सारंगढ़-बिलाईगढ़

प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त खेती पद्धति
23-May-2025 4:37 PM
प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त खेती पद्धति

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सारंगढ़, 23 मई।  भारत सरकार द्वारा किसानों को रसायन मुक्त खेती अपनाने के उद्देश्य से वर्ष 2023 से प्राकृतिक खेती पर एक राष्ट्रीय मिशन ’’राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन’’  शुरू किया गया है। प्राकृतिक खेती से मिट्टी की उर्वरता, पर्यावरणीय स्वास्थ्य में सुधार और साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिलने के साथ किसानों की आय में वृद्धि भी होती है। प्राकृतिक खेती अपनाने पर विभिन्न समस्याओं का समाधान हो सकता है, जैसे- खाद्य असुरक्षा, भोजन और पानी में कीटनाशकों और उर्वरक अवशेषों के कारण उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती है। प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक और घरेलू संसाधनों का उपयोग कर आवश्यक जैविक आदान (बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत, निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, दशापर्णी अर्क आदि) तैयार कर खेती में उपयोग कराना एवं उत्पादन लागत को कम करना है। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (हृरूहृस्न) अंतर्गत 50 हेक्टेयर का एक कलस्टर तैयार किया जाता है। जिसमें चयनित कृषकों को अधिकतम एक एकड़ का प्रावधान है। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन अंतर्गत इस जिले को वर्ष 2025-26 में 200 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला है। जिसे बरमकेला विकासखण्ड से 6 पंचायतों को चयन किया गया है। वर्तमान में प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, लाभ एवं महत्व को देखते हुए प्राकृतिक खेती योजना से जुडक़र रसायन मुक्त फसल उत्पादन कर किसान अपने तथा मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार एवं कृषि लागत में कमी ला सकते हंै।

कलेक्टर सारंगढ़ के निर्देश पर कृषि विभाग सारंगढ़ इस दिशा में प्रशिक्षण व प्रदर्शन के द्वारा जिले के कृषकों को प्राकृतिक खेती अपनाने प्रेरित कर रहा है। इस योजना में कृषकों को विभिन्न आदान सामग्री उपलब्ध कराई जावेगी, साथ ही कृषकों को स्थानीय वनस्पति तथा सामग्रीयों का उपयोग करते हुए कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा।


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