राजपथ - जनपथ

प्रदेश में वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा छुड़ाने के लिए वक्फ बोर्ड ने बकायदा अभियान छेड़ रखा है। अभियान को केन्द्र सरकार का भी समर्थन है। इन सबके बीच रायपुर के महंगे बाजार इलाके मालवीय रोड, और हलवाई लाइन की 40 दुकानों को वक्फ बोर्ड ने नोटिस जारी किया, तो हडक़ंप मच गया। बोर्ड का दावा है कि ये दुकानदार पहले किराएदार थे, जो बाद में फर्जी रजिस्ट्री करा मालिक बन गए।
बोर्ड ने सभी दुकानदारों को 20 मार्च को नोटिस भेजा था। जिसमें यह कहा गया कि उक्त संपत्ति पर अनाधिकृत आधिपत्य है। इसके अलावा कलेक्टर को भी चि_ी लिखी गई है। इन सबके बीच कुछ दुकानदार सामने आए हैं, और उन्होंने दस्तावेज सार्वजनिक किए कि उक्त संपत्ति पहले वक्फ बोर्ड से छुड़ा ली गई थी, और फिर इसके बाद रजिस्ट्री हुई है। बावजूद इसके मामला उलझते जा रहा है। वजह यह है कि सरकारी रिकॉर्ड में जमीन अभी भी वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज है। जहां तक रजिस्ट्री का सवाल है, तो वक्फ बोर्ड इसको गलत ठहरा रहा है, और रजिस्ट्री को शून्य करने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया है।
सुनते हैं कि कुछ दुकानदारों ने सीधे वक्फ बोर्ड से जुड़े लोगों से संपर्क कर मामले को सुलझाने के लिए पहल भी की है। वक्फ बोर्ड इसके लिए तैयार भी है। ऐसी चर्चा है कि वक्फ बोर्ड ने संपत्ति को फिर से सरेंडर करने की शर्त रखी है, और नए सिरे से उन्हीं दुकानदारों को फिर से किराए पर देने की बात भी कही है। इसको लेकर दुकानदार पशोपेश में हैं। कुल मिलाकर यह एक बड़ा विवाद बनता दिख रहा है। देखना है आगे क्या होता है।
ननकी फिर कलेक्टर के खिलाफ
पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। कंवर ने कोरबा कलेक्टर की शिकायत केन्द्रीय कोयला राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी, और राज्यपाल रामेन डेका से भी की है। पूर्व गृहमंत्री का आरोप है कि कोरबा कलेक्टर ने उन्हें साफ तौर पर कह दिया है कि किसी भी तरह की जन समस्याओं को लेकर उनके पास न आए, वो मुलाकात नहीं करेंगे।
कंवर ने प्रदेश के सबसे सीनियर आदिवासी नेता के साथ कोरबा कलेक्टर के व्यवहार को अपमानजनक बताया है। दिलचस्प बात यह है कि कोरबा में जितने भी कलेक्टर रहे हैं, पूर्व गृहमंत्री कंवर की उनसे पटरी नहीं बैठी है। कंवर पहले रमन सरकार में कलेक्टर रहे पी दयानंद, और संजीव झा के खिलाफ भी शिकायत कर चुके हैं। कंवर कोरबा के किसी कलेक्टर से खुश थे, तो वो थीं रानू साहू जो कि अभी कोल-डीएमएफ घोटाले में जेल में है।
रानू साहू के खिलाफ तो भूपेश सरकार के मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने मोर्चा खोल रखा था। उन्होंने मंत्री रहते रानू साहू के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को सार्वजनिक तौर पर उठाया था। तब पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर एक तरह से रानू साहू के बचाव में आ गए थे। अब जब कंवर, कोरबा कलेक्टर पर सीधे आरोप लगा रहे हैं, तो उनके आरोपों को शक की नजर से देखा जा रहा है। देखना है आगे क्या होता है।
फर्जी ई-चालान की नई चाल
साइबर ठगों की चाल और चालाकी चाचा चौधरी से भी तेज है। पुलिस लगातार लोगों को जागरूक कर रही है, सोशल मीडिया पर अभियान भी चल रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन ठगी के नए-नए तरीके हर दिन सामने आ रहे हैं। हाल ही में परीक्षा में अधिक नंबर दिलाने के नाम पर ठगी की घटनाएं सामने आईं, अब एक नया ट्रेंड फर्जी ई-चालान का शुरू हो गया है।
ठग अब ट्रैफिक पुलिस की असली प्रक्रिया की नकल कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक केस का उदाहरण देते हुए बताया कि एक व्यक्ति को मेसैज मिला-आपका 500 रुपये का चालान लंबित है, आज ही भरें, वरना कानूनी कार्रवाई होगी। साथ में एक लिंक दिया गया जो बिल्कुल असली वेबसाइट जैसा लग रहा था। घबराहट में व्यक्ति ने लिंक पर क्लिक किया, फोन हैंग हो गया, एक ओटीपी आया और कुछ ही देर में 40,000 रुपये उसके खाते से उड़ गए।
ये दिखाता है कि साइबर ठगों को आपकी निजी जानकारी तक पहुंच है। दुर्भाग्य से छत्तीसगढ़ में साइबर एक्सपर्ट्स की भारी कमी है, और ठगी के अधिकांश मामलों में पुलिस अपराधियों तक नहीं पहुंच पा रही। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर भी सुनवाई जारी है। समझदारी यही है कि अनजान नंबरों से आए कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें, किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले जांचें और ई-चालान जैसे मैसेज मिलने पर यातायात विभाग की वेबसाइट पर खुद जाकर सत्यापन करें। थोड़ी सावधानी रखकर यकीनन आप बड़े नुकसान से बच जाएंगे।
शरबत की जंग
गर्मी तेज पड़ रही है और सोशल मीडिया पर शरबत को लेकर बहस छिड़ी है। बाबा रामदेव ने अपने प्रोडक्ट को बेचने के चक्कर में रूह आफज़ा पर निशाना साधा, लेकिन तीर उल्टा पड़ रहा है। एक यूजर ने लिखा कि रूह आफज़ा में 87.8 फीसदी शुगर है। डॉक्टर तो 30 प्रतिशत शुगर वाले कोका-कोला को भी सेहत के लिए खराब बताते हैं। जवाब में दूसरे ने पतंजलि की फोटो चेंप दी और लिखा सोचिए, इसमें तो 99 प्रतिशत से भी ज्यादा चीनी है। फिर किसका भरोसा करें? क्या गन्ने के रस को भी ब्लैकलिस्ट कर दें? आखिर वो तो पूरे 100 प्रतिशत शुगर है।