विचार / लेख
कार्टूनिस्ट विक्रम नायक
-कृष्णकांत
हमने गांधी को अपनी आंखों से कभी नहीं देखा। लेकिन गांधी को पढ़ते हुए मन की आंखों से गांधी को घंटों निहारता रहा हूं। मैं किताबों की आंख से उन दिनों की कल्पना करता हूं। मैं 400 साल से अंग्रेजों के गुलाम भारत को सोचता हूं। मैं टीपू सुल्तान से लेकर बूढ़े बहादुर शाह जफर को लड़ते देखता हूं। मंगल पांडे से लेकर भगत सिंह और अशफाक तक को बलिदान होते देखता हूं। सोचता हूं मैं असंख्य महापुरुषों के खून का कर्जदार हूं।
मैंने आजादी के लिए देश को संघर्ष करते अपनी आंखों से नहीं देखा। लेकिन यह देख पाता हूं कि एक दिन एक घर की दो स्त्रियों को एक धोती बांटते देख एक बैरिस्टर ने ताउम्र नंगे रहने का फैसला किया था और उसे निभाया, क्योंकि उसका देश नंगा था। उसने उपवास को अपना हथियार बनाया क्योंकि उसका देश भूखा था। उसने आत्मबल को ताकत बनाया क्योंकि उसके देश में ईश्वर था, आस्था थी, धन, हथियार और एका नहीं था।
उसने अपने देश की जनता को आजादी, स्वराज और आंदोलन का मतलब समझाया, क्योंकि देश अपनी गुलामी में ही लंबी नींद सोया हुआ था। उसने एक हॉल में होने वाले वार्षिक सम्मेलन में देश की जनता को उतार दिया। वह सम्मेलन जन आंदोलन बन गया। भूखी, नंगी और निहत्थी जनता सडक़ पर निकल गई।
उसने दुनिया के उस सबसे ताकतवर शासक को घुटने पर ला दिया जिसने उसे ‘भूखा नंगा फकीर’ कहकर उपहास किया था।
हर आदमी का जीवन पाखंड से भरा है। उस आदमी में भी कमियां कमजोरियां रही होंगी। लेकिन मैं उस अकेले महात्मा को जानता हूं जिसने अपनी कमजोरियां कलमबद्ध कीं।
इस बात के लिए कौन पश्चाताप करता है कि जब मेरे पिता का देहांत हुआ, तब मैं अपनी पत्नी के पास था? देश की जनता से कौन यह बांटना चाहता है कि कल जो मैं सोचता था आज वह प्रासंगिक नहीं रह गया है।
हम यह कह सकते हैं कि आजादी का नायक वह अकेला नहीं है। तमाम नायक हैं। उन्हीं नायकों में से एक बाबू सुभाषचन्द्र बोस ने, तमाम घोर विरोध के बावजूद, उस ‘भूखे नंगे फकीर’ को राष्ट्रपिता कहा था और उसके कुशल नेतृत्व को प्रणाम किया था। हमें गांधी के लिए नहीं, तो सुभाष के लिए उन्हें उस रूप में स्वीकार करना चाहिए, जिस रूप में उन्हें सुभाष ने स्वीकार किया था। हमें उन बलिदानों और उन सपनों का सम्मान करना चाहिए। हमें अपनी महान विरासत पर गर्व करना चाहिए।
कोई सिरफिरा जब गांधी को उल्टा पुल्टा कुछ कहता है तो हमें लगता है कि किसी ने मेरे वालिद को बुरा कहा है। हम जवाब में तल्खी अख्तियार करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। गांधी के बचाव में कभी-कभी तल्ख होने के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
मैंने महसूस किया है कि आज दुनिया मे झूठ का अंतरराष्ट्रीय साम्राज्य कायम हो चुका है। इस झूठ के निशाने पर हमारे गांधी बापू, उनके विनम्र विरोधी भगत सिंह, उनके शिष्य नेहरू और पटेल समेत आज़ादी आंदोलन की पूरी विरासत इस झूठ के निशाने पर है।
मैंने तय किया है कि अपनी सीमाओं में ही सही, मैं महात्मा गांधी समेत इस देश की महान विरासत के खिलाफ किसी भी दुष्प्रचार का विनम्र प्रतिकार करूंगा। क्या आप मेरा साथ देंगे?


