राजनांदगांव

चुनावी बिसात में कांग्रेस-भाजपा के उम्मीदवार दिखा रहे दमदारी
04-Nov-2023 3:19 PM
चुनावी बिसात में कांग्रेस-भाजपा के उम्मीदवार दिखा रहे दमदारी

प्रचार के लिए कल 5 बजे तक का वक्त, प्रत्याशियों ने झोंकी ताकत

प्रदीप मेश्राम

राजनांदगांव, 4 नवंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। चुनावी बिसात में कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए दमदारी के साथ मुकाबला कर रहे हैं। अविभाजित राजनंादगांव की 6 सीटों में लगभग कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला है। इस विधानसभा चुनाव में तीसरी पार्टी का वजूद लगभग गायब हो गया है।

2018 में जोगी कांग्रेस के उम्मीदवारों ने भाजपा की राह में अड़चनें खड़ी की थी। रही बात अरविंद नेताम की नेतृत्व वाली हमर राज पार्टी का एकमात्र खुज्जी विस में ही आंशिक असर दिख रहा है। राजनांदगांव विस में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश देवांगन के बीच द्वंद पूरे शबाब पर है। दोनों प्रत्याशी अपनी ताकत लगाकर मतदाताओं को अपने पाले में लेने के लिए जोर लगा रहे हैं। राजनांदगांव विस में सीधा भाजपा और कांग्रेस के बीच ही चुनावी जंग छिड़ी हुई है।

 पूर्व सीएम के प्रभावशाली राजनीतिक पृष्ठभूमि के चलते कांग्रेस उम्मीदवार देवांगन को शुरूआती संघर्ष करना पड़ा। अब वह भी मुकाबले में आकर अपना दमखम दिखा रहे हैं। अनुसूचित जाति आरक्षित डोंगरगढ़ सीट में जिला पंचायत सदस्य व कांग्रेस प्रत्याशी हर्षिता स्वामी बघेल और पूर्व विधायक विनोद खांडेकर एक-दूसरे को मात देने के लिए जोर आजमाईश कर रहे हैं। विस क्षेत्र में दोनों आक्रमक अंदाज में प्रचार कर रहे हैं। यहां पर भी तीसरे दल अथवा निर्दलीय प्रत्याशियों की स्थिति काफी कमजोर दिख रही है।

 डोंगरगांव विस में मुकाबला दिलचस्प हो गया है।  बतौर विधायक दलेश्वर साहू कांग्रेस के प्रत्याशी बनकर भाजपा उम्मीदवार भरत वर्मा को चुनौती दे रहे हैं। वर्मा भी ग्रामीण परिदृश्य के दमदार नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हुए हैं। दलेश्वर तीसरी बार कांग्रेस के प्रत्याशी बने हैं। भरत को भाजपा ने पहली बार विस में  भेजने के लिए उम्मीदवार बनाया है।

 इधर, खुज्जी विस में जिला पंचायत अध्यक्ष गीता साहू भाजपा प्रत्याशी बनकर लगातार दौरा कर रही हैं। वह कांग्रेस के पूर्व विधायक भोलाराम साहू को कड़ी टक्कर दे रही हैं। भोलाराम साहू का पिछली बार पार्टी ने पत्ता काट दिया था। लोकसभा में उन्हें उम्मीदवार बनाकर राजनीतिक रूप से एडजस्ट करने की कोशिश की गई, लेकिन वह बुरी हार को रोक नहीं पाए। भोलाराम के लिए लोस में मिली हार परेशानी का कारण बन रही है। जबकि गीता साहू ने एक महिला होने के नाते मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

 खुज्जी में तीसरी पार्टी के रूप में हमर राज पार्टी  अपनी छाप छोड़ती दिख रही है। वजह यह है कि पार्टी की उम्मीदवार ललिता कंवर जिला पंचायत सदस्य हैं। वह भाजपा समर्थित सदस्य रही। उन्होंने भी टिकट के लिए दावा किया था। पार्टी के फैसला का विरोध करते उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया। खैरागढ़ विस में युवाओं के बीच मजबूत पैठ रखने वाले विक्रांत सिंह को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।  जबकि उनका मौजूदा विधायक यशोदा वर्मा से आमने-सामने लड़ाई हो रही है। चुनावी जंग में यशोदा वर्मा के खिलाफ उनके ही पार्टी के नेताओं ने दूरी बना ली है।

 बताया जाता है कि उनके पति की कार्यशैली से कई कार्यकर्ता खफा हैं। विक्रांत की खास बात यह है कि अब तक नगर पालिका से जिला पंचायत के चुनाव में वह निर्वाचित होकर पदासीन हुए। यही बात उनकी राजनीतिक ताकत को बढ़ा रही है। खैरागढ़ में भाजपा और कांग्रेस ही मुख्य प्रतिद्वंदी है।

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मोहला-मानपुर विस में मौजूदा विधायक इंद्रशाह मंडावी और पूर्व विधायक संजीव शाह आपस में टकरा रहे हैं। 15 साल बाद शाह को भाजपा ने टिकट दिया है। उन्हें युवा मतदाताओं के बीच पहचान बनाने में दिक्कतें हुई है।  जबकि इंद्रशाह मंडावी कांग्रेस विधायक के तौर पर पहचान को बरकरार रखने में कामयाब रहे। कुल मिलाकर यहां भी दोनों मुख्य पार्टी मुकाबले में है।


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