सरगुजा

एक्स-बैंड रेडिएशन पर पीएचडी से खुली विज्ञान और चिकित्सा शोध की नई दिशाएं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 21 जून। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी विद्यालय, केशवपुर में जीवविज्ञान के व्याख्याता अंचल कुमार सिन्हा ने वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में अपनी बहुआयामी और प्रयोगधर्मी शोध यात्रा के माध्यम से एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।
उन्होंने संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, जिसका विषय था -हरे पौधों में एक्स-बैंड रेडिएशन का प्रभाव। यह शोध न केवल विज्ञान की गहराइयों में गया, बल्कि चिकित्सा और पर्यावरणीय अध्ययन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण संभावनाओं के द्वार खोले हैं।
श्री सिन्हा का शोध कार्य पूर्णत: अंतरविषयी था,जिसमें उन्होंने चार विशिष्ट औषधीय पौधों-जट्रोफा, व्याघ्र अरण्य, अधोतिका वासा एवं अरण्य-पर एक्स-बैंड रेडिएशन के मॉर्फोलॉजिकल, एनॉटोमिकल, मेडिसिनल एवं केमिकल प्रभावों का गहन परीक्षण किया। यह शोध अंबिकापुर स्थित राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में किया गया, जबकि शोध के भौतिकी पक्षों के अध्ययन के लिए महाविद्यालय के भौतिकी विभाग से भी तकनीकी सहयोग लिया गया।
इस शोधकार्य को श्री सिन्हा ने डॉ. रिज़वान उल्लाह (प्राचार्य, स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट महाविद्यालय, अंबिकापुर) के निर्देशन एवं डॉ. एस. के. श्रीवास्तव (पूर्व प्रमुख, भौतिकी विभाग एवं वर्तमान प्राचार्य, नवीन शासकीय महाविद्यालय, लखनपुर) के सह-निर्देशन में पूर्ण किया। शोध प्रक्रिया के दौरान आने वाली अनेक वैज्ञानिक चुनौतियों के बावजूद, डॉ. राजेश श्रीवास्तव (प्राचार्य, साईबाबा आदर्श महाविद्यालय, अंबिकापुर) के निरंतर मार्गदर्शन और प्रेरणा से श्री सिन्हा ने शोध में निरंतर उत्कृष्टता बनाए रखी।
उनके इस महत्वपूर्ण शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक योगदान को कई प्रतिष्ठित मंचों से सराहा गया है। उन्हें अब तक ‘शिक्षा श्री सम्मान’, रा’यपाल सम्मान 202&, तथा कलिंगा विश्वविद्यालय रा’य स्तरीय शिक्षक सम्मान 2024 जैसे सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इसके साथ ही वे विभिन्न सामाजिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े हैं और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी निरंतर योगदान दे रहे हैं।
अंचल सिन्हा की यह उपलब्धि न केवल अंबिकापुर क्षेत्र, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देशभर के युवा शोधार्थियों एवं विज्ञान प्रेमियों के लिए एक प्रेरणास्रोत है। उनका शोध आने वाले समय में औषधीय विज्ञान, कृषि जैव प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय संरक्षण के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान कर सकता है।