राजनांदगांव

विधायकों का झुकाव भूपेश की ओर तो संगठन बैज के साथ
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 जुलाई। जिले की कांग्रेस की राजनीति में सियासी मुद्दों पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के समर्थकों में साफ तौर पर मतभेद होने से संगठन के कार्यक्रम में एका का अभाव साफतौर पर दिख रहा है।
पूर्व सीएम बघेल और बैज के बीच अपरोक्ष रूप से मनमुटाव की झलक साफतौर पर दिख रही है। राजनांदगांव जिले में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ आयोजित कार्यक्रमों पर दोनों के खींचतान की छाप दिख रही है। जिले के कार्यकर्ताओं के लिए मौजूदा स्थिति में असमंजस्य की स्थिति है। भूपेश और दीपक के बीच अंदरूनी तौर पर वर्चस्व की लड़ाई को मतभेद की एक वजह के रूप में एक-दूसरे के विरोधी के रूप में प्रचारित भी कर रहे हैं। राजनीतिक तौर पर कांग्रेस में बिखराव की स्थिति भी दिख रही है।
भूपेश बघेल के लिए जिले के कांग्रेसी विधायकों का झुकाव दिख रहा है। जबकि संगठन के प्रमुख नेता बैज के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बैज की मौजूदगी के बावजूद डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता बघेल और डोंगरगांव विधायक दलेश्वर साहू नदारद थे। हर्षिता बघेल के साथ रायगढ़ जिले में चल रही तमनार के जंगल के कटाई विरोध के कार्यक्रम में शामिल होने चली गई थी। दलेश्वर भी अलग कारण से बैज के साथ मंच साझा करने के लिए नजर नहीं आए।
राजनीतिक तौर पर कांग्रेस में बघेल और बैज के बीच चल रही अनबन को स्थानीय कांग्रेसी जिम्मेदार मान रहे हैं। निचले स्तर के कार्यकर्ता सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ लोहा लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन प्रदेश के दोनों दिग्गज नेताओं के बीच बढ़ती दूरी से कार्यकर्ताओं के लिए अजीबो गरीब स्थिति बन गई है।
राजनांदगांव जिले में कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस लगातार आवाज उठा रही है। मोहड़ गोलीकांड, डोंगरगढ़ में अवैध शराब की खेप और शहर में हुए चाकूबाजी की घटना समेत अन्य जनहित के मुद्दों को लेकर कांग्रेस की आवाज गुटबाजी के चलते फीकी पड़ गई है। बैज समर्थक सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में जैसे ही आगे बढ़ रहे हैं, उसके उलट बघेल गुट गैरमौजूद या औपचारिक भूमिका में रहकर संगठन की ताकत को कुंद करते नजर आ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि लंबे समय से बघेल समर्थक संगठन में बदलाव के लिए जोर लगा रहे हैं। जबकि बैज जिले में बदलाव के लिए फिलहाल असहमत हैं। चर्चा है कि बघेल के विरोधियों के साथ बैज की बढ़ती नजदीकियां भी कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर रही है। बहरहाल मुद्दों को लेकर कांग्रेस के छत्रप माने जाने वाले नेताओं के मनमुटाव ने संगठन को दो धड़े में बांट दिया।