सूरजपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उदयपुर, 3 सितंबर। ग्राम फतेहपुर, हरिहरपुर और घाटबर्रा में हाथियों का उत्पात लगातार बढ़ता जा रहा है। हाथियों का दल आए दिन गांवों और खेतों में प्रवेश कर फसलें नष्ट कर रहा है। वन विभाग की टीमें दिन-रात निगरानी कर रही हैं, लेकिन ग्रामीणों में भय और नाराजगी दोनों गहराते जा रहे हैं।
2 सितंबर को हाथियों का एक दल नेशनल हाईवे 130 पर साल्ही से तारा के बीच सडक़ पार कर रहा था। करीब 30 मिनट तक यातायात पूरी तरह बाधित रहा। इस दौरान वाहन चालकों और यात्रियों को हाथियों के गुजरने का इंतजार करना पड़ा।
हाथियों ने अब तक आधा दर्जन से अधिक किसानों की धान और मक्का की फसल चौपट कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि दिन-रात खेतों की रखवाली करने के बावजूद हाथियों से बचाव आसान नहीं है।
रात में हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने विशेष ड्यूटी लगाई है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन अलग-अलग टीमें बनाकर हाथियों की लोकेशन पर निगरानी रखी जा रही है।
हाथी-मानव द्वंद्व से मौतें भी
उदयपुर क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में हाथी-मानव द्वंद्व गहराता गया है। अब तक आधा दर्जन से अधिक लोग हाथियों के हमले का शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके हैं। वन अमला लगातार जनहानि रोकने की कोशिश करता है, लेकिन ग्रामीणों की लापरवाही और सलाह की अनदेखी कई बार हादसों को जन्म देती है।
परसा कोल खदान पर ग्रामीणों का आक्रोश
विदित हो कि वर्तमान में हाथियों का आवागमन जिन स्थानों पर अधिक है, वह क्षेत्र परसा कोल खदान के हिस्से में आता है।
साल्ही, हरिहरपुर और फतेहपुर के ग्रामीण वर्ष 2018 से खदान का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव के आधार पर खदान संचालन किया जा रहा है। उनका कहना है कि खदान से न केवल पर्यावरणीय संकट गहराया है, बल्कि हाथियों का रिहायशी इलाकों की ओर रुख भी बढ़ा है।