राजनांदगांव

कोमल-सौरभ की जोरदार लॉबिंग से फंसा पेंच
05-Jan-2025 3:44 PM
कोमल-सौरभ की जोरदार लॉबिंग से फंसा पेंच

दोनों रमन के करीबी, फैसला कुछ दिन टलने के आसार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 5 जनवरी।
राजनांदगांव भाजपा के जिलाध्यक्ष की कुर्सी के लिए कोमल सिंह राजपूत और सौरभ कोठारी के बीच जोरदार लॉबिंग होने से मामला फंस गया है। दोनों ही स्पीकर डॉ. रमन सिंह के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में डॉ. सिंह को दोनों में से एक को चुनने के लिए नापतौल करना पड़ रहा है।  कोमल सिंह राजपूत के लिए उनका वरिष्ठ होना फायदा  पहुंचा रहा है। जबकि सौरभ संगठन में एक काबिल नेता माने जाते हैं। उनकी सभी नेताओं से अच्छी बनती है। राजपूत जिलाध्यक्ष की कुर्सी के लिए कुछ नेताओं के जरिये लॉबिंग कर 
रहे हैं।

बताया जा रहा है कि मौजूदा जिलाध्यक्ष रमेश पटेल और जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष सचिन बघेल ने उनके नाम को आगे बढ़ाया है। कोमल सिंह को संगठन में काम करने का अनुभव है। वह महामंत्री भी रहे हैं। इसके अलावा मंडी उपाध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने कार्य किया है।  

उधर सौरभ कोठारी का नाम ऐसे समय में उभरा, जब पार्टी ने उम्र संबंधी एक नीति लागू कर दी। जिसके तहत 60 साल से अधिक उम्र के पदाधिकारियों को जिलाध्यक्ष की कुर्सी से अलग रखा जाएगा। ऐसी परिस्थिति में सौरभ कोठारी का नाम कुछ नेताओं ने आगे बढ़ाया। 

बताया जा रहा है कि सौरभ को जिला कोर कमेटी का भी समर्थन हासिल है। साथ ही रायशुमारी में 60 फीसदी से ज्यादा नेताओं ने सौरभ को एक सशक्त दावेदार माना है। राजनीतिक रूप से राजनांदगांव जिले के नए अध्यक्ष की कुर्सी पर स्पीकर डॉ. सिंह की पसंद काफी मायने रखती है। डॉ. सिंह से कोमल और सौरभ के करीबी संबंध है।  बताया जा रहा है कि दोनों के नाम पर डॉ. सिंह गंभीरता से विचार कर रहे हैं। लगातार रायशुमारी होने की वजह से नए अध्यक्ष के नाम के ऐलान में देरी होने  की संभावना है। राजनांदगांव जिले में डॉ. सिंह की पसंद के अनुसार ही नए अध्यक्ष की घोषणा होगी। बताया जा रहा है कि कई वरिष्ठ नेता सौरभ को अध्यक्ष बनाने के लिए जोर लगा रहे हैं। पूर्व जिलाध्यक्ष संतोष अग्रवाल इस मामले में तटस्थ हैं। उन्होंने फैसले को डॉ. सिंह की ओर मोड़ दिया है। जिला भाजपाध्यक्ष की कुर्सी की दौड़ में शामिल दोनों दावेदार हर स्तर पर प्रयासरत हैं।

बताया जा रहा है कि लगातार पेंच फंसने के कारण फैसला कुछ दिनों के लिए टल सकता है।  यानी 10 जनवरी के बाद ही नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो सकती है।


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