राजनांदगांव
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
राजनांदगांव, 12 अगस्त। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव के इतिहास विभाग द्वारा अगस्त क्रांति मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्राचार्य डॉ. सुचित्रा गुप्ता ने कहा कि 9 जून 1942 को लुई फिशर से महात्मा गांधी ने कहा कि भारत छोडऩे और नहीं छोडऩे के बीच कोई दूसरा रास्ता नहीं है। क्रिप्स प्रस्ताव का असफल और एक-एक कर भारत छोडऩे से भारतीयों में निराशा फैल गई थी। ऐसी स्थिति में गांधीजी ब्रिटिश साम्राज्यवाद का रक्तहीन अंत कर एक नए युग की आक्रोश रखते थे।
विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि 7 अगस्त 1942 का कांग्रेस अधिवेशन बंबई में प्रारंभ हुआ। 08 अगस्त को महात्मा गांधी ने समिति के सामने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का एतिहासिक प्रस्ताव रखा। इस दौरान गांधीजी ने 70 मिनट तक भाषण दिया और करो या मरो का नारा जनता को दिया।
कार्यक्रम का संचालन करते सहायक प्राध्यापक हिरेन्द्र बहादुर ठाकुर ने कहा कि सरकार की अनुमानसिक दमन चक्र में आंदोलन को दबा तो दिया, लेकिन छिपे रूप से आंदोलन चलता रहा। जिसका नेतृत्व अरूणा आसिफ अली, राममनोहर लोहिया तथा जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं ने किया। आभार प्रदर्शन अतिथि व्याख्याता हेमलता साहू द्वारा किया गया। इस अवसर पर अतिथि व्याख्याता डॉ. अजय शर्मा सहित एमए के विद्यार्थीगण उपस्थित थे।


