विशेष रिपोर्ट

अवैध शराब के लिए बदनाम बेलडीह पठार अब शराबबंदी की राह पर
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट
महासमुंद, 8 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। जिले के ग्राम बेलडीहपठार एक समय में शराब बनाने-बेचने, यहां तक की उसकी आपूर्ति करने के नाम से क्षेत्र में कुख्यात रहा है। पर अब यहां की सूरत बदलने वाली है। अब यहां जिला पंचायत सदस्य कुमारी भास्कर की पहल पर एसडीएम, पुलिस, टीआई बसना, सरपंच,जनप्रतिनिधियों ने एक बैठक लेकर सर्वसम्मति से शराबबंदी का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने श्रीमद भागवत गीता, रामायण ग्रंथ को हाथ में रखकर बारी-बारी से शराबबंदी की शपथ ली है। खास बात यह है कि शराब को लेकर बदनाम इस गांव के लडक़ों को कोई लडक़ी देने तैयार नहीं होते थे।
बहरहाल, ग्रामीणों ने धार्मिक ग्रंथों को हाथ में लेकर ठान लिया कि अब इस गांव में न शराब बनेगी, न शराब बिकेगी। ग्रामीणों ने बैठक में निर्णय लिया है कि अब यह गांव में पूर्णत: शराबबंदी होगा। यहां ना ही कोई शराब बनायेगा और ना ही कोई बेचेगा और ना ही दूसरे गांव में कोई सप्लाई ही करेगा। श्रीमद भागवत एवं रामायण ग्रंथ पर हाथ रखकर एक.एक कर सभी ने शपथ ली। पूरे गांव में शराब बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले महुआ लाहन को एकजुट होकर नष्ट कर दिया।
इसके बाद गांव के लोगों ने जिला पंचायत सदस्य कुमारी भास्कर एवं अनुविभागीय पुलिस अधिकारी ललिता मेहेर,थाना प्रभारी बसना नरेन्द्र राठौर सहित सरपंच जगदीश सिदार एवं जनप्रतिनिधियों को गांव में आमंत्रित किया गया। उनके मार्गदर्शन में शासकीय प्राथमिक शाला में गांव के युवाओं ने ग्रामीणों की बैठक आयोजित कर सभी लोगों ने श्रीमद भागवत गीता एवं रामायण ग्रंथ में हाथ रखकर बारी-बारी से गांव में शराबबंदी करने की शपथ ली।
उन्होंने संकल्प लिया कि आज के बाद गांव में ना तो काई शराब बनायेगा ना ही कोई बेचेगा और न ही अन्य गांव में सप्लाई करेगा। अब से गांंव में पूर्णत: शराबबंदी होगी। अब शराब निर्माण के बजाय किसानी एवं अन्य व्यवसाय कर खुशहाली से यहां के लोग जीवन-यापन करेंगे।
जिला पंचायत सदस्य कुमारी भास्कर ने बेलडीहपठार के लोगों द्वारा शराबबंदी का निर्णय का स्वागत व समर्थन करते हुए कहा कि शराब से स्वास्थ्य खराब होता है, गांव, घर में झगड़ा-फसाद होते हैं। लडक़ों की शराब की लत लगने से बीमार होकर युवा अवस्था में मौत हो जाती है। शराब परिवार के नाश का कारण बनता है। यहां लोग अन्य व्यवसाय कर खुशहाली से जीवन-यापन करेंगे तो परिवार भी खुशहाल होगा।
श्रीमती भास्कर, एडिशनल एसपी अनंत कुमार साहू, एसडीओपी ललिता मेहर एवं थाना प्रभारी बसना नरेंद्र राठौर के मार्गदर्शन में ग्राम बेल्डीह पठार के ग्रामवासियों के साथ बैठक आहुत कर युवाओं द्वारा गांव को नशामुक्त करने की एक मुहिम शुरू की गई।
बैठक में सभी ने रामायण, श्रीमद् भागवत ग्रंथ पर हाथ रखकर बारी-बारी से शराब न बनाने व शराब नहीं बेचने का संकल्प लिया। श्रीमती भास्कर ने अभियान का शुभारंभ कर नशा मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी और इस अभियान में अधिक से अधिक व लोगों को जुडऩे की अपील की। लमकेनी सरपंच जगदीश सिदार, सरायपाली सरपंच एवं पंचगण, गांव के वरिष्ठ जन, युवा लडक़े-लड़कियों तथा बसना थाना कर्मचारियों के साथ मिलकर घर-घर जाकर अवैध शराब निर्माण नहीं करने की समझाइश देते हुए महुआ पास लाहन को नष्ट किया गया।
बैठक में रंजीत यादव, ग्राम प्रमुख कार्तिकराम ओगरे, कुंजराम खूंटे, झनक मिरी, भीखम खुटि, चेतलाल खूंटे, भुरुराम, हीरालाल बारीक, रोहित मिरी, विद्या मिरी, कलाराम मिरी, बाबूलाल मिरी, चंदनसिंह मिरी, तुलसीदास मिरी, डमरू मिरी, विक्की टंडन, छत्तरसिंह मिरी, लालकुमार मिरी, दशरथ ओगरे, धनेश्वर रात्रे, हरिराम, बृजलाल ओगरे, उत्तर ओगरे, पद्मासिंग ओगरे, युधिष्ठिर, हरिचंद खूंटे, जगदीश बारीक, रामानंद, धरमदास मिरी, कुबेर एवं उप सरपंच पिरोबाई खूंटे, रूखमणी मिरी, संध्या खुंटे, मुनिबाई, रूपा मिरी, बिजली बाई आदि ने मिलकर गांव में पूर्ण रूप से शराबबंदी करने की पहल को सफल बनाने में सहयोग दिया।
एक ग्रामीण झनक राम मिरी ने ‘छत्तीसगढ़’ को फोन पर बताया कि गांव के युवा लोकेश की मौत से शराबबंदी का निर्णय लिया गया। अपने बच्चे का जन्मदिन मनाने के तुरंत बाद लोकेश की हार्ट अटैक से मौत हो गई। यहीं से शराबबंदी के निर्णय की शुरूआत हुई। लोकेश ओगरे की उम्र 23-24 साल थी। 24 मई की शाम को उसने अपने इकलौते पुत्र का जन्मदिन मनाया था। शराब पीने की लत लगने के कारण लोकेश ओगरे का स्वास्थ्य कमजोर था। शराब के कारण स्वास्थ्यगत कारणों से ही उसे हार्ट अटैक आया होगा।
गांव के लोगों का कहना है कि घरों में शराब बनाने, हमेशा शराब उपलब्ध रहने के कारण शराब पीने की लत लगने से युवाओं के स्वास्थ्य पर दिनों-दिन बुरा असर होने लगा था। गांव में 6 से सात साल में कुछ शादी शुदा लडक़ों की 20 से 30 साल की उम्र मृत्यु होने से गांव में ऐसी धारणा निर्मित होने लगी कि मृत्यु का कारण शराब भी हो सकता है।