राजनांदगांव

19 को डूबते व 20 को उगते सूर्य को देंगे अध्र्य, भगवान सूर्य की करेंगे उपासना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 16 नवंबर। उत्तर भारतीयों के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक छठ पर्व की तैयारियां शुरू हो गई है। स्थानीय तालाबों के घाटों में साफ-सफाई का सिलसिला शुरू हो गया है। कल 17 नवंबर यानी शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का आगाज होगा। 19 को डूबते व 20 नवंबर को उगते सूर्य का अध्र्य देकर भगवान सूर्य की उपासना होगी। शहर में उत्तर भारत के रहने वालों की बड़ी तादाद है। व्रतधारी महिलाएं घाटों में सूर्य को अध्र्य देने के लिए पहुंचते हैं।
माना जाता है कि संतानों की लंबी आयु के लिए महिलाएं कठिन व्रत रखती हैं। छठ पर्व का अपना धार्मिक महत्व है। यह पूजा चार दिनों तक चलती है। कल 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ त्यौहार की शुरूआत होगी। कल 6.45 बजे सूर्योदय होगा। सूर्यास्त का वक्त शाम 5.27 बजे रहेगा। अगले दिन 20 नवंबर को व्रतधारी महिलाओं द्वारा प्रसाद का भोग लगाया जाएगा। यह प्रसाद घर-परिवार के साथ ग्रहण किया जाता है। इस बीच शहर के तालाबों की सफाई शुरू हो गई है। विशेषकर मोतीतालाब, चिखली के शीतला मंदिर तालाब, पीटीएस तालाब तथा रानीसागर तालाब में पूजा-अर्चना की तैयारी चल रही है। इन तालाबों में बड़ी संख्या में परिवार समेत पूजा-अर्चना के लिए लोग पहुंचते हैं। घाटों में उगते सूर्य को अध्र्य देकर प्रसाद का वितरण किया जाएगा। इसी के साथ उपवास खत्म होगा।
एक जानकारी के मुताबिक छठ पर्व की व्रतधारी महिलाएं विशुद्ध रूप से शाकाहारी भोजन करती है तथा व्रतियों का भोजन ग्रहण करने के बाद परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं। कई तरह के मीठे व्यंजन और फल भी व्रतधारियों को दिया जाता है।
यह भोजन नाममात्र का आंशिक होता है। महिलाएं घरों में पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन करती हैं।