राजनांदगांव
बौद्ध गया मंदिर अधिनियम कानून निरस्तीकरण की मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 अगस्त। बिहार के बोधगया मंदिर को लेकर असंवैधानिक कानून के विरोध में रविवार को ऑल इंडिया बौद्धिष्ट फोरम छत्तीसगढ़ के बैनर तले बौद्ध समाज ने राज्य स्तरीय शांति मसाल यात्रा के तहत केंद्र सरकार से मंदिर अधिनियम 1949 (पीटी एक्ट) निरस्त करने की मांग की। बौद्ध समाज ने महाबोधि महाविहार का पूर्ण प्रबंधन बौद्धों को सौंपने के लिए भी आवाज उठाई। शांति मसाल यात्रा में राज्यभर के बौद्ध भिक्षु और सामाजिक लोग शामिल हुए। यह मसाल रैली शहर के मुख्य मार्गों से गुजरी। इससे पहले कलेक्टोरेट परिसर के सामने फ्लाई ओवर के नीचे एक दिनी धरना भी दिया गया।
उल्लेखनीय है कि बीते माह जुलाई में भी बिहार के गया स्थित बौद्ध मठ को विशुद्ध रूप से बौद्ध धर्मावलंबियों को एकाधिकार दिलाने के लिए महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन में राज्यभर के बौद्ध अनुयायी ने धरना प्रदर्शन किया था। राज्य स्तरीय आंदोलन में राजनांदगांव में 1 से 31 जुलाई तक अलग-अलग क्षेत्रों के बौद्ध अनुयायी धरना में शामिल हुए। जिसमें आंदोलन के जरिये बौद्ध अनुयायी महत्वपूर्ण रूप से 1949 बीटी एक्ट को समाप्त करने तथा पूर्ण रूप से बौद्धगया मठ को बौद्ध धर्मगुरूओं के हवाले करने की मांग किया था।
स्थानीय कलेक्टोरेट परिसर के सामने धरना में समाज की ओर से केंद्र और राज्य सरकार से गैर बौद्ध समाज के मठ में बढ़ते अतिक्रमण को तत्काल खत्म करने तथा बौद्ध धर्मगुरूओं को मठ की जिम्मेदारी प्रदान करने के लिए आवाज उठाया था। इधर आज रविवार को भी बौद्ध अनुयायियों ने मसाल रैली निकालकर प्रदर्शन करते आवाज बुलंद की कि बौद्धगया मठ समाज की धरोहर है। यहां गैर बौद्ध समाज के लोगों की दखल पूरी तरह से खत्म होनी चाहिए। ऑल इंडिया बौद्धिष्ठ फोरम छत्तीसगढ़ के बैनर तले समाज के अलग-अलग विंगों के प्रमुखों ने आंदोलन को सहमति दी है।


