विचार / लेख

-संतोष कुमार सिंह
प्रिय संपादकजी, आपके समाचारपत्र में इस अभियान के बारे में पूर्व में कई समाचार प्रकाशित करने हेतु कृतज्ञता ज्ञापित करने ही वाला था कि अभियान के बारे में संपादकीय लेख पढऩे का अवसर मिला। इस अभियान को ‘निजी व गैरजरूरी’ कहकर उन लाखों-लाख रायगढिय़ां लोगों को अपमान करने जैसा है जो इस महाअभियान में शामिल हुए और लाभान्वित हुए। इसलिए लेख पर अपनी राय रखना उचित लगा।
आदरणीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर शासन के उच्चाधिकारी व समस्त विभाग कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए कई मोर्चों पर प्रभावी लड़ाई लड़ रहे हैं। पुलिस विभाग के लिए कोरोना का संक्रमण एक बड़ी चुनौती लेकर आया है कि लोगों की सुरक्षा हेतु हर संभव प्रयास करें, जो पुलिस का सर्वोच्च दायित्व है। सीमित संसाधन व संख्याबल में पहले से ही अत्याधिक कार्य से जूझ रहे पुलिस के लिए अपने नियमित कार्यों के अतिरिक्त कोविड संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करवाना एक बड़ी चुनौती है। कंप्लीट लॉकडाउन के दौरान शासन के निर्देशानुसार कठोरतम सख्ती हुई। चौक-चौराहों पर अनावश्यक घूमने वालों व गैर-जिम्मेदारों पर कार्यवाही हुई, बड़ी संख्या में एफआईआर भी दर्ज किए गए। इन कार्यवाहियों की समान्यतया शिकायत के बजाय लोगों ने इसे सबके हित में होने पर और सख्ती बरतने की मांग लगातार की जाती रही। छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में महामारी के दौरान पुलिस के किए गए कार्यों की लोगों द्वारा सराहना मिली हैं।
कोरोना योद्धा के रूप में पुलिस जवानों को सडक़, चौराहों और गलियों में चौबीसों घण्टों के लिए तैनात किया गया। जवानों द्वारा मजदूरों के क्वॉरेंटाइन सेंटर की सुरक्षा, कंटेनमेंट जोन, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, अन्तराज्यीय व अंतरजिला नाकों, घरों में क्वॉरंटीन लोगों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। कंप्लीट लॉकडाउन के समय जिला प्रशासन व समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से जरूरतमंद और लॉकडाउन में फंसे गरीब लोगों को राशन व बना हुआ खाना उपलब्ध कराया गया। इससे मुफ्तखोरी नहीं बढ़ीं, बल्कि जरूरतमंदों के लिए पेट्रोलिंग और थाना स्तर पर हर ग्राम पंचायत तक बीट कांस्टेबल द्वारा प्रभावी तरह से बांटा गया। प्रतिदिन आकस्मिक सेवाएं देने वाली पुलिस का पहली बार ऐसा व्यापक संवेदनशील व मानवीय चेहरा लोगों को देखने में सामने आया। इस तरह की सामुदायिक पुलिसिंग से पुलिस की जन मानस में स्थापित छवि में सकारात्मक बदलाव आया हैं। मुख्यमंत्रीजी के निर्देश पर प्रवासी मजदूरों के वापसी के समय राज्य से गुजरने वाले दूसरे राज्यों के मजदूरों की सडक़ पर सुरक्षा के साथ कर्मवीर सहायता केंद्रों द्वारा नाश्ते व भोजन की व्यवस्था की गई। जब सभी लोगों को घरों के अंदर अपनी रक्षा के लिए घरों में रहना पड़ रहा था, उस समय सुरक्षाकर्मी सुरक्षा हेतु सडक़ों पर दिन रात एक किए थे । आम लोगों द्वारा पुलिस को खाने-पीने के लिए पूछना उनको आह्लादित करने वाला था। स्वास्थ्य कर्मियों व विभिन्न सेवा प्रदाता सरकारी विभागों के साथ व्यापारियों व गैरसरकारी संस्थाओं ने अभूतपूर्व भूमिकाएं निभाई। महामारी के इस समय में मीडिया कर्मियों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही जिन्होंने रिपोर्टिंग के अलावा जागरूकता के लिए लोगों के बीच काम किया।
राज्य के अन्य जिलों की तरह पुलिस महानिदेशक व आईजी बिलासपुर के मार्गदर्शन में रायगढ़ पुलिस द्वारा लोगों को कोविड संबंधित जागरूकता लाने के लिए कई अभिनव प्रयोग किए गए। वायरस के वेशभूषा, फिल्मी सीन को रीक्रिएट कर मैसेज होर्डिंग, पम्पलेट्स के रूप में लगाना, कोरोनायोद्धाओं को सम्मानित करना और घरों में कैद लोगों व बच्चों के लिए जागरूकता संबंधी प्रतियोगिताएं रखना आदि के साथ शारीरिक दूरी व मास्क का पालन करवाना प्रमुख लक्ष्य रहा। इन सब अभियानों में लोगों की प्रशंसा व सहयोग मिला।
अनलॉकडाउन के इस दौर में जब सभी तरह के आर्थिक गतिविधियों को अनलॉक किया गया है, बाजार व सार्वजनिक जगहें खुल रहे हैं, लोगों के बीच संक्रमण का खतरा घटने की बजाय बढ़ा हैं। लगातार पुलिस नियंत्रण कक्ष में कोविड निर्देशों के उल्लंघन की शिकायतें मिलती रहती हैं, जिस पर पुलिस सतत कार्रवाई करती है।
रायगढ़ पुलिस के आह्वान पर रायगढ़वासियों के सहयोग से प्राप्त मॉस्क को रक्षाबंधन के दिन ‘एक रक्षासूत्र मास्क का’ जागरूकता के महाअभियान के रूप में चलाया गया और लोंगों को मास्क पहनने का संदेश दिया गया। पुलिस द्वारा रक्षाबंधन के दिन कोरोना समय में बहनों को प्रेरित किया गया कि वो रक्षासूत्र रूपी राखी के साथ, रक्षासूत्र के रूप में मॉस्क भाइयों को दें और भाई उपहारस्वरूप मॉस्क गिफ्ट दें। सभी लोग व संस्थान अपने दोस्तों, परिजनों और परिचितों, कर्मचारियों को मॉस्क दें। इसके साथ ही पुलिस द्वारा इस अभियान के में पूरे जिले में मास्क वितरण का अभियान चलाया गया। पहले इस अभियान में 7-8 लाख मॉस्क बाँटने थे। लेकिन अंतिम दिन तक जिले के 362 विभिन्न संस्थानों/संगठनों के सहयोग से 12.37 लाख मॉस्क प्राप्त हुए, जिसे 985 पुलिसकर्मियों, जिला प्रशासन व 7,500 पुलिस मित्रों के विशेष सहयोग से पूरे रायगढ़ जिले में बांटा गया। विभिन्न संस्थाओं/लोगों ने अपने संस्थानों/ अपने-अपने घरों में अनुमानित 2.5 लाख मॉस्क बांटे। जिले में रिकार्ड लगभग 14.87 लाख मास्क का वितरण हुआ।
संपादकीय लेख में पुलिस की नीयत पर प्रश्न उठाया गया। अनुरोध है कि पुलिस की नीयत पर शक न करें। इसमें कोई शक नहीं कि पुलिस का काम मास्क बांटना नहीं है। ये भी सही है कि जरूरतमंदों के अलावा बड़े-बड़े लोगों में भी मास्क बंटा है। लेकिन इससे जरूरतमंदों के बीच बांटे गए मास्क की महत्ता कम नहीं होती। पुलिस ने इसको मास्क बाँटने के अभियान के रूप में नहीं सोचा था। एक हफ्ते पूर्व सोचे गए, यह एक जागरूकता अभियान के रूप में चलाया जाना था, उसमें सिर्फ एक लाख लोगों को पुलिसकर्मियों द्वारा स्वैच्छिक चंदे से मास्क देने की योजना थी। प्रचारित होने पर लोगों में इस सदभाविक अभियान में सहभागिता देने की होड़ लग गई। लेख में दिलचस्प रूप से संख्या के बारे में विश्लेषण हैं। आज रायगढ़ की आबादी 18-19 लाख के करीब हैं । पुलिस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 1 व्यक्ति को एक से अधिक मास्क दिए गए और जरूरतमंदों को अधिकाधिक मास्क वितरित हुए। वैसे 5-6 लाख लोगों में 12 लाख क्या, 50 लाख भी मास्क बांट सकते हैं। यद्यपि ये रिकॉर्ड बनने के उद्देश्य से नहीं किया गया, लेकिन इस तरह का रिकॉर्ड गूगल करने पर नहीं मिलेगा। देश मे रिकॉर्ड रजिस्टर करने वाली संस्था का कोई मानकीकरण नहीं हैं। एक आरएनआई रजिस्टर्ड संस्था गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड ने फिलहाल इसे एक अनूठे केटेगरी में विश्व-रिकॉर्ड के रूप में रजिस्टर किया हैं। हम स्वयं चाहते हैं कि ये रिकॉर्ड जल्द से जल्द टूट जाए। रायगढ़ और पूरे प्रदेश का गौरव बढ़ा हैं। इसकी चर्चा व प्रकाशन देश के अधिकांश बड़े चैनल्स व अखबारों में हुई, जो इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। पोस्ट-इवेंट के रूप में यह अन्य प्रसिद्ध रिकॉर्ड एजेंसियों के पास प्रक्रियाधीन हैं।
प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेब पोर्टल्स के सहयोग के साथ ही युवा वर्ग द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर पर इससे जुडऩे का अभियान चलाया गया। जिले भर में होर्डिंग्स लगाए गए और पम्पलेट्स बांटें गए। इसे लेकर जिले से लेकर चर्चा रही । जिलेवासियों का अपार समर्थन व सहयोग से दिन प्रतिदिन मासिक वितरण का लक्ष्य बढ़ता गया। कार्ययोजना अनुसार 02 अगस्त रविवार दोपहर सभी मास्क संग्रहण केंद्र से मास्क जिले के सभी थाना/चौकी क्षेत्र के प्रत्येक गांव के दूरस्थ अंचल तक वितरण हेतु पहुंचाया गया। अब वितरण के तरीके के बारे में, हमने रक्षाबंधन के अवसर का लाभ लिया, जब ज्यादा लोग अपने घरों से निकले थे। सामाजिक दूरी जो प्रमुख चुनौती थी, उसका ध्यान रखते हुए थाना स्तर पर पुलिस के प्रत्येक बीट आरक्षक द्वारा मॉनिटरिंग कर गांवों में रोज निकलने वाले लोगों यथा- सरपंच, सचिव, कोटवार, मितानिन से व शहर में पार्षद और कुछ स्वयंसेवी संस्थावों के सहयोग से बंटवाया गया। इस अभियान में जिले के विभिन्न राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों, उद्योगपतियों, छोटे-बड़े गई-सरकारी संस्थानों, सभी धर्म, समाज के लोगों, मीडिया समूह व जिला प्रशासन का अभूतपूर्व समर्थन मिला।
अभी, रायगढ़ में हमने नया अभियान भी शुरू कर दिया हैं कि जो मॉस्क न लगाएं हो उनकी फोटो खींचकर गुप्त रूप से पर्याप्त जानकारी पुलिस को दें, जुर्माने की कार्रवाई होगी। पिछले सात दिनों उल्लंघन पाए जाने पर बड़ी संख्या मे लोगों और दुकानों पर कार्रवाई की गई है।
पुलिस की नीयत, मास्क के प्रकार व संख्या व रिकॉर्ड के बारे में चिंतित होने के बजाय अभियान के मुख्य उद्देश्य की बात की जानी चाहिए थी। अभियान अपने जागरूकता के उद्देश्य में सफल रहा हैं। लोगों से अपील हैं कि जब तक इसका वैक्सीन न आ जाएं, कोविड से लडऩे के कारगर हथियार-शारीरिक दूरी और मॉस्क-सैनिटाईजर का प्रयोग करे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
(संतोष कुमार सिंह, भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी, रायगढ़ पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थ हैं)