राजनांदगांव

कोरोना से असल जंग लड़ती नर्से पति खोने और कुनबा सम्हालते मरीजों की सेवा में डटी
12-May-2021 12:44 PM
कोरोना से असल जंग लड़ती नर्से पति खोने और कुनबा सम्हालते मरीजों की सेवा में डटी

कल्पना रमन


  नर्स-डे विशेष : नर्सों को मिल रही शाबासी  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 मई।
कोरोना से आए इंसानी जीवन में उथल-पुथल के बीच अपनी उत्कृष्ट चिकित्सकीय सेवाओं से राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में पदस्थ स्टॉफ नर्सों की वैश्विक महामारी से जंग लडऩे में बेखौफ भूमिका पर उन्हें शाबासी मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर नर्सों को जहां सलामी दी जा रही है। वहीं उनके कोरोनाकाल में समर्पण भाव को भी जमकर सराहा जा रहा है। 

राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में पदस्थ कुछ नर्सों ने कोविड-19 संक्रमण से अपने जीवन साथी को खोया है। वहीं ट्रिपल (एक साथ तीन) बच्चों की मां बनी नर्स अपना कुनबा सम्हालते हुए मरीजों की सेवा में डटी हुई है। चिकित्सक और मरीज के बीच सेतु मानी जाने वाली नर्सें कोरोना महामारी को मात देने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर मोर्चा सम्हाले हुए हैं। असल कोरोना से जंग लडऩे में वह किसी भी तरह से पीछे नहीं है। ‘छत्तीसगढ़’ ने नर्स-डे के खास मौके पर कुछ नर्सों से चर्चा की। 

सीनियर स्टॉफ नर्स कल्पना रमन के जीवन में गुजरे डेढ़ साल में काफी बदलाव आए हैं। कोरोना पीडि़तों का देखभाल करती कल्पना की निजी जिंदगी तबाह हो गई। कोरोना से जंग लड़ते उनके पति दुनिया छोड़ गए। पति का साथ छोडऩे से वह कुछ दिनों तक मायूस रही, लेकिन कोरोनाग्रस्त मरीजों को सम्हालने अब वह फिर से अपना कर्तव्य निभा रही है। 

इसी तरह एक और नर्स भुनेश्वरी साहू ने भी अपने पति को कोरोना से पीडि़त होकर इस दुनिया से जाते देखा। अप्रैल माह में कहर बरपा रहे कोरोना ने भुनेश्वरी साहू  के भी जिंदगी को सूना कर दिया। उनके पति पिछले माह पेंड्री स्थित कोविड-19 अस्पताल में इलाज के दौरान जिंदगी की जंग हार गए। पति का साथ छोडऩे के बाद भुनेश्वरी साहू मरीजों के जिंदगी को बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। वह कहती है कि बीमारों की देखभाल करना उनके पेशे का धर्म है, इसलिए वह अपने निजी दुख को भूलकर मरीजों के तकलीफ को दूर करने काम कर रही है।
 

मेडिकल कॉलेज की ही स्टॉफ नर्स स्वाति सिमनकर अपने जिंदगी में तीन तरह की लड़ाई लड़ रही है। स्वाति कुछ साल पहले तीन बच्चों की मां बनी। उन्होंने तीन संतानों को  एक साथ जन्म दिया। उनके पति भी किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। पति और तीन बच्चों की देखभाल कर रही स्वाति अपने पेशे के साथ भी न्याय करने की भरपूर कोशिश कर रही है। वह कोरोनाग्रस्त मरीजों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ पति और बच्चों को सम्हालने के लिए रोज संघर्ष कर रही है। स्वाति का कहना है कि सेवाभाव का इरादा लेकर काम करने से बोझ हल्का होता है। उन्होंने कहा कि नर्स का पेशा ही मरीजों के मर्ज को समझना है, ताकि शारीरिक कष्टता झेल रहे रोगियों को आराम और सुकुन मिले।


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