रायपुर

पुलिस कार्रवाई के विरोध में मुस्लिम समाज का धरना
26-Dec-2025 9:55 PM
पुलिस कार्रवाई के विरोध में मुस्लिम समाज का धरना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 26 दिसंबर। मंगलवार को शहर पुलिस प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई के तौर तरीकों के विरोध में राजधानी के मुस्लिम समाज ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद राजीव चौक छोटा पारा में धरना दिया।  सभी ने अपने बाजूओं में काली पट्टी बांधा था। सभी हाथों में संविधान र दमन बंद करो के नारे लिखे पोस्टर थामे हुए थे।धरने के बाद समाज ने राजभवन जाकर राज्यपाल के नाम को ज्ञापन सौंपा।

इस धरने में मुख्य रूप से पूर्व अध्यक्ष सीरत कमेटी नौमान अकरम हामिद, अलीम रजा, अध्यक्ष सीरत कमेटी सोहेल सेठी, राष्ट्रीय हुसैनी सेना अध्यक्ष राहिल रउफी,  महासचिव रफीक गौटिया, ऑल मुस्लिम वेल्फेयर फाउंडेशन मो सिराज, 36गढ मुस्लिम महासभा एजाज कुरैशी, मो फहीम शेख, कुरैशी ज़मात मो अलीम कुरैशी, एवं मो एजाज,मो हसन,गुड्डा सेठी समाज के वरिष्ठ नागरिक  मौजूद रहे।

इससे पहले शहर सिरतुन्नबी कमेटी के अध्यक्ष सुहेल सेठी, 36गढ मुस्लिम महासभा एजाज कुरैशी ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में कहा था कि

पुलिस की इस कार्रवाई ने पूरे मुस्लिम समाज को गहरी चिंता और पीड़ा में डाल दिया है। एक बड़ी कार्रवाई के नाम पर सैकड़ों मुस्लिम परिवारों के बुज़ुर्गों तथा समाज के उन प्रतिष्ठित नागरिकों को हिरासत में लिया गया। जिनकी सामाजिक छवि अब तक साफ़-सुथरी, सम्मानजनक और भरोसेमंद रही है। यह स्पष्ट नहीं किया गया कि इन लोगों को हिरासत में लेने का ठोस और विधिसम्मत आधार क्या था।

प्रशासन का कहना है कि कुछ लोगों से पूछताछ की जानी थी। पूछताछ करना कानून-व्यवस्था का हिस्सा है और मुस्लिम समाज को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। आपत्ति पूछताछ के अधिकार पर नहीं, बल्कि उसे अपनाने के तरीक़े पर है।

जिस प्रकार आधी रात महिलाओं—वह भी बुज़ुर्ग महिलाओं—और सत्तर वर्ष से अधिक आयु के बुज़ुर्गों को उनके घरों से उठाया गया, वह न केवल असंवेदनशील है, बल्कि एक सभ्य और लोकतांत्रिक व्यवस्था की भावना के भी विरुद्ध है। यह प्रश्न स्वाभाविक है कि पूछताछ के लिए नोटिस, समन या अन्य सम्मानजनक और कानूनी प्रक्रियाएँ उपलब्ध होने के बावजूद उनका उपयोग क्यों नहीं किया गया।

सेठी ने कहा कि इस पूरी कार्रवाई से यह संदेश गया कि मुस्लिम समाज की छवि को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और समाज में भय का वातावरण निर्मित करने का प्रयास किया गया। जब समाज के जिम्मेदार और सम्मानित नागरिकों के साथ इस प्रकार का व्यवहार होता है, तो उसका प्रभाव केवल व्यक्तियों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे समाज के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है।

उल्लेखनीय है कि करीब 120 लोगों से पूछताछ के बाद एक भी व्यक्ति दोषी नहीं पाया गया। सभी ने अपने वैध दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिसके बाद पुलिस ने सभी को रिहा कर दिया। यह तथ्य स्वयं इस कार्रवाई की गंभीरता और तरीक़े पर सवाल खड़े करता है।


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