सूरजपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 14 सितंबर। सूरजपुर जिला में एसईसीएल कोयला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज़ होते ही प्रतापपुर इलाके में हलचल मच गई है। किसान अपनी पुश्तैनी ज़मीन के बदले मिलने वाले मुआवज़े को लेकर चिंतित हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग पर गंभीर आरोप लग रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि अधिसूचना की जानकारी पहले से लीक हुई और उसी का फायदा उठाकर कुछ अधिकारी कर्मचारियों व उनके नज़दीकी लोगों ने अधिग्रहण से पहले ही ज़मीनें खरीद डालीं। अब वही ज़मीनें मुआवज़े की सूची में शामिल होकर मोटी रकम दिलाने वाली है।
प्रभावित ग्राम और धारा-9 का असर
परियोजना में दूरती, मरहटा, सेंधोपारा, जरही, बंशीपुर, बोझा, मयापुर-2, जगन्नाथपुर, मदन नगर और कनक नगर जैसे कई गाँवों की ज़मीनें ली जानी हैं। इनमें से कुछ ग्रामों में धारा-9 पहले ही लागू हो चुकी है, जिससे अधिग्रहण प्रक्रिया कानूनी रूप से और मज़बूत हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, इन इलाकों में कई रकबों का प्रारंभिक मुआवज़ा निर्धारण हो चुका है और कुछ जमीनों में मुआवज़ा राशि भी बन गई है। अधिसूचना से ठीक पहले खरीदी गई ज़मीनों को सूची में शामिल किया जाना सवाल खड़े कर रहा है।
कानून क्या कहता है-
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और कोल बेयरिंग एरियाज़ अधिनियम 1957 साफ कहते हैं कि अधिसूचना के बाद भूमि का कोई भी लेन-देन शून्य माना जाएगा। यदि अधिसूचना से पहले गोपनीय जानकारी लीक कर ज़मीन खरीदी गई है, तो यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम और आईपीसी की धारा 420 व 409 के तहत गंभीर अपराध है।
जांच की मांग
सूत्रों का कहना है कि यदि उच्च स्तरीय जाँच हो तो विभागीय कर्मचारियों और बाहरी लोगों की मिलीभगत साफ तौर पर उजागर हो सकती है। इस संबंध में एसडीएम ललिता भगत से पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल बंद मिला।


