विशेष रिपोर्ट

जांच कमेटी की रिपोर्ट आई, करोड़ों के घोटाले की पुष्टि, कार्रवाई के लिए सभी कमिश्नर को पत्र
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट : शशांक तिवारी
रायपुर, 17 अप्रैल। (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता) भूपेश सरकार की स्पेशल स्कीम ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) की स्थापना में करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। जांच रिपोर्ट में करीब दो सौ से अधिक रीपा में गुणवत्ताहीन मशीन की खरीद से लेकर निर्माण कार्यों में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि इन तमाम गड़बडिय़ों के लिए सिर्फ सरपंच को ही दोषी ठहराया गया है। यानी करीब दो सौ सरपंचों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है जो कि अब पदमुक्त हो चुके हैं। यही नहीं, 90 फीसदी से अधिक रीपा तकरीबन बंद हो गए हैं।
भाजपा सदस्य धरमलाल कौशिक ने रीपा में भ्रष्टाचार के मामले को जोर-शोर से विधानसभा में उठाया था। इस पर पंचायत विभाग के मुखिया डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने सीएस की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय जांच समिति की घोषणा की थी। प्रदेश भर में रीपा की पड़ताल के लिए अलग-अलग समिति बनाई गई। संभागवार सीनियर अफसरों को जांच का जिम्मा दिया गया। रायपुर संभाग के लिए प्रमुख सचिव निहारिका बारिक सिंह, दुर्ग में डॉ.कमलप्रीत सिंह, बस्तर में अंकित आनंद, और बिलासपुर में मुकेश बंसल व सरगुजा संभाग के विकास खंडों में रीपा की पड़ताल का जिम्मा सचिव स्तर की अफसर शम्मी आबिदी को दिया गया। जांच रिपोर्ट में भारी गड़बड़ी की पुष्टि हुई है।
रीपा परियोजना के प्रमुख भीम सिंह ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में रिपोर्ट पर सीधे कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि वो मीटिंग में हैं, और अभी कुछ नहीं कह सकते। दूसरी तरफ,पंचायत संचालनालय के एक उच्च पदस्थ अफसर ने बताया कि रिपोर्ट पर डिप्टी सीएम की सहमति के बाद सभी पांच संभागायुक्तों को जांच प्रतिवेदन भेजा गया है, और उनके यहां गड़बडिय़ों के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। यह भी कहा गया कि रीपा में कहीं भी भुगतान लंबित है, और इसमें किसी तरह की गड़बड़ी न हो, तो भुगतान किया जा सकता है।
बताया गया कि प्रदेश भर में 292 रीपा की स्थापना की गई थी। हर विकासखंड में दो रीपा की स्थापना हुई। रीपा यानी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (ग्रामीण औद्योगिक पार्क) की स्थापना का मुख्य मकसद ग्रामीण आबादी को रोजगार देना रहा है। फरवरी 2022 में रीपा की स्थापना की गई, और इसके लिए बजट में 441 करोड़ का प्रावधान किया गया। इसमें से 260 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, और 135 करोड़ का भुगतान रुक गया है।
सूत्रों के मुताबिक खर्च की प्रक्रिया तय थी। तीन एकड़ जमीन में रीपा का निर्माण किया जाना था, इसमेें एक करोड़ रुपए राशि निर्माण कार्यों, पचास लाख रुपए मशीनरी की खरीद, और बाकी राशि प्रचार-प्रसार व ट्रेनिंग में खर्च होना था। हरेक रीपा को दो करोड़ रुपए दिए गए। खास बात यह है कि निर्माण कार्यों से लेकर मशीनरी की खरीदी के लिए पंचायत को नोडल एजेंसी बनाया गया था। मगर कलेक्टर और जिला व जनपद सीईओ की मॉनिटरिंग का जिम्मा था। जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि मशीनों की खरीदी में भारी अनियमितता हुई है। दो-तीन एजेंसियों ने ही ज्यादातर जगहों पर मशीनों की सप्लाई की है, और ये मशीन बंद पड़े हैं।
जांच टीम ने सबसे ज्यादा गड़बड़ी बस्तर और सरगुजा संभाग में पकड़ी है। जशपुर में तो एक जगह डीपीआर तैयार करने के नाम पर 80 लाख रुपए फूंक दिए गए। जबकि कुल निर्माण पर एक करोड़ रुपए खर्च होना था। रायगढ़ जिले में 14 रीपा की स्थापना की गई थी। यहां सभी जगह मशीन कंडम हो चुकी है, और काम बंद हो चुका है। बस्तर में भी कुछ इसी तरह की स्थिति है। राजनांदगांव और एक-दो जगहों पर गुलाल बनाने, और गोबर से पेंट आदि बनाने का काम अभी भी जारी है, लेकिन 90 फीसदी रीपा बंद हो चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक जिला पंचायत सीईओ, और अन्य अफसरों ने सरपंचों पर दबाव डालकर मशीनों की खरीदी करवाई, और निर्माण कार्य कराया। निर्माण में कई जगहों पर सरपंच और उनके रिश्तेदार सीधे जुड़े रहे। हाल यह है कि सभी जगहों पर गड़बडिय़ों के लिए अकेले सरपंच को ही जिम्मेदार माना गया है। यही नहीं, सरपंचों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। पंचायतों में नए पदाधिकारी आ चुके हैं। ऐसे में अब कार्रवाई, या फिर वसूली को लेकर संशय की स्थिति है। पंचायत विभाग ने सभी कलेक्टरों को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि रीपा को लेकर कोई और भी योजना बना सकते हैं।