रायपुर
दिल्ली में जारी बैठक से राष्ट्रीय महासचिव का विरोध
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 नवंबर। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मंगलवार को दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दिए संबोधन पर बैंक आफिसर्स के संयुक्त फोरम उबल गया है। फोरम ने वित्त मंत्री के बैंक निजीकरण के समर्थन को कड़े शब्दों में खारिज किया। इस समय फोरम की दिल्ली में बैठक चल रही है। इसमें छत्तीसगढ़ के राज्य सचिव वाई गोपाल कृष्णा भी भाग ले रहे हैं।देशभर के सभी बैंकों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नौ प्रमुख यूनियनों के संयुक्त संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने कड़ा विरोध दर्ज किया है।
उक्त कार्यक्रम में एक छात्र द्वारा यह आशंका व्यक्त किए जाने पर कि निजीकरण से बैंकिंग सेवाएँ केवल चुनिंदा विशेष वर्गों तक सीमित हो सकती हैं, वित्त मंत्री ने इस आशंका को नजरंदाज करते हुए निजीकरण को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया।
यूनाइटेड फोरम इस धारणा को पूर्णत: अस्वीकार करता है और पुन: स्पष्ट करता है कि भारत को बदलने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका 1969 में बैंक राष्ट्रीयकरण केवल प्रतीकात्मक कदम नहीं था — इसने देश की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की दिशा ही बदल दी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक समान एवं समावेशी राष्ट्रीय विकास के साधन बने। फोरम के राष्ट्रीय महासचिव रूपम राय ने एक बयान में कहा कि फोरम का स्पष्ट मत निजीकरण राष्ट्रीय एवं सामाजिक हित के विरुद्ध है।यह वित्तीय समावेशिता को कमजोर करेगा। यह रोजगार और सार्वजनिक धन की सुरक्षा को खतरे में डालेगा।इसका लाभ नागरिकों को नहीं, केवल कॉर्पोरेट घरानों को होगा। राय ने फोरम की माँगें दोहराते हुए कहा कि भारत सरकार स्पष्ट घोषणा करे कि कोई भी सार्वजनिक क्षेत्र बैंक निजीकरण के लिए नहीं दिया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूँजी, तकनीक एवं पारदर्शी शासन के माध्यम से मजबूत किया जाए।
जमाकर्ताओं, कर्मचारियों एवं आम नागरिकों के हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी निर्णय से पूर्व सार्वजनिक विमर्श एवं संसदीय बहस अनिवार्य की जाए।


