राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : उपेक्षित भी उम्मीद से हैं
24-Aug-2025 5:33 PM
राजपथ-जनपथ : उपेक्षित भी उम्मीद से हैं

उपेक्षित भी उम्मीद से हैं

सत्ता, और संगठन में जगह नहीं मिलने से भाजपा के कई नेता-विधायक नाखुश हैं। इनमें से कुछ तो दिल्ली भी गए हैं। नाराज नेता मौका पाकर अपनी बात रख भी रहे हैं।

भाजपा संगठन की धुरी रहे शिवरतन शर्मा, लाभचंद बाफना, और श्रीचंद सुंदरानी दिल्ली में थे। ये सभी व्यापारी संगठन के एक कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे। इन सभी की स्पीकर डॉ. रमन सिंह से चर्चा हुई है। डॉ. रमन सिंह भी दिल्ली में हैं। तीनों नेताओं को संगठन में जगह नहीं मिली है।

कहा जा रहा है कि तीनों ने डॉ. रमन सिंह से अपनी उपेक्षा पर चर्चा की है। चर्चा है कि डॉ. रमन सिंह की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से प्रदेश के विषयों पर बात हो सकती है। कुछ विधायक भी दिल्ली गए थे। मगर पार्टी के नेता उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर व्यस्त हैं। इसलिए ज्यादा कोई बात नहीं हो पाई है।

असंतुष्ट नेताओं को उम्मीद है कि उपराष्ट्रपति चुनाव निपटने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होंगे, और फिर कार्यकारिणी  का गठन होगा। ऐसी चर्चा है कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है, और सीनियर नेताओं को जगह मिल सकती है। देखना है आगे क्या होता है।

राजेश अग्रवाल, नई चुनौतियां

अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल के मंत्री बनने के बाद सरगुजा भाजपा में खेमेबंदी शुरू हो गई है। यहां अखिलेश सोनी को प्रदेश महामंत्री बनाया गया है। सरगुजा के पुराने नेता, और स्थानीय संगठन के पदाधिकारी अखिलेश के साथ हैं। मगर राजेश अग्रवाल के मंत्री बनने से पार्टी के उन कार्यकर्ताओं को तवज्जो मिलने की उम्मीद है, जो अब तक अलग-थलग रहे हैं।

राजेश अग्रवाल पहले कांग्रेस में थे, और वर्ष-2018 में भाजपा में आए। पार्टी ने उनकी पकड़ को देखकर स्थानीय क्षत्रपों की दावेदारी को नजर अंदाज कर टिकट दे दी। अग्रवाल, दिग्गज नेता डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को पटखनी देने में कामयाब रहे। और अब मंत्री बने हैं, तो चर्चा है कि  स्थानीय पुराने नेता अब भी उनके साथ नहीं हैं। मगर राजेश अग्रवाल, और उनकी टीम ने लंबित निर्माण कार्यों को पूरा करने, और जन समस्याओं को हल करने के लिए योजना बना रहे हैं।

खास बात ये है कि सिंहदेव, डिप्टी सीएम रहते भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाए थे। इसकी वजह थी कि सीएम भूपेश बघेल से उनके रिश्ते मधुर नहीं रहे। सरगुजा में सिंहदेव के बजाए तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की तूती बोलती थी। अब राजेश अग्रवाल के लोग मंत्री पद को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं, और निर्माण कार्य तेज कर जनता के बीच पकड़ मजबूत करने की रणनीति है। देखना है कि वो इसमें कितना सफल हो पाते हैं।


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