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रूस-यूक्रेन युद्ध:शांति समझौता होने की कितनी उम्मीद?
23-Nov-2024 3:56 PM
रूस-यूक्रेन युद्ध:शांति समझौता होने की कितनी उम्मीद?

-ओक्साना तोरोप

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वादा किया था कि यूक्रेन में जारी जंग वो ‘एक दिन में’ खत्म कर देंगे।

चूंकि यूक्रेन को एटीएसीएमएस टैक्टिकल मिसाइलों और एंटी-पर्सनल माइन्स के इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद सीमावर्ती के बिगड़े हालात को और बढ़ा दिया है, तुरंत शांति समझौते के लिए क्या संभावनाएं हैं?

अपने चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने ये नहीं बताया कि वो इस युद्ध को कैसे खत्म करेंगे। कई विश्लेषकों का ये मानना है कि इस संघर्ष को खत्म करने के लिए अभी भी योजना बनाई जा रही है।

कीएव को उम्मीद है कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के शुरुआत होते ही यूक्रेन और रूस से समझौते की बात करेंगे।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने 'राजनयिक तरीकों से' 2025 में युद्ध खत्म करने का इरादा जताया है।

लेकिन यह वक्त का क्या मतलब है, ऐसी बातचीत से क्या नतीजों की संभावना है और 1,000 किलोमीटर की सीमा रेखा पर क्या हो रहा है, जिससे कोई संभावित समझौते को प्रभावित कर रहा है?

आगे बढ़तीं रूसी सेनाएं

सीमा रेखा के साथ-साथ लड़ाई के मैदान में हालात रूस के पक्ष में झुकती रही है।

रूसी सेनाएँ पूर्वी डोनबास क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, साथ ही उत्तर-पूर्व में खार्किव क्षेत्र के कुप्यंस्क शहर और दक्षिण-पूर्व में एक बड़े क्षेत्रीय केंद्र ज़ापोरिजि़्जय़ा शहर की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।

अक्टूबर में रूस ने यूक्रेनी क्षेत्र के अतिरिक्त 500 वर्ग किलोमीटर पर कब्ज़ा कर लिया था, मार्च 2022 के बाद से ये सबसे ज़्यादा बढ़त थी।

राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के मुताबिक़, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यूक्रेनी क्षेत्र का 27 फ़ीसदी हिस्सा अब रूस के कब्ज़े में है। इसमें क्रीमिया और 2014 में कब्जा किए गए देश के पूर्वी का हिस्सा शामिल है।

मॉस्को कथित तौर पर उत्तर कोरिया के सैनिकों को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जवाबी हमले की तैयारी कर रहा है।

अगस्त में यूक्रेन ने सीमा पार से अचानक हमला करके इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था और तब से इसको शांति समझौते के लिए अपने पास रखा है।

कई विश्लेषकों और सैन्य प्रतिनिधियों ने बीबीसी से कहा कि क्रेमलिन युद्धविराम वार्ता के लिए समय पर अधिक यूक्रेनी ज़मीन पर कब्ज़ा करने की जल्दी में है, क्या उन्हें जनवरी 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के शुरुआत के तुरंत बाद शुरू करना चाहिए ।

वो मानते हैं कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों की सीमाओं तक जल्द से जल्द पहुंचना चाहते हैं, या साथ ही ज़ापोरिजि़्जय़ा जैसी और भी क्षेत्रीय राजधानी पर कब्ज़ा करना चाहते हैं।

क्या एटीएसीएमएस और बारूदी

सुरंग हालात को बदल देंगे?

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के यूक्रेन को युद्ध में लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करने की अनुमति युद्ध में एक नया मोड़ ला दिया है।

यूक्रेन को एटीएसीएमएस सिस्टम युद्ध के शुरुआत में दिए गए था और उसने इसका इस्तेमाल क्रीमिया और यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों पर हमला करने के लिए कर रहा है।

दोनों ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यूक्रेनी क्षेत्र हैं, जो फि़लहाल रूस के कब्ज़े में है।

इस हफ़्ते के शुरुआत में राष्ट्रपति बाइडेन ने कीव को रूसी सीमाओं के अंदर हमला करने के लिए अमेरिकी मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति दी, जिसे मॉस्को ने वृद्धि और ‘आग में तेल फेंकना’ बताया।

विश्लेषकों का मानना है कि एटीएसीएमएस मिसाइल अपने 300 कीमी अधिकतम रेंज के साथ यूक्रेन को राहत देगा लेकिन बड़े पैमाने पर इस स्थिति को यूकेन की ओर नहीं झुका सकता है।

उनके मुताबिक़ यूक्रेन को टेक्टिकल मिसाइल का इस्तेमाल के अनुमति के बाद रूस सभी संभावित स्थिति के लिए तैयारी कर रहा है और ज़्यादा संभावना है कि अपनी कुछ सुविधाओं को सीमा से कहीं दूर फिर से स्थापित करने का समय है।

माना जाता है कि पहली बार यूक्रेन की ओर से एटीएसीएमएस मिसाइल से जब हमला किया गया। तब वो रूस के 100 कीमी अंदर हुआ, जिसमें एक हथियार भंडारण सुविधा को निशाना बनाया गया था।

अमेरिका ने ये भी घोषणा की कि वो यूक्रेन को बारूदी सुरंग की सप्लाई करने का फैसला लिया है। लेकिन साथ ही अमेरिका ने इसके लिए शर्त रखी है कि इसका इस्तेमाल वो यूक्रेनी इलाके में ही करेंगे और नागरिक आबादी वाली जगहों से दूर किया जाएगा।

इस पूरे युद्ध में रूस खुद के बनाए बारूदी सुरंग का इस्तेमाल करते आया है। लेकिन ये यूक्रेन को अमेरिका से मिले माइन्स से अलग है जो सिर्फ कुछ ही हफ्तों के लिए कारगार बनाया गया है, जबकि रूसी बारूदी सुरंग में एक खतरा है जब तक की इसको डिफ्यूज ना किया जाए। पिछले ढाई सालों में बारूदी सुरंग दुर्घटनाओं में करीब 300 यूक्रेनी नागरिकों के मारे जाने की खबर है।

रेड क्रॉस सहित कई अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी संगठन बारूदी सुरंग के खिलाफ़ अभियान चलाते आए हैं।

उनका कहना है कि बारूदी सुरंग अपने पीछे ‘मौत, चोट और पीड़ा की एक लंबे समय तक चलने वाली विरासत छोड़ जाते हैं।’

अब तक यूक्रेन को बारूदी सुरंग देने से अमेरिका झिझकते आया था, लेकिन टैंकों को ध्वस्त करने वाले बारूदी सुरंगों की आपूर्ति करते आया है।

एटीएसीएमएस की तरह, इन हथियारों से यूक्रेनी सैनिकों को आक्रामक होने के बजाय अपनी रक्षा बनाए रखने में मदद मिलने की संभावना है।

लोगों की बदली राय

जबकि सीमा पर युक्रेन के लिए अभी भी चुनौतीपूर्ण जैसे ही हालात हैं, इससे समाज में भी बदलाव आया है। करीब तीन सालों तक उन्हें रोज बम विस्फोट, बिजली कटौती और रातों की नींद हराम होने के कारण यूक्रेन के लोग इस युद्ध से पूरी तरह थक गए हैं और अब उन्हें सर्दियों की चिंता है।

कई सर्वे दिखाते हैं कि रूस से शांति समझौते का विचार लोगों में हावी होने लगा है, चाहे उनको लंबे समय तक अपनी जमीन खोनी पड़े और अनिश्चितता का सामना करना पड़े।

अक्टूबर में थिंक टैंक राजुमकोभ सेंटर ने एक ओपिनियन पोल जारी किया, जो दिखाता है कि तीन में से एक यूक्रेनी बातचीत के पक्ष में है, जो पिछले एक साल पहले पांच में से एक थे।

अक्टूबर में एक और सर्वे के मुताबिक यूक्रेनियों को पक्का विश्वास नहीं है कि उनका देश इस युद्ध के अंत में जीत जाएगा जो हमेशा वो हुआ करते थे, हालांकि अधिकांश लोगों का अभी भी मानना है कि यूक्रेन रूस को इस युद्ध में हरा देगा।

‘ट्रंप प्लान’ का इंतजार

अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कई पर्यवेक्षक उनके शांति योजना का विवरण सुनने का इंतजार कर रहे हैं।

चुनाव में जीत के बाद दिए गए उनके पहले बयानों से कुछ भी साफ़ नहीं था, जैसे- ‘हम रूस और यूक्रेन के साथ बहुत कड़ी मेहनत करेंगे। इसे रोकना होगा। रूस और यूक्रेन को रुकना होगा।’

अमेरिकी मीडिया ने मुताबिक़ डोनाल्ड ट्रंप ने कथित तौर पर व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बात चीत की, रूसी राष्ट्रपति को चेतावनी दी कि वह युद्ध को नहीं बढ़ाए, लेकिन क्रेमलिन ने इस बात का खंडन किया।

यूक्रेनी विशेषज्ञों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप की योजनी अभी तक पूरी तरह से नहीं तैयार हुई है लेकिन उनकी टीम इसके लिए पहले से ही योजना लेकर आई होगी।

यूक्रेनी विदेश नीति थिंक टैंक ‘न्यू यूरोप’ की निदेशक एलोना हेतमानचुक का मानना है कि इनमें से कई मौजूदा विचार, किसी न किसी तरह से, संघर्ष को ठंडा करने की संभावना है।

हेतमानचुक बताते हैं, ‘युद्ध में सीमा रेखा को स्थिर करना। नाटो में सदस्यता के प्रश्न को रोकना। वित्तीय सहायता को रोकना, कम से कम। बस सब कुछ रोक देना।’

वह इस दृष्टिकोण को बिडेन प्रशासन से बहुत अलग नहीं मानती हैं। अंतर यह है कि डेमोक्रेट्स ने सोचा कि वार्ता की शुरुआत अमेरिका को नहीं बल्कि यूक्रेन को करनी चाहिए, हालांकि उन्होंने यूक्रेन को लंबे समय तक वित्तीय सहायता का भी वादा किया।

लेकिन डेमोक्रेट के विपरीत, ट्रंप ने वार्ता का नेतृत्व करने के लिए एक विशेष यूक्रेन दूत नियुक्त करने का इरादा जाहिर किया है, जिसे कीव एक आशाजनक सकारात्मक के रूप में देखता है। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप के पास अमेरिका के दिग्गज राजनयिक कर्ट वोल्कर जैसे प्रतिनिधि थे।

एलोना हेटमनचुक कहती हैं, ‘हमें एक प्रभावशाली ‘मिस्टर यूक्रेन’ की ज़रूरत है जिसकी ट्रंप के कानों तक लगातार पहुंच हो।’

चूंकि यूक्रेन और रूस चल रहे युद्ध के संबंध में नए अमेरिकी प्रशासन के पहले कदम का इंतजार कर रहे हैं, एक बात निश्चित है कि कोई भी संभावित शांति वार्ता जटिल और लंबी होने की संभावना है।

इस संघर्ष के समाधान में दोनों देशों और उनके नेताओं, राष्ट्रपति जेलेंस्की और पुतिन का बहुत बड़ा हित है और उनका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वे किसी भी वार्ता से कितनी अच्छी तरह बाहर निकलते हैं। (bbc.com/hindi)


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