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कैसी है भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप 'विक्रम'
03-Sep-2025 1:21 PM
कैसी है भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप 'विक्रम'

वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर बाजार 600 अरब डॉलर का हो चुका है और भारत इस बाजार में एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल करना चाहता है. पीएम मोदी का कहना है कि भारत में बनी छोटी चिपें, दुनिया में बड़ा बदलाव लेकर आएंगी.

  डॉयचे वैले पर आदर्श शर्मा का लिखा-
भारत ने अपनी पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप बनाने में सफलता हासिल कर ली है. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार, 2 सितंबर को यह चिप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी. इस चिप को विक्रम नाम दिया गया है और इसे भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की सेमीकंडक्टर लैब ने तैयार किया है. यह एक पूरी तरह से भारत में बना 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है, जिसे रॉकेटों में इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है.

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, विक्रम चिप को इस हिसाब से बनाया गया है कि वह अत्यधिक तापमान और अंतरिक्ष की विषम परिस्थितियों का सामना कर सके. यह चिप पर्याप्त मात्रा में मेमोरी को संभाल सकती है और रॉकेटों की लॉन्चिंग के लिए जरूरी जटिल निर्देशों का पालन कर सकती है. इन खूबियों की वजह से इस चिप को रक्षा, विमानन, ऑटोमोटिव और ऊर्जा जैसे जरूरी क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 
नई दिल्ली में सेमीकॉन इंडिया कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में भारत की यात्रा भले ही देरी से शुरू हुई हो, लेकिन अब अब भारत को कोई नहीं रोक सकता. उन्होंने यह भी कहा कि वह दिन दूर नहीं है, जब भारत में बनी छोटी से छोटी चिपें, दुनिया में सबसे बड़े बदलाव लेकर आएंगी. उन्होंने चिप इनोवेशन के क्षेत्र में भारत को भविष्य का "वैश्विक केंद्र” भी बताया.

भारत में कब बननी शुरू होंगी सेमीकंडक्टर चिप

सेमीकॉन कॉन्फ्रेंस में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर बाजार 600 अरब डॉलर का हो चुका है और आने वाले सालों में इसके एक हजार अरब डॉलर से अधिक का होने की उम्मीद है. उन्होंने भरोसा जताया कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत के आगे बढ़ने की गति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत इस एक हजार अरब डॉलर के बाजार में अहम हिस्सेदारी हासिल करेगा.

उन्होंने बताया कि साल 2021 में सेमीकॉन भारत कार्यक्रम शुरू किया गया था. 2023 में भारत के पहले सेमीकंडक्टर प्लांट को स्वीकृति दी गई. 2024 में कई और प्लांटों को स्वीकृति मिली और 2025 में पांच अन्य परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई. उन्होंने आगे बताया कि फिलहाल दस सेमीकंडक्टर परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें 18 अरब डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है.
पीएम मोदी ने बताया कि सीजी पावर कंपनी के पायलट प्लांट में 28 अगस्त, 2025 को काम शुरू हो चुका है और एक अन्य पायलट प्लांट में काम जल्द ही शुरू होने वाला है. इसके अलावा, टाटा और माइक्रोन के टेस्ट चिपों का पहले से ही उत्पादन हो रहा है. उन्होंने इस क्षेत्र में भारत की प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि इस साल के अंत तक भारत में चिपों का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाएगा.

इतनी जरूरी क्यों हैं ये छोटी सी चिप

सेमीकंडक्टर चिपें आधुनिक तकनीक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये आकार में बहुत  छोटी होने वाली चिपें, स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, संचार और रक्षा से लेकर अंतरिक्ष क्षेत्र तक की जरूरी प्रणालियों को शक्ति प्रदान करती हैं. जैसे-जैसे दुनिया और ज्यादा डिजिटल और ऑटोमेटिक होने की दिशा में आगे बढ़ रही है, आर्थिक सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता के लिए सेमीकंडक्टर चिपें बेहद जरूरी हो गई हैं.

पीएम मोदी ने इन चिपों को डिजिटल युग का हीरा बताया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह पहले तेल को काला सोना कहा जाता था, उसी तरह अब चिप डिजिटल हीरा हैं. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की ताकत इन छोटी-छोटी चिपों में समाई हुई है, आकार में छोटी होने के बावजूद इन चिपों में वैश्विक प्रगति की गति बढ़ाने की क्षमता है.

भारत सरकार ने क्या किए प्रयास

सेमीकंडक्टर चिपों का उत्पादन शुरू करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) शुरू किया था. इसके लिए सरकार ने 76 हजार करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की थी. डिजाइन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत, स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स की मदद करने के लिए 23 चिप डिजाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि नोएडा और बेंगलुरु में विकसित किए जा रहे डिजाइन सेंटरों में दुनिया की कुछ सबसे आधुनिक चिपों पर काम हो रहा है और इन चिपों में अरबों ट्रांजिस्टर समा सकते हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत सक्रिय रूप से काम कर रहा है.


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