राजनांदगांव
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रक्षाबंधन पर बहनों को अपने बीच पाकर बंदियों की भर आई आंखे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 19 अगस्त। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते विचाराधीन और सजायाफ्ता बंदियों की सूनी कलाईयों में तकरीबन चार साल बाद बहनों ने रक्षाबंधन के खास मौके पर राखी बांधने का रिवाज के साथ खुशियां मनाई।
राजनांदगांव जिला जेल में इस साल जिला जेल प्रशासन ने सलाखों के पीछे बंद कैदियों को राखी बांधने के लिए बहनों को खासतौर पर छूट दी। इस रियायत के दौरान जेल परिसर के बाहर और अंदर सुरक्षा के कड़ बंदोबस्त किए गए थे। जेल के भीतर एक कक्ष में कैदियों को अपनी बहनों से मुलाकात करने का मौका मिला। बहनें भाईयों को सलाखों के पीछे देखकर अपना आंसू रोक नहीं पाई। बहनों को अपने बीच पाकर कैदियों को भी रोना आ गया। रक्षाबंधन के पर्व पर दूर-दराज से बहनें परिवार को लेकर पहुंची। जेल में बंद भाई से मिलने मां संग पहुंची अमरटोला गांव की उषाबाई ने बताया कि दो साल से भाई एक अपराध में जेल में बंद है। इस साल राखी बांधने का प्रशासन ने अवसर दिया है।
जेल में बंद भाई की तकलीफ का उसे बखूबी अहसास है। इस बीच डोंगरगांव की रहने वाली ईमला कंवर ने बताया कि उसका भाई खुमान सिंह कंवर 4 माह से सलाखों के पीछे है। रक्षाबंधन पर्व पर भाई को जेल में देखने से काफी कष्ट हो रहा है। इस बीच जेल परिसर के बाहर अलग-अलग क्षेत्रों से पहुंचे लोगों को कड़ी सुरक्षा के बीच प्रवेश दिया गया। जेल प्रशासन ने सिर्फ बहनों को सोनपापड़ी मिठाई की इजाजत दी थी। इसके लिए पैक डिब्बा लेकर आने की अनुमति थी।
जेल प्रशासन ने चैन वाली राखियों को प्रतिबंधित किया था। इसके अलावा सभी प्रकार की राखियों को छूट दी गई थी। चार सालों से कोरोना की वजह से राखी बांधने की अनुमति नहीं थी। जिला जेल में राखी बांधने पहुंचे बहनों को पहचान पत्र के बाद अंदर प्रवेश दिया गया। इस तरह जेल प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा के बीच भाई-बहनों के इस पवित्र पर्व पर राखी बांधने के लिए तत्पर बंदियों को खुशी मनाने का मौका दिया।