राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 19 जुलाई। प्रख्यात जैन संत एवं मुनि विनय कुशल के सुशिष्य मुनि वीरभद्र ने कहा कि कोई भी किसी को पीड़ा या सुख नहीं देता। जीव को जो मिलता है, वह उसके कर्मों की वजह से मिलता है। कर्म अच्छे होंगे तो फल अच्छा मिलेगा और कर्म बुरे होंगे तो नतीजा भी बुरा ही निकलेगा।
जैन बगीचा स्थित उपाश्रय भवन में शुक्रवार को अपने नियमित प्रवचन में मुनिश्री वीरभद्र ने कहा कि पाप और पुण्य साथ-साथ चलते हैं। हमारे कर्म इसे तय करते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानियों की नजर में श्रावक वह होता है, जो वास्तविकता की समझ रखता है। उन्होंने कहा कि अपनी कैपेसिटी जांचने के लिए व्यक्ति को उपवास अवश्य रखना चाहिए। भोजन बिना आप कितने दिन रह सकते हैं, इससे आपकी वास्तविक स्थिति का पता चलेगा।
मुनिश्री ने कहा कि हमने शक्ति प्रदर्शन को भक्ति मान लिया है। भक्ति भाव से है, शक्ति से नहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जो विधाएं चल रही है, वह वास्तविक विधाएं नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक मानसिकता नहीं सुधरेंगी, तब तक परिणाम अच्छे नहीं निकल पाएंगे और आपके भीतर अहो भाव नहीं जागेगा।
मुनि वीरभद्र ने कहा कि अपने होने का सदुपयोग करें और आत्म कल्याण के मार्ग में आगे बढ़े।