राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 जुलाई। छत्तीसगढ़ के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों एमएसएमई को पारंपरिक बैंकिंग साधनों से आगे बढक़र वैकल्पिक वित्तीय स्त्रोतों से सहायता प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से रेजिंग एंड एक्सेलरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस योजना के अंतर्गत वैकल्पिक वित्तपोषण पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र राजनांदगांव के महाप्रबंधक द्वारा की गई। रैंप योजना भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय तथा विश्व बैंक द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित है। जिसका उद्देश्य एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाना, वित्तीय पहुंच को आसान करना तथा उन्हें प्रतिस्पर्धी एवं सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ाना है। कार्यशाला की शुरूआत में रैंप योजना की संक्षिप्त जानकारी प्रतिभागियों को दी गई। इसके पश्चात उप प्रबंधक एनएसई उर्मिलेश द्वारा NSE EMERGE में सूचीकरण की प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज, पात्रता मानदंड और इससे मिलने वाले लाभों पर प्रस्तुति दी गई।
ब्रांच ऑफिस इन चार्ज SIDBI रायपुर अमित खरे ने सिडबी के माध्यम से एमएसएमई को उपलब्ध विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाओं की विस्तृत जानकारी साझा की। इनवॉइसमार्ट से निखिल ने बिल डिस्काउंटिंग एवं TReDS प्लेटफॉर्म के संचालन एवं लाभों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि TReDS प्लेटफॉर्म विलंबित भुगतानों की समस्या के समाधान, समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने और एमएसएमई के नकदी प्रवाह में सुधार के लिए एक प्रभावी माध्यम है।
कार्यशाला में जिले के 41 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों, महिला उद्यमियों एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने सहभागिता की। कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों ने विषय की उपयोगिता पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और ऐसी कार्यशालाओं को निरंतर आयोजित करने की मांग की। यह कार्यशाला एमएसएमई के लिए पूंजी बाजार में प्रवेश, वैकल्पिक वित्त स्रोतों की समझ और वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध हुई।