राजनांदगांव

डेढ़ दर्जन हाथियों का दल महुआ सीजन में लौटा मोहला-मानपुर के जंगल
12-Apr-2023 12:02 PM
 डेढ़ दर्जन हाथियों का दल महुआ सीजन में लौटा मोहला-मानपुर के जंगल

 परवीडीह गांव में वन बाशिंदों की तोड़ी झोपड़ी, ग्रामीण दहशत में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 अप्रैल।
महाराष्ट्र से लंबे समय बाद हाथियों का एक दल फिर से मोहला-मानपुर के घने जंगलों में लौट आया है। हाथियों का दल महुआ सीजन के दौरान जंगल में चिंघाड़ मारते हुए सीधे ग्रामीणों के ठिकानों पर हमला कर रहा है। परवीडीह के जंगल में बसे ग्रामीणों के मकानों को हाथियों ने तोड़ दिया है। वहीं उनके राशन को भी अपना आहार बना लिया।

बताया जा रहा है कि हाथियों का एक दल छह महीने बाद महाराष्ट्र से वापस मोहला-मानपुर के जंगल में दाखिल हुआ है। मंगलवार रात को 3 बजे अचानक हाथियों ने परवीडीह गांव में घुसकर जमकर उत्पात मचाया। इस गांव के तीन ग्रामीणों के कच्चे मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया। वहीं गांव के खेतों में भी लगी खड़ी फसलों को भी हाथियों ने रौंद दिया। बताया जा रहा है कि हाथियों की कुल 18 से 19 की संख्या है।  जिसमें कुछ बच्चे भी शामिल हैं।

वन अमले के लिए व्यवहारिक परेशानी यह है कि महुआ के सीजन में हाथी जंगल में धमक पड़े हैं। महुआ की खुशबू से हाथी अपना आपा खो बैठते हैं। मोहला-मानपुर का सरहदी जंगल महुआ के वृक्षों से भरा पड़ा है। परवीडीह से लेकर आसपास के अन्य गांव में पारंपरिक रूप से लोग महुआ बिनते हैं। साथ ही अगले कुछ दिनों में तेन्दूपत्ता तोड़ाई का दौर भी शुरू होगा। तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए हाथियों की मौजूदगी परेशानी का कारण बन सकती है। उधर पिछले कुछ सालों से हाथियों ने बालोद, मोहला-मानपुर के रास्ते महाराष्ट्र से आवाजाही शुरू की है। यानी एक तरह से हाथियों ने इस रास्ते को कारीडोर के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया है। कम से कम पिछले दो सालों से हाथियों की बालोद और मोहला-मानपुर के रास्ते महाराष्ट्र में जाकर लौटने का सिलसिला चल पड़ा है।

बताया जा रहा है कि हाथियों के लिए यह इलाका अनुकूल माना जा रहा है। यही कारण है कि हाथी का दल हर थोड़े महीनों के अंतराल में मोहला-मानपुर के जंगल में धमककर ग्रामीणों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाथियों की सुरक्षा को लेकर वन महकमा अब तक ठोस प्लान नहीं कर पाया है। जबकि ग्रामीणों के लिए हाथी मुसीबत बन रहे हैं।
 


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