राजनांदगांव

कटाई-मिंजाई के लिए किसानों का खेतों में डेरा, प्रत्याशी कर रहे खेत-खलिहानों का रूख
02-Nov-2023 3:22 PM
कटाई-मिंजाई के लिए किसानों का खेतों में डेरा, प्रत्याशी कर रहे खेत-खलिहानों का रूख

प्रचार के लिए महज 4 दिन का वक्त, राजनीतिक दलों की धडक़ने तेज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 2 नवंबर।
विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के लिए खेती-किसानी का वक्त प्रचार के लिए लिहाज से परेशानी खड़ी कर रहा है। वजह यह है कि धान की उपज की कटाई-मिंजाई के लिए किसान खेतों में डेरा डाले हुए हैं। प्रचार के लिए पहुंचने के दौरान राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को घरों में ताला लटका मिल रहा है। मतदाताओं के बीच जाने के लिए प्रत्याशी खेत-खलिहान का रूख कर रहे हैं। आगामी 5 नवंबर की शाम को प्रचार थम जाएगा। ऐसे में 4 दिन के भीतर प्रत्याशियों को सभी मतदाताओं तक पहुंचने का दबाव है। 

धान कटाई और मिंजाई के बीच प्रचार करने के लिए प्रत्याशियों को अपनी रणनीति में भी बदलाव करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में देर रात तक देहात क्षेत्रों के लोगों से मेल-मुलाकात का सिलसिला चल रहा है। इस चुनाव में राजनीतिक दलों को सिर्फ 13 से 14 दिन का वक्त प्रचार के लिए मिला। जनसंपर्क करने के लिए हर विधानसभा का क्षेत्र काफी फैला हुआ है। सीमित दिनों में हर मतदाताओं तक पहुंचना संभव नही है। वैसे चुनावी मुकाबले में प्रत्याशियों की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। 

उम्मीदवारों को अपनी बात रखने के लिए समय की काफी किल्लत से जूझना पड़ रहा है। बैनर-पोस्टर के जरिये भी प्रचार कर मतदाताओं का ध्यान खींचने की कवायद जारी है। शहर और देहात क्षेत्रों में प्रत्याशियों की उपलब्धियों से जुड़ी गीत-संगीत की धुन भी सुनाई दे रही है। निर्वाचन आयोग की बंदिशों के कारण खर्च का दायरा भी सीमित है। 

चुनाव आयोग ने इस विधानसभा चुनाव के लिए खर्च की सीमा 40 लाख रुपए तय कर दी है। बढ़ती महंगाई और प्रचार के संसाधनों की कीमतें ऊंची होने से 40 लाख के भीतर चुनाव लडऩा नामुमकिन है। ऐसे में राजनीतिक दलों पर आयोग की पैनी निगाह भी है। 

बहरहाल खेती कार्य में डटे हुए किसानों की गैरमौजूदगी  से प्रत्याशियों को प्रचार के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ रही है।

 


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