राजपथ - जनपथ
पुत्रमोह में पार्टी पीछे
भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने 10 जनवरी तक मोर्चा-प्रकोष्ठों की कार्यकारिणी की घोषणा करने की हिदायत दी थी, लेकिन अभी तक भाजयुमो, महिला मोर्चा और किसान मोर्चा की कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पाई है। भाजयुमो की कार्यकारिणी तो बड़े नेताओं की वजह से अटकी पड़ी है। कई बड़े नेताओं ने अपने बेटों को कार्यकारिणी में जगह दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है।
सुनते हैं कि प्रदेश के एक बड़े पदाधिकारी ने तो अपने बेटे को कार्यकारिणी में जगह दिलाने के लिए पूर्व सीएम के जरिए दबाव बनाया है। वे बेटे के लिए कोषाध्यक्ष का पद चाह रहे हैं। कुछ नेताओं के बेटे तो वाकई लायक हैं, और वे सक्रिय भी हैं। मगर उन्हें कार्यकारिणी में जगह मिल पाएगी अथवा नहीं, यह तय नहीं है। चर्चा है कि पार्टी के रणनीतिकारों ने हाईकमान से मार्गदर्शन मांगा है। यही वजह है कि कार्यकारिणी की घोषणा में विलंब हो रहा है।
सीखकर आयें और लोगों को भी समझायें
इन दिनों प्रदेश कांग्रेस के अनेक नेता सेवाग्राम, वर्धा पहुंचे हुए हैं। वे वहां कुछ दिन रहकर गांधीजी के धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण को समझेंगे। जयंती और पुण्यतिथि पर गांधी जब याद किये जाते हैं तो लगता है कि बस एक रस्म निभाई जा रही है। पर अनुशासित सेवाग्राम में तीन-चार दिन संयम के साथ बिताना भी अपने-आपमें एक तपस्या होगी।
जब कोई नेता विपक्ष में हो तो थोड़ी सादगी के साथ रहना पड़ता है, संघर्ष के दिन होते हैं आंदोलन वगैरह करना पड़ता है। मान सकते हैं कि गांधीजी की प्रेरणा से ऐसा किया जा रहा है। पर, जब सत्ता हाथ में हो तब गांधीजी को आचरण में उतारने की कोशिश तो बेहद कठिन है। कांग्रेस नेता यदि ऐसा कर रहे हैं तो उनकी तारीफ होनी चाहिये। बस इतना करें कि जितना हो सकें खुद गांधी को समझें और लौटकर आयें तो यहां रायपुर, बिलासपुर में जो कांग्रेस पार्षद, ब्लॉक नेता आये दिन मारपीट, धमकी देने की हरकत कर रहे हैं, उनको रोकने की कोशिश करें।
कोरोना टीका पहले, पोलियो का देखेंगे
केन्द्र सरकार का सारा जोर इस समय कोरोना वैक्सीनेशन पर है। राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के पालन में हर राज्य साथ दे रहा है। पश्चिम बंगाल सरकार ने वृहद पैमाने पर एक साथ वैक्सीनेशन पर जोर देने को लेकर आपत्ति जताई थी पर प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में साफ कर दिया कि वह अभियान उनके यहां भी दूसरे राज्यों की तरह चलेगा। छत्तीसगढ़ में भी स्वास्थ्य मंत्री एक साथ बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के पक्ष में नहीं है। ये सभी मानते हैं कि तीसरे चरण के परीक्षण के नतीजे आने तक रुका जाये ताकि साइड इफेक्ट को लेकर निश्चिन्त हुआ जा सके।
इधर, केन्द्र सरकार ने एक नया आदेश जारी कर इस माह की 17 से 19 तारीख के बीच होने वाले पोलियो टीकाकरण को रोकने कहा है। जाहिर है, छत्तीसगढ़ में भी इस निर्देश का पालन किया जा रहा है। हालांकि पोलियो टीककरण की तैयारी माहभर से चल रही थी। स्वास्थ्य अधिकारियों का यह भी कहना है कि पोलियो टीकाकरण की उनकी तैयारी पूरी थी। कोरोना वैक्सीनेशन की टीम अलग है। पोलियो टीकाकरण की नई तारीख अभी तय नहीं की गई है। कोरोना काल में वैसे भी नसबंदी, मोतियाबिंद ऑपरेशन, एड्स, कुष्ठ और टीबी के रोगियों की ठीक देखभाल नहीं हो सकी। जैसे अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रमों में लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन पर रोक भी लग गई थी। अब पोलियो टीकाकरण पर भी इसका असर हुआ है।
काश कोरोना हो जाये!
कोरोना जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव बताकर छुट्टियों का आनंद उठाने की कई ख़बरें सामने आ चुकी हैं। बीते सितम्बर माह में नोएडा की एक महिला ने अपने पति, जो एक बड़ा अधिकारी है को गर्लफ्रेंड के साथ मुरादाबाद के एक फ्लैट में रंगे हाथ पकड़ लिया था जो कई दिनों से खुद को कोरोना संक्रमित होना बताकर घर नहीं आ रहा था। इधर, अब छत्तीसगढ़ में पैरोल और जमानत पर छूटे कैदियों के अच्छे दिन खत्म होने वाले हैं। हाईकोर्ट ने जेल में कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिये कुछ श्रेणियों के कैदियों को मई माह से जमानत और पैरोल पर छोड़ा। बाद में कोरोना नहीं थमने के कारण उन्हें कई चरणों में 31 दिसम्बर तक राहत दी। सुप्रीम कोर्ट में अपील के बाद उन्हें 15 जनवरी 2021 तक आत्मसमर्पण करने की मोहलत मिल गई, पर इसके बाद विस्तार नहीं हो सका है। हाईकोर्ट ने इन सबको वापस जेल भेजने कहा है। ऐसे कैदियों की संख्या प्रदेशभर में करीब 7700 है। यह भी कहा गया है कि एंटिजन टेस्ट नहीं कराया जाये, कई बार इसकी रिपोर्ट सही नहीं होती। इन सभी का आरटीपीसीआर टेस्ट होगा। कुछ कैदी इस स्थिति में प्रार्थना कर रहे हैं कि काश उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाये ताकि थोड़े दिन और खुली हवा में रह सकें।