विचार / लेख

कुत्ते अच्छे लगते हैं दूर से
19-Aug-2025 8:23 PM
कुत्ते अच्छे लगते हैं दूर से

-शालिनी श्रीनेत

कहते हैं कुत्ते वफादार होते हैं। पर इधर जिस तरह की खबरें आ रही हैं, लोग अपने और अपनों के अनुभव शेयर कर रहे हैं, क्या किसी कारण इनकी वफादारी कम हुई है?

कोई कितना भी कहे कि काटता नहीं है या काटती नहीं, पर मैं सावधान ही रही।

मेरी जेठानी के घर में दो कुत्ते थे। उन्होंने कभी अपने को उसकी मम्मी और भइया को पापा नहीं कहलवाया, न मुझे चाची।

बस एक काम करती थीं- उन दोनों से अंग्रेजी में बोलती थीं, बाकी परिवार से हिंदी में।

मैं दोनों के लिए खाना बनाती थी, पूरे दिन ध्यान रखती थी क्योंकि जेठ-जेठानी ऑफिस चले जाते थे, पर डरती थी कहीं काट न लें। हालांकि बहुत प्यार करते थे। सुबह-सुबह मुझे जगाते थे, अपने अगले पैरों से बाल में खुजली करने लगते थे। मैं जल्दी से उठकर वहां से चली जाती थी। जरा सोचिए, जब टहलाने जाइए तो ये ऐसी-ऐसी चीजों पर मुंह मारते हैं कि घिन लगती है। और हम मनुष्य उन्हें भर दिन पुच्ची करते रहते हैं, अपने पेट पर सुला लेते हैं। कुछ समय न दिखें तो चिंता हो जाती है।

इतना समय हम अपने बच्चे को देंगे तो कुछ एक्स्ट्रा एक्टिविटी करा लेंगे।

बड़े-बुजुर्ग को देंगे तो उनकी बेहतर सेवा हो जाएगी और वो खुश रहेंगे, दुआएं देंगे।

मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती हैं, उनकी शादीशुदा बेटी अपने कुत्ते को लेकर आती है। किसी-किसी बात पर कहती हैं कि जाओ, नानी से मांग लो या उनके पास चले जाओ।

भाभी एक मीटिंग में बताईं कि उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं कुत्ते की नानी कहलाना।

सच बताऊं तो मुझे भी किसी कुत्ते की आंटी, मौसी, नानी, बुआ या मम्मी नहीं बनना।

Dog lover की एक बहुत मजेदार बात होती है, कहते हैं काटेगा नहीं, बस दोस्ती कर रहा है। हे भगवान! पूरा शरीर चाटने लगते हैं। ये दोस्ती करना है तो नहीं करनी दोस्ती। मानव दोस्त बहुत हैं।

जब हम छोटे थे, तब कुत्ता किसी चीज में मुंह लगा दे या चाट ले तो वो चीज फेंक दी जाती थी। अब कुत्ता लोगों को चाटता है भाई।

कुत्ता प्रेम देखिए, अपने मांस नहीं खाते, पर उसके लिए तरह-तरह का मांस आता है, बनाया जाता है और खिलाया जाता है।

और मजेदार बात-कुत्ता भर दिन घर के सदस्यों को चाटता रहता है और बिना नहाए शाम को मंदिर में दिया जला दिया जाता है, भगवान का भोग लगा दिया जाता है।

गजब तो ये कि मामा के बेटी की शादी में नहीं जाएंगे, कुत्ते को कौन देखेगा?

मतलब, रिश्तों से बड़ा कुत्ते का रिश्ता है भाई।

पहले, अपने बड़े भइया के समय में, गोरखपुर में कई अफसरों के घर में कुत्ते थे, पर जाने पर जब हम गेट पर पहुंचते, तभी कुत्ता बांध दिया जाता था। किसी चाचा, चाची और मौसी-दीदी से परिचय नहीं कराया जाता था।

ये तो हुई पालतू कुत्तों की बात।

अरे हां, बताना तो भूल ही गई, किसी पालतू कुत्ते को ‘कुत्ता’ कह दीजिए तो उनके मालिक (मम्मी-पापा) नाराज हो जाते हैं।

सडक़ के कुत्तों के लिए कुछ लोग (NGO) काम कर रहे हैं। उन्हें चाहिए कि इनके खाने के साथ वैक्सीनेशन करवाएं और कपड़े की व्यवस्था करवाएं। और इतना इमोशनल न हों कि हर कोई कुत्ते से प्रेम क्यों नहीं कर रहा है, नहीं कर सकता, उनके दुश्वारियों पर क्यों नहीं सोचता, नहीं सोच सकता।

भाई, कितने मानव हैं जो सडक़ों पर रात गुजारते हैं, बिना खाए सो जाते हैं, फटे-चिटे कपड़े पहने रहते हैं, इनके लिए तो हो ही नहीं पाता, तो कुत्तों को तो ईश्वर ने ऐसा बनाया है कि वो सडक़ पर घूमकर खाने की व्यवस्था कर लेते हैं, अपने रहने की व्यवस्था भी कर ही लेते हैं। हां, अब जब मनुष्य बहुत सभ्य हो गया है तो थोड़ी उनकी दुश्वारियां बढ़ी हैं। शहरी कुत्तों का जीवन ज़्यादा संघर्ष भरा है।

सरकार और NGO को मिलकर इनके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए कि क्या-क्या हो सकता है कि ये भी हमारे समाज में रह सकें। थोड़ी-बहुत गलतियां करें, तब भी किसी को कोई मुश्किल न आए। जैसे, वैक्सीनेशन हर कुत्ते का हो जाए, कि काटने पर रेबीज फैलने और मरने का डर न सताए।

वैसे, जानवर को बांधकर रखना ठीक नहीं। ईश्वर ने उन्हें स्वतंत्र जीवन दिया है। उनकी अपनी गृहस्थी नहीं होती और किसी एक के साथ कमिटमेंट भी नहीं होता। न ही जिससे उनके बच्चे पैदा होते हैं, उनके प्रति ही कोई जिम्मेदारी होती है। बच्चों की जिम्मेदारी सिर्फ फीमेल डॉग उठाती है, वो भी बड़े हो जाने पर छोड़ देती है कि जाओ, आज़ाद विचरो।

कुत्ते अच्छे लगते हैं दूर से।

कुत्तों के साथ ‘दूरी में ही दोस्ती’ वाली नीति अपनाना ही सबसे सुरक्षित तरीका लगता है।


अन्य पोस्ट