सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 14 अप्रैल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केन्द्र चोपड़ा पारा अम्बिकापुर में प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी के 101वर्ष की उम्र में देवलोक गमन पश्चात् सरगुजा के स्वैच्छिक संगठनों, प्रशासनिक अधिकारियों, विभिन्न सामाजिक एवं आध्यात्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केन्द्र अम्बिकापुर की मुख्य संचालिका विद्या दीदी ने राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि नारी शक्ति के सबसे बड़े संगठन ब्रम्हाकुमारीज की मुखिया राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी स्थापना से लेकर आज तक ब्रम्हाकुमारीज नारी शक्ति को वटवृक्ष बनने तक साक्षी रही हैं। राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने मात्र 13 वर्ष की आयु में ब्रम्हाकुमारीज से जुडक़र जीवन पर्यन्त तक समाज कल्याण हेतु अपने को समर्पित कर दिया। उनका जन्म 25 मार्च 1925को सिंध हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने 50 हजार ब्रम्हाकुमारीज पाठशालाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया। 5500 ब्रम्हकुमारीज सेवा केन्द्र उनके मार्गदर्शन में संचालित हुए। अपने सेवा काल के दौरान सन् 1956 से सन् 1969 तक मुम्बई में अपनी सेवाएं दीं। सन् 1954 में जापान में आयोजित विश्व शांति सम्मेलन में प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज संस्थान का प्रतिनिधित्व उनके द्वारा किया गया। विश्व शांति एवं युवाओं में आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने के उद्देश्य से 2006 में उनके द्वारा किए गए युवा पद यात्रा को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया गया। दादी रतनमोहिनी जी में एक कुशल प्रशासिका के साथ साथ अद्भुत प्रशिक्षिका का दायित्व अपने सेवा काल के दौरान निभाया।
दादी रतनमोहिनी जी के सानिध्य में किए गए आध्यात्मिक यात्रा , ध्यान, मुरली को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद किया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरगुजा अमोलक सिंह ढिल्लो ने राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मानव समाज में महापुरुषों का अवतरण मानव समाज को नई दिशा देने के लिए होता है।उसी दिशा में परम आदरणीय राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी जी का सकारात्मक सामाजिकता, धार्मिकता आध्यात्मिकता के प्रचार-प्रसार एवं क्रियान्वयन में अमूल्य योगदान रहा।
वरिष्ठ समाजसेवी नवा बिहान संयोजक निदेशक चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी मंगल पाण्डेय ने राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी के व्यक्तित्व, कृतित्व,आदर्श एवं जीवन शैली को आत्मसात करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
समाजसेवी समन्वयक नवा बिहान मुख्यकार्यकारी छत्तीसगढ़ प्रचार एवं विकास संस्थान अनिल मिश्रा ने दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ऐसी महान विभूतियों का देवलोकगमन नहीं होता, बल्कि ईश्वर उन्हें नई जिम्मेदारियों की भूमिका के निर्वहन के लिए भौतिक रूप से हमसे अलग कर दिया है। दादी का साथ सदैव हम सभी के साथ रहेगा।
वरिष्ठ समाजसेवी अजय तिवारी आर्ट ऑफ लिविंग ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शिव बाबा के द्वारा संवारी सजाई गई लक्ष्मी जी जो आगे चलकर रतनमोहिनी के रूप में इस विशाल ब्रम्हाकुमारीज परिवार को विश्व कल्याण हेतु प्रशिक्षित एवं प्रेरित किया।
वरिष्ठ समाज सेविका वंदना दत्ता ने कहा कि विश्व कल्याण हेतु मातृ शक्ति को संगठित कर प्रशिक्षित एवं प्रेरित किया। ऐसी महान विभूति दादी रतनमोहिनी जी के अधूरे कार्यों को पूरा करना ही उनके प्रति हम सभी की सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित होगी।
पूर्व पार्षद भाजपा नेता रमेश जायसवाल , पूर्व पार्षद भाजपा नेता वरिष्ठ करता राम गुप्ता जी, युवा समाजसेवी अंचल ओझा सरगुजा साइंस ग्रुप एवं एजुकेशनल सोसायटी, युवा समाजसेवी विजय उपाध्याय अध्यक्ष ओम फाउंडेशन, वरिष्ठ समाजसेवी अधिवक्ता विजय शंकर तिवारी मुख्य ट्रस्टी राजेन्द्र नाथ तिवारी फाउंडेशन, युवा समाजसेविका सुनिधि शुक्ला अध्यक्ष शियती सोशल वेलफेयर सोसायटी, बी के भ्राता बी एस कटलारिया, बी के भ्राता सुरेन्द्र दुबे, विभिन्न सामाजिक संगठनों, आध्यात्मिक संगठनों, राजनैतिक संगठनों, प्रशासनिक अधिकारियों कर्मचारियों, मीडिया एवं ब्रम्हकुमारीज सेवा केन्द्र से जुड़े साधकों ने राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजलि दी।