सूरजपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 31 मई। माहवारी स्वच्छता दिवस पर सरगुजा साइंस ग्रुप एजुकेशन सोसायटी अम्बिकापुर के संस्थापक और प्रोजेक्ट ईज्जत के संयोजक अंचल ओझा के मार्गदर्शन में प्रतापपुर विकासखंड के विभिन्न क्षेत्रों में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान माहवारी संगोष्ठी, रेड डॉट चैलेंज सहित कई तरह की गतिविधियां हुईं जिसमें स्कूली छात्राओं सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण युवती एवं महिलाओं ने भी बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।
प्रतापपुर में टीम प्रोजेक्ट ईज्जत, सरगुजा साइंस ग्रुप के समन्वयक सुजीत कुमार मौर्य ने बताया कि यूनिसेफ छत्तीसगढ़, एलायंस फ़ॉर बिहेवियर चेंज छत्तीसगढ़, स्वच्छ भारत मिशन एवं छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों के साथ मिलकर प्रदेश भर में 28 मई को विविध आयोजन किए गए। इसी क्रम में प्रतापपुर विकासखंड के ग्राम भैसामुण्डा और ग्राम हरिहरपुर में माहवारी स्वच्छता जागरूकता का आयोजन किया गया।
अचीवमेंट कान्वेंट स्कूल भैसामुण्डा में आयोजित जागरूकता संगोष्ठी में शामिल महिलाओं को संबोधित करते हुए टीम की सीमा डे ने अपने विचार रखते हुए कहा कि लाख प्रयासों के बावजूद भी घर और समाज मे शिक्षा और पोषण के स्तर पर महिलाओं की स्थिति किसी से छुपी नही है। महिलाएं कुपोषित और कम साक्षर हैं। उन्हें स्वस्थ और सुपोषित करने की जिम्मेदारी सामूहिक है। जब महिला स्वस्थ रहेगी, खुश रहेगी तो परिवार को भी अच्छे से रख पाएगी।
विद्यालय के संचालक रामानंद डे ने कहा कि माहवारी को लेकर जो शर्म, लज्जा या कुरुतियाँ समाज मे जुड़ी हुई हैं उसके प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही यह आयोजन किया गया है।
ग्रुप की मुन्नी पाण्डेय ने कहा कि माहवारी के दौरान पैड का उपयोग करना बेहतर होगा लेकिन यदि आप कपड़े का भी उपयोग करती हैं तो उसकी समुचित सफाई आवश्यक है। उन्होंने इस दौरान ध्यान रखने वाली बातें बतायीं।
टीम की आभा किरण के बताया कि एक माँ और पिता के नाते हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों के बीच भी इस बात को खुलकर करें। शिल्पी रानी ने कहा कि युवतियों और महिलाओं को इस मुद्दे पर अपनी बात और समस्या समाधान साझा करने की जरूरत है।
ग्राम हरिहरपुर में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करके हुए टीम की राजकुमारी सोनपाकर ने उपस्थित महिलाओं से उनकी समस्या को पूछकर उसका समाधान किया और इस मुद्दे पर खुद महिलाओं को आगे आने का आह्वान किया।
जागृति मिंज ने बताया कि छत्तीसगढ़ की छिहत्तर प्रतिशत महिलाएं स्वच्छता के अभाव में किसी न किसी बीमारी से पीडि़त हैं। उन्होने महिलाओं से अपने आसपास भी खुलकर बात करने और जागरूक करने की अपील की ताकि माहवारी को लेकर जो शर्म, संकोच और भ्रांतियां फैली हैं वो दूर हों।
इस वर्ष की थीम- पीरियड फे्रंडली वल्र्ड
टीम के ब्लॉक समन्वयक सुजीत कुमार मौर्य ने माहवारी को लेकर संस्था के द्वारा किए जा रहे कार्यो की जानकारी दी और बताया कि इस वर्ष माहवारी स्वच्छता की थीम थी पीरियड फ्रेंडली वल्र्ड। महिलाओं के समूह को संबोधित करते हुए माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं और उनसे बचने के उपाय को विस्तार से बताया ।उन्होंने कहा कि वर्तमान समय मे भी महिलाएं माहवारी को गंदा समझती हैं इस कारण इस समय उपयोग में लाए जा रहे तरीकों में सफाई का ध्यान नही रखती। आपको इन सबसे बचना चाहिए, जैसे किसी गंदे कपड़े के उपयोग से। साबुन व गर्म पानी से कपड़े धोने का प्रयास करें। सेनेटरी नेपकिन महिलाओं को माहवारी से निपटना आसान बनाता है। मौर्य ने माहवारी के दौरान स्वच्छता, खानपान , व्यायाम आदि पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बतायी और कहा कि नेपकिन की उपयोग करने के बाद उसका उचित निपटान करें जैसे जमीन में गाडऩा, जलाना और उसके लिए बने बॉक्स में डालना।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित महिलाओं और युवतियों ने भी स्वीकार किया कि इस मुद्दे पर सामाजिक जागरूकता की कमी है।
खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी कपड़े का इस्तेमाल करना और स्वच्छता का अभाव है। सबने टीम के प्रयास की सब ने सराहना की। और आगे से बताई गई बातों को अमल में लाने का संकल्प भी लिया।
इस अवसर पर सभी महिलाओं को नि:शुल्क सेनेटरी पैड और जागरूकता पोस्टर भी वितरित किए गए।
टीम के अंचल ओझा ने प्रतापपुर टीम के आयोजन की सराहना करते हुए अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी सतत जागरूकता आयोजन करने की बात कही।


