राजपथ - जनपथ
एक और चूक?
बहुत तेज रफ्तार से निकलने वाले सरकारी हुक्म कई बार चूक का शिकार हो जाते हैं। अभी आईपीएस अफसरों की तबादला लिस्ट में दो एडीजी आईजी बना दिए गए थे, उसका सुधार शायद कर दिया गया है। लेकिन पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन में एडीजी पवनदेव को एमडी और चेयरमैन दोनों का पद दे दिया गया है। एक जानकार भूतपूर्व आईपीएस और एक मौजूदा आईपीएस ने इस बारे में बताया कि इस कार्पोरेशन के संविधान में इसके चेयरमैन के पद पर पुलिस महानिदेशक को ही रखने का प्रावधान है। पहले डी.एम. अवस्थी इस पर थे, फिर ए.एन. उपाध्याय इस पर रहे, और फिर अवस्थी को तब वापिस यहां किया गया जब उपाध्याय रिटायर हुए। लेकिन अभी एडीजी को ये दोनों पद दे दिए गए।
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि इस बार की तबादला लिस्ट न डीजीपी डी.एम. अवस्थी ने देखी, न ही एसीएस चित्तरंजन खेतान ने, और न ही गृह विभाग के विशेष सचिव उमेश अग्रवाल ने। जब लिस्ट जारी हो गई, तो वॉट्सऐप की मेहरबानी से इन लोगों ने भी लिस्ट पा ली।
तो फिर जंग ही सही...
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धान खरीदी के बहुत ही नाजुक मुद्दे पर भाजपा और मोदी सरकार दोनों से जिस दर्जे का टकराव लिया है, वह छत्तीसगढ़ की राजनीति में अब तक अनदेखा था। उन्होंने 20 हजार कांग्रेस कार्यकर्ताओं या किसानों के साथ सड़क के रास्ते दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मांगपत्र देने की घोषणा की है। अपने प्रदेश और शहर में तो 20 हजार क्या, दो लाख लोगों की भी भीड़ जुटाई जा सकती है, लेकिन रायपुर से दिल्ली का साढ़े बारह सौ किलोमीटर का सफर छोटी बात नहीं होती। और 20 हजार लोगों के वहां जाने का मतलब 33 सीटों वाली 6 सौ बसें होता है। अब एक सवाल यह भी है कि 6 सौ बसों का कारवां सैकड़ों शहर-कस्बों से होते हुए जब गुजरेगा तो नजारा कैसा होगा? इतने लोगों के लिए रास्ते में इंतजाम कैसे होगा, और धुंध और ठंड के इन दिनों में दिल्ली के पहले उत्तरप्रदेश से यह सफर मुश्किल भी होता जाएगा। फिर भी किसानों को अगर बढ़ा हुआ समर्थन मूल्य दिलाने के लिए यह किया जा रहा है, तो शायद पूरा देश इसे ध्यान से देखेगा, और जिन लोगों को रिकॉर्ड दर्ज करवाने का शौक होता है, उनके लिए यह कारवां शायद देश का सबसे लंबा और सबसे बड़ा कारवां भी हो सकता है। इसी प्रदर्शन को लेकर आज सुबह भूपेश बघेल ने साहिर लुधियानवी का एक शेर ट्विटर पर पोस्ट किया है।
भाजपा के घर की आग कौन बुझाए?
संगठन चुनाव को लेकर भाजपा में किचकिच चल रही है। सांसद विजय बघेल और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने तो खुले तौर पर चुनाव को फर्जी करार दिया है। अभी सिर्फ मंडलों के ही चुनाव हो रहे हैं। मगर पार्टी के प्रभावशाली नेताओं की नाराजगी के चलते चुनाव प्रक्रिया से जुड़े नेता सकते में हैं।
सुनते हैं कि चुनाव अधिकारी रामप्रताप सिंह ने चुनाव से जुड़े विवाद को निपटाने के लिए संगठन के ताकतवर नेता सौदान सिंह से मदद मांगी है। लेकिन सौदान ने किसी तरह का हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि उनकी प्राथमिकता झारखण्ड चुनाव है। छत्तीसगढ़ में संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। दिक्कत यह है कि दिल्ली के बड़े नेता महाराष्ट्र सरकार बनाने की जद्दोजहद में लगे हैं। उनके पास संगठन चुनाव में गड़बड़ी पर बात करने के लिए समय नहीं है। ऐसे में चुनाव अधिकारियों की दिक्कतें बढ़ती ही जा रही हैं। जब तक भाजपा प्रदेश में सत्ता में थी, तब तक तो मुख्यमंत्री का नाम ही काफी होता था, लेकिन अब पार्टी के सभी लोगों को अपना गुबार निकालने का मौका मिल रहा है। ऐसा नहीं कि भाजपा मजबूत नहीं है, बस यही है कि वह छत्तीसगढ़ में अब नए किस्म की बेचैनी देख रही है।
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