों के दायित्व के साथ संतुलित किये जाने की जरूरत पर जोर देते हुए निर्देश दिया कि व्यक्ति को पीसीसी जारी किया जाए, जिसमें उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का स्पष्ट रूप से उल्लेख हो और साथ ही इस बात का भी जिक्र हो कि उसने आवश्यक राशि जमा कर क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (आरपीएफसी) के आदेश का अनुपालन किया है।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने एक अक्टूबर को अपने आदेश में कहा, “ऐसा करने से कनाडाई अधिकारियों को उसके (याचिकाकर्ता) वीजा आवेदन के मूल्यांकन में पारदर्शिता मिलेगी। आज से दो सप्ताह के भीतर पीसीसी जारी की जानी चाहिए।”
अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, व्यक्ति को पीसीसी देने से इनकार करने का एकमात्र आधार याचिकाकर्ता के खिलाफ लंबित प्राथमिकी है।
आदेश के मुताबिक, “हालांकि, इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि सिर्फ और सिर्फ आपराधिक मामले के लंबित होने से कोई व्यक्ति विदेश में नौकरी तलाशने के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए अयोग्य नहीं हो जाता।” (भाषा)