राजनांदगांव

छत्तीसगढ़ के विकास में यहां की संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का काम अत्यंत महत्वपूर्ण - बघेल
21-Apr-2023 3:35 PM
छत्तीसगढ़ के विकास में यहां की संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का काम अत्यंत महत्वपूर्ण - बघेल

मुख्यमंत्री ने की पंचायतों को 5-5 हजार रूपए हस्तांतरित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 21 अप्रैल।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गुरुवार को अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना की तर्ज पर राज्य के गैर-अनुसूचित क्षेत्रों के लिए मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मोहला-मानपुर कलेक्टर  एस. जयवर्धन वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े रहे।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बघेल ने 13 अप्रैल को बस्तर में आयोजित भरोसा सम्मेलन में मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना का शुभारंभ किए थे। इन योजनाओं का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की पारंपरिक तीज त्यौहारों, मड़ई, मेलों को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ी को छत्तीसगढ़ी संस्कृति से अवगत कराने और इन परंपराओं को जीवंत बनाए रखना है। इन योजनाओं के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायतों को दो किस्तों में कुल 10 हजार रुपए जारी किए जाएंगे। मुख्यमंत्री बघेल ने मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि के अंतर्गत जिले के सभी 185 ग्राम पंचायतों को प्रथम किस्त के रूप में 5-5 हजार रुपए के मान से 9 लाख 25 हजार रुपए हस्तांतरित की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास में यहां की संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का काम अत्यंत महत्वपूर्ण है। राज्य में तीजा, हरेली, भक्तिन महतारी कर्मा जयंती, मां शाकंभरी जयंती (छेरछेरा), छठ और विश्व आदिवासी दिवस जैसे पर्वो पर सार्वजनिक अवकाश दिया जा रहा है। राज्य शासन की यह भावना है कि तीज-त्यौहारों के माध्यम से नयी पीढ़ी अपने पारंपरिक मूल्यों से संस्कारित हो और अपनी संस्कृति पर गौरव का अनुभव करें।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, युवा महोत्सव, छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक, बासी-तिहार जैसे आयोजनों के पीछे भी हमारा यही उद्देश्य है। लोक-संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से ही देवगुडिय़ों और घोटुलों के विकास का काम भी किया जा रहा है।
 


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