विचार / लेख
ब्लेस मेत्रेवेली ऐसे दौर में ब्रिटेन की ख़ुफ़िया एजेंसी की कमान संभाल रही हैं, जब दुनियाभर में सुरक्षा से जुड़ी कई चुनौतियां उभर रही हैं.
-क्रिस मेसन, फ्रैंक गार्डनर और रिच प्रेस्टॉन
ब्लेस मेत्रेवेली साल 1999 में ब्रिटेन की सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस (एमआई-6) से जुड़ी थीं। अब वह इस एजेंसी की 18वीं प्रमुख बनने जा रही हैं।
वह इस साल रिचर्ड मूर की जगह लेंगी, जो मौजूदा चीफ हैं।
फिलहाल मेत्रेवेली के पास टेक्नोलॉजी और इनोवेशन विभाग की जिम्मेदारी है।
उन्हें जब एमआई-6 के नेतृत्व का प्रस्ताव मिला, तो उन्होंने इसे सम्मान की बात बताया।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने इस नियुक्ति को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि आज के दौर में ब्रिटेन की खुफिया सेवाओं की भूमिका पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।
एमआई-6 का काम है विदेशों से ख़ुफिय़ा जानकारी जुटाकर ब्रिटेन की सुरक्षा को मज़बूत करना। इसका मुख्य मकसद आतंकवादी गतिविधियों को रोकना, दुश्मन देशों की संदिग्ध हरकतों पर निगरानी रखना और साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
मेत्रेवेली ने क्या कहा
एमआई-6 के प्रमुख को आमतौर पर ‘सी’ कहा जाता है। यह इस खुफिया संस्था से जुड़ा एकमात्र पद है, जिसे सार्वजनिक रूप से लोग जानते हैं।
47 साल की मेत्रेवेली फिलहाल डायरेक्टर के पद पर हैं, जिसे ‘क्यू (क्त)’ कहा जाता है। वह टेक्नोलॉजी और इनोवेशन डिविजन की प्रमुख हैं। उनके ऊपर खुफिया सेवा के एजेंटों की जानकारी को गोपनीय रखने की जिम्मेदारी है। साथ ही, उनके पास ऐसे नए तरीके विकसित करने का काम भी है, जिनसे ब्रिटेन को दुश्मनों से बचाया जा सके।
मेत्रेवेली ने कहा, ‘एमआई-6, एमआई-5 और जीसीएचक्यू के साथ मिलकर एक अहम भूमिका निभाता है, जिससे ब्रिटेन के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और दूसरे देशों में ब्रिटेन के उद्देश्य पूरे किए जा सकें। मैं एमआई-6 के बहादुर अधिकारियों और अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ काम करने के लिए तैयार हूं।’
मेत्रेवेली ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से एंथ्रोपोलॉजी की पढ़ाई की है। वह पहले एमआई-6 की सहयोगी और घरेलू सुरक्षा एजेंसी एमआई-5 में निदेशक स्तर पर काम कर चुकी हैं। उन्होंने अपना अधिकतर करियर मध्य पूर्व और यूरोप में कार्य करते हुए बिताया है।
ब्रिटिश विदेश नीति में योगदान के लिए उन्हें साल 2024 में किंग द्वारा ‘कंपेनियन ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ सेंट माइकल एंड सेंट जॉर्ज’ से सम्मानित किया गया।
दिसंबर 2021 में, अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन की सुरक्षा पर वास्तव में कई तरह के खतरे मंडरा रहे हैं।
उस वक्त वह एमआई-5 में ‘डायरेक्टर एम’ के छद्म नाम से जानी जाती थीं।
उन्होंने कहा था, ‘जिन ख़तरों की ओर हम इशारा कर रहे हैं, वे मुख्य रूप से सरकार, खुफिया सूचनाओं और हमारे लोगों की सुरक्षा से जुड़े हैं। हमारा काम है संभावित हमलों से मुकाबला करना, देश की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखना, और संवेदनशील तकनीक व ज़रूरी जानकारियों की रक्षा करना।’
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा, ‘रूस समर्थित गतिविधियां हमारे लिए लगातार खतरा बनी हुई हैं। साथ ही, दुनिया को बदलने वाला चीन, ब्रिटेन के लिए बड़े अवसर और चुनौती दोनों लेकर आ रहा है।’
‘सी’ का काम क्या है?
एमआई-6 के प्रमुख को ‘सी’ के नाम से जाना जाता है, जिसे औपचारिक रूप से खुफिया इंटेलिजेंस सर्विस का मुखिया कहा जाता है। यह पद विदेश मंत्री को रिपोर्ट करता है।
‘सी’ ज्वाइंट इंटेलिजेंस कमेटी का भी सदस्य होता है, जिसमें अन्य विभागों के प्रमुख और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं। यह कमेटी इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स का विश्लेषण करती है और स्थिति के अनुसार ब्रिटिश प्रधानमंत्री को सुझाव देती है।
यह एक ग़लत धारणा है कि ‘सी’ का इस्तेमाल ‘चीफ’ के लिए किया जाता है। जबकि ऐसा नहीं है। ब्रिटेन की पहली जासूसी एजेंसी को सीक्रेट सर्विस ब्यूरो कहा जाता था, जिसकी स्थापना 1900 के दशक में हुई थी। इसका नेतृत्व रॉयल नेवी अधिकारी कैप्टन मैन्सफ़ील्ड कमिंग ने किया था। कमिंग अपने पत्रों पर हमेशा ‘ष्ट’ अक्षर से दस्तख़त करते थे, जो बाद में एक कोड नेम बन गया।
कैप्टन कमिंग हरे रंग की स्याही से लिखा करते थे। इसी परंपरा के तहत आज भी एमआई-6 का प्रमुख व्हाइटहॉल में एकमात्र ऐसा व्यक्ति होता है जो हरे रंग की स्याही से लिखता है।
क्या ‘सी’ अपने एजेंटों को ‘हत्या का लाइसेंस’ देता है? ऐसा नहीं है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में विदेश मंत्री यह छूट दे सकते हैं। इंटेलिजेंस सर्विस एक्ट 1994 के सेक्शन 7 के अनुसार, एमआई-6 के किसी एजेंट को ऐसे कार्य की अनुमति दी जा सकती है, जो सामान्य परिस्थितियों में ग़ैरक़ानूनी माने जाते हैं। इनमें जानलेवा बल प्रयोग भी शामिल हो सकता है। लेकिन इसके लिए एक लंबी, कठिन और सख़्त कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है।
मेत्रेवेली जब एमआई-6 की जि़म्मेदारी संभालेंगी, तो उनके सामने कई ऐतिहासिक चुनौतियाँ होंगी।
ये चुनौतियाँ मुख्य रूप से रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया से आ सकती हैं। ये चारों देश लंबे समय से ब्रिटेन और पश्चिमी देशों के हितों को कमज़ोर करने की कोशिश करते रहे हैं।
क्या हैं चुनौतियाँ?
ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई-6 का मूल काम ऐसे एजेंटों की भर्ती करना है जो दुश्मन देशों और अल-कायदा जैसे संगठनों से खुफिया जानकारी जुटा सकें।
लेकिन मौजूदा समय में जब सूचनाएं तेजी से डिजिटल माध्यमों और स्पेस टेक्नोलॉजी के जरिए एकत्रित की जा रही हैं, एमआई-6 के सामने खुद को तेज, सक्षम और प्रासंगिक बनाए रखने की चुनौती लगातार बढ़ रही है।
पिछले सितंबर में, एमआई-6 के निवर्तमान प्रमुख रिचर्ड मूर और तत्कालीन सीआईए प्रमुख विलियम बर्न्स ने चेतावनी दी थी कि, ‘दुनिया आज उस स्तर के ख़तरों से जूझ रही है, जैसा कोल्ड वॉर के बाद नहीं देखा गया।’
दोनों अधिकारियों ने फाइनेंशियल टाइम्स में लिखा था कि यूक्रेन युद्ध के अलावा वे पूरे यूरोप में रूसी खुफिया एजेंसियों के आक्रामक अभियानों का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
मूर और बर्न्स ने यह भी कहा था कि वे चीन के उदय को इस सदी की सबसे बड़ी खुफिय़ा और भू-राजनीतिक चुनौती के रूप में देख रहे हैं।
उनके अनुसार, उन्होंने मध्य पूर्व में तनाव कम करने के लिए ‘कड़ी मेहनत’ की है।
पांच साल तक एमआई-6 के प्रमुख रहे रिचर्ड मूर अब पद छोड़ रहे हैं।
रविवार को उन्होंने कहा कि वह अपनी सहयोगी ब्लेस मेत्रेवेली की ऐतिहासिक नियुक्ति से बेहद खुश हैं।
रिचर्ड मूर ने कहा, ‘ब्लेस एक बेहद कुशल खुफिया अधिकारी और प्रभावी नेतृत्वकर्ता हैं। वह तकनीक पर हमारे अग्रणी विचारकों में शामिल हैं। मैं एमआई-6 की पहली महिला प्रमुख के रूप में उनका स्वागत करते हुए उत्साहित हूं।’
एमआई-6 प्रमुख के तौर पर ब्लेस मेत्रेवेली ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी को रिपोर्ट करेंगी।
लैमी ने उन्हें इस पद के लिए ‘उपयुक्त उम्मीदवार’ बताया और भरोसा जताया कि वह ब्रिटेन को वैश्विक स्थिरता और बढ़ते सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने में सक्षम बनाएंगी। (bbc.com/hindi)