राजनांदगांव

नांदगांव के सिद्धार्थ गोलछा ने गुजरात में ली दीक्षा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 दिसंबर। राजनांदगांव के 18 साल के सिद्धार्थ गोलछा ने दीक्षा ग्रहण कर सांसारिक जीवन को त्याग दिया है। गुजरात में जैनों के तीर्थों के तीर्थाधिराज श्री शत्रुंजय महातीर्थ, पालीताना (गुजरात) में मुमुक्षु सिद्धार्थ गोलछा ने जैन धर्म के अनुसार दीक्षा हासिल कर ली। उन्हें अब मुनि श्रेयस रत्न सागरजी के नाम से पुकारा जाएगा।
शहर के पारस-योगिता गोलछा के बेटे सिद्धार्थ गोलछा की दीक्षा समारोह में भाग लेने समूचे भारत वर्ष से श्रद्धालु पहुंचे थे। दीक्षा समारोह छत्तीसगढ़ श्रृंगार, शासन प्रभावक, संयम सारथी परम पूज्य आचार्य श्री जिनपीयूष सागर सुरीश्वर जी महाराज साहब के मुखारबिंद से संपन्न हुई।
सिद्धार्थ गोलछा का दीक्षा के बाद नवीन नाम परम पूज्य मुनि श्री श्रेयस रत्न सागर जी महाराज साहब हुआ। सिद्धार्थ के साथ कुल 15 भाई-बहनों की भगवती दीक्षा हर्षोल्लासपूर्ण माहौल में संपन्न हुई।
सर्वप्रथम सुबह 6 बजे कार्यक्रम के प्रथम चरण में स्नान पूजा संपन्न हुई। इसके बाद समस्त दीक्षार्थी भाई-बहनों का महोत्सव मंडप में पदार्पण हुआ। उसके बाद माता-पिता व परिवारजनों द्वारा आचार्य भगवंत को दीक्षा के लिए अनुमति प्रदान की गई एवं आचार्य भगवंत द्वारा दीक्षा क्रिया शुभमुहूर्त में प्रारंभ की गई। दीक्षा क्रिया के अंतर्गत दीक्षार्थियों को रजोहरण (ओघा) प्रदान किया गया, जिसे पाकर सभी खुशी से झूम उठे और नृत्य करने लगे। यह दृश्य देखकर उपस्थितजन भावुक हो उठे।
सिद्धार्थ ने भगवान महावीर स्वामी द्वारा बताए गए जैन धर्म के पांच महावतों अर्थात पंचशील के सिद्धार्थ सत्य, अहिंसा, अचौर्य, ब्रम्हचर्य एवं अपरिग्रह का जीवनभर पालने का नियम लिया।