राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 जुलाई। राज्य का अधिकांश क्षेत्र वर्षा आधारित होने से मौसमीय प्रतिकूलता एवं कृषि आदान लागत में वृद्धि के कारण कृषि आय में अनिश्चितता बनी रहती है। जिसके कारण कृषक फसल उत्पादन के लिए आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनीकी में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते हैं।
राज्य सरकार द्वारा कृषि में पर्याप्त निवेश एवं कास्त लागत राहत देने के लिए कृषक उन्नति योजना प्रारंभ की गई है। फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देने, दलहन तिलहन फसलों के क्षेत्र विस्तार तथा इनके उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के साथ योजनांतर्गत चिन्हित अन्य फसलों पर आदान सहायता राशि दिए जाने का निर्णय लिया गया है। जिससे धान के अतिरिक्त दलहन-तिलहन, मक्का व अन्य फसलों की खेती करने वाले कृषकों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त विगत खरीफ में एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीकृत ऐसे किसान जिन्होंने धान की फसल लगाई हो तथा प्रदेश की सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया हो उन्हें धान के स्थान पर अन्य खरीफ फसल हेतु एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन तथा गिरदावरी में रकबे की पुष्टि उपरांत मान्य रकबे पर राशि 11 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से आदान सामग्री का भुगतान होगा।
कृषक उन्नति योजना का मुख्य उद्देश्य फसल क्षेत्राच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, फसल के कास्त लागत में कमी लाकर कृषकों की आय में वृद्धि तथा उनके सामाजिक-आर्थिक स्तर में सुधार के साथ-साथ कृषकों को उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मानव श्रम, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनीकी में निवेश हेतु प्रोत्साहन, फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देते हुए कृषि को लाभ के व्यवसाय के रूप में पुर्नस्थापित करना। योजना का क्रियान्वयन खरीफ 2025 से किया जाएगा।