सरगुजा

भाजपा नेता ने आईजी को ज्ञापन सौंपा, मांगी सुरक्षा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 9 जून। क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थवश सामाजिक सौहार्द, एकता को चोट पहुंचाने के षड्यंत्र की जांच एवं कल्पनातीत मिथ्या दुष्प्रचार कर जन आक्रोश भडक़ाने के साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भाजपा नेता कैलाश मिश्रा ने सरगुजा रेंज के आईजी को ज्ञापन सौंपा है। श्री मिश्रा ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा व्यवस्था की भी मांग की है।
आईजी को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि कुछ लोग बिना तथ्य, बिना प्रमाण के थाना-गांधीनगर अम्बिकापुर में 25 मई को, पुलिस अधीक्षक जिला सूरजपुर में 3 जून को एवं थाना सनावल जिला बलरामपुर में आवेदन देकर आवेदक कैलाश मिश्रा के विरुद्ध एफआईआर कराना चाहते हैं, परन्तु उन्होंने आवेदन के साथ कोई भी साक्ष्य या प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है। यह सिर्फ साजिश है। इस राजनीतिक कवायद का कानून व्यवस्था से कोई लेना-देना ही नहीं है। इसमें केवल वर्चस्ववादी, सर्वसत्तावाद की स्थापना की अलोकतांत्रिक मानसिकता है।
आगे बताया कि गलत सूचना फैलाना और बेबुनियाद आरोप लगाना कानून के शासन का अपमान है। आदिवासी हित कोई वस्तुपरक संकल्पना नहीं है, यह एक वस्तुनिष्ठ संकल्पना है। सरगुजा के सर्वांगीण विकास के लिए आदिवासी हितों को सही परिप्रेक्ष्य में समझकर उसे कुत्सित राजनीति की काली छाया से बचाना भी आवश्यक है।
बताया- मैं आदिवासी भाईयों को मुख्य धारा में लाने एवं उनकी समाज में आत्मनिर्भर और महत्वपूर्ण भूमिका के लिए ठोस पहल कर विश्वास करता हूँ,न कि उनके इस्तेमाल की सांकेतिक, राजनीति और हथकंडों पर। सरगुजा जिले में उपेक्षित और कमजोर लोगों के बुनियादी मुद्दो शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए यथासंभव सक्रियता से काम करता हूँ। आदिवासी अस्मिता, आस्था, परम्परा व भावनाओं को बखूबी समझता हूँ।
विभाजनकारी एजेंट के तहत जिन राजनीतिज्ञों की विश्वसनीयता शून्य हो गई है, उन्हें भ्रम फैलाने राजनीति का सहारा लेना पड़ रहा है। भोले-भाले आदिवासी भाईयों को जो लोग जन आक्रोश का हथियार बनाकर इस्तेमाल करना और उनके राजनीतिक, सामाजिक शोषण का प्रयास करते हैं उनके प्रयास को विफल करने की जरुरत है।
श्री मिश्रा ने कहा कि राजनीति के नाम पर भ्रांति फैलाकर राजनीतिक सफलता पाने के इस षड्यंत्र का पर्दाफाश जरुरी है। सरगुजा में भ्रष्टाचार के विरोध में मैं सदैव मुखर रहा हूँ। भ्रष्टाचार किसी व्यक्ति के हितों को पोषक हो सकता है। बहुत हुआ तो उसके परिवार के हितों को साधता है, लेकिन समाज के हितों को नहीं। भ्रष्टाचार के खिलाफ अनवतर संघर्ष के कारण छलकपटपूर्वक लगाये जा रहे अनर्गल बेबुनियाद आरोप से व्यक्ति क्षुब्ध और आहत होता है।
भावुकतापूर्ण उतावलापन और नफरत फैलाने के षड्यंत्र के साथ इस्तेमाल थानों में दिया गया आवेदन कटुता बढ़ाने के उद्देश्य से समस्या खड़ी करने के लिए दी जा रही है। सामान्य विधिक शिष्टाचार भुलकर ऐसे आरोपों का दुष्प्रचार करती है।