राजनांदगांव

पंडवानी गायन के साथ रेल्वे की महिला पुलिस अफसर तरूणा लापता को मिलाने कर रही काम
08-Mar-2025 2:30 PM
पंडवानी गायन के साथ रेल्वे की महिला पुलिस अफसर तरूणा लापता को मिलाने कर रही काम

राष्ट्रीय स्तर पर पंडवानी को पहचान दिलाने दिल्ली से लेकर अयोध्या में दी आकर्षक प्रस्तुति

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 मार्च।
विश्व महिला दिवस पर राजनांदगांव शहर की कुछ महिलाएं सामाजिक मोर्चे में भी खूबसूरती के साथ काम कर रही है। राजनांदगांव रेल्वे स्टेशन की आरपीएफ निरीक्षक तरूणा साहू की इन दिनों उनके उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की जा रही है। छत्तीसगढ़ की लोक गायन में से एक पंडवानी में जहां तरूणा पूरी तरह से दक्ष होकर कई कार्यक्रमों में शानदार प्रस्तुति देकर राज्य का मान बढ़ा रही है। वहीं एक रेल्वे पुलिस अफसर के रूप में मिली जिम्मेदारी का भी वह बखूबी निर्वहन कर रही है। 

स्थानीय रेल्वे स्टेशन की सुरक्षा प्रभारी के तौर पर तरूणा गुम इंसानों को परिवार से मिलाने की मुहिम भी चला रही है। जिसमें उन्हें काफी कामयाबी भी मिली है। 
तरूणा आरपीएफ की पुलिस अफसर है। राजनांदगांव में वह करीब डेढ़ साल पहले पदस्थ हुई हैं। इसके अलावा तरूणा पारिवारिक जिम्मेदारी का भी बेहतर ढंग से निर्वहन कर रही है। यानी एक महिला होने के बावजूद  तरूणा हर जिम्मेदारी के साथ न्याय कर रही है। 

9  साल की उम्र में तरूणा ने प्रदेश की सुप्रसिद्ध पंडवानी गायिका तीजनबाई से प्रारंभिक गायन सीखा। इसके बाद वह कई कार्यक्रमों में शामिल होने लगी। पंडवानी गायिका के तौर पर तरूणा ने दिल्ली में भी पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी के समक्ष शानदार ढंग से प्रस्तुति दी थी। गत् वर्ष अयोध्या में रामलला प्रतिष्ठा समारोह में तरूणा ने आकर्षक गायन से सबका ध्यान खींचा। तरूणा को गायन की प्रस्तुति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की संस्कृति विभाग ने न्यौता दिया था। इसके अलावा तरूणा फेसबुक व वाट्सअप के जरिये भी अपने पंडवानी गायन के अंश  शेयर करती है। छत्तीसगढ़ी कल्चर को मजबूती देने के लिए तरूणा का पूरा ध्यान रहता है।

सोशल मीडिया को एक सशक्त मंच बनाकर तरूणा छत्तीसगढ़ी गायन से लेकर खानपान से जुड़ी जानकारियां भी लोगों को संदेश के तौर पर भेजती है। मौजूदा वक्त में स्थानीय लोक संगीत, गायन और संस्कृति के अभाव से युवा पीढ़ी दूर होती जा रही है। ऐसे में एक रेल्वे की महिला पुलिस अफसर होकर भी तरूणा ने अपनी माटी से लगाव को कम होने नहीं दिया। वह वैश्विक स्तर पर छत्तीसगढ़ को पंडवानी के क्षेत्र में पहचान दिलाना चाहती है। फिलहाल रेल्वे में निरीक्षक, पंडवानी गायन और घरेलू जिम्मेदारियों के साथ तरूणा आगे बढ़ रही है।


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