राजनांदगांव
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नक्सल मोर्चे में तैनाती के लिए 6 माह की ट्रेनिंग पूरी
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 20 अप्रैल (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। राजनांदगांव पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय में कड़े ट्रेनिंग के बाद महिला बस्तर फाइटर्स का दस्ता तैयार हो गया है। नक्सल मोर्चे में तैनाती के लिए लगभग 6 माह के बुनियादी प्रशिक्षण में महिला सुरक्षाकर्मियों को तकनीकी और व्यवहारिक ट्रेनिंग के गुर सिखाए गए हैं। दस्ते में उच्च तालीम लेने वाली महिला सुरक्षाकर्मी नक्सलियों को माकूल जवाब देने मानसिक और शारीरिक रूप से दक्ष हो गई है। खास बात यह है कि बस्तर फाइटर्स के दल में बीटेक से लेकर पोस्ट ग्रेज्युएटधारी महिलाएं शामिल हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक बस्तर संभाग के सभी 7 जिलों की युवतियों को ट्रेनिंग के लिए सलेक्ट किया गया था। छह माह तक ट्रेनिंग के दौरान सभी की शारीरिक, मानसिक दक्षता को बखूबी परखा गया। उनमें राष्ट्र भावना का जोश भरते हुए नक्सल मोर्चे और कानून व्यवस्था को सम्हालने के तकनीक से काबिल बनाया गया है।
बताया गया है कि स्थानीय पीटीएस में 283 महिलाओं का प्रशिक्षण के लिए चयन किया गया था। जिसमें तीन महिलाएं प्रशिक्षण के दौरान कुछ कारणों से वापस लौट गई। इस तरह 280 सदस्यों ने दिन-रात प्रशिक्षण में मेहनत कर खुद को नक्सलियों से भिडऩे के लिए तैयार किया। विशेष बात यह है कि महिला दस्ते में 2 बीटेक डिग्रीधारी युवती शामिल हैं। वहीं 14 युवतियों ने पोस्ट ग्रेज्युएट तक पढ़ाई की है। स्नातक की कुल 66 युवतियां भी दस्ते का हिस्सा बन गई है। 176 हाईस्कूल तक अध्ययनरत रही है। 14 ने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की है।
उधर बस्तर संभाग के बीजापुर-बस्तर से क्रमश: 30-30, कांकेर से 25, सुकमा से 52, दंतेवाड़ा से 17, नारायणपुर से 86 युवतियां ट्रेनिंग के लिए राजनांदगांव पहुंची। इसमें अकेले 238 अनुसूचित जनजाति वर्ग की युवतियां है। शेष अलग-अलग वर्ग से वास्ता रखती है।
बताया जा रहा है कि बस्तर फाइटर्स की राजनांदगांव ट्रेनिंग सेंटर में पहला प्रशिक्षण का सत्र था। बुनियादी और व्यवहारिक ट्रेनिंग के जरिये बस्तर फाइटर्स के दस्ते को पूरी तरह से सक्षम बनाया गया है। प्रशिक्षण अवधि में कई तरह की शारीरिक क्षमताओं को परखा गया, ताकि जमीनी स्तर पर मोर्चा सम्हालने के दौरान होने वाली परेशानियों से निपटने में निपुण हो। हथियार के रख-रखाव और उसे चलाने के तरीके भी सिखाए गए हैं। साथ ही बुनियादी प्रशिक्षण में मानव अधिकारों की रक्षा, युद्ध कौशल और फील्ड में रहने के तौर-तरीके के विशेष प्रशिक्षण दी गई है।
बताया जा रहा है कि ट्रेनिंग के पश्चात अब यह दस्ता संबंधित जिलों में वापस लौटकर नक्सलियों के कारगुजारियों का ठोस जवाब देने के लिए कार्य करने अपना दमखम लगाने तैयार है।